• प्रसिद्ध कंपनियों की सहायक कंपनियां है। मुख्यतः ये सहायक कंपनियां मूल कंपनी के भाग होते है, जैसे एचडीएफसी सिक्योरिटीज अनलिस्टेड स्टॉक्स है परन्तु यह एचडीएफसी बैंक का हिस्सा है।
  • अन्य प्रकार के अनलिस्टेड कंपनियां जो मुख्यतः वित्तीय, तकनिकी या संचार आदि क्षेत्र में शामिल है जैसे ड्रीम 11 कंपनी शामिल है।

टेंडर कैसे ले? सरकारी टेंडर लेने की प्रक्रिया, नियम | E Tender Registration Online 2023

जब बिजनेस इंडस्ट्रिज की बात आती है, तो इसमें वस्तुओं और सेवाओं का बहुत अधिक लेन-देन और व्यापार होता है। इन सौदों के लिए कंपनियों को अन्य संगठनों के साथ वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए एक औपचारिक प्रस्ताव देने की आवश्यकता होती है। यह प्रस्ताव या बोली टेंडर के रूप में प्रस्तुत की जाती है।

मूल रूप से, एक टेंडर एक प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाने या एक औपचारिक प्रस्ताव जैसे कि अधिग्रहण बोली को स्वीकार करने के लिए एक प्रस्ताव या निमंत्रण होता है। यह शब्द आमतौर पर उस प्रक्रिया को प्रदर्शित करता है जिसके माध्यम से सरकार और वित्तीय संस्थानों के द्वारा अपने बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए निमंत्रण बोली लगाई जाती है। इन बोलियों को दी गई समय सीमा के भीतर प्रस्तुत किया जाना होता (What Are the Steps to Take in the Tender Process in Hindi) है। टेंडर या टेंडरिंग शब्द का एक अन्य आवेदन तब होता है जब शेयरधारक एक अधिग्रहण प्रस्ताव के जवाब में अपने शेयर या सिक्योरिटीज को जमा करते हैं।

शेयरधारकों को एक टेंडर प्रस्ताव भी मिलता है, जिसे सभी शेयरधारकों के लिए एक सार्वजनिक याचना के रूप में माना जाता है जो उन्हें एक निर्दिष्ट समय अवधि के दौरान एक विशिष्ट मूल्य पर बिक्री के लिए अपने शेयरों को टेंडर करने का अनुरोध करता (What are the different types of tenders in India in Hindi) है। यह टेंडर प्रस्ताव आमतौर पर शेयरधारकों को शेयरों की एक विशिष्ट राशि जारी करने के लिए लुभाने के प्रयास में शेयरों के वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक होता है।

दूसरी ओर, टेंडर या आरएफटी के लिए एक अनुरोध आपूर्तिकर्ताओं के लिए एक औपचारिक अनुरोध या निमंत्रण है जो उन्हें उत्पादों, सेवाओं और कच्चे माल की आपूर्ति के लिए प्रतिस्पर्धी बोलियां प्रस्तुत करने के लिए कहता है। टेंडरओं या आरएफटी के लिए अनुरोध को आमतौर पर निजी क्षेत्र में प्रस्ताव या आरएफपी के अनुरोध के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह अनुरोध संभावित बोलीदाताओं को जारीकर्ता की जरूरतों का जवाब देने की अनुमति देते हैं।

आप 10 लाख रुपये निवेश करना चाहते हैं? संजीव गोविला ने बताया जबर्दस्त कमाई वाला इनवेस्टमेंट फॉर्मूला

गोविला ने कहा कि अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको आज बाजार के सूचकांकों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सबसे पहले आपको अपनी रिस्क प्रोफाइल को समझना चाहिए। उसके बाद अपने फाइनेंशियल गोल (लक्ष्य) तय करने चाहिए

Sanjeev Govila करीब तीन दशक तक इंडियन आर्मी में देश की सेवा करने के बाद पिछले कुछ समय से सेना के जवानों को पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी सलाह दे रहे हैं।

