Natasha Dalal OTT Debut: पति Varun Dhawan को एक्टिंग में टक्कर देने आ रही हैं नताशा दलाल, इस शो से ओटीटी पर करेंगी डेब्यू

वरुण धवन (Varun Dhawan) को टक्कर देने के लिए अब उनकी पत्नी नताशा दलाल (Natasha Dalal) भी डेब्यू करने जा रही हैं.

By: ABP Live | Updated at : 05 Dec 2021 04:30 PM (IST)

वरुण धवन और नताशा दलाल (फोटो - सोशल मीडिया)

Natasha Dalal going to Debut on OTT: स्टूडेंट ऑफ द ईयर (Student of the Year ) से डेब्यू करने वाले वरुण धवन (Varun Dhawan) आज बॉलीवुड के जाने-माने कलाकार हैं. मैं तेरा हीरो, कुली नंबर 1, बदलापुर, स्ट्रीट डांसर 3, दिलवाले, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, जुड़वा 2 जैसी धमाकेदार फिल्में देने वाले वरुण धवन (Varun Dhawan) को टक्कर देने के लिए अब उनकी पत्नी भी डेब्यू करने जा रही हैं. जी हां. खबर है कि नताशा दलाल (Natasha Dalal) अब एक्टिंग में कदम रखने जा रही हैं. जल्द ही वो ओटीटी पर डेब्यू करेंगी.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नताशा दलाल ओटीटी पर एक शो में एक्टिंग करने जा रही हैं, जिसका नाम है Say Yes to the dress india. ये शो डिस्कवरी पर दिखाया जाएगा. चूंकि ये एक डिजाइनिंग बेस्ड शो है और नताशा दलाल भी फैशन डिजाइनर हैं इसी वजह से नताशा दलाल ने इसके लिए हां की है.

नताशा की मानें तो डेब्यू के लिए इससे बेहतर मौका और क्या होगा. इस शो में नताशा वेडिंग आउटफिट डिजाइन करती नजर आएंगी. वहीं उनके वेडिंग कलेक्शन की झलक भी इस शो में देखने को मिलेगी. आपको बता दें कि नताशा दलाल जानी मानी फैशन डिजाइनर हैं. अपने वेडिंग आउटफिट भी नताशा ने खुद ही डिजाइन किए थे.

जनवरी 2021 में हुई शादी

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नताशा दलाल और वरुण धवन की शादी 2021 जनवरी में हुई थी. शादी को लेकर ज्यादा शोर-शराबा ना करते हुए अलीबाग में सादा समारोह आयोजित किया गया था. जिसमें घर परिवार के खास लोगों और चुनिंदा बॉलीवुड सेलेब्स को आमंत्रित किया गया था.

हालांकि फिर भी इस शादी के चर्चे खूब हुए थे. नताशा और वरुण काफी समय से एक दूसरे को जानते हैं और कई सालों तक दोनों रिलेशनशिप में रहे. इंडस्ट्री में पैर जमाने के बाद वरुण धवन ने नताशा को ही अपना हमसफर चुन लिया.

Published at : 05 Dec 2021 04:29 PM (IST) Tags: Varun Dhawan Natasha Dalal natasha dalal ott debut हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Entertainment News in Hindi

Har Ghar Tiranga कैंपेन के बहिष्कार का हक, लेकिन नरसिंहानंद ने 'हिंदुओं का दलाल' क्यों बोला?

Yati Narsinghanand जैसे लोगों को इस तरह की नफरती बयानबाजी करने की हिम्मत कहां से मिलती है? हरिद्वार धर्म संसद में हुई नफरती बयानबाजी के बाद ही कार्रवाई होती तो आज हिंदुओं का दलाल नहीं कह रहे होते.

Yati Narsinghanand Hate Speech : ज़हरीले बयान देने का फैशन अभी ताज़ा-ताज़ा शुरू नहीं हुआ है. 'देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को' से लेकर '15 मिनट पुलिस हटा लो' वाले बयान तक देख लीजिए. राजनीतिक फ़ायादा लेने के लिए समाज में ज़हर फैलाना नेताओं के लिए बेहद आम है. पिछले कुछ दिनों में इसका वीभत्स रूप देखने को मिला है. अगर सरकार के अंतर्गत काम करने वाला कोई केंद्रीय मंत्री, अपनी पहचान बनाने के लिए अनाप-शनाप बयानबाजी करने वाले नवसिखुआ नेताओं की तरह बोलने लगे तो उसे वीभत्स या भयानक ही कहा जा सकता है.

