निवेशकों को कितने प्रकार की रिस्क प्रोफाइल में क्लासिफाई(वर्गीकृत) किया जा सकता है?
जिस तरह रिस्क के आधार पर हमारे पास म्यूचुअल फंड की अलग-अलग स्कीम्स होती हैं, ठीक उसी तरह की श्रेणियों(कैटेगरीज) में निवेशकों को उनकी रिस्क प्रोफाइल के आधार पर रखा जाता है। निवेशकों को दो फैक्टर्स(कारणों) के आधार पर अग्रेसिव, मॉडरेट और कंज़र्वेटिव रिस्क प्रोफाइल में क्लासिफाई(वर्गीकृत) किया जा सकता है। किसी निवेशक की रिस्क प्रोफाइल उसके/उसकी रिस्क लेने की क्षमता (रिस्क कैपेसिटी) और रिस्क लेने की इच्छाशक्ति (रिस्क अवर्श़न) पर निर्भर करती है। अगर किसी निवेशक में रिस्क लेने की क्षमता और इच्छाशक्ति कम है, तो उसे कंज़र्वेटिव निवेशक कहा जाता है, जिसे कम रिस्क(जोखिम) वाले निवेश प्रोडक्ट्स में निवेश करना चाहिए जैसे डेट फंड, बैंक एफडी।
अगर किसी निवेशक में रिस्क लेने की दो तरह के निवेशक क्षमता और इच्छाशक्ति ज़्यादा है, तो ऐसे निवेशक को अग्रेसिव रिस्क केटेगरी वाले प्रोडक्ट्स में निवेश करने की सलाह दी जाती है जैसे इक्विटी म्यूचुअल फंड, डायरेक्ट इक्विटी। लेकिन, अगर किसी निवेशक में रिस्क लेने की इच्छाशक्ति ज़्यादा है, पर रिस्क लेने की क्षमता कम है या फिर इसके विपरीत है तो, ऐसे निवेशक को मॉडरेट रिस्क वाले प्रोडक्ट्स में निवेश करने की सलाह दी जाती है। इन निवेशकों को मॉडरेट निवेशक कहा जाता है जो मॉडरेट रिस्क लेना पसंद करते हैं ताकि उन्हें किसी मुश्किल का सामना ना करना पड़े। उन्हें बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करना पसंद है।
वेश(इन्वेस्टमेंट) को निवेशक के लिए उपयुक्त माना जाता है अगर निवेश(इन्वेस्टमेंट) का रिस्क निवेशक की रिस्क कैपेसिटी और रिस्क अवर्श़न की सीमा के अंदर आता है।
Zomato Shares: दो दिन में 23% लुढ़के शेयर, निवेशकों को 8 महीने में हुआ 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान
Zomato ने मंगलावर को अपना नया निचला स्तर छुआ और NSE पर शेयर करीब 13 फीसदी लुढ़ककर 41.20 रुपये के निचले स्तर तक चला गया
Zomato Shares: ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) ने मंगलावर को अपना नया निचला स्तर छुआ। NSE पर शेयर करीब 13 फीसदी लुढ़ककर 41.20 रुपये के स्तर तक चला गया, जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसके साथ Zomato के शेयरों में पिछले दो दिनों में करीब 23 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
जोमैटो के शेयर मंगलवार को कारोबार खत्म होने के समय 12.61 फीसदी की गिरावट के साथ 41.60 रुपये पर बंद हुए। इससे पहले सोमवार को भी इसके शेयरों में 10.5 फीसदी की गिरावट आई थी। इस तरह पिछले दो दिनों में Zomato के शेयरों में 23 फीसदी से ज्यादा घट चुकी है। साथ ही इसकी कीमत इसके 76 रुपये के IPO प्राइस भी 46% नीचे आ गई है।
निवेशकों को 1.01 लाख करोड़ का नुकसान
Zomato के शेयरों का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर 169.10 रुपये है, जो इसने 16 नवंबर 2021 को छुआ था। उस समय जोमैटो के शेयरों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.33 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया था। हालांकि पिछले कुछ महीनों से शेयरों में जारी लगातार गिरावट के चलते मंगलवार को यह घटकर करीब 31,870 हजार करोड़ रुपये पर आ गया। इस तरह नवंबर 2021 के बाद से जोमैटो के निवेशकों को अब दो तरह के निवेशक तक करीब 1.01 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है।
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क्यों आई जोमैटो के शेयरों में गिरावट
Zomato में यह गिरावट उसके शुरुआती निवेशकों के लिए एक साल का लॉक-इन पीरियड खत्म होने के बाद आया है। इन निवेशकों के पास कंपनी के 78 फीसदी या करीब 613 करोड़ शेयर थे। शनिवार 23 जुलाई को इन निवेशकों के लिए एक साल का लॉक-इन पीरियड खत्म हुआ था। इसके बाद से ही जोमैटो के शेयरों में जबरदस्त बिकवाली देखी जा रही है।
क्या है लॉक इन पीरियड का नियम?
