अलग हो रहे पैरेंट्स बच्‍चों के साथ कर बैठते हैं ऐसी गलती, जानें क्‍या है बात करने का सही तरीका

उतार-चढ़ाव के बीच ‘न्यू नॉर्मल’ की ​स्थिति

कोरोना महामारी के दो साल तक दुनिया एक तरह से ठहरी रही। इस दौरान महामारी से लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी, अर्थव्यवस्था गहरी मंदी में फंस गई थी और आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर पड़ा व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? था। ऐसे में 2022 उम्मीद की किरण लेकर आई कि भारत और दुनिया में ​स्थिति अब सामान्य होगी।

हालांकि दुनिया के अ​धिकांश हिस्सों में महामारी का असर धीरे-धीरे कम हो गया, लेकिन भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और भू-आर्थिक अड़चनों ने इसकी जगह ले ली। साल की शुरुआत यानी 2022 के फरवरी में यूरोप में युद्ध छिड़ गया और साल खत्म होते-होते कोविड-19 की आहट फिर सुनाई देने लगी। शून्य कोविड नीति और सख्त लॉकडाउन के कारण चीन अभी तक कोरोना महामारी की वि​भी​षिका से बचा हुआ था, लेकिन इस बार वह भी चपेट में आता दिख रहा व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? है।

2020 में पहले लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने या ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नीति का ऐलान किया था। मगर 2022 ने दिखा दिया कि आत्मनिर्भरता पर जोर देने वाला भारत भी वै​श्विक भू-राजनीतिक घटनाओं से अछूता नहीं है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने विशेष रूप से खाद्य और ईंधन की आपूर्ति श्रृंखला में व्यापक बाधा खड़ी की। महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला पर पहले ही काफी दबाव था, जिसकी वजह से मौद्रिक और राजकोषीय नीति में व्यापक ढील दी गई थी। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद्य, ईंधन और अन्य जिंसों की आपूर्ति में अचानक बाधा ने दुनिया भर में महंगाई भड़काने का काम किया। केंद्रीय बैंकों ने महामारी के बाद सुधार को थोड़ा दरकिनार कर महंगाई पर काबू पाने के लिए दरों में इजाफा किया, जिससे मंदी की आशंका बढ़ गई है।

इन सबके बीच भारत वै​​श्विक स्तर पर आकर्षक स्थान दिख सकता है। इसकी एक वजह यह है कि कई अन्य देशों के विपरीत भारत में सरकार ने महामारी के दौरान राजकोषीय उपायों का ज्यादा उपयोग नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का उस तरह का दबाव नहीं है ​जैसा अन्य देश महसूस कर रहे हैं। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ईंधन की कीमतों पर अनि​श्चितता बनी हुई है। संयोग से पिछले कुछ वर्षों में भारत में ईंधन पर कर काफी अधिक रहे हैं। ऐसे में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत बढ़ने का उतना अधिक असर नहीं हुआ, जितना अतीत में कीमतों में वृद्धि की वजह से हुआ था।

फिर भी भू-राजनीतिक उथल-पुथल का 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। युद्ध और महामारी पूरी तरह खत्म नहीं होने से आने वाले साल में भी वै​श्विक वृद्धि की रफ्तार घटकर दो फीसदी से नीचे रह सकती है। इसका मतलब यह है कि इलेक्ट्रॉनिक सामान सहित भारत के निर्यात में हालिया वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि निर्यात वृद्धि में यह गिरावट पहले ही शुरू हो सकती है। विकसित देशों में उच्च दरें होने से भारत में पूंजी प्रवाह भी प्रभावित होगा। संभावना यह भी है कि भारत को शुरुआत में पूंजी की निकासी का उतना सामना नहीं करना पड़े। लेकिन पूंजी प्रवाह लंबे समय तक सुस्त बने रहने की आशंका सरकार और केंद्रीय बैंक के लिए चुनौती पैदा करती है। ​ऐसे में निर्यात के मामले में भारतीय उद्योग जगत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने से इसका स्थायी समाधान मिल सकता है।