कई इनवेस्टर्स शेयर बाजार (Stock Markets) के उतार-चढ़ाव (Market Volatility) को देखते हुए इनवेस्टमेंट करने से कतरा रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अभी पैसा कहां लगाना चाहिए। बाजार एक कदम आगे बढ़ाने के बाद दो कदम पीछे बढ़ा देता है। इसके बावजूद आपको निवेश का फैसला रोकना नहीं चाहिए। यह कहना है Sanjeev Govila का। करीब तीन दशक तक इंडियन आर्मी में देश की सेवा करने के बाद पिछले कुछ समय से गोविला सेना के जवानों को पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी सलाह दे रहे हैं। उनकी कंपनी Hum Fauji Fianacial Services के देश और विदेश में 3,300 क्लाइंट्स हैं।

गोविला ने कहा कि अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको आज बाजार के सूचकांकों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सबसे पहले आपको अपनी रिस्क प्रोफाइल को समझना चाहिए। उसके बाद अपने फाइनेंशियल गोल (लक्ष्य) तय करने चाहिए। अगर आप बहुत छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको सैटेलाइट पोर्टफोलियो बनाना चाहिए।

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गोविल ने कहा, "अगर आपका गोल पांच साल से लेकर सात साल का है तो आप अपना पूरा पैसा शेयरों में लगा सकते हैं। आपको बाजार के उतार-चढ़ाव पर ध्यान नहीं शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? देना चाहिए। लेकिन, इससे पहले आपको अपने रिस्क प्रोफाइल को समझ लेना होगा। अगर आप ज्यादा रिस्क नहीं ले सकते तो फिर आपको इक्विटी में ज्यादा निवेश नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में आप हाइब्रिड फंड्स के बारे में सोच सकते हैं।"

गोविल ने बताया, "इनवेस्टमेंट के लिए 100 माइनस एज (उम्र) का एक थंब रूल है। लेकिन, मैं इसमें भरोसा नहीं करता हूं। मैं शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? ज्यादा महत्व व्यक्ति की रिस्क प्रोफाइल और उसके इनवेस्टमेंट गोल को देता हू। अगर आप कम से कम पांच साल के लिए पैसे लगा सकते हैं और आपकी उम्र 40 प्लस है तो आपको अपना 70 फीसदी पैसा शेयरों में लगाना चाहिए। अगर आपकी उम्र इससे कम है या आप 29 प्लस हैं तो आप अपना 80-85 फीसदी पैसा शेयरों में लगा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि लंबी अवधि के निवेश पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता है। "

उनकी सलाह है कि जो इनवेस्टर्स अपनी रिस्क प्रोफाइल को समझे बगैर मार्केट में निवेश करते शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? हैं, उन्हें बाजार के रोजाना के उतार-चढ़ाव की वजह से ठीक से नींद नहीं आती। उन्होंने निवेशकों को डायवर्सिफिकेशन के लिए विदेश में इनवेस्ट करने की भी सलाह दी। जहां तक रिटेल इनवेस्टर्स का सवाल है तो उनके लिए तो इंडियन मार्केट के डायनेमिक्स को भी ठीक तरह से समझना आसान नहीं है। इसलिए आप जर्मनी, ब्राजील, वियतनाम और यहां तक कि चीन के बाजार के बारे में अंदाजा नहीं लगा सकते। इसलिए आप एक्सपर्ट एडवाइस की मदद से निवेश के फैसले ले सकते हैं।

गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर में निवेश करने की जानकारी।

दोस्तों, आप शेयर बाजार में शेयर या स्टॉक कई बार ख़रीदा या बेचा है, लेकिन क्या आप जानते है कि शेयर बाजार में विभिन्न कम्पनियाँ सूचीबद्ध कैसे होती है ? आप कौन से मार्किट या स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) से शेयर खरीद या बेच सकते है ? आईये इसका उत्तर जानते है।

किसी भी शेयर या स्टॉक का क्रय या विक्रय प्रतिभूति बाज़ार (Security Market) के अंतर्गत आता है और प्राथमिक बाज़ार (Primary Market) शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? और द्वितीयक बाज़ार (Secondary Market) इसके दो प्रकार है। प्रतिभूति बाज़ार में एनएसई या बीएसई दो प्रसिद्ध स्टॉक एक्सचेंज है। कोई भी कंपनी आईपीओ (IPO) के माध्यम से शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होता है और निवेशक प्राथमिक बाज़ार से कंपनी के शेयर सीधे खरीदते है। जब कंपनी द्वितीयक बाज़ार में सूचीबद्ध हो जाता है तो निवेशक या ट्रेडर्स उसके शेयर आपस में खरीदते या बेचते है।