लॉक इन पीरियड का नियम उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनमें प्रमोटर्स नहीं होते हैं। जोमैटो भी ऐसी ही कंपनियों में शामिल है, जिनमें प्रमोटर होल्डिंग्स जीरो है। नियमों के मुताबिक, जिस कंपनी में प्रमोटर्स नहीं होते हैं उनमें IPO से पहले कंपनी के पास मौजूद इक्विटी शेयर कैपिटल एक शेयरों के अलॉटमेंट से एक साल तक लॉक हो जाती है। इस दौरान, ये शेयरहोल्डर अपना एक भी शेयर बेच नहीं सकते हैं।
Jefferies को उम्मीद, 100 रुपये तक जाएगा जोमैटो का शेयर
विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) ने Zomato के शेयरों के लिए Buy रेटिंग देते हुए इसका टारगेट प्राइस 100 रुपए तय किया है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि खराब सेंटीमेंट की वजह से खरीदारी करने का शानदार मौका है। Jefferies को उम्मीद है कि इस सेगमेंट की प्रॉफिटबिलिटी सुधरेगी, इंडस्ट्री का स्ट्रक्चर पहले से ज्यादा बेहतर होगा और आने वाले दिनों में कंपनी कैश बचा पाएगी।
MoneyControl News
First Published: Jul 26, 2022 4:51 PM
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Happy New Year: निवेशकों के लिए वर्ष 2022 का क्या हो संकल्प, जानिए यहां
पिछले दो वर्षों में, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी (Covid-19 Epidemic) के प्रकोप के बाद से, सभी ने किसी न किसी रूप में कोई सबक ज़रूर सीखा है। बदले व्यापार मॉडल (Business Model) और नीतियां, तकनीक दो तरह के निवेशक पर अधिक जोर तथा कुछ और चीजों ने भारतीय इक्विटी बाजार (Equity Market) के प्रति दृष्टिकोण बदल दिया है। वर्ष 2020 की वास्तविकता और 2021 में उसके बाद की उथल-पुथल को अधिकांश निवेशक भूले नहीं होंगे। हमने जो उतार-चढ़ाव देखे हैं, उसके बाद आशा है कि 2022 सभी के लिए स्थिरता और सकारात्मकता की भावना लेकर आएगा।
Happy New Year: निवेशकों के लिए वर्ष 2022 का क्या हो संकल्प, जानिए यहां
सभी असेट क्लास में हो एक्सपोजर
किसी विशेष असेट के लिए निवेशक का एक्सपोजर उसके निवेश उद्देश्य, समय सीमा और क्षेत्र के प्रदर्शन से निर्धारित होता है। जबकि लक्ष्य-आधारित निवेश की अवधारणा भारत के लिए नई नहीं है। निवेशकों को ऐसे उत्पादों को देखने की जरूरत है जो सीधे उनके लक्ष्यों से जुड़े हों। मल्टीकैप और फ्लेक्सी-कैप उत्पादों के आने से निवेशकों को अपेक्षाकृत न्यूनतम जोखिम के साथ लार्ज, मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने की अनुमति मिलती है। यह एक आदर्श वन-स्टॉप निवेश सोल्यूशन बन जाता है। निवेशकों को ऐसे असेट क्लास को शामिल करने की आवश्यकता है जो उनका पैसा बढ़ाने की क्षमता रखते हैं।
रिस्क-टू-रिटर्न प्रोग्रेस चार्ट
जबकि अनजान निवेशक 'जोखिम' को अत्यधिक संकट के संकेत के रूप में देख सकते हैं, लेकिन अनुभवी निवेशक समझते हैं कि 'जोखिम' और 'दो तरह के निवेशक रिटर्न' एक दूसरे के समावेशी हैं। निवेशकों को अपने जोखिम को समझने और अपनी जरूरतों के अनुसार इसे पुनर्संतुलित करने के लिए अपने पोर्टफोलियो को सूक्ष्मता से विभाजित करने की आवश्यकता है। जोखिम-समायोजित रिटर्न यह सुनिश्चित करने के लिए ड्रॉडाउन को मापता है कि जोखिम बीटा-समायोजित रिटर्न के बराबर हो।
पैसिव प्रोडक्ट में अवसरों का लाभ उठाएं
