ET spotlight

RBI का डिजिटल रुपया भारत को बना सकता है इकोनाॅमिक सुपर पाॅवर? अमेरिकी डाॅलर की बादशाहत होगी खत्म!

पहले होलसेल और अब रिटेल सेक्शन (Retail Digital Rupees Trail) की डिजिटल रुपये (Digital आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? Rupees) का ट्रायल शुरू हो गया है। डिजिटल रुपये का जब से ट्रायल शुरू हुआ है तब से कई सवाल भी खूब चर्चा में हैं।

RBI का डिजिटल रुपया भारत को बना सकता है इकोनाॅमिक सुपर पाॅवर? अमेरिकी डाॅलर की बादशाहत होगी खत्म!

डिजिटल रुपया, डिजिटल रुपया, डिजिटल रुपया. बीते एक महीने से इन दो शब्दों की खूब चर्चा हो रही है। इसकी बड़ी वजह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से पहले होलसेल और अब रिटेल सेक्शन की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का ट्रायल शुरू करना है। डिजिटल करेंसी का जब से ट्रायल शुरू हुआ है तब से कई सवाल भी खूब चर्चा में हैं। जैसे क्रिप्टोकरेंसी क्या है? अगर यूपीआई पेमेंट का अच्छा रिस्पॉस है तो फिर डिजिटल करेंसी की जरूरत क्या है? आइए एक-एक करके इन सवालों के जवाब ढूढते हैं।

क्या क्रिप्टोकरेंसी का विकल्प है डिजिटल रुपया?
प्रोटॉन इंटरनेट एलएलपी के फाउंडर और क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को करीब से देख रहे आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? शुभम उपाध्याय बताते हैं, “आरबीआई का डिजिटल रुपया और क्रिप्टोकरेंसी दोनों काफी अलग-अलग हैं। क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला कोई नहीं है। लेकिन डिजिटल रुपये के हर एक लेन-देन पर आरबीआई की नजर रहेगी। जहां क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की जा सकती है, वहीं डिजिटल रुपये को आरबीआई जारी करेगा फिर बैंकों के जरिए यह आम-आदमी तक पहुंचेगा। इसलिए डिजिटल रुपये को क्रिप्टोकरेंसी कहना सही नहीं होगा।”

UPI, NEFT के होने पर डिजिटल रुपये की क्या जरूरत?
इस सवाल के जवाब में शुभम कहते हैं, “यूपीआई की सफलता को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है। भारत की इस पेमेंट सर्विस के आगे दुनिया भर के अलग-अलग देशों की पेमेंट सर्विस कमजोर दिखती है। लेकिन इसके बावजूद जिस तरह से जी-20 के 16 देश डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं उनके मुकाबले भारत बहुत पीछे नहीं रह सकता था। दूसरी तरफ चीन के कई शहरों में डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट सफलता पूर्वक संचालित हो रहा है, ऐसे में भारत अपने पड़ोसी को इस क्षेत्र में खुला मैदान नहीं देना चाहता है।”

साल में दूसरी बार बोनस देने जा रही है कंपनी, इसी सप्ताह है रिकॉर्ड डेट

रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया भर के देश यह समझ गए हैं कि वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। खासकर अमेरिका ने जिस तरह से रूस के फॉरेक्स रिजर्व को सील किया, उसके बाद से कई देशों के मन में यह संशय खड़ा हो गया है कि अगर यही परिस्थितियां उनके साथ बनीं तो फिर उनकी अर्थव्यवस्था का क्या होगा? दुनिया भर के देशों की इस चिंता को डिजिटल करेंसी कम कर सकता है।

डिजिटल रुपये के जरिए भारत कैसे बन सकता है इकोनॉमिक सुपर पॉवर?
हाल ही में नौ रूसी बैंकों ने रुपये में व्यापार के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। विशेष वोस्ट्रो खाता खोलने के कदम से भारत और रूस के बीच व्यापार के लिए रुपये में भुगतान के निपटान का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि वोस्ट्रो खाता दरअसल ऐसा खाता होता है जो एक बैंक, दूसरे बैंक की तरफ से खोलता या रखता है।