यूक्रेन पर रूस के हमले ने दुनिया में 1980 के दशक के पश्चिम के दृष्टिकोण को नए सिरे से परिभा​षित कर सकता है क्योंकि स्पष्ट है कि यह व्लादीमिर पुतिन की ‘रूसी दुनिया’ से लंबे समय तक चुनौती का सामना करेगा। एक तरफ यह संकेत मिलता है कि यह भारत की तुलना में हिंद-प्रशांत पर कम ध्यान दे सकता है। हालांकि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि पश्चिमी देश किस हद तक यह समझते हैं कि चीन के समर्थन की वजह से ही रूस ने इस तरह का सैन्य दुस्साहस किया है। निश्चित रूप से यूक्रेन युद्ध के कारण हुए व्यवधानों ने कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि ताइवान में आक्रमण होने की स्थिति में व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इससे चीन को इस तरह का दुस्साहस करने से रोकने की आवश्यकता और बढ़ जाती है।

चीन के लिए शून्य कोविड नीति से बाहर निकलने में साल खत्म होते-होते नया मोड़ आ गया है। चीन में इसके विरोध में व्यापक प्रदर्शन हुए, जिसकी वजह से आईफोन के विनिर्माण संयंत्र पर भी असर पड़ा। इसने वै​श्विक मूल्य श्रृंखला में ज्यादा मजबूती लाने की जरूरत सामने रखी है। भारत पर भू-राजनीतिक प्रभाव की बात करें तो चीन और पश्चिमी देशों, दोनों को लेकर भविष्य के संबंधों का निरंतर पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है। इससे भारत के लिए नए अवसर भी पैदा हुए हैं। मगर उस अवसर को यथार्थ में बदलने के लिए देसी व्यापार पर केंद्रित और भी सुधारों की आवश्यकता होगी।

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आज के बढ़ती महंगाई और बेतहाशा बेरोजगारी के इस दौर में नौकरी के माध्यम से अपना जीवन यापन करना ही बेहद कठिन हो रहा है, तो फिर अपने सपनों को पूरा करने की तो गुंजाइश ही बाकी नहीं बचती है। महीना ख़त्म होने से कहीं पहले ही नौकरी से मिली हुई सैलेरी साथ छोड़कर जा चुकी होती है, जिसकी वजह से महीने के आखिरी दिनों में अच्छी खासी दिक्क्तों का सामना सभी वेतन भोगियों को करना पढ़ता है।

यह समस्या मुख्यतः प्रायवेट सेक्टर के छोटे और मध्यम वर्ग के कर्मचारियों को सर्वाधिक फेस करना पड़ती है, जबकि प्रायवेट सेक्टर्स के शीर्ष अधिकारी और सरकारी नौकरी के लगभग सभी वर्ग के कर्मचारी इन समस्याओं से सबसे कम दुष्प्रभावित होते हैं। आज के दौर में अपनी जरूरतों के साथ ही अपने सपनों को भी पूरा करना है तो व्यापार से बेहतर कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें जोखिम तो होता है, मगर प्रॉफिट की सर्वाधिक संभावना भी इसी क्षेत्र में पाई जाती है।

आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे बिजनेस आइडिया की जिसमें आप कम पूंजी में बड़ी कमाई करके अपनी जरूरतों के साथ ही अपने सपनो को भी पूरा कर सकते हैं। आज हम यहां बात कर रहे हैं.