क्या अपने गैर सूचीबद्ध स्टॉक (Unlisted Stock) के बारें में सुना है ? गैर सूचीबद्ध कंपनी के शेयर को कैसे खरीद सकते है, कहाँ खरीद सकते है ? आईये गैर सूचीबद्ध स्टॉक के बारें में विस्तार से समझते है।

स्टॉक या शेयर जो आधिकारिक तौर पर शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध नहीं है, इन्हे अनलिस्टेड स्टॉक कहते है। साधारणतः स्टार्टअप या नयी कंपनी यह व्यवसाय इस श्रेणी में आते है, जिसमे इंस्टीटूशनल निवेशक या वेंचर कैपिटल आदि निवेश करते है। यह प्रक्रिया सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदने जितना आसान होता है।

स्टॉक या शेयर जो आधिकारिक तौर पर शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध नहीं है, इन्हे अनलिस्टेड स्टॉक कहते है। साधारणतः स्टार्टअप या नयी कंपनी यह व्यवसाय इस श्रेणी में आते है, जिसमे इंस्टीटूशनल निवेशक या वेंचर कैपिटल आदि निवेश करते है। यह प्रक्रिया सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदने जितना आसान होता है।

आईये एक कंपनी "Y" का उदाहरण लेते है। "Y" एक स्टार्टअप कंपनी है और यह किसी भी स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई या बीएसई) में सूचीबद्ध नहीं है। इस कंपनी के स्टॉक को अनलिस्टेड स्टॉक (unlisted stock) कहते है। यदि निवेशक को कंपनी "Y" का व्यावसायिक पद्धति पसंद आता है और उन्होंने कंपनी "Y" में अपने पैसे निवेश करके उस कंपनी के शेयर खरीदते है तो ऐसे स्टॉक को अनलिस्टेड स्टॉक कहते है।

रिलायंस रिटेल, ओला, लावा अदि प्रसिद्ध अनलिस्टेड स्टॉक के उदाहरण है। ये कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में आधिकारिक रूप से पंकजीकृत नहीं है लेकिन ट्रेडर्स इस कंपनियों में ट्रेड करते है। एक निवेशक या ट्रेडर्स के रूप में, यदि आप भी स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करना चाहते है तो अनलिस्टेड स्टॉक एक अच्छा विकल्प है।। आईये जानते है की अनलिस्टेड स्टॉक्स या शेयर में कैसे निवेश करे।

अनलिस्टेड स्टॉक्स लिस्ट्स

आपके मन में एक प्रश्न उठ रहा है कि यदि अनलिस्टेड स्टॉक्स एनएसई या बीएसई स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत नहीं है तो ऐसे स्टॉक्स कैसे ख़रीदे ?

इसका उत्तर है कि अनलिस्टेड स्टॉक्स आप किसी ब्रोकर्स कंपनियों से खरीद सकते है, जैसे Unlisted Zone, Unlisted deals, Buy Sell Unlisted Shares आदि। इसके अलावा अन्य ब्रोकर का सूचि आपको इंटरनेट के माध्यम से मिल जायेगा।

अनलिस्टेड स्टॉक्स कि श्रेणी में भिन्न-2 प्रकार के कंपनियां शामिल है जो निम्नलिखित है।

  • प्रसिद्ध कंपनियों की सहायक कंपनियां है। मुख्यतः ये सहायक कंपनियां मूल कंपनी के भाग होते है, जैसे एचडीएफसी सिक्योरिटीज अनलिस्टेड स्टॉक्स है परन्तु यह एचडीएफसी बैंक का हिस्सा है।
  • अन्य प्रकार के अनलिस्टेड कंपनियां जो मुख्यतः वित्तीय, तकनिकी या संचार आदि क्षेत्र में शामिल है जैसे ड्रीम 11 कंपनी शामिल है।

अनलिस्टेड स्टॉक्स में कैसे इन्वेस्ट करें

यदि आप भी अन्य निवेशक की तरह अनलिस्टेड शेयर में निवेश करना चाहते है, तो बहुत से माध्यम है जिसके द्वारा आप गैर सूचीबद्ध शेयर में निवेश कर सकते है।