वैसे ग़लत तो वह रामभक्त गोपाल भी था. जिसने दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान फायरिंग कर दी थी. और वह शाहरुख़ पठान भी, जिसने CAA/NRC के खिलाफ साल 2020 में दिल्ली में साम्प्रदयिक दंगे के दौरान भीड़ पर फायरिंग की थी और पुलिस पर बन्दूक तान दिया था.

नफरती बयानबाजी पर तुरंत हो कार्रवाई

हालांकि सवाल यह है कि क्या गोपाल और शाहरुख़ की तुलना अनुराग ठाकुर या AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी से की जा सकती है जो कहता है कि तुम 100 करोड़, फिर भी 15 मिनट के लिए पुलिस हटाकर देख लो.

दरअसल जब भी इस तरह की बयानबाज़ी हो, उसपर तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत है. अन्यथा क्या हो सकता है उसका नमूना भी देख लीजिए. कहा जा सकता है कि नरसिंहानंद सरस्वती के यह ज़हरीले बोल उसी कड़ी का अगला हिस्सा है. जिसे हमने सालों से पाला है पोसा है. हिमाकत इतनी बढ़ चुकी है कि अब हमला सीधे सरकार पर कर दिया. आख़िर नरसिंहानंद सरस्वती को "हिंदुओं का दलाल" जैसे शब्द बोलने की क्या ज़रूरत आन पड़ी. वह किसे "हिंदुओं का दलाल" बता रहे हैं?

नरसिंहानंद सरस्वती जिस सलाउद्दीन की बात कर रहे हैं, अब ज़रा उसके बारे में भी जान लेते हैं.

कौन है सलाउद्दीन?

  • सलाउद्दीन एक व्यापारी है.
  • दक्षिण 24 परगना के बरुईपुर गांव का रहने वाला है.
  • उसका गोदाम दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर में है.
  • वह झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और
  • असम की राज्य सरकारों को तिरंगे की आपूर्ति कर रहा है.
  • बंगाल में कई शिक्षण संस्थानों और संगठनों ने भी उसे ऑर्डर दिए हैं.
  • संस्कृति मंत्रालय ने तिरंगों की सप्लाई के लिए इसकी कंपनी को सूचीबद्ध किया है.
  • 4 करोड़ तिरंगों में से सलाउद्दीन 60 लाख की सप्लाई करने को तैयार हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कुछ दिनों पहले तक तिरंगा बनाने का काम सिर्फ कर्नाटक में होता था.

पहले सिर्फ कर्नाटक में बनते थे तिरंगे

  • हुबली शहर के बेंगेरी इलाका स्थित KKGSS में बनता था तिरंगा
  • यह खादी और ग्रामाद्योग आयोग द्वारा सर्टिफाइड एकमात्र ऑथराइज्‍ड यूनिट है
  • केवल इसी यूनिट को देश में आधिकारिक रूप से तिरंगा बनाने का हक
  • KKGSS का गठन नवंबर 1957 में हुआ
  • 1982 से KKGSS ने खादी बनाना शुरू किया
  • 2005-06 में BIS ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज बनाने का सर्टिफिकेट दिया
  • आधिकारिक तौर पर राष्‍ट्रीय ध्‍वज की आपूर्ति KKGSS से होती है
  • मौजूद भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में भी यहीं से जाता है झंडा
  • KKGSS से कोई भी ऑर्डर कर खरीद सकता है तिरंगा

इंडियन फ़्लैग कोड 2002 के मुताबिक़, राष्ट्रीय ध्वज केवल हाथ से बुने हुए या हाथ से बुने हुए कपड़ों की सामग्री से ही बनाया जा सकता है. इससे कम समय में ज़्यादा संख्या में झंडा बनाना आसान नहीं.

फ़्लैग कोड में किया बदलाव

लेकिन पिछले साल दिसंबर में इस फ़्लैग कोड में बदलाव किया गया. इस बदलाव के बाद अब राष्ट्रीय ध्वज, हाथ से कातकर, हाथ से बुनकर या मशीन से बनाए कपड़ों- रेशम, सूती या पॉलिस्टर का भी बना हो सकता है. इस बार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग कपड़ा मिल मालिकों को झंडे बनाने का काम सौंपा गया है. हालांकि कंपनियां काम को समय से पूरा करने के लिए अपना ठेका दूसरे व्यापारियों को भी दे रहे हैं.

सवाल उठता है कि अगर केंद्र सरकार की तरफ से सलाउद्दीन को तिरंगा बनाने का ठेका दिया गया तो क्या इस तरह सरकार को हिंदुओं का दलाल कहना ठीक है? हमारे साथ इसी मुद्दे पर डिटेल में बात करने के लिए जुड़ गए हैं वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार.

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मरीज बेहाल, अस्पताल में दलालों का जाल

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एम्स का दर्ज हासिल बीएचयू का सर सुंदरलाल हॉस्पिटल दलालों के सिंडिकेट में फंस गया है. बिहार यूपी सहित नेपाल और मध्य प्रदेश से आने वाले मरीजों को दवा और जांच के नाम पर शिकार बना रहे हैं. इस सिंडिकेट की कमाई का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि दबंग इनसे ही हर महीनें लाखों की रंगदारी वसूलते हैं. बीएचयू एमसीए स्टूडेंट गौरव सिंह की हत्या की वजह भी दलालों से वसूली ही रही. दलालों की कारस्तानी की जानकारी पुलिस को भी है बल्कि चर्चा तो यहां तक है कि सिंडिकेट के संचालन में थाने का रोल भी है.

हॉस्पिटल में दलालों के खिलाफ छापेमारी करके डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है. बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन व पुलिस अधिकारियों के बीच पिछले दिनों हुई मीटिंग में यह बात सामने आई थी कि एसएस हॉस्पिटल में 60 से अधिक दलाल सक्रिय हैं. इन्हें लोकल थाना और बीएचयू छात्रों का शह प्राप्त है.

बेच रहे नाम डॉक्टरों का नाम

-अस्पताल में सक्रिय दलाल तरह-तरह के नायाब तरीके से मरीजों को ठगते हैं

-मरीजों की भीड़ में दूर-दराज से आने वालों को तलाशते कौन से दलालों को चुनना है? हैं

-एक बार शिकार चुन लेने के बाद मरीज को नामी डॉक्टर से आसानी से दिखाने और दवा दिलाने का झांसा देते हैं

-बड़े व नामी चिकित्सकों का नेम प्लेट किसी रूम के बाहर लगाकर फर्जी डॉक्टर से भोर में दिखा देते है.

-दवा के नाम पर महंगी कैल्शियम लिखवाते है, जिससे मरीज की सेहत पर कोई नुकसान भी न पड़े.

-सिंडिकेट लंका के आसपास, रश्मि नगर, साकेतनगर, भगवानपुर आदि इलाकों में धड़ल्ले से चल रहा है.

बंधा है सबका हिस्सा

बीएचयू हॉस्पिटल में सक्रिय दलालों के सिंडिकेट में सभी का हिस्सा बंधा है. दलालों के पीछे दबंग स्टूडेंट्स का हाथ होता है. इनकी इजाजत के बिना कोई दलाल हॉस्पिटल कैंपस में दाखिल नहीं कर सकता है. पुलिस या बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन की कार्रवाई में यदि कोई दलाल पकड़ा जाता है तो दबंग स्टूडेंट उसे बचा लेते हैं और 20 से 25 हजार रुपये महीना की रकम वसूलते हैं.

