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• प्रतीक वॉचलिस्ट: अपने पसंदीदा प्रतीकों को समूहीकृत करें और सहेजें
• सत्र प्रबंधित करें: अपने अन्य उपकरणों को लॉग ऑफ करें
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5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

ऑप्शन ट्रेडिंग है क्या? क्या हैं इसके फायदें? कौन कर सकता है ऑप्शन ट्रेडिंग? क्या हैं इसकी जरूरी शर्तें? इन सवालों के सभी जबाव 5 मिनट में .

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं. लेकिन सोने का भाव 1000 रुपये टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है तो एक लॉट पर आपको एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपये प्रति दस ग्राम प्रीमियम चुकाकर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह जाता है.

फ्यूचर ट्रेडिंग से कैसे अलग है ऑप्शन ट्रेडिंग
फ्यूचर बाज़ार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं . अगर स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है लेकिन नुकसान जरूर होता है. स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है. जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं. इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिये नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं.

क्या है कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन
कॉल ऑप्शन तब इस्तेमाल होता है जब आपको लगता है कि किसी कमोडिटी में आप तेजी पर दांव लगाते हैं. काल ऑप्शन में आपको प्रीमियम भरना होता वहीं आपका अधिकतम नुकसान होता है. दूसरी ओर पुट ऑप्शन का इस्तेमाल तब होता है जब आपको लगता है कि बाज़ार में आगे मंदी के आसार है.

कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में ऑप्शंस कैसे चलेगा?
एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि जो ऑप्शंस एक्सपायरी पर आउट ऑफ द मनी रह जाएंगे वे लॉस में कटेंगे. जिन ऑप्शन होल्डर्स के ऑप्शंस इन द मनी रहेंगे उनको अपनी पोजिशन प्रॉफिट में काटने या फिर उनको फ्यूचर्स पोजिशन में कनवर्ट करने की सहूलियत होगी.

सेबी ने यूरोपियन स्टाइल के ऑप्शंस लॉन्च को मंजूरी दी है
इक्विटी मार्केट के उलट कमोडिटी मार्केट में ऑप्शंस एक्सपायरी पर फ्यूचर्स प्राइस पर सेटल होंगे और ऑप्शन होल्डर को अपनी पोजिशन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में कनवर्ट करने का ऑप्शन होगा. इक्विटी मार्केट में एक्सपायरी पर ऑप्शन का सेटलमेंट स्टॉक एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है या इंडेक्स के कैश यानी स्पॉट मार्केट रेट पर होता है. इक्विटी मार्केट में सेबी कैश मार्केट को रेगुलेट करता है जबकि एग्री कमोडिटी में सेबी कैश नहीं सिर्फ फ्यूचर्स को रेगुलेट करता है. यहां का कैश वाला कमोडिटी मार्केट राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

ट्रेडिंग अकाउंट होना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. अगर आपका पहले से फ्यूचर बाजार में खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा. इस अकाउंट के जरिये ही आप कमोडिटी एक्सचेंज में फ्यूचर या ऑप्शन में किसी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं. अगर एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है आप नया खाता खुलवा रहे हैं तो फ्यूचर की तरह ऑप्शन में कारोबार के लिए अलग से फार्म भरना पड़ेगा.

यह ट्रेडिंग खुलवाते समय जिस ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट खोल रहे है वह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल डेरेवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईक्स) का सदस्य एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है जरूर हो. साथ ही बाज़ार में इस ब्रोकर की ठीक-ठीक पहचान हो. इसके लिए आप इन दोनों एक्सचेंज की बेवसाइट पर जाकर इन ब्रोकर्स के बारे जानकारी जुटा सकते हैं.

ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकउंट की आईडी मुहैया कराता. इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं. इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.

ऑप्शन ट्रेडिंग के 5 बड़े फायदे

1-वायदा के मुकाबले कम रिस्क, रिटर्न ज्यादा

2- प्रीमियम पर टैक्स लगेगा इसलिए वायदा के मुकाबले टैक्स कम

3-हेजिंग का टूल होने से निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी

4-कमोडिटी में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, कमोडिटी बाज़ार को बूस्टर मिलेगा

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

ऑप्शन ट्रेडिंग है क्या? क्या हैं इसके फायदें? कौन कर सकता है ऑप्शन ट्रेडिंग? क्या हैं इसकी जरूरी शर्तें? इन सवालों के सभी जबाव 5 मिनट में .

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं. लेकिन सोने का भाव 1000 रुपये टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है तो एक लॉट पर आपको एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपये प्रति दस ग्राम प्रीमियम चुकाकर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह जाता है.

फ्यूचर ट्रेडिंग से कैसे अलग है एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है ऑप्शन ट्रेडिंग
फ्यूचर बाज़ार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं . अगर स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है लेकिन नुकसान जरूर होता है. स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है. जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं. इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिये नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं.

क्या है कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन
कॉल ऑप्शन तब इस्तेमाल होता है जब आपको लगता है कि किसी कमोडिटी में आप तेजी पर दांव लगाते हैं. काल ऑप्शन में आपको प्रीमियम भरना होता वहीं आपका अधिकतम नुकसान होता है. दूसरी ओर पुट ऑप्शन का इस्तेमाल तब होता है जब आपको लगता है कि बाज़ार में आगे मंदी के आसार है.

कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में ऑप्शंस कैसे चलेगा?
एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि जो ऑप्शंस एक्सपायरी पर आउट ऑफ द मनी रह जाएंगे वे लॉस में कटेंगे. जिन ऑप्शन होल्डर्स के ऑप्शंस इन द मनी रहेंगे उनको अपनी पोजिशन प्रॉफिट में काटने या फिर उनको फ्यूचर्स पोजिशन में कनवर्ट करने की सहूलियत होगी.

सेबी ने यूरोपियन स्टाइल के ऑप्शंस लॉन्च को मंजूरी दी है
इक्विटी मार्केट के उलट कमोडिटी मार्केट में ऑप्शंस एक्सपायरी पर फ्यूचर्स प्राइस पर सेटल होंगे और ऑप्शन होल्डर को अपनी पोजिशन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में कनवर्ट करने का ऑप्शन होगा. इक्विटी मार्केट में एक्सपायरी पर ऑप्शन का सेटलमेंट स्टॉक या इंडेक्स के कैश यानी स्पॉट मार्केट रेट पर होता है. इक्विटी मार्केट में सेबी कैश मार्केट को रेगुलेट करता है जबकि एग्री कमोडिटी में सेबी कैश नहीं सिर्फ फ्यूचर्स को रेगुलेट करता है. यहां का कैश वाला कमोडिटी मार्केट राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

ट्रेडिंग अकाउंट होना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. अगर आपका पहले से फ्यूचर बाजार में खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा. इस अकाउंट के जरिये ही आप कमोडिटी एक्सचेंज में फ्यूचर या ऑप्शन में किसी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं. अगर आप नया खाता खुलवा रहे हैं तो फ्यूचर की तरह ऑप्शन में कारोबार के लिए अलग से फार्म भरना पड़ेगा.

यह ट्रेडिंग खुलवाते समय जिस ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट खोल रहे है वह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल डेरेवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईक्स) का सदस्य जरूर हो. साथ ही बाज़ार में इस ब्रोकर की ठीक-ठीक पहचान हो. इसके लिए आप इन दोनों एक्सचेंज की बेवसाइट पर जाकर इन ब्रोकर्स के बारे जानकारी जुटा सकते हैं.

ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकउंट की आईडी मुहैया कराता. इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं. इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.

ऑप्शन ट्रेडिंग के 5 बड़े फायदे

1-वायदा के मुकाबले कम रिस्क, रिटर्न ज्यादा

2- प्रीमियम पर टैक्स लगेगा इसलिए वायदा के मुकाबले टैक्स कम

3-हेजिंग का टूल होने से निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी

4-कमोडिटी में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, कमोडिटी बाज़ार को बूस्टर मिलेगा

पुट और कॉल ऑप्शन का इस्तेमाल कहां होता है?