स्टार्टअप से शुरू करें

आप किसी स्टार्टअप कंपनी के शेयर में निवेश करके शुरुवात कर सकते है। स्टार्टअप और छोटी कंपनियां शेयर की बिक्री की गारंटी नहीं देती हैं। स्टार्टअप कंपनी जल्दी और अग्रिम भुगतान करने के लिए पैसे की मांग करती है और ट्रेड के दिन से तीन दिन बाद ही डिलीवरी होती है। इसे आम तौर पर टी+3 डिलीवरी कहा जाता है।

ईसॉप शेयर

ईसॉप शेयर एक अनलिस्टेड स्टॉक है, इस शेयर को खरीदने की अनुमति सिर्फ कंपनी के आंतरिक कर्मचारियों को होता है। ईसॉप शेयर भी अन्य शेयर बाजार के शेयर के सामान होता है। एक ब्रोकर आपके लिए सही अनलिस्टेड स्टॉक खोजने में आपकी मदद कर सकता है।

प्रमोटर्स

आप गैर सूचीबद्ध शेयर में निवेश करना चाहते है तो आप सीधे प्रोमोटर्स (Promotors) से खरीद सकते है। कई निवेश बैंक और निजी प्लेसमेंट निजी या नॉन-लिस्टेड शेयरों को खरीदने में मदद प्रदान कर सकते हैं।

अपने सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध स्टॉक/शेयर के बारें और उसके अंतर को विस्तृत रूप से समझा। इसके साथ साथ अनलिस्टेड स्टॉक को कैसे ख़रीदे सकते है, कौन -2 से माध्यम से खरीद सकते है इसके बारें में जानकारी हासिल किये।

सिक्योरिटी मार्किट (Security Market) में ऐसे कई तरीके हैं जहा आप एक गैर-सूचीबद्ध स्टॉक खरीद सकते हैं। जैसे स्टार्टअप के शेयर, ईसॉप शेयर और प्रमोटर्स के शेयर को खरीद कर गैर सूचीबद्ध शेयर को खरीद सकते है।

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क्या होता है PEG Ratio? किसी कंपनी में निवेश करें या नहीं, ऐसे पा सकते हैं जानकारी

आखिर पेग रेश्यो को कैलकुलेट कैसे करते हैं? तो इसका तरीका भी बेहद आसान है. इसके लिए पहले कंपनी की पीई निकालते हैं. इसके लिए कंपनी के मौजूदा शेयर भाव को कंपनी की प्रति शेयर आय यानि ईपीएस से भाग देकर निकालते हैं.

क्या होता है PEG Ratio? किसी कंपनी में निवेश करें या नहीं, ऐसे पा सकते हैं जानकारी

आइए जानते हैं कि प्राइस अर्निंग टू ग्रोथ रेश्यो यानि पेग रेश्यो क्या होता है और इसकी मदद से आप कैसे निवेश के लिए मजबूत फंडामेंटल वाली बढ़िया कंपनी निवेश के लिए चुन सकते हैं. दरअसल पेग रेश्यो के जरिए हम इस बात का अंदाजा लगाते हैं कि निवेश के लिए कंपनी का भाव ओवर वैल्युड है, अंडर वैल्युड है या फेयरली वैल्युड है. फेयरली वैल्युड मतलब वैल्युएशन के लिहाज से शेयर निवेश के लिए ठीक है. अंडर वैल्युड का मतलब ये है कि शेयर की वैल्युएशन सस्ती है और इसमें अभी तेजी आने की काफी संभावना है. ओवरवैल्युड मतलब मौजूदा भाव पर शेयर महंगा है और आगे इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है.

वैसे इस बात का अंदाजा हमें पीई रेश्यो से भी चलता है कि कंपनी की वैल्युएशन कैसी है. लेकिन पीई रेश्यो से हमें कंपनी की मौजूदा भाव पर वैल्युएशन का पता चलता है जबकि पेग रेश्यो से इस बात का पता चलता है कि आने वाले वर्षों में कंपनी का प्रदर्शन कैसा रह सकता है. इसलिए इस फॉर्मूले की महत्ता काफी बढ़ जाती है और इसे वैल्युएशन मापने के लिए सामान्य पीई रेश्यो के मुकाबले बेहतर और सटीक मानक माना जाता है.