भारत में निवेशक समुदाय के बीच निष्क्रिय निवेश ने अपना उचित महत्व प्राप्त करना शुरू कर दिया है। वे न केवल सेंसेक्स के वेटेज और रिटर्न की नकल करके एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि वे फंड मैनेजर की ओर से कम ट्रैकिंग त्रुटि और किसी भी पूर्वाग्रह को भी सुनिश्चित करते हैं। भारत में, निवेशक ईटीएफ, फंड ऑफ फंड्स और इंडेक्स फंड्स के माध्यम से निष्क्रिय रूप से निवेश कर सकते हैं। अब वे किसी एकल सूचकांक को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं, लेकिन वे विषयगत और क्षेत्र उन्मुख फंड पेश करने के लिए विकसित हुए हैं जो निवेशकों को रिटर्न का वादा करते हैं।
निवेश के उद्देश्यों को रिअसेस करें
पिछले दो वर्षों में चीजें काफी बदली हैं। लोगों की जरूरतें और प्राथमिकताएं भी समय के साथ बदली हैं और नए साल की शुरुआत निवेश उद्देश्यों का मूल्यांकन करने का एक अच्छा समय है। हो सकता है कि आप उच्च शिक्षा की योजना बना रहे हों, या आप परिवार शुरू करने का इरादा रखते हैं, या आप बाजार में नए अवसर के लिए एक कोष का निवेश करना चाहते हैं, तो पुनर्संतुलन की आवश्यकता हो सकती है। यह जरूरी है कि निवेशक वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के आधार पर अपने उद्देश्यों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए अपने पोर्टफोलियो पर नज़र डालें।
होम-बेस से परे विस्तार करें
भारतीय इक्विटी बाजार निश्चित रूप से निवेशकों के लिए नए और अभिनव अवसर प्रदान करने के लिए विकसित हो चुका है। हालांकि, वैश्विक बाजारों में एक्सपोजर के फायदों पर विचार करने की जरूरत है, खासकर यदि आप जोखिम के अपेक्षाकृत उच्च जोखिम को समायोजित करने की स्थिति में हैं। उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के पास ऐसे कई रास्ते हैं जिन पर निवेशक लंबी अवधि के धन सृजन के अवसरों का लाभ उठाने पर विचार कर सकते हैं। निवेशक इनमें फंड ऑफ फंड्स आदि के जरिए निवेश कर सकते हैं।
इमर्जेंसी के लिए निवेश करें
महामारी से सबसे बड़ी सीख यह मिली है कि जीवन में किसी भी चीज़ या घटना के बारे में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। जब आप लगभग निश्चित हो जाते हैं कि चीजें वापस सामान्य हो गई हैं, ऐसे समय में भी सबसे बुरी आपदाएं आ सकती हैं। इस मामले में, केवल एक चीज जो हम कर सकते हैं वह है बॉय स्काउट्स के आदर्श वाक्य 'तैयार रहें' का पालन करना। इमर्जेंसी फंड में निवेश करना बेहद महत्वपूर्ण है जिससे निवेशक को कम समय में अर्थसुलभता मिल सकेगी। इसके लिए किसी ओवरनाइट फंड, लिक्विड फंड, लो ड्यूरेशन डेट फंड या फ्लोटर फंड पर विचार किया जा सकता है।
क्वालिटी से समझौता नहीं करें
जैसे-जैसे दुनिया नये नॉर्मल के अनुरूप स्वयं को ढाल रही है, कोई भी निवेशकों से अच्छे मूल्यांकन और दीर्घकालिक रिटर्न को प्राथमिकता देने की उम्मीद कर सकता है जो उनके उद्देश्य को पूरा करेगा। सभी कंपनियां या सेक्टर वो वैल्यूएशन नहीं देंगे जो वो वर्तमान में ट्रेडिंग कर रहे हैं। यह आवश्यक है कि हम 'गुणवत्तापूर्ण' निवेश पर ध्यान केंद्रित करें जो लंबी अवधि में धन सृजन के अवसर प्रदान करते हैं।
यूएस स्टॉक्स में करते हैं निवेश तो जान लें इनकम टैक्स से जुड़े ये पहलू भी
भारतीय निवेशक (Indian Investor) अब विदेशी शेयर बाजारों, खास कर यूएस स्टॉक्स (US Stocks) में भी निवेश के लिए इच्छुक हो रहे हैं। दो तरह के निवेशक निवेशकों ने अमेरिकी बाजारों के रेसिलिएंस और बेहतर प्रदर्शन को देखा है। अब ये निवेश वैसे बाजारों में प्रवेश करना चाह रहे हैं और वहां के बेहतर रिटर्न (Good Return) पाना चाह रहे हैं।
यूएस स्टॉक्स में करते हैं निवेश तो जान लें इनकम टैक्स से जुड़े ये पहलू भी
