एफटीए, प्रत्येक देश द्वारा आयात की विशाल मेजॉरिटी पर तत्काल टैरिफ कटौती और उनके अंतिम उन्मूलन का प्रावधान करता है। जब दो देश एफटीए में एंटर होते हैं तो दोनों देशों के खरीदारों को शुल्क मुक्त आयात का फायदा मिलता है। इससे उत्पादकों की लागत में कमी आती है और प्रतिस्पर्धा में सुधार होता है। उपभोक्ताओं को कम कीमतों का सीधा लाभ मिलता है। सेवाओं में एफटीए वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार और पेशेवर सेवाओं जैसे क्षेत्रों को शामिल करता है।
मुक्त व्यापार समाप्त होता है?
10A. (1) इस धारा के प्रावधानों के अधीन रहते हुए, इस खंड पर लागू करने के लिए जो एक औद्योगिक उपक्रम से एक निर्धारिती द्वारा निकाली गई किसी भी लाभ और लाभ निर्धारिती की कुल आय में शामिल नहीं किया जाएगा.
(मैं) यह शुरू हो गया है या निर्माण या अप्रैल, 1981 के 1 दिन या उसके बाद शुरू होने निर्धारण वर्ष के लिए प्रासंगिक पिछले वर्ष के दौरान लेख या चीजों का उत्पादन शुरू होता है, किसी भी मुक्त व्यापार क्षेत्र में;
इस हालत परिस्थितियों में, खंड 33b में संदर्भित किया जाता है के रूप में किसी भी ऐसे औद्योगिक उपक्रम के व्यापार का निर्धारिती द्वारा पुनः स्थापना, पुनर्निर्माण या पुनरुद्धार का एक परिणाम के रूप में गठन किया गया है जो किसी भी औद्योगिक उपक्रम के संबंध में लागू नहीं होगा बशर्ते कि और उस अनुभाग में निर्धारित अवधि के भीतर;
मुक्त व्यापार समझौता (FTA) क्या है?
- FTA विभिन्न देशों या क्षेत्रीय ब्लॉकों के बीच एक समझौता होता है जो व्यापार बढ़ाने के दृष्टिकोण से आपसी बातचीत के माध्यम से व्यापार बाधाओं (Trade Barriers) को कम करने या उन्हें समाप्त करने का लक्ष्य रखता है।
- इसमें माल, सेवाएँ, निवेश, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्द्धा, सरकारी खरीद और अन्य क्षेत्र शामिल हैं।
- FTAs स्थानीय उत्पादन को विदेशी व्यापार के साथ संयुक्त कर अर्थव्यवस्थाओं में विकास को बढ़ावा देने में सहायता करते हैं।
- चूँकि FTAs के कारण प्रत्येक देश द्वारा कम लागत पर चयनित वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन और खपत में वृद्धि लाता है।
भारत के मुक्त व्यापार समझौतों की वर्तमान स्थिति
- भारत वर्तमान में 12 FTAs का कार्यान्वयन कर रहा है जिसमें भारत-यूएई CEPA नवीनतम है।
- नवंबर 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी(Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) से भारत के बाहर आने के बाद 15 सदस्यीय FTA समूह (जिसमें जापान, चीन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं) में भारत के लिये मुक्त व्यापार समझौते ठंडे बस्ते में चले गए थे।
- लेकिन अब संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ भारत के द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत जारी है।
- भारत के प्रमुख व्यापार समझौते
- व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौता (Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement- CECPA)
- दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (South Asian Free Trade Area- SAFTA)
- एशिया प्रशांत व्यापार समझौता(Asia Pacific Trade Agreement- APTA)
- दक्षिण एशिया अधिमान्य व्यापार समझौता (South Asia Preferential Trading Agreement- SAPTA)
आगे की राह
- खुली और प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था की ओर: भारत के व्यापार नीति ढाँचे को आर्थिक सुधार का सहयोग प्रदान किया जाना चाहिये, जिसके परिणामस्वरूप एक खुली, प्रतिस्पर्द्धी और प्रौद्योगिकीय रूप से उन्नत अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा।
- इसलिये, भारत को वैश्विक आर्थिक नेटवर्क में उद्यमियों को शामिल करने पर ध्यान देना चाहिये जो उन्हें अधिक वित्तीय सुरक्षा प्राप्त कर सकने का अवसर देगा।
- भारत के लिये विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zones- SEZs) को MSME क्षेत्र से जोड़ना और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करना महत्त्वपूर्ण है।
- भारत को आधुनिक व्यापार अभ्यासों को भी अपनाने की आवश्यकता है जिन्हें निर्यात प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के माध्यम से लागू किया जा सकता है। इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी।
अगर FTA सदस्य सभी विकासशील देश हों तो .