कितने पेग रेश्यो पर कंपनी में निवेश सही

अब जरा ये भी जान लेते हैं कि कितने पेग रेश्यो पर कंपनी में निवेश करना सही माना जाता है. अगर किसी कंपनी का पेग रेश्यो 1 है तो उसे फेयरली वैल्युड कहा जाता है. अगर पेग रेश्यो 1 से कम है तो इसे अंडरवैल्युड कहते हैं. अगर पेग रेश्यो 1 से ज्यादा रहता है तो ऐसे शेयर को ओवरवैल्युड शेयर कहते हैं. अब ये भी जान लेते हैं कि आखिर पेग रेश्यो को कैलकुलेट कैसे करते हैं. तो इसका तरीका भी बेहद आसान है. इसके लिए पहले कंपनी की पीई निकालते हैं. इसके लिए कंपनी के मौजूदा शेयर भाव को कंपनी की प्रति शेयर आय यानि ईपीएस से भाग देकर निकालते हैं.

PE= Current Market Price/EPS

अब कंपनी की पीई को कंपनी की अर्निंग ग्रोथ रेट से डिवाइड करने पर जो आंकड़ा आएगा उसे पेग रेश्यो कहते हैं. सटीक पेग रेश्यो निकालने के लिए अर्निंग ग्रोथ रेट के कम से कम 5 साल या उससे ज्यादा के आंकड़े लेने चाहिए. इससे इस बात का सही अंदाजा लग सके कि आने वाले समय में कंपनी का शेयर कैसा प्रदर्शन कर सकता है.

इस उदाहरण से समझें

अब उदाहरण के जरिए इसको समझते हैं. मान लीजिए एक ही सेक्टर की दो कंपनियां एक्स और वाई हैं और इनमें से निवेश के लिए किस कंपनी को चुनें इसके लिए आप पेग रेश्यो निकालना चाहते हैं. एक्स का पीई 15 और वाई का 18 है. यहां पर पीई रेश्यो के आधार पर एक्स की वैल्यूएशन वाई के मुकाबले ज्यादा आकर्षक लग रही है क्यों कि ये वाई के पीई के मुकाबले कम है. अब पेग रेश्यो देखते हैं. तो एक्स का अर्निंग ग्रोथ रेट 12 का है और वाई का 19 है.

Is it Risky to Invest in Share Market (क्या शेयर बाजार में निवेश करना जोखिम भरा है) ?

लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या हमें शेयर मार्केट में निवेश करना चाहिए ? इस सवाल का जवाब जानने से पहले एक सवाल का जवाब हमारे पास होना चाहिए कि क्या शेयर बाजार में निवेश करना रिस्की है? इस पोस्ट में हम इसी सवाल का जवाब समझने की कोशिश करेंगे।

आपने कितनी बार ऐसा देखा है कि नया निवेशक शेयर बाजार में आता है और उस समय शेयर खरीदता है जब बाजार 52 वीक लो पर या उससे नीचे हो, शेयर बाजार के गलियारों में निराशा का माहोल हो, चारों तरफ डर का माहोल हो? बहुत कम या शायद नही के बराबर। एक नौसिखिया निवेशक ऐसा शायद ही कभी करता हो। एक नया निवेशक पहली बार शेयर बाजार में तब शुरुआत करता है जब शेयर बाजार ऊपर जा रहा होता है, जब शेयर बाजार हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा होता है, हर तरफ शेयर बाजार के ऊपर जाने की खबरें छाई होती हैं। इन खबरों को सुनकर और अपने आसपास के माहोल को देखकर एक आम आदमी जिसे शेयर बाजार की कोई जानकारी नहीं होती है वह भी शेयर बाजार के प्रति उत्सुक हो जाता है और कम समय में अधिक पैसे कमाने के लालच में शेयर बाजार में निवेश कर देता है। अब उसके निवेश का क्या होगा ? चलिए इसे समझने की कोशिश करते हैं ।

शेयर बाजार के उतार चढ़ाव

Logical or Emotional ?

