बिटकॉइन में लगे पैसे का क्या होगा, क्रिप्टोकरेंसी पर मोदी सरकार के बिल में क्या है: जानिए सब कुछ

टेस्ला के निवेश के बाद, Bitcoin की कीमत बढ़कर 11 लाख रुपये हुई; समझिए क्यों है इतना महंगा? और यह कैसे काम करता है? Read it later

इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने Bitcoin में निवेश किया है। कंपनी भविष्य में बिटकॉइन को भुगतान विकल्प के रूप में भी स्वीकार करेगी। वहीं, ट्विटर अपने कर्मचारियों और विक्रेताओं को बिटकॉइन में भुगतान करने के बारे में भी सोच रहा है।

टेस्ला ने बिटकॉइन में 11 हजार करोड़ का निवेश किया

टेस्ला ने पिछले महीने अपनी निवेश नीति को अद्यतन किया। इसमें कंपनी ने कहा है कि वह कुछ वैकल्पिक आरक्षित संपत्तियों में भी निवेश करेगी। इनमें डिजिटल एसेट्स, गोल्ड बुलियन, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स भी शामिल हैं। इसके लिए कंपनी ने 1.5 बिलियन डॉलर यानी लगभग 11 हजार करोड़ रुपए Bitcoin में लगाए हैं। आगे भी ऐसी कई डिजिटल परिसंपत्तियों में निवेश किया जाएगा।

11 दिनों में एक बिटकॉइन की कीमत में 11 लाख रुपये की क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? वृद्धि हुई

टेस्ला की घोषणा के बाद से Bitcoin की दरें लगातार बढ़ रही हैं। समझा जा सकता है कि 1 फरवरी को एक बिटकॉइन की कीमत 33 हजार डॉलर यानी लगभग 24 लाख रुपये थी। वहीं, 11 फरवरी को एक बिटकॉइन की कीमत 48 हजार डॉलर यानी लगभग 35 लाख रुपये के बराबर पहुंच गई।

बिटकॉइन दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है

बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है। वर्तमान में दुनिया में 4 हजार से अधिक क्रिप्टोकरेंसी हैं। बिटकॉइन उनमें से सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोक्यूरेंसी है। हर बिटकॉइन लेनदेन को ब्लॉकचेन के माध्यम से सार्वजनिक सूची में दर्ज किया जाता है। जो विकेंद्रीकृत तरीके से विभिन्न उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जाने वाला एक रिकॉर्ड रखरखाव प्रणाली है।

Cryptocurrency एक तरह की वर्चुअल करेंसी है। Bitcoin इसके ब्रांडों में से एक है। यह समझा जा सकता है कि अगर क्रिप्टोक्यूरेंसी कोला है तो बिटकॉइन पेप्सी है।

अब आप कहेंगे कि रुपया, डॉलर सब दिख रहा है, मैं क्रिप्टोकरेंसी को कैसे समझूं? तो यह एक प्रकार का जटिल कम्प्यूटरीकृत कोड है जिसे कॉपी नहीं किया जा सकता है।

बिटकॉइन की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?

टेस्ला के निवेश के बाद ऐसी चर्चाओं को गति मिली है कि दुनिया भर की सरकारें Bitcoin को कानूनी निविदा के रूप में स्वीकार कर सकती हैं। इस कारण इसकी मांग बढ़ गई है। अधिक मांग और कम आपूर्ति के कारण इसकी कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। इस कारण से, मार्च 2020 से जनवरी 2021 के बीच बिटकॉइन की कीमत में 414% की वृद्धि हुई।

क्रिप्टोकरेंसी करेंसी नहीं एसेट है

क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज के रूप में काम करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि लोग क्रिप्टोक्यूरेंसी को पैसा मानते हैं। इसके नाम पर एक मुद्रा हो सकती है, लेकिन यह एक संपत्ति है। यह उसी तरह की संपत्ति है जिस तरह से आप सोने या स्टॉक का संरक्षण करते हैं।

बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का अर्थशास्त्र भी सोने की तरह डिज़ाइन किया गया है। सोने का मूल्य इसलिए है क्योंकि इसका उत्पादन हर साल दो प्रतिशत बढ़ता है। बिटकॉइन में इसी तरह के अर्थशास्त्र का निर्माण किया गया है। बिटकॉइन केवल 21 मिलियन हो सकता है। इसलिए इसका मूल्य बहुत अधिक है।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं। हम सभी ने सुना है कि सोने और जमीन में निवेश कभी घाटे का सौदा नहीं है। इन्हें खरीदा जाना चाहिए। उनकी कीमत घटने के बजाय बढ़ जाती है। जरूरत के समय में ये हमारे लिए उपयोगी हैं। क्रिप्टोक्यूरेंसी व्यापार में काम करने वाले विशेषज्ञ इसे कुछ इसी तरह कहते हैं। वे कहते हैं कि यह आभासी सोना है।

सिक्याेरिटी, यूटिलिटी टोकन के तौर पर भी काम कर रही क्रिप्टोकरेंसी

कुछ कंपनियां प्रतिभूतियों की क्रिप्टोकरेंसी को रोल आउट कर रही हैं। इसका अर्थशास्त्र एक हिस्से की तरह है। यदि आप ऐसी क्रिप्टोक्यूरेंसी लेते हैं, तो आपके वॉलेट में शेयर के स्थान पर क्रिप्टोक्यूरेंसी दिखाई देगी। इसका मूल्य शेयर की तरह घटता हुआ दिखाई देगा।

कुछ क्रिप्टोकरेंसी भी उपयोगिता टोकन की तरह काम करती हैं। इसे ऐसे समझा जा सकता है जैसे अगर आपको गो-इबीबो, स्टारबक्स पॉइंट मिलते हैं, तो आप इन जगहों पर जाकर उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। आप न तो उन्हें किसी अन्य स्थान पर जाकर उपयोग कर सकते हैं, और न ही आप उन्हें कहीं और बेच सकते हैं। उपयोगिता टोकन क्रिप्टोक्यूरेंसी में भी ऐसा ही होता है।

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वज़ीरएक्स के एवीपी मार्किंग परिन कहते हैं- अगर आप इसे खरीदना चाहते हैं, तो आप इसके एक्सचेंज में जाकर इसे खरीद सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि इसे किसी बड़े एक्सचेंज में जाकर ही खरीदें। ये एक्सचेंज आपसे केवाईसी के लिए पूछते हैं। केवाईसी नहीं मांगने वाले एक्सचेंजों से क्रिप्टोकरेंसी खरीदना खतरनाक हो सकता है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर अब तक क्या हुआ है?

अप्रैल 2018 में, RBI ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन मार्च 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत ठहराया। इसके बाद, कई विशेषज्ञों को लगता है कि आने वाले समय में देश में क्रिप्टोक्यूरेंसी लेनदेन कानूनी हो सकता है। उसी महीने, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा को बताया कि केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने सरकार द्वारा जारी आभासी मुद्रा को छोड़कर सभी प्रकार की निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है।

सरकार की क्रिप्टोकरेंसी के बारे में क्या दुविधा है?

कई प्लेटफ़ॉर्म हैं जहां आप अपनी पहचान बताए बिना क्रिप्टोक्यूरेंसी खरीद या बेच सकते हैं। यह सरकार की सबसे बड़ी चिंता है। इस तरह के लेनदेन से आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा भी होता है।

इस कारण क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? से, कई साइबर क्रिमिनल क्रिप्टोकरंसी की फिरौती के रूप में मांग करते हैं। इसमें, उनकी पहचान भी नहीं की जाती है और उन्हें ट्रैक नहीं किया जा सकता है।

सरकार की चिंता पर, यूनिकॉइन के क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? सह-संस्थापक और सीईओ, सात्विक विश्वनाथ, जो एक कोको ई के रूप में काम कर रहे हैं

बिटकॉइन में लगे पैसे का क्या होगा, क्रिप्टोकरेंसी पर मोदी सरकार के बिल में क्या है: जानिए सब कुछ

वित्त मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने हाल ही में क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन और बीएसीसी के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित लोगों से बैठकों के बाद यह प्रस्ताव दिया था कि क्रिप्टो करेंसी को सीधे तौर पर बैन न करके उनका नियमन किया जाना चाहिए।