टैक्स दो कारकों पर निर्भर है
भारतीय निवेशकों (Indian Investors) द्वारा यूएस स्टॉक (US Stocks) से की गई कमाई पर कर देनदारी दो कारकों पर निर्भर है। पहली कमाई की प्रकृति और दूसरा भारत में आवासीय स्थिति (Resident Status)। कमाई की स्थिति में शेयरों के निवेश पर मिलने वाला लाभांश और पूंजीगत लाभ जैसे कारक महत्वपूर्ण हैं। आवासीय स्थिति में रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट का कारक महत्वपूर्ण है।
लाभांश से हुई कमाई
आप यूएस स्टॉक्स में अपना निवेश करके दो तरह की 'आय' अर्जित कर सकते हैं। पहला है लाभांश। यदि आपको अमेरिका में सूचीबद्ध स्टॉक या ईटीएफ से लाभांश मिलता है, तो यूएस में आपको सीधे 25% कर चुकाना होगा। यह अमेरिका और भारत के बीच कर-समझौता के चलते दूसरे देश के निवेशक की तुलना में कम है। इसके साथ ही आपको लाभांश से होने वाली इस तरह की आमदनी के लिए भारत में भी आयकर चुकाना होगा। यह लागू स्लैब रेट के अनुसार देय होगा। अच्छी बात यह है कि आप भारत में अपनी कर देनदारी को अमेरिका में चुकाये गये कर से पूरा कर सकेंगे, क्योंकि अमेरिका और भारत के बीच डबल टैक्सेशन एवॉयडेंस एग्रीमेंट (दो तरह के निवेशक डीटीएए) है। इससे आप अमेरिका में चुकाये गये कर को भारत में देय कर से समायोजित कर सकते हैं।
पूंजीगत लाभ
यदि आप यूएस में किसी होल्डिंग की बिक्री करते हैं, तो आप पूंजी वृद्धि के रूप में आय प्राप्त करते हैं। लाभ की राशि, प्रतिभूति के 'विक्रय मूल्य - अधिग्रहण लागत' के बराबर होगी। सौभाग्यवश, अमेरिका में विदेशी नागरिकों के लिए पूंजी वृद्धि पर कोई कर लागू नहीं है। हालांकि, आपको भारत में उस पूंजी वृद्धि पर कर का भुगतान करना होगा और आपकी कर देनदारी आपकी पूंजी वृद्धि की श्रेणी पर निर्भर है। यदि आप शेयर खरीदने के 24 महीने के बाद बेचते हैं तो यह दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि की श्रेणी में रखी जायेगी और लागत के सूचीकरण के बाद उस पर 20% कर (और लागू सेस व सरचार्ज) चुकाना होगा। यदि 24 महीने से कम अवधि में बेच देते हैं तो यह अल्पकालिक पूंजी वृद्धि की श्रेणी में रखी जायेगी। उसे आपकी सामान्य आय में जोड़ दिया जायेगा जिसके लिए आप पर लागू स्लैब रेट के अनुसार कर देय होगा।
आवासीय स्थिति
भारतीय आयकर के संदर्भ में, व्यक्ति की आवासीय स्थिति तीन अलग-अलग वर्गों में विभाजित है। पहला रेजिडेंट और ऑर्डिनरी रेजिडेंट (आरओआर)। आरओआर के लिए, वैश्विक आय पर भारत में कर देय है। इस प्रकार, आपको यूएस स्टॉक होल्डिंग्स से आपको हुई पूरी कमाई पर भारत में कर चुकाना होगा। दूसरा, रेजिडेंट बट नॉट ऑर्डिनरिली रेजिडेंट (RNOR) और नॉन-रेजिडेंट (NRI)। आरएनओआर और एनआरआई के लिए, विदेशी आय पर उसी स्थिति में कर देय है यदि यह भारत में प्राप्त होती है, या भारत से नियंत्रित व्यवसाय या यहां स्थापित किसी पेशे से भारत में आय जमा होती है। इस प्रकार, यदि आप आरएनओआर या एनआरआई हैं, तो आपको यूएस स्टॉक्स से होने वाली केवल उसी कमाई पर कर चुकाना होता है जो आपको भारत में प्राप्त होती है या फिर जो भारत में नियंत्रित या स्थापित बिजनेस से होती है, जैसे कि इंफोसिस, टाटा मोटर्स आदि।
निवेश की पाठशाला: स्टॉक खरीदने से पहले कैसे करें होमवर्क, किन बातों का रखें ध्यान? जानिए जरूरी बातें
Share Market: जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 15, 2022, 11:55 IST
हाइलाइट्स
स्टॉक खरीदने से पहले फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस जरूर दो तरह के निवेशक करें.