हम यहां बात कर रहे हैं. तगड़े मुनाफे की अगर आप भी तगड़े मुनाफे की कमाने वाली खेती करना चाहते हैं तो मखाने की खेती (How to do Makhana Farming) कर सकते हैं. इसकी खेती में आपको बंपर लाभ हो सकता है. यह एक ऐसा उत्पाद है, जिसे, सर्दी, गर्मी बारिश हर मौसम में खाया जाता है. इसके अतिरिक्त बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी बड़े उत्साह से खाते हैं. इतना ही नहीं इस उत्पाद की मांग गांव से शहरों तक अक्सर शानदार बनी रहती है. वहीं, इसकी खेती से किसानों की कमाई भी कई गुना तक बढ़ जाती है. मखाने की खेती देश में सबसे ज्यादा बिहार के कुछ जिलों में होती है. बिहार में नीतीश सरकार ने किसानों की कमाई बढ़ाने के मोटिव से मखाने की विकास योजना की पहल की है. इस योजना के अंतर्गत किसानों को 72,750 रुपये की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है.

कैसे होती है मखाने की खेती

मखाने की खेती दो प्रकार से की जा सकती है. पहला तरीका है तालाब में खेती करना और दूसरा तरीका है खेतों में. इसकी खेती में दो फसलें ली जा सकती हैं. पहला है मार्च में लगाना और फिर अगस्त सितंबर में हार्वेस्टिंग. वहीं दूसरी फसल सितंबर अक्टूबर में लगती है, जिसकी हार्वेस्टिंग फरवरी मार्च में हो जातीहै. पहले इसकी नर्सरी बनाई जाती है और फिर उसे कम से कम डेढ़ से दो फुट पानी वाले खेत या फिर तालाब में लगााया जाता है. इसकी फसल करीबन 6 माह में तैयार हो जाती है.

कितनी होगी कमाई

लेकिन मखाने में मुनाफे की जानकारी के मुताबिक मगर किसान मखाने की खेती आधुनिक टेकनीक से चल रहा हैवहीं इसकी खेती में 1 लाख रुपये की लागत आती है. वहीं अगर कमाई की बात करें तो इससे कम से कम 1 से डेढ लाख रूपये एक मौसम में मिलते हैं. जबकि साल में मखाना दो बार बोया जाता है.

सरकार से मिलेगी सब्सिडी

इस पर किसानों व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? को अधिकतम 72,750 रुपये की सब्सिडी दी जाती है. सब्सिडी पाने के लिए इन 8 जिलों के किसान बिहार सरकार के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

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अलग हो रहे पैरेंट्स बच्‍चों के साथ कर बैठते हैं ऐसी गलती, जानें क्‍या है बात करने का सही तरीका

मां-बाप के बीच प्‍यार हो तो बच्‍चे भी उन्‍हें देखकर पॉजिटिव माहौल में बड़े होते हैं लेकिन हर एक रिश्‍ता प्‍यारा नहीं होता है। कुछ पैरेंट्स का रिश्‍ता तलाक तक पहुंच जाता है और इसका असर बच्‍चों पर भी पड़ता है।

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अलग हो रहे पैरेंट्स बच्‍चों के साथ कर बैठते हैं ऐसी गलती, जानें क्‍या है बात करने का सही तरीका

​प्‍यार का एहसास करवाते रहें

आप सीधा कस्‍टडी पर ना उतर आएं। इसकी बजाय बच्‍चे से बात करें। उसे बताएं कि आप दोनों का प्‍यार उसके लिए हमेशा ऐसा ही रहेगा और वो अलग होकर भी व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? उससे प्‍यार करना बंद नहीं करेंगे।

रिश्‍ते की कड़वाहट का असर बच्‍चे पर जरूर पड़ता है लेकिन मां-बाप के प्‍यार से इस नुकसान को कुछ हद तक रोका जा सकता है।

​समझने के लिए समय दें

आप अपने बच्‍चे पर अपने इमोशंस का बोझ ना डालें। इसकी बजाया उसके छोटे-से दिमाग को रिलेशिनशिप के फायदे-नुकसान को प्रोसेस करने का थोड़ा समय दें और उसे जानने दें कि आखिर अब तलाक ही एक रास्‍ता क्‍यों रह गया है।

हो सकता है कि आपका बच्‍चा आप दोनों के बीच सब कुछ ठीक करने की कोशिश करना चाहता हो, उसे इसका भी मौका दें।