क्रिप्टोकरेन्सी बिल

बिटकॉइन में लगे पैसे का क्या होगा, क्रिप्टोकरेंसी पर मोदी सरकार के बिल में क्या है: जानिए सब कुछ

केंद्र सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार क्रिप्टो करेंसी के नियमन और नियंत्रण सम्बंधित बिल लाने वाली है। निजी क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित/बंद करने के आलावा सरकार द्वारा लाए जाने वाले बिल का उद्देश्य भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्तावित आधिकारिक डिजिटल करेंसी के नियमन हेतु एक कानूनी रूपरेखा तैयार करना होगा। इसके साथ ही पिछले कुछ वर्षों से क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग, उसके इस्तेमाल और उसपर सरकारी नियंत्रण को लेकर व्याप्त संशय दूर किया जा सकेगा।

ज्ञात हो कि क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग और उसमें निवेश के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? ही में क्रिप्टोकरेंसी, उसके चलन और उससे सम्बंधित अन्य विषयों पर संज्ञान लेने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी के साथ बैठक की थी।

प्रस्तावित बिल का उद्देश्य सरकार द्वारा बताए जाने के बावजूद क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग और उनमें निवेश को लेकर पहले से व्याप्त भ्रम के और बढ़ने की संभावना है। कुछ लोगों का मानना है कि निजी क्रिप्टो करेंसी पर देश में पूरी तरह से बैन लगना चाहिए। वहीं अन्य का यह मानना है कि क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से बैन न लगाकर कानून की सहायता से उनके इस्तेमाल, ट्रेडिंग और उनमें निवेश सम्बंधित नियम बनाकर उसे जारी रहने देना चाहिए। सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल 2021’ के संसद में लाने से क्रिप्टो करेंसी से सम्बंधित ऐसे तमाम प्रश्नों के उत्तर मिलने की संभावना है।

विज्ञप्ति के अनुसार बिल का उद्देश्य; भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्तावित और भविष्य में जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल करेंसी के चलन हेतु नियम बनाना है। साथ ही बिल में; देश में डिजिटल करेंसी संबंधित बुनियादी तकनीक को प्रोत्साहित करने वाली क्रिप्टो करेंसी को छोड़कर अन्य सभी तरह के निजी डिजिटल करेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। हालाँकि, सरकार की ओर से निजी क्रिप्टो करेंसी को अभी तक परिभाषित नहीं किया गया है पर अनुमान लगाया जा रहा है कि वे क्रिप्टो करेंसी जो उनके इस्तेमाल करने वालों की जानकारी गुप्त रखती हैं, उनके इस्तेमाल, ट्रेडिंग और उसमें निवेश पर इस बिल में प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रहेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार निजी क्रिप्टो करेंसी पर सीधे तौर पर प्रतिबंध के परिणामस्वरूप भारत में चल रहे क्रिप्टो एक्सचेंज का ऑपरेशन बंद हो जाएगा। इसी वर्ष सितंबर में जब चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर सीधा प्रतिबंध लगाया था तब हूओबी ने चीन में अपना ऑपरेशन बंद कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी कारणों से क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग, उनके इस्तेमाल और उनमें निवेश संबंधी नियम कठिन है और इसी वजह से सरकार निजी क्रिप्टो करेंसी को सीधे तौर बैन कर देगी।

यही वजह है कि क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों के बीच यह संशय बना हुआ है कि निजी क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार की योजना क्या रहेगी? यदि बिल में निजी क्रिप्टो करेंसी पर सीधे तौर पर बैन का प्रस्ताव रहेगा तो सरकार उनमें निवेश करने वालों को राहत देने के लिए क्या करेगी? एक अनुमान के अनुसार क्रिप्टो करेंसी में करीब 6 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश है।

हाल के दिनों में भारत में क्रिप्टो करेंसी में निवेश और ट्रेडिंग को लेकर लगातार हो रहे विज्ञापनों की वजह से केवल सरकार ही नहीं आर्थिक विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की थी। वित्त मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने हाल ही में क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन और बीएसीसी के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित लोगों से बैठकों के बाद यह प्रस्ताव दिया था कि क्रिप्टