बढ़ते व्यापार और चालू खाता घाटा तथा इस साल चुकाये जाने वाले विदेशी कर्ज की मात्रा बढ़ने जैसे चिंताजनक संकेतों को देखते हुए ऐसे उपायों की जरूरत थी. भारत का कुल विदेशी कर्ज 620 अरब डॉलर है और इसमें से 267 अरब डॉलर आगामी नौ माह में चुकाना है. कम अवधि के कर्ज का यह अनुपात 44 प्रतिशत है और खतरनाक रूप से अधिक है.

विदेश मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) क्या है। रूपये पर इसका असर

विदेश मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) भारत में अपने रिकॉर्ड स्तर को पार कर रहा है। जो अभी $650 बिलियन से अधिक है। ऐसा होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर कदम है। विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार बढ़ने से यह साफ है कि भारत में विदेशी निवेशकों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।

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विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) क्या है?

किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं। भारत में RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का आंकलन किया जाता है और हर सप्ताह देश के विदेशी मुद्रा भंडार के आँकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में शामिल है।

  1. विदेशी परिसंपत्तियां(Foreign currency asset)- इसमें बॉन्ड, शेयर, डिबेंचर इत्यादि को शामिल किया जाता है।
  2. गोल्ड रिज़र्व
  3. IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच- यह वह मुद्रा होती है। जिसे हर सदस्य देश IMF को प्रदान करता है। जिसका उपयोग अपने स्वयं के लिए कर सकता है।
  4. SDR(Special drawing rights)- विशेष आहरण अधिकार कोई मुद्रा नहीं है। बल्कि एक दवा है जो IMF राष्ट्रों की मुद्राओं को प्रयोग करने योग्य दिया विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है जा सकता है। SDG के अंतर्गत 5 देशों की मुद्राओं को विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है शामिल किया गया है। डालर, यूरो, येन, रेनमिनबी , पाउंड

रुपये को संतुलित रखने में

रूपये को संतुलित रखने के लिए RBI के द्वारा ही डॉलर की खरीदी और बिक्री की जाती है। जब विदेशों से भारत में डॉलर का प्रवाह अधिक हो रहा होता है तब RBI के द्वारा डॉलर की खरीद की जाती है। किन्तु जब डॉलर की मांग अधिक होती है तो RBI डॉलर बेच देता है। डॉलर के मुकाबले रूपये की स्थिति को संतुलित बनाये रखने के लिए RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है। कहने का तात्पर्य है कि डॉलर के मुकाबले रूपये का मजबूत होना या रूपये का गिरना संतुलित रहता है।

पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 100 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। इस समय डॉलर और यूरो, विदेशी परिसंपत्ति के रूप में 560.890 बिलियन डॉलर का है और स्वर्ण भंडार 37.2 बिलियन डॉलर का। जबकि SDR 1.513 अरब डॉलर का है। IMF के पास आरक्षित रिजर्व ट्रेंच 5 बिलियन डॉलर का है। इन सभी को जोड़ने पर यह 600 बिलियन डॉलर का दिखाई देता है।

विदेशी मुद्रा भंडार में स्थान

विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में चीन 3330 अरब डॉलर के साथ पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर जापान है- जिसका विदेशी मुद्रा भंडार 1378 अरब डॉलर का है। इसके बाद तीसरे स्थान पर स्विटज़रलैंड 1070 अरब डॉलर के साथ है। चौथे स्थान पर रूस है और अभी भारत की स्थिति पांचवें स्थान पर विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में भारत रूस को पीछे छोड़ विदेशी मुद्रा भंडार में चौथे स्थान पर आ जायेगा।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में वृद्धि होने के कई कारण है। जिसमें भारत में निवेश के बेहतर विकल्प का होना शामिल है, भारत अपने आयात में लगातार कमी कर रहा है। और निर्यात पर बल दे रहा है। विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है अमेरिकी जैसे देशों ने हाल में अधिक नोटों की छपाई की है। जिस कारण भारत में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए विदेशी निवेश भारत में अधिक आ रहा।

विदेशी मुद्रा भंडार में अब भी जारी है गिरावट जबकि गोल्ड रिजर्व में दर्ज हुई बढ़ोतरी

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में गिरावट के बाद पिछले सप्ताह दर्ज हुई बढ़त के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में इस बार बढ़त विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से होता है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।

विदेशी मुद्रा का प्रबंधन विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है जरूरी

विदेशी मुद्रा का प्रबंधन जरूरी

बीते आठ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर और बॉन्ड की बिकवाली कर लगभग 40 अरब डॉलर भारत से निकाल लिया है. इसी अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 52 अरब डॉलर की कमी हुई है. अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये के मूल्य में गिरावट जारी है. निर्यात की अपेक्षा आयात में तेजी से वृद्धि हो रही है. इसका मतलब है कि हमें भुगतान के लिए निर्यात से प्राप्त डॉलर से कहीं अधिक डॉलर की जरूरत है.

सामान्य परिस्थितियों में भी भारत के पास डॉलर की संभालने लायक कमी रहती आयी है, जो अमूमन सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का एक से दो प्रतिशत होती है. आम विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है तौर पर यह 50 अरब डॉलर से कम रहती है और आयात से अधिक निर्यात होने पर इसमें बढ़ोतरी होती है. इस कमी की भरपाई शेयर बाजार में विदेशी निवेश, विदेशी कर्ज, निजी साझेदारी या बॉन्ड खरीद से की जाती है.

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, इस बार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर पर आया

पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.

पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.

देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 600 अरब डॉलर से गिरते-गिरते अब 550 अरब डॉलर के आस-पास आ गया है. पिछले हफ्ते की गिरावट क . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 17, 2022, 08:41 IST
पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.
हालिया गिरावट की मुख्य वजह रिजर्व बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में डॉलर की बिकवाली है.
इस दौरान स्वर्ण भंडार 34 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

मुंबई. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट जारी है. विदेशी मुद्रा भंडार नौ सितंबर को समाप्त सप्ताह में 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रह गया. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 7.94 अरब डॉलर घटकर 553.10 अरब डॉलर रहा था. पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.

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