विभिन्न लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश की अवधि तय करें.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन और बड़े निवेशकों की हिस्सेदारी के बारे में पता लगाएं.
मुंबई. शेयर बाजार में पैसा बनाना आसान है लेकिन बिना जानकारी के भारी आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है. जब भी आप निवेश के उद्देश्य से स्टॉक खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो इससे पहले होमवर्क जरूर करें. क्योंकि आप अपनी मेहनत की कमाई को बाजार में निवेश कर रहे हैं. किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदने के लिए दो तरह के एनालिसिस करने होते हैं. पहला फंडामेंटल और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस होता है. फंडामेंटल में कंपनी के बिजनेस और प्रॉफिट समेत कई पहलुओं दो तरह के निवेशक का अध्ययन किया जाता है. वहीं, टेक्निकल एनालिसिस में स्टॉक के प्राइस को देखकर बाय और सेल की रणनीति बनाई जाती है.
जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
निवेश की अवधि
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले आपको अपने निवेश की अवधि तय करनी होगी. आप कम, मध्यम और लंबी अवधि के लिए किसी भी स्टॉक में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, यह अवधि आपके आर्थिक लक्ष्यों पर निर्भर करती है. ज्यादातर लंबी अवधि का निवेश स्टॉक मार्केट में बेहतर रिटर्न देता है. यह अवधि 5 से 10 साल तक हो सकती है.
कंपनी के फंडामेंटल चेक करें
हर निवेशक को शेयर खरीदने से पहले फंडामेंटल दो तरह के निवेशक चेक कर लेना चाहिए. इसमें कंपनी का कारोबार और उसकी ग्रोथ के बारे में जानें. आखिर कंपनी क्या बिजनेस करती है और भविष्य में इस बिजनेस को लेकर क्या संभवानाएं हैं. वहीं, कंपनी इस सेक्टर में अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले कहां खड़ी है.
कंपनी के प्रोमोटर कौन हैं और उन्हें कंपनी के बिजनेस मॉडल को लेकर कितना अनुभव है. इसके अलावा कंपनी का शेयर होल्डिंग पैटर्न का अध्ययन भी करना चाहिए कि आखिर कंपनी में प्रोमोटर, रिटेल निवेशक और घरेलू व विदेशी संस्थागत निवेशकों की कितनी हिस्सेदारी है. माना जाता है कि कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न में विभिन्नता होनी चाहिए और ऐसे ही कंपनी के शेयर खरीदना चाहिए.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन
किसी भी शेयर को खरीदने से पहले निवेशक को यह भी देखना चाहिए कि समकक्ष कंपनियों के शेयर की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है. इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न प्लेटफॉर्म की मदद से आप यह तुलना कर सकते हैं. इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस बहुत करना जरूरी हो जाता है.
टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के चार्ट की स्टडी करके हर रोज, साप्ताहिक और मासिक अवधि में स्टॉक के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में पता लगाया जाता है. इसके जरिए आप शेयर के भाव की एक रेंज के बारे में जान सकते हैं कि विभिन्न अवधि में यह शेयर किसी भाव के आसपास रहता है. स्टॉक का प्राइस कहां सपोर्ट बनाता है और कहां रजिस्टेंस बनाता है. इस आधार पर किसी भी शेयर को सही कीमत पर खरीद सकते हैं और अच्छा रिटर्न मिलने पर बेच सकते हैं.
म्यूचुअल फंड और अन्य बड़े निवेशकों की खरीदी
हर रिटेल इन्वेस्टर किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले यह जानना चाहता है कि बड़े निवेशक जैसे- म्यूचुअल फंड हाउस, विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी कितनी है. दरअसल बड़े निवेशक किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले बहुत अध्ययन करते हैं इसलिए आम निवेशक को लगता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा खरीदे गए शेयर निवेश के लिए ज्यादा सही और बेहतर होते हैं.
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