अगर एफटीए सदस्य सभी विकासशील देश हों तो नियम काफी ढीले होते हैं। ऐसे में सदस्य देश व्यापार बाधाओं को पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय केवल कम करने का विकल्प चुन सकते हैं और अपनी पसंद के अनुसार कम या अधिक उत्पादों पर कटौती लागू कर सकते हैं। भारत-जापान एफटीए को छोड़ दें तो भारत के सभी एफटीए अन्य विकासशील देशों (2005 में सिंगापुर, 2010 में दक्षिण कोरिया, 2010 में आसियान, 2011 में मलेशिया और 2022 में यूएई) के साथ हैं। नतीजतन उन सभी में आंशिक व्यापार प्राथमिकताएं शामिल हैं, जिसमें उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा उदारीकरण से पूरी तरह से बाहर रखा गया है।
ऑस्ट्रेलिया के साथ FTA क्यों महत्वपूर्ण?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर और नीति आयोग के पहले वाइस चेयरमैन रह चुके अरविंद पनगढ़िया के टीओआई में छपे लेख के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया पहला महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है जिसके साथ भारत ने वास्तविक मुक्त व्यापार संबंध स्थापित किया है। वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार संतुलन, व्यापक अंतर से मुक्त व्यापार समाप्त होता है? ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में है। भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच एफटीए के पूरी तरह से लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का 85% निर्यात ड्यूटी फ्री स्टेटस प्राप्त कर लेगा।
2021 में, ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 13.6 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया और भारत से वहां 6.4 अरब डॉलर का सामान गया। इसके अलावा, दोनों देश एक दूसरे के साथ सेवाओं में लगभग 7 अरब डॉलर का व्यापार करते हैं। ऑस्ट्रेलिया से भारत को अब तक सबसे ज्यादा निर्यात होने वाले आइटम्स मोती, सोना, तांबा अयस्क, एल्यूमीनियम, शराब, फल और मेवे, कपास, ऊन और कोयला है। वहीं भारत से ऑस्ट्रेलिया में प्रमुख रूप से पेट्रोलियम उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, विद्युत मशीनरी, लोहे और स्टील से बने आर्टिकल्स, वस्त्र और परिधान जाते हैं।
मुक्त व्यापार (Free trade) क्या है?
देशों द्वारा आयात-निर्यात में भेदभाव को समाप्त करने की नीति को “मुक्त व्यापार” (Free trade) कहते हैं। टैरिफ और कुछ ग़ैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त मुक्त व्यापार समाप्त होता है? करने से मुक्त व्यापार भागीदारों की एक-दूसरे के बाज़ारों में पहुँच आसान होती है। कोई भी देश सभी वस्तुएँ नहीं बना सकता या कम-से-कम कीमत पर बेहतरीन गुणवत्ता चाहने वाले उपभोक्ताओं के लिये सभी सेवाएँ मुहैया नहीं करा सकता। इसे देखते हुए मुक्त व्यापार व्यवस्था की ज़रूरत होती है। मुक्त व्यापार किसी भी प्रकार की व्यापार नीतियों का निषेध है और इसके लिये किसी सरकार को कोई विशेष कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसे व्यापार उदारीकरण (Laissez-faire Trade) के रूप में जाना जाता है। इसके तहत विभिन्न अर्थव्यवस्था वाले देशों के ख़रीददार और विक्रेता स्वेच्छा से सरकार, वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या किसी अन्य प्रतिबंध की चिंता किये बिना व्यापार कर सकते हैं। इससे क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलता है।
मुक्त व्यापार (Free trade) के फ़ायदे
- इसके समर्थकों का मानना है कि दूसरे देशों के उत्पादों के सरल आयात से उपभोक्ता को निश्चित ही लाभ होता है।
- मुक्त व्यापार (Free trade) समझौते विदेशी निवेश के प्रवाह को बढ़ावा देते हैं तथा व्यापार, उत्पादकता और नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं।
- प्रत्येक देश में उपभोक्ता आयात बाधाओं को कम करने के पक्ष में होते हैं क्योंकि ऐसा होने पर बेहद प्रतिस्पर्धी मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उन्हें सहज-सुलभ हो जाते हैं।