यह तो हम सभी जानते हैं कि शेयर बाजार में शेयर्स की कीमतों में हर दिन लगातार उतार चढ़ाव होते रहते हैं। इन उतार चढ़ावों का क्या कारण हो सकता है? क्या उस शेयर की कीमत के पीछे छुपी कंपनी की वास्तविक वैल्यू ( जिसे Intrinsic Value भी कहा जाता है ) भी हर दिन बदलती रहती है? किसी भी कंपनी की Intrinsic Value उसकी वर्तमान वित्तीय स्थिति और भविष्य की व्यापार संभावनाओं पर निर्भर करती है। वर्तमान वित्तीय स्थिति का तो फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स की सहायता से सही आंकलन किया जा सकता है लेकिन भविष्य में क्या होने वाला है इसका शत प्रतिशत सही आंकलन करना संभव नही है इसका कुछ घटकों के आधार पर केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।

शेयर मार्केट में हजारों निवेशक और विश्लेषक होते हैं। ये सभी लोग अपने अपने नजरिए से शेयर बाजार की चाल को समझने की कोशिश करते हैं और अपने अपने विश्लेषण के आधार पर शेयर बाजार की दिशा का अनुमान लगाते हुए शेयर्स को खरीदते और बेचते हैं। अधिकांश निवेशकों का जो एनालिसिस होता है और उसके आधार पर वो जो निर्णय लेते हैं वह काफी हद तक उनकी भावनाओं (Emotions) जैसे डर और लालच (Fear and Greed) के द्वारा प्रभावित और नियंत्रित होता है। हर दिन बढ़ते हुए बाजार को देखकर हमारे भीतर लालच की भावना उत्पन्न होती है और गिरते हुए बाजार को देखकर डर की भावना उत्पन्न होती है और यह हमारे विश्लेषण और उसके आधार पर लिए गए निर्णय को प्रभावित करती है।

हजारों लाखों निवेशकों की डर और लालच की यही मिश्रित भावनाएं शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करती हैं। दुनिया में होने वाली विभिन्न घटनाएं जैसे आर्थिक मंदी, COVID-19, युद्ध की संभावना, तेल की बढ़ती कीमतें निवेशकों के मन में डर की भावना पैदा करती है, और निवेशक नुकसान से बचने के लिए अपने शेयरों को बेच देते है। हो सकता है कि इन घटनाओं के कारण शॉर्ट टर्म में कंपनियों को कुछ नुकसान उठाना पड़े लेकिन कुछ समय बाद परिस्थितियां सामान्य होने पर यह कंपनियां इस नुकसान से बाहर जरूर निकल जाती हैं।

शेयर बाजार में निवेशकों की भावनाएं किस तरह कीमतों को नियंत्रित करती हैं इसे और बेहतर ढंग से समझने के लिए The Dhandho Investor पुस्तक का यह अंतरण पढ़ सकते हैं –

Fear and greed are very much fundamental to the human psyche. As long as humans drive buying and selling decisions in equity markets, pricing will be affected by these fear and greed attributes. When extreme fear sets in, there is likely to be irrational behavior. In that situation, the stock market resembles a theater that is filled to capacity. Someone sees some smoke and yells “Fire, Fire!” There is a mad rush for the exits. In the theater called the stock market, you can only exit if someone else buys your seat—each share has to be held by someone! If there is a mass rush to leave the burning theater, what price do you think these seats would go for? The trick is to only buy seats in those theaters where there is a mass exodus and you know that there is no real fire, or it’s already well on its way to being put out. Read voraciously and wait patiently, and from time to time these amazing bets will present themselves.

The Dhandho Investor by Mohnish Pabrai

SENSEX Chart

चित्र में सेंसेक्स का 1992 से वर्तमान तक का एक चार्ट दिखाया गया है। जिसमें आप देख सकते हैं की अनगिनत उतार-चढ़ाव के बावजूद अंततः बाजार लगातार ऊपर चढ़ता गया और नई ऊंचाइयों को छूता गया। मार्केट क्रैश बाजार में हमेशा आते थे और आगे भी आते रहेंगे क्योंकि ये शेयर बाजार का व्यवहार है उसका एक हिस्सा है। हमें उनसे डरना नही है उसे समझना है और स्वीकार करना है।

हमें यह समझना जरूरी है कि शेयर मार्केट क्रैश हमारे लिए शार्ट में नुकसानदायक हो सकता है लेकिन अगर लोंग टर्म के नजरिये से देखा जाए तो यह हमारे लिए फायदेमंद ही होता है। क्योंकि शेयर मार्केट क्रैश हमें अच्छी कंपनियों के शेयर्स को कम कीमत पर खरीदने का अवसर देता है। अगर हम अच्छी कंपनियों के शेयर्स को कम दाम में खरीदने में सफल हो जाते हैं और लगातार सफल होते रहते हैं तो हम निश्चय ही शेयर बाजार में एक सफल निवेशक बन सकते हैं।

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