शुभम कहते हैं, “पहले ईरान और अब रूस ने जो रास्ता दिखाया है उसका असर आने वाले दिनों में ये हो सकता है कि भारत अलग-अलग देशों की ट्रेड डील में रुपये में भी लेन-देन का विकल्प जोड़ दे। इससे एक तरफ जहां डॉलर पर हमारी निर्भरता कम होगी। वहीं, दूसरी तरफ एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा। यही हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर डोज साबित हो सकता है। और इस पूरे काम में डिजिटल करेंसी की भूमिका काफी अहम रहेगी, क्योंकि इसी के जरिए लेन-देन आसानी और तेजी के साथ संभव हो सकेगा।”

डिजिटल रुपये को लेकर क्या सोच रहा है RBI?
इसी साल नवबंर में हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक सवाल के जवाब में बताया, “दुनिया बदल रही है, बिजनेस करने का तरीका बदल रहा है, टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है। ऐसे में आपको भी समय के साथ तालमेल बनाए रखने की जरूरत है। . नोट को प्रिंट करने में पेपर खरीदना, लॉजिस्टिक, स्टोरेज और फिर उसे छापने पर मेहनत के साथ-साथ पैसा भी खर्च करना पड़ता है। पेपर करेंसी की तुलना में यह कम खर्चीला होगा। यह क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन और पेमेंट के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी विदेश में पैसा भेजने पर औसतन 6 प्रतिशत शुल्क देना पड़ता है। लेकिन सीबीडीसी के आने से यह खर्च काफी कम हो जाएगा। यह आयात और निर्यात करने वालों के लिए काफी फायदेमंद रहेगा।”

विकासशील देशों में डिजिटल मुद्रा – cryptocurrency पर रोक लगाने की पुकार

डिजिटल मुद्रा - crypto currency

संयुक्त राष्ट्र के व्यापर और विकास संगठन – UNCTAD ने बुधवार को प्रकाशित तीन नीति पत्रों में, विकासशील देशों में डिजिटल मुद्रा – क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर रोक लगाने के लिये कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई है.

यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि अलबत्ता व्यक्तिगत डिजिटल मुद्राओं ने कुछ व्यक्तियों और संस्थानों को लाभान्वित किया है, मगर वो एक ऐसी अस्थिर वित्तीय सम्पदा हैं जो सामाजिक जोखिम और लागतें उत्पन्न कर सकती हैं.

अंकटाड ने कहा है कि कुछ लोगों या संस्थानों को डिजिटल मुद्रा के लाभ, वित्तीय स्थिरता, घरेलू संसाधन सक्रियता, और मुद्रा प्रणालियों की सुरक्षा के लिये उत्पन्न उनके जोखिमों के साए में दब जाते हैं.

क्रिप्टो मुद्रा में उछाल

क्रिप्टो करेंसी भुगतान का एक वैकल्पिक रूप हैं. इनके मामलों में वित्तीय भुगतान गुप्त व सुरक्षित टैक्नॉलॉजी के ज़रिये डिजिटल माध्यमों से किया जाता है जिन्हें ब्लॉकचेन कहा जाता है.

क्रिप्टो करेंसी कोविड-19 महामारी के दौरान, दुनिया भर में बहुत तेज़ी से बढ़ी, जिससे पहले से ही मौजूद चलन और भी ज़्यादा मज़बूत हो गया. इस समय दुनिया भर में लगभग 19 हज़ार क्रिप्टो करेंसी मौजूद हैं.

वर्ष 2021 में क्रिप्टो करेंसी रखने वाली आबादी के मामले में, शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं वाले 20 देशों में से, 15 देश विकासशील देश थे.

इस सूची में 12.7 प्रतिशत के साथ यूक्रेन सबसे ऊपर था, उसके बाद रूस 11.9 प्रतिशत और वेनेज़ुएला 10.3 प्रतिशत के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर थे.

उतना स्वर्णिम नहीं

अंकटाड का कहना है कि बाज़ार में हाल के समय में डिजिटल मुद्रा को लगे झटकों से झलकता है कि क्रिप्टो करेंसी रखने के निजी जोखिम तो हैं ही, मगर केन्द्रीय बैंक, वित्तीय स्थिरता की हिफ़ाज़त करने के लिये हस्तक्षेप करते हैं तो ये समस्या सार्वजनिक बन जाती है.

उससे भी ज़्यादा, अगर क्रिप्टो करेंसी भुगतान के एक माध्यम के रूप में विकसित होना जारी रखती है, और यहाँ तक कि अनौपचारिक रूप में घरेलू मुद्राओं की जगह भी ले लेती है, तो भी देशों की वित्तीय सम्प्रभुता ख़तरे में पड़ सकती है.

कर चोरी का भय

अंकटाड के एक नीति पत्र में बताया गया है कि क्रिप्टो करेंसी विकासशील देशों में किस तरह से घरेलू संसाधन सक्रियता को कमज़ोर करने का एक नया चैनल बन गई है, और साथ ही इस बारे में, बहुत कम कार्रवाई और उसमें भी देरी करने के जोखिमों के बारे में भी आगाह किया गया है.

अंकटाड ने आगाह किया है कि क्रिप्टो करेंसी से वैसे तो विदेशों से अपने मूल स्थानों को रक़म भेजना आसान होता है, मगर उनसे कर चोरी व अवैध वित्तीय लेनदेन के ज़रिये टैक्स से बचाना भी शामिल हो सकता है. बिल्कुल टैक्स स्वर्ग कहे जाने वाले स्थानों की तरह, जहाँ धन का स्वामित्व स्पष्ट नहीं होता है.

एजेंसी ने कहा है कि इस तरह से, क्रिप्टो करेंसी मुद्रा नियंत्रणों की प्रभावशीलता को भी कमज़ोर कर सकती है, जोकि विकासशील देशों को उनके नीतिगत स्थान और छोटे पैमाने पर आर्थिक स्थिरता के लिये एक अहम उपकरण है.

RBI आज लॉन्च करेगा डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोग्राम, इन 9 बैंकों में होगा लेनदेन

पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक-स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है.

RBI आज लॉन्च करेगा डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोग्राम, इन 9 बैंकों में होगा लेनदेन

देश में डिजिटल रुपी यानी कि डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का रास्ता साफ हो गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट 31 अक्टूबर (मंगलवार) को शुरू होने जा रहा है. इस डिजिटल रुपये को सीबीडीसी यानी कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के रूप में जाना जाएगा. रिजर्व बैंक इस डिजिटल करेंसी का पायलट लॉन्च करने जा रहा है. शुरू में यह बात सामने आ गई थी कि रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल रुपी लेकर आएगा.

रिजर्व बैंक ने यह बात पहले ही बता दी थी. अब वह दिन आ गया है जब देश की पहली डिजिटल करेंसी 31 अक्टूबर को लॉन्च होने जा रही है. अभी यह डिजिटल रुपी होलसेल सेगमेंट के लिए शुरू की जाएगी.

पायलट प्रोजेक्ट में ये बैंक शामिल

रिजर्व बैंक के हवाले से समाचार एजेंसी ‘PTI’ ने लिखा है कि पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंडरी मार्केट ट्रांजैक्शन का सेटलमेंट होगा जिसमें सरकारी सिक्योरिटी को शामिल किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक-स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है.

इस साल के बजट में हुई घोषणा

इस साल के बजट में डिजिटल करेंसी यानी कि सीबीडीसी को लॉन्च करने की घोषणा की गई थी. इसका ऐलान खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. इसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि सीबीडीसी को लॉन्च करने का काम चरणबद्ध तरीके से होगा और उसकी घोषणा जल्दी की जाएगी. इस तरह अब इसे लाने का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल यह करंसी पायलट प्रोजेक्ट में सामने आएगी जिसे बाद में आम लोगों के लिए भी पेश किया जा सकेगा.

सभी अफवाहों पर विराम

सीबीडीसी का कॉन्सेप्ट आने के साथ ही इस बात की अटकलें तेज हो गई थीं कि सरकार बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाएगी और उसके बदले अपनी डिजिटल करेंसी लेकर आएगी. अभी क्रिप्टोकरेंसी पर किसी तरह का आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगा है, लेकिन रिजर्व बैंक ने अपनी सीबीडीसी का ऐलान कर दिया. रिजर्व बैंक पूर्व में स्पष्ट कर चुका है कि भारत की डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी का क्रिप्टोकरेंसी से कोई तुलना नहीं की जा सकती.

सीबीडीसी की जरूरत क्यों

अगला जमाना डिजिटल करेंसी का है जिस पर पूरी दुनिया में तेजी से काम चल रहा है. भारत इस दिशा में बहुत तेजी से कदम बढ़ा रहा है जिसकी तारीफ विश्व बैंक जैसे संगठन भी खुलकर कर चुके हैं. डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी भी उसी डिजिटल इकोनॉमी का अगला कदम होगा. जिस तरह मोबाइल वॉलेट से सेकंडों में ट्रांजैक्शन होता है, ठीक उसी तरह डिजिटल रुपी से भी काम होगा. इससे कैश का झंझट कम होगा जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखी जाएगी.

ये भी पढ़ें

पूरी दुनिया में महंगाई से हाहाकार, यूरोप के 19 देशों में 10% से ऊपर पहुंची दर

पूरी दुनिया में महंगाई से हाहाकार, यूरोप के 19 देशों में 10% से ऊपर पहुंची दर

इस क्रेडिट कार्ड पर मिल रहा 3 लाख का फ्री लाइफ इंश्योरेंस, ऑनलाइन करना है अप्लाई

इस क्रेडिट कार्ड पर मिल रहा 3 लाख का फ्री लाइफ इंश्योरेंस, ऑनलाइन करना है अप्लाई

31 अक्टूबर 2022 की बड़ी खबरें: मोरबी हादसे में 134 की मौत, 9 को किया गया गिरफ्तार

31 अक्टूबर 2022 की बड़ी खबरें: मोरबी हादसे में 134 की मौत, 9 को किया गया गिरफ्तार

रिटायरमेंट प्लानिंग के बारे में प्रचलित 4 भ्रांतियों की सच्चाई जानिए

रिटायरमेंट प्लानिंग के बारे में प्रचलित 4 भ्रांतियों की सच्चाई जानिए

यह जान लेना जरूरी है कि डिजिटल रुपी एक डिजिटल करेंसी जरूर है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी कतई नहीं है क्योंकि डिजिटल रुपी का संचालन पूरी तरह से आरबीआई की निगरानी में होगा. क्रिप्टोकरेंसी में किसी केंद्रीय बैंक की निगरानी नहीं होती.

Explained: Pilot Project क्या है, RBI ने क्यों लॉन्च किया E-Rupee, Digital करेंसी से फायदा क्या?

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

अब लोगों के शॉपिंग का तरीका, यात्रा का तरीका, काम करने का तरीका सब डिजिटल होता जा रहा है. वस्तुओं के लेनदेन के तरीके में भी लगातार बदलाव हो रहा है. इसी क्रम में एक नवंबर को RBI ने अपनी डिजिटल करेंसी 'डिजिटल रुपया' को लॉन्च कर दिया है. जानकारी के मुताबिक ये डिजिटल रुपया (E-Rupee) होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है. फिलहाल इसे 'पायलट प्रोजेक्ट' का नाम दिया गया है.

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

my big plunge

Jump To

पहले समझिए क्या है Digital Rupee?

Digital Rupee, CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा जारी की गई एक नई वैध मुद्रा है. आसान भाषा में कहें तो, डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी करेंसी नोट्स हैं. भारत में डिजिटल करेंसी दो तरह की होगी. शुरुआत में इसका इस्तेमाल सरकारी काम में secondary market के लेन-देन निपटाने के लिए होगा. दरअसल, अधिकांश व्यापार इसी मार्केट में किया जाता है. बता दें, Secondary Market में Equity आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? Market और Loan Market शामिल हैं. केंद्र सरकार ने बीते एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी.

अब जानते हैं Pilot Project क्या है?

'पायलट प्रोजेक्ट' के जरिए विशिष्ट उपयोग के लिए 'डिजिटल रुपया' लांच किया गया है. इसके जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन को निपटाया जाएगा. RBI ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? योजना के तहत डिजिटल रुपये का 'पायलट टेस्टिंग' शुरू करने का फैसला किया है. RBI एक रिपोर्ट में पहले भी कह चुकी है कि 'डिजिटल मुद्रा' लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का सरल बनाना है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान व्यवस्था के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे और वो अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प चुन पाएगा और उसका लाभ ले सकेगा.

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

ET spotlight

Central Bank Digital Currency से फायदा क्या?

1. डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी.

2. अब सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? कम हो जाएगी.

3. CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन हो सकता है.

4. अब चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन की समस्या न आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? के बराबर हो सकती है.

5. नकली करेंसी की समस्या भी खत्म हो सकती है.

6. नोट की प्रिंटिंग का खर्च भी बचेगा

7. एक डिजिटल मुद्रा की आयु physics नोटों की तुलना में ज्यादा होगी.

8. इसे जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

9. एक सबसे बड़ी बात बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिम को कम किया जा सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी और 'डिजिटल रुपी' में अंतर क्या?

क्रिप्टोकरेंसी को कोई मॉनिटर नहीं करता. यह पूरी तरह से प्राइवेट है. इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता है. लेकिन, RBI की डिजिटल पर सरकार की सहमती होगी. 'डिजिटल रुपी' को फिजिकल में बदला जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होता.

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

indiatoday

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) क्या है?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सरल शब्दो में कहें तो CBDC किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इसमें नोट छापने की जगह इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी किए जाते हैं. सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है, देखना होगा इसका भविष्य क्या होगा. फिलहाल भारत में यह दो तरह की होगी.

1. Retail (CBDC-R): बताया जा रहा है कि यह सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.

2. Wholesale (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाया गया है.

Pilot Project में कौन-कौन से बैंक शामिल है?

डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक का नाम हैं. ये बैंक सरकारी सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे, जिसे CBDC का नाम दिया गया है. यह भारत की पहली डिजिटल करेंसी बताई जा रही है.

Reserve Bank of India

Reuters

डिजिटलीकरण से अर्थव्यवस्था को क्या फायदा?

जानकारों की मानें तो डिजिटलीकरण एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन साबित हो सकता है. ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होगा जिससे मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड पर कंट्रोल किया जा सकता है. डिजिटल करेंसी से सरकार की अपने नेटवर्क के अंदर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो पाएगी. सरकार को भविष्य के लिए बजट और आर्थिक योजना बनाने में सहायता मिलेगी. साथ ही पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा. उम्मीद है भारत में लांच किए गए डिजिटल रुपया का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा और भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.

Explained: Pilot Project क्या है, RBI ने क्यों लॉन्च किया E-Rupee, Digital करेंसी से फायदा क्या?

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

अब लोगों के शॉपिंग का तरीका, यात्रा का तरीका, काम करने का तरीका सब डिजिटल होता जा रहा है. वस्तुओं के लेनदेन के तरीके में भी लगातार बदलाव हो रहा है. इसी क्रम में एक नवंबर को RBI ने अपनी डिजिटल करेंसी 'डिजिटल रुपया' को लॉन्च कर दिया है. जानकारी के मुताबिक ये डिजिटल रुपया (E-Rupee) होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है. फिलहाल इसे 'पायलट प्रोजेक्ट' का नाम दिया गया है.