बेहतर इलाज की आस में खेत-खलिहान बेचकर तो कोई जेवर गिरवी रखकर बीएचयू आता है. गेट पर ही गिद्ध की तरह दलालों की आंख उनपर नजर गड़ जाती है. हमदर्द बनकर उन्हें ठग लेते हैं. एक दलाल से सुबह से लेकर दोपहर तक दस मरीज भी फंस गए तो एक दिन में कम से कम पांच से दस हजार रुपये ऐंठ लेता है. वहीं दवा और जांच की दुकानों से कमीशन अलग मिलता है. कुछ दिनों पहले इनके खिलाफ अभियान चलाया गया था. करीब दो दर्जन से अधिक दलालों के फोटो भी जगह-जगह हॉस्पिटल में चस्पा की गयी थी लेकिन इन पर लगाम नहीं लगा.

बीएचयू में जबरदस्ती दवा दिलाने को लेकर बंधक बनाए गए लोहता निवासी प्रवीण सिंह की शिकायत पर लंका पुलिस ने बुधवार को सात दलालों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि प्रवीण अपने मित्र पंकज तिवारी को बीएचयू हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचे था. डॉक्टर को दिखाकर बाहर निकला कि गेट पर कुछ युवक जबरदस्ती दवा दिलाने के नाम पर आठ हजार रुपये की मांग करने लगे. पैसा नहीं देने पर सुपर स्पेसिएलिटी हॉस्पिटल ले गए और बंधक बनाकर मोबाइल छीन लिया. प्रवीण के पहचान करने कौन से दलालों को चुनना है? पर पुलिस ने सुरेन्द्र मिश्रा, धनेश्वर सिंह, बृजेश कुमार पटेल, संतोष सिंह चौहान, आशीष सिंह, देवाशीष कुंदु, घनश्याम सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.

कौन से दलालों को चुनना है?

Please Enter a Question First

निम्न में से कौन सा सत्य नहीं .

Updated On: 27-06-2022

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समूह `2` के तत्व, विघुतधनी एवं प्रबल अपचायक होते है लेकिन समूह `1` के समान नहीं होते है। समूह `2` की अपचायक सामथर्य वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती है। Be का मानक अपचयन विभव सर्वाधिक ऋणात्मक है। Mg का धनायन इसी वर्ग की अन्य भारी धातुओं के धनआयनों की तुलना में आसानी से अपचयित हो जाता है

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Aap ko kya acha nahi laga

हेलो फेसबुक आते हैं कि हमको दिया गया है कि निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है पहला विकल्प हमको देते हैं कि शब्दों के तत्व विद्युत धनी एवं प्रबल अपचायक होते हैं लेकिन समय एक के समान नहीं होते दूसरा समूह दो की अपचायक क्षमता जैसा मरते मरते नीचे जाने पर बढ़ती है तीसरा विकल्प हमको देते हैं कि बी ई का मानक अपचयन विभव सर्वाधिक ऋण आत्मक होता है और चौथा विकल्प हमको देते हैं कि मैग्नीशियम का धन है इसी वर्ग की अन्य भारी धातुओं के दलालों की तुलना में आसानी से अपसेट हो जाता है तो सबसे पहला चलते हैं सब विकल्प नंबर 102 के तत्व प्रबल विद्युत धनी एवं प्रबल अपचायक होते हैं यह बिल्कुल सही बात है इस समूह के तत्वों

विद्युत धनी होते हैं समूहों में जो समूह 2 है उसमें हमारे जो तत्व आते हैं वह है बेरिलियम मैग्नीशियम और कैल्शियम और स्वयं और विलियम और रेडियम लेता तो आते हैं इन सबको की प्रकृति होती है कि यह इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं यह दो इलेक्ट्रॉनों को क्या करने की क्षमता रखते हैं और एक धनायन बनाते हैं और जो इलेक्ट्रॉनों का त्याग करते हैं जो इलेक्ट्रॉनों का त्याग करते हैं वह तत्व अपचायक होते हैं और तू कि ग्रुप एक और ग्रुप दो जो है वह आवर्त सारणी में सबसे बाई तरफ आते हैं तो बाई तरफ वालों की सबसे ज्यादा प्रकृति होती है कि वह इलेक्ट्रॉन का त्याग करें इसलिए भाइयों रानी की वैसे यह सब प्रबल अपचायक होते हैं इसीलिए यह एक प्रबल अपचायक है लेकिन अगर मैं कहूं तो