​तलाक की वजह बताएं

कई बार बच्‍चों को पैरेंट्स के तलाक की असली वजह नहीं बताई जाती है। बच्‍चे खुद को इसका दोष देने लगते हैं। बच्‍चे के दिमाग में इस तरह के विचारों को पनपने ना दें।

अपने बच्‍चे से सेंसिबल तरीके से बात करें और उसे बताएं कि आखिर क्‍यों आप दोनों ने तलाक का फैसला लिया है।

​सोचकर बोलें

तलाक की बात बच्‍चे को बताते समय आप कुछ ऐसा ना बोल दें जिसका बच्‍चे पर गलत असर पड़े या वो अपने किसी एक पैरेंट के बारे में गलत धारणा बना ले। आपको यह समझना होगा कि आपको उसे क्‍या बताना है और क्‍या चीजें बाद में बतानी हैं। उतना ही बताएं, जितना वो बर्दाश्‍त कर सकें या सुनने की क्षमता रखते हैं। इससे कुछ भी ज्‍यादा बोलना उन्‍हें कंफ्यूज कर सकता है।

​बुरी बात ना करें

आपका भले ही अपने पार्टनर के साथ अच्‍छा रिश्‍ता ना रहा हो लेकिन आपके बच्‍चे के लिए आप दोनों पैरेंट्स ही एक बराबर हैं। आप बच्‍चे के सामने उसके दूसरे पैरेंट की बुराई या उनकी कमियां निकालने का काम ना करें। इसके लिए आपको अपने शब्‍दों पर थोड़ा कंट्रोल रखना होगा और अपने पार्टनर को बच्‍चे के सामने गलत तरह से प्रदर्शित ना करें।

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Unique Note: गरीबी खत्म! 100 के नोट पर छपी यह तस्वीर तो बनें करोड़ों रुपये के मालिक, जानिए डिटेल

100 ka note

नई दिल्लीः आपके पास कोई पैसा कमाने का काम नहीं तो फिर अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम आपको एक बहुत ही आसान तरीका बताने जा रहे हैं, जिससे मोटी रकम आराम से कमा सकते हैं। इन दिनों वैश्विक बाजार में कई वेबसाइट्स ऐसी हैं, जो पुराने नोट और सिक्कों के बदले छप्परफाड़ रकम मिल रही है।

अब आप आराम से लखपति बनने का ख्वाब पूरा कर सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 100 के पुराने नोट की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके बदले लाखों रुपये मिल रहे हैं। इस नोट की बिक्री के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। सबसे पहले तो नोट पर सीरियल नंबर 840 लिखा होना जरूरी है। इसके बदले फिर आपको लाखों करोड़ रुपये आराम से मिल सकते हैं।

जानिए 100 के नोट की खासियत

मार्केट में 100 के नोट की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसे लेकर हर किसी के चेहरे पर खुशी देखने को मिल रही है। इस नोट में तमाम खासियत रखी गई हैं। आपके घर रखे 100 के नोट पर रानी की तस्वीर बनी होना जरूरी है, जिसके बाद मनमाफिक राशि मिल जाएगी। रानी की वाव आ की तस्वीर प्राचीन काल में काफी लोकप्रिय हुआ करती थी। इस नोट को आप आराम से घर बैठे बिक्री कर सकते हैं।

नोट की ऑनलाइन करें बिक्री

आपको 100 के नोट की बिक्री करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। अगर आप ऐसे किसी नोट को बेचते हैं तो सबसे पहले उसकी व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? आखिरी संख्या 840 होना जरूरी है। वैश्विक बाजार में इसकी काफी मांग है और अगर आप इस तरह के नोट कई वेबसाइट पर बिक्री कर सकते हैं।

कोई भी आपका नोट खरीदना पसंद करता है, वह आपकी प्रोफ़ाइल के माध्यम से आपसे संपर्क करेगा और आप अपनी इच्छा के अनुसार अपना नोट बेच सकेंगे। इसके बदले आपको छप्परफाड़ रकम मिल जाएगी।