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

my big plunge

Jump To

पहले समझिए क्या है Digital Rupee?

Digital Rupee, CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा जारी की गई एक नई वैध मुद्रा है. आसान भाषा में कहें तो, डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी करेंसी नोट्स हैं. भारत में डिजिटल करेंसी दो तरह की होगी. शुरुआत में इसका इस्तेमाल सरकारी काम में secondary market के लेन-देन निपटाने के लिए होगा. दरअसल, अधिकांश व्यापार इसी मार्केट में किया जाता है. बता दें, Secondary Market में Equity Market और Loan Market शामिल हैं. केंद्र सरकार ने बीते एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी.

अब जानते हैं Pilot Project क्या है?

'पायलट प्रोजेक्ट' के जरिए विशिष्ट उपयोग के लिए 'डिजिटल रुपया' लांच किया गया है. इसके जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन को निपटाया जाएगा. RBI ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना के तहत डिजिटल रुपये का 'पायलट टेस्टिंग' शुरू करने का फैसला किया है. RBI एक रिपोर्ट में पहले भी कह चुकी है कि 'डिजिटल मुद्रा' लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का सरल बनाना है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान व्यवस्था के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे और वो अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प चुन पाएगा और उसका लाभ ले सकेगा.

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

ET spotlight

Central Bank Digital Currency से फायदा क्या?

1. डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी.

2. अब सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी.

3. CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन हो सकता है.

4. अब चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन की समस्या न के बराबर हो सकती है.

5. नकली करेंसी की समस्या भी खत्म हो सकती है.

6. नोट की प्रिंटिंग का खर्च भी बचेगा

7. एक डिजिटल मुद्रा की आयु physics नोटों की तुलना में ज्यादा होगी.

8. इसे जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

9. एक सबसे बड़ी बात बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिम को कम किया जा सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी और 'डिजिटल रुपी' में अंतर क्या?

क्रिप्टोकरेंसी को कोई मॉनिटर नहीं करता. यह पूरी तरह से प्राइवेट है. इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता है. लेकिन, RBI की डिजिटल पर सरकार की सहमती होगी. 'डिजिटल रुपी' को फिजिकल में बदला जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होता.

rbi, cbdc, e-rupee, rbi, cbdc, e-rupee, digital rupee, digital currency, cryptocurrency, rbi cryptocurrency,

indiatoday

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) क्या है?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सरल शब्दो में कहें तो CBDC किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इसमें नोट छापने की जगह इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी किए जाते हैं. सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है, देखना होगा इसका भविष्य क्या होगा. फिलहाल भारत में यह दो तरह की होगी.

1. Retail (CBDC-R): बताया जा रहा है कि यह सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.

2. Wholesale (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाया गया है.

Pilot Project में कौन-कौन से बैंक शामिल है?

डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक का नाम हैं. ये बैंक सरकारी सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे, जिसे CBDC का नाम दिया गया है. यह भारत की पहली डिजिटल करेंसी बताई जा रही है.

Reserve Bank of India

Reuters

डिजिटलीकरण से अर्थव्यवस्था को क्या फायदा?

जानकारों की मानें तो डिजिटलीकरण एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन साबित हो सकता है. ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होगा जिससे मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड पर कंट्रोल किया जा सकता है. डिजिटल करेंसी से सरकार की अपने नेटवर्क के अंदर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो पाएगी. सरकार को भविष्य के लिए बजट और आर्थिक योजना बनाने में सहायता मिलेगी. साथ ही पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा. उम्मीद है भारत में लांच किए गए डिजिटल रुपया का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा और भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.

रेटिंग: 4.55
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 319