कॉल के खरीदार को एक तय तरीख और निश्चित मूल्य पर अंडरलाइंग स्टॉक खरीदने का अधिकार मिलता है.

investment

पुट में खरीदार को शेयरों को बेचने का अधिकार मिलता है. कॉल बेचने वाले विक्रेता को खरीदार से प्रीमियम मिलता है.

2. कॉल और पुट ऑप्शन क्या हैं?
कॉल के खरीदार को एक तय तरीख और निश्चित मूल्य पर अंडरलाइंग (जिनकी कीमतों के घटने बढ़ने पर कॉल पर असर होगा) स्टॉक खरीदने का अधिकार मिलता है.

यह प्रीमियम चुकाकर खरीदे जाते हैं. यह कुल कीमत का एक हिस्सा होता है. इसी तरह पुट में खरीदार को शेयरों को बेचने का अधिकार मिलता है. कॉल बेचने वाले विक्रेता को खरीदार से प्रीमियम मिलता है. इसे कॉन्ट्रैक्ट के मूल्य पर खरीदार को शेयर देने होते हैं. इसी प्रकार पुट विक्रेता को शेयरों को बेचना होता है.

3. वास्तव में ये कैसे काम करते हैं?
मान लेते हैं कि 21 दिसंबर को ट्रेडर निफ्टी की 10,800 की एक कॉल खरीदता है. इसकी मियाद 27 दिसंबर को खत्म होनी है. मान लीजिए कि कॉल के हर एक शेयर की कीमत 62 रुपये है.

एक कॉन्ट्रैक्ट में 75 शेयर होते हैं. मान लेते हैं कि 27 दिसंबर को निफ्टी 10,900 रुपये पर बंद होता है. इस तरह 10,800 की कॉल में 100 रुपये को 'इन द मनी' कहा जाएगा. इसमें कॉल बेचने वाला ट्रेडर को 100 रुपये के अनुपात में भुगतान करेगा. यानी ट्रेडर को 62 रुपये के हर शेयर पर 38 रुपये का फायदा होगा. यह कुल निवेश पर रिटर्न का 61 फीसदी है.

अब मान लेते हैं कि निफ्टी 10,800 की बजाय 10,700 पर बंद होता है. इस मामले में 10,800 रुपये की कॉल में 100 रुपये को 'आउट ऑफ द मनी' कहेंगे. इसमें कॉल खरीदने वाला बिक्री करने वाले के हाथ पूरे के पूरे प्रीमियम (62 रुपये) की रकम गंवा देगा.

यही बात पुट के लिए भी लागू होती है. बस अंतर यह है कि इसमें निफ्टी के गिरने पर खरीदार को फायदा होगा. वहीं, निफ्टी के बढ़ने पर विक्रेता प्रीमियम को रख लेगा.

4. फ्यूचर से यह कैसे अलग है?
उहादरण में आपने देखा कि खरीदार का नुकसान दिए गए प्रीमियम तक सीमित होता है. लेकिन, कॉल और पुट के विक्रेता का नुकसान असीमित हो सकता है. व्यावहारिक रूप से कॉल और पुट के खरीदार को असीमित फायदा हो सकता है. फ्यूचर के मामले में खरीदार या विक्रेता के नफे-नुकसान की सीमा नहीं होती है.

5. ऑप्शन के प्रकार क्या हैं?
ऑप्शन के दो प्रकार है. अमेरिकी और यूरोपीय. अमेरिकी स्टाइल में कॉन्ट्रैक्ट की अवधि के दौरान कभी भी ऑप्शन को खरीदा-बेचा जा सकता है. वहीं, यूरोपीय स्टाइल में केवल कॉन्ट्रैक्ट की मैच्योरिटी पर ही ऐसा किया जा सकता है. इसमें कॉन्ट्रैक्ट के अंतिम दिन सौदा अपने आप कट जाता है.

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कम जोखिम में ज्यादा फायदा पाने का आसान तरीका है ऑप्शन ट्रेडिंग से निवेश, ले सकते हैं बीमा

यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।

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