सरकार के कुछ अस्पष्ट और कुछ सतर्क जवाब

पिछले सप्ताह घटनाओं के एक असामान्य मोड में संसद के दोनों सदनों के सत्रों की अवधि अचानक समाप्त हो गई। इसमें कटौती की गई और दोनों सदनों को 23 दिसम्बर 2022 को स्थगित कर दिया गया। ऐसा लग रहा था कि सरकार सत्र को जल्दी समाप्त करने के लिए विपक्ष की तुलना में अधिक उत्सुक थी।

राज्यसभा के स्थगित होने से पहले वहां फिर से असामान्य रूप से 3,25,756 करोड़ (अतिरिक्त नकद व्यय) और 1,10,180 करोड़ (जहां व्यय का मिलान जमापूंजी के साथ किया जाएगा) के खर्च को अधिकृत करने के लिए विनियोग विधेयक और वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए ग्रांटों हेतु अनुदान की अनुपूरक मांगों पर एक नागरिक चर्चा हुई। देश के उत्तरी और पूर्वी राज्यों में रणनीतिक और सीमावर्ती सड़कों के निर्माण के लिए रक्षा पूंजी खर्चे हेतु 500 करोड़ जैसी छोटी-सी रकम बड़ी-सी राशि में शामिल की गई। मैंने बहस को शुरू किया। मैं नहीं चाहता था कि यह एक और निरर्थक बहस हो जहां विपक्ष की ओर से सवाल हों तथा सरकार की ओर से कोई जवाब न हो। मैंने पिछले अनुभव को हरी झंडी दिखाई और उम्मीद की कि यह समय इससे अलग होगा।

यह वाकई अलग था। कुछ सवाल थे और मेरे सुखद आश्चर्य के लिए कुछ जवाब भी थे जिनमें से कुछ अस्पष्ट, कुछ सतर्क और कुछ अनुत्तरदायी। बारीकी से विश्लेषण किए गए सवाल और जवाब आर.बी.आई. गवर्नर डा.रघुराम राजन द्वारा व्यक्त की गई आशंका के सामने आएंगे कि 2022-23 में वृद्धि मध्यम होगी तथा अर्थव्यवस्था 2023-24 में भारी मौसम का सामना करेगी।

अब मेरे सवालों और माननीय वित्त मंत्री (एफ.एम.) के जवाबों पर आते हैं :
1. चूंकि बजट दस्तावेज 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद की मामूली वृद्धि दर 11.1 प्रतिशत होने का अनुमान लगाते हैं तो मुद्रास्फीति की दर क्या होगी और वास्तविक जी.डी.पी. वृद्धि दर क्या होगी? कोई सीधा जवाब नहीं था। ब्रेकअप नहीं दिया गया। निष्पक्ष होने के लिए मेरे दूसरे प्रश्र के लिए वित्त मंत्री ने संकेत दिया कि मामूली विकास दर अधिक हो सकती है लेकिन कोई संख्या या उस संख्या का विवरण नहीं दिया गया। यह एक असंतोषजनक उत्तर था।

2. सरकार कैसे 3,25,756 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि कैसे जुटाएगी?
(क) सरकार के पास पहले से ही पैसा है क्योंकि उसने बजट अनुमानों से अधिक राजस्व एकत्र किया है।
(ख) सरकार अधिक उधार लेगी।
(ग) सरकार को उम्मीद है कि नाममात्र विकास दर 11.व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? 1 प्रतिशत से अधिक होगी और इसलिए भले ही यह अधिक उधार लेती है और अधिक खर्च करती है तो यह 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करेगी।
(घ) उपरोक्त में से कोई भी नहीं।
वित्त मंत्री ने अपने संकल्प की फिर से पुष्टि की कि 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे (एफ.डी.) लक्ष्य का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। यह भी संकेत दिया कि इस समय कर संग्रह बजट अनुमानों से अधिक था। सरकार को उम्मीद है कि उछाल वाले राजस्व से 3,25,756 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी। आशा है सकल घरेलू उत्पाद की उच्च नाममात्र विकास दर सरकार को एक अच्छी स्थिति में रखेगी। यह एक सतर्क जवाब था जो 2022-23 की तीसरी और चौथी तिमाही में विकास दर धीमी होने की स्थिति में जगह छोड़ देता है।

3.वर्ष 2013-14 में कार्पोरेट कर राजस्व सकल कर राजस्व का 34 प्रतिशत था। बजट के अनुसार 2022-23 व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? में कार्पोरेट कर राजस्व जी.टी.आर. का केवल 26 प्रतिशत होगा। 8 प्रतिशत के बोनान्जा के बावजूद (मोटे तौर पर 2,50,000 करोड़ रुपए), निजी कार्पोरेट क्षेत्र निवेश क्यों नहीं कर रहा है?
वित्त मंत्री ने निवेश के आंकड़े सूचीबद्ध किए (ज्यादातर वायदा किया गया, उदाहरण के लिए पी.एल.आई. योजना के तहत 14 क्षेत्रों के लिए शुरू किया गया) लेकिन निजी कार्पोरेट क्षेत्र की सराहना नहीं की। न ही वित्त मंत्री ने उन्हें डांटा जैसा कि उन्होंने शीर्ष चैंबर को संबोधित करते समय किया था। साफ था कि वित्त मंत्री ‘इंतजार करो और देखो’ के मूड में थीं। धीमी मांग, मुद्रास्फीति, बढ़ती ब्याज दरों, अप्रयुक्त क्षमता और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण निजी क्षेत्र ‘वेट एंड वॉच’ मोड पर है। यह निवेश के मोर्चों पर असंतोष का वर्ष होगा।

4. विकास के 4 इंजनों में सरकारी खर्च के अलावा जो आवश्यक इंजन है?
निजी निवेश को लेकर वित्त मंत्री सतर्क थीं। उन्होंने निजी खपत को नहीं चुना। निर्यात के बारे में उन्होंने उम्मीद जाहिर की मगर हम जानते हैं कि व्यापार घाटा बढ़ रहा है। यह एक गैर-उत्तर
था।

5. वर्ष 1991-92 तथा 2003-04 के मध्य 12 वर्षों में वास्तविक जी.डी.पी. दोगुनी हो गई। 2013-14 तक 10 वर्षों में फिर से दोगुनी हो गई। क्या आपकी सरकार आपके शासन के 10 साल के अंत में वास्तविक जी.डी.पी. को दोगुना कर देगी? वित्त मंत्री अवाक् रह गईं। वह हां नहीं कह सकती थीं और वह न कहने में भी संकोच कर रही थीं। व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? मेरा आकलन यह है कि सरकार 200 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगी।

6. क्योंकि आप रक्षा पूंजीगत व्यय के लिए 500 करोड़ रुपए चाहते हैं तो क्या आप बताएंगी कि चीन ने हॉट स्प्रिंग्स पर कुछ भी स्वीकार किया, क्या यदि चीन ने देपसांग मैदानी क्षेत्र और देमचॉक जंक्शन में पीछे हटना स्वीकार किया, क्या चीन ने एल.व्यापारी इससे पैसा कैसे कमाता है? ए.सी. पर सड़कें, पुल, संचार, हैलीपैड तथा अन्य व्यवस्थाएं जैसी मूलभूत विशाल ढांचों का निर्माण किया, क्या बफर जोन को बनाने का मतलब यह है कि भारतीय बल अब उस क्षेत्र में और ज्यादा गश्त नहीं कर सकते, क्या पी.एम. मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इन मुद्दों को उठाया? क्योंकि चीन एक अवर्णनीय शब्द है इसलिए वित्त मंत्री मौन की साजिश में शामिल हो गईं। तो प्रिय पाठको क्या अर्थव्यवस्था की यह हालत है, भारत-चीन सीमा पर ऐसी स्थिति है तथा संसद में एक बहस द्वारा मूल्य जोड़े गए।-पी. चिदम्बरम

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