- मुक्त व्यापार समझौते विकासशील देशों के लिए सहायक होते हैं साथ ही इससे व्यापार हेतु गतिशीलता का वातावरण भी तैयार होता है।
- मुक्त व्यापार बढ़ने से न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी, बल्कि सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को इससे फायदा होगा।
मुक्त व्यापार (Free Trade) की अवधारणा
ब्रिटेन के दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ‘एडम स्मिथ’ (Adam Smith) और ‘डेविड रिकार्डो’ (David Ricardo) ने तुलनात्मक लाभ की आर्थिक अवधारणा के ज़रिये मुक्त व्यापार के विचार को समझाया था। इनके अनुसार, जब कोई देश किसी अन्य देश से बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करता है तब तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage) होता है। ऐसे देश जिनके पास इन उत्पादों की सीमित मात्रा होती है, वे अन्य देशों से इनका आयात कर सकते हैं। एक मुक्त व्यापार उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन हेतु आर्थिक संसाधनों के उपयोग को भी प्रभावित करता है।Free trade के सामने उत्पन्न चुनौतियाँ
विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार वर्तमान विश्व की आर्थिक आवश्यकता है और इसीलिये मुक्त व्यापार की राह में आने वाली बाधाओं को समाप्त किया जाना भी ज़रूरी है जिससे आर्थिक विकास का लाभ सभी देशों को प्राप्त हो सके। मुक्त व्यापार तथा व्यापार का उदारीकरण जिस रफ़्तार से होना चाहिये था वह नहीं हो पाया है। जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गिरावट देखी जा रही है। टैरिफ वॉर (Tariff War or Customs War) को लेकर बढ़ती चिंता और विश्वभर में अपने उद्योगों के हितों की रक्षा के लिये अन्य देशों के सामने उत्पन्न बाधाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान होने की आशंका है। मुक्त व्यापार में कोई भी प्रतिबंध केवल कुछ पूंजीपतियों के हित में काम करता है और बड़े पैमाने पर यह जनता के हित में नहीं होता।
भारत द्वारा 1990 के दशक में अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया गया। जिसके तहत उन क्षेत्रों को खोला गया जो अब तक केवल सार्वजनिक क्षेत्रा के लिये संरक्षित माने जाते थे। विश्वभर के निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया गया ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था का समग्र आर्थिक वातावरण उदार बन सके। भले ही ये कहना मुश्किल हो कि भारत अपने प्रयासों में कहाँ तक कामयाब हुआ है किन्तु कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से भारत ने एक सही दिशा की ओर क़दम बढ़ाया है।
मुक्त व्यापार समझौता यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) क्या है :
- मुक्त व्यापार मुक्त व्यापार समाप्त होता है? समझौता (एफटीए) दुनिया के दो देशों के बीच व्यापारिक संधि है, जिसके तहत देशों के बीच आयात व निर्यात शुरू होता है। इसमें कई तरह की छूट दी जाती है, जिससे सामान सस्ता हो जाता है।
- भारत ने अपना पहला मुक्त व्यापार समझौता श्रीलंका के साथ 1998 मे किया था।
- 1994 से 2010 के बीच भारत ने दूसरे देशों से 79 बायलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (व्यापारिक संधियां) की, लेकिन इनमें से 54 देशों के साथ समझौते रद्द कर दिए।
- दरअसल, एफटीए की वजह से भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ा है।
- नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत के नेतृत्व में जारी डॉक्यूमेंट के मुताबिक वित्त वर्ष 2001 में भारत का व्यापार घाटा 6 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2017 में बढ़ कर 109 अरब डॉलर पहुंच गया।
अधिमान्य व्यापार समझौता (Preferential trade agreement)
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