दाएं से बाएं जाने पर बाएं से दाएं जाने पर सॉरी बाएं से दाएं जाने पर यह अक्षय क्षमता कम हो जाती है क्योंकि बाएं से दाएं जाने पर परमाणु का आकार कम हो जाता है आकार घटता है तो आकार घटने की वजह से जो परमाणु है उसकी जो इलेक्ट्रॉन त्याग करने की क्षमता या विद्युत धनात्मक का कम होती है इलेक्ट्रॉन को त्याग करने की क्षमता जो है वह कम हो जाते विद्युत धनात्मक का कम हो जाती विद्युत ऋण आत्मकथा बढ़ती तो इसलिए यह एक अच्छे अपचायक नहीं होते यह लक्ष्मण को आसानी से क्या नहीं कर देते अच्छा अच्छा एक ही होते तो इसलिए जो प्रथम हमें विकल्प दे रखा है वह एकदम सत्य है अब हम बात करते हैं यहां पर द्वितीय विकल्प है तो द्वितीय विकल्प में पूछते हैं कि समुद्र की अब चाय क्षमता भर में नीचे जाने पर भर्ती है तो आप जरा इस बात को समझ गए कि आप यदि किसी

समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाएंगे तो आप यह पाएंगे कि ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन को त्याग करने की क्षमता बढ़ती है और क्या करने की क्षमता जो पड़ेगी तो अब चाय क्षमता भी बढ़ेगी तो जैसा कि लिखा गया कि समूह दो कि आप चाय क्षमता वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती है तो यह भी एक दम सच्ची बात है तीसरा विकल्प हमको यहां पर पूछते हैं कि भाई का मानक अपचयन विभव सर्वाधिक ऋण आत्मक है जरा इस बात को समझेगा कि किसी भी समूह में कोई भी समूह यदि आप लेते हैं या इस समूह 2 को ही ले लीजिए कि जो सबसे ऊपर का तत्व होगा उसकी यह खासियत होती है कि उसकी इलेक्ट्रॉन त्याग करने की क्षमता सबसे कम होती है यानी कि उसकी जो इलेक्ट्रॉन त्यागने की संपन्न होती है वह

सबसे कम होती है यानी कि उसके ऑक्सीकरण उसका ऑक्सीकरण होने की संभावना सबसे कम होती है ऑक्सीकरण क्षमता सबसे कम होती है और यदि ऑक्सीकरण क्षमता सबसे कम है तो यानी कि उसकी अपचयन होने की क्षमता सबसे ज्यादा है यानी कि अगर उस का ऑक्सीकरण उस होने की क्षमता सबसे कम है मतलब इलेक्ट्रॉन देने की क्षमता सबसे कम है तो उसके इलेक्ट्रॉन लेने की क्षमता सबसे ज्यादा होगी यानी कि उसका उसकी अपचयन क्षमता सबसे ज्यादा होती है जो जिसके ऑप्शन सबसे सबसे ज्यादा होती है उसका अपचयन विभव भी सबसे ज्यादा होता है तो यानी कि जो समूह में सब ऊपर है जैसे कि बेरेलिया में तो उसके अपचयन विभव सबसे

ज्यादा होना चाहिए सबसे ज्यादा होगा तो उसका अपचयन विभव सबसे कम ऋण आत्मक होगा लकी सबसे ज्यादा रण आत्मक इसका मतलब यह हुआ कि जो हमें यहां पर विकल्प दे रखा है इन्होंने कब आना कब तक है यह सत्य है उसके बाद चतुर्थ अभी तक पर आते हैं मैग्नीशियम का धनायन इसी वर्ग की अन्य भारी धातु अधातु के दलालों की तुलना में आसानी से अपसेट हो जाता है तो जैसा की अभी है मैंने पढ़ा है ने बताया आपको ही ऊपर वाली जो तत्व है तो देखिए क्या होता है कि बेरिलियम सबसे ऊपर है उससे नीचे मैग्नीशियम है उससे नीचे कैल्शियम है भारी उससे नीचे तो उसे नीचे बेरिया फिर देख रहे हैं कि जो हमारा मैग्नीशियम है ऊपर जो के जो तत्व होते हैं उनकी अप चंचलता सबसे ज्यादा होती है यानी कि उनका ऑप्शन बहुत ज्यादा होता है वह

आप से आसानी से हो जाते हैं यानी कि मैग्नीशियम जो है वह कैल्शियम फ्रॉम शिवम रेडियम रेडियम जोगी बोला है कि जो अन्य भारी धातुएं बेरिलियम तो उसे भारी नहीं है मेरे लिए तो हल्का है लेकिन मैंने सारी जितनी भी है नीचे की तरफ उन सब के मुकाबले में मैग्नीशियम सबसे आसान सबसे तेज उपस्थित क्षमता ज्यादा होती है तो वह अपने आप को आप चेक करते हैं मतलब उससे बातचीत होने की उनकी क्षमता ज्यादा रहती है तो इसका मतलब कि यह वाला विकल्प भी हमारा एकदम सत्य है तो अब हमसे पूछा गया है इन्होंने की भी हमको असत्य विकल्प यहां पर हमें चुनना है जैसा कि आप देख सकते हैं यहां पर हमारा जो तीसरा विकल्प है वह हमारा इस प्रश्न का सही उत्तर ही असत्य विकल्प है और यह हमारे इसका सही उत्तर है आशा करते आपको समझ में आ गया होगा धन्यवाद

कृषि मंत्री जेपी दलाल के पिता कैप्टन कर्णसिंह का निधन, लंबे समय से थे बीमार

कृषि मंत्री जेपी दलाल के पिता का निधन

कर्णसिंह बिमारी के चलते पिछले लंबे समय कौन से दलालों को चुनना है? से गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती थे, जिनका बीती रात निधन हो गया.

  • News18 Haryana
  • Last Updated : December 18, 2019, 14:54 IST

भिवानी. सूबे के कृषि मंत्री जेपी दलाल (JP Dalal) के पिता कैप्टन कर्णसिंह दलाल का निधन हो गया. उनके अंतिम संस्कार में जिला भर से नेताओं, अधिकारियों और हजारों गणमान्य लोगों ने श्रृद्धांजलि दी. स्वर्गिय कैप्टन कर्णसिंह को मुखाग्नि दी. कैप्टन कर्णसिंह का अंतिम संस्कार भिवानी रामबाग में किया गया. सीएम मनोह रलाल ने भी ट्वीट कर कैप्टन कर्णसिंह के निधन पर शोक प्रकट किया है.

बता दें कि कृषि मंत्री जेपी दलाल के पिता कर्णसिंह दलाल का जन्म मार्च 1939 में भिवानी जिला के गांव घुसकानी में हुआ था. उनकी प्रारंभिक पढाई गांव में ही हुई थी. मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद वो 1955 में सेना में भर्ती हुये थे और साल 1988 में वो सेना से कैप्टन के पद से सेवानिवृत हुए थे.

कैप्टन कर्णसिंह के तीन बेटे हैं जिनमें बड़े बेटे जेपी दलाल हरियाणा के कृषि मंत्री हैं और छोटे बेटे नरेन्द्र दलाल राजस्थान पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी हैं. कर्णसिंह बीमारी के चलते पिछले लंबे समय से गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती थे, जिनका बीती रात निधन हो गया.

रामबाग में किया गया अंतिम संस्कार

कैप्टन कर्णसिंह दलाल का अंतिम संस्कार भिवानी रामबाग में किया गया. उनकी अंतिम यात्रा में सासंद धर्मबीर सिंह, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, पूर्व विधायक शशी परमार सहित तमाम अधिकारियों सहित जिला के हजारों गणमान्य लोग शामिल हुए और श्रृद्धांजलि दी.

सांसद धर्मबीर ने शोक प्रकट किया

सांसद धर्मबीर सिंह ने कर्णसिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि कर्णसिंह ने देश सेवा की सेवानिवृति के बाद समाज के लिए बहुत कुछ किया. उन्होंने कहा कि कर्णसिंह देश व समाज सेवा को लेकर एक प्रेरणा थे. उन्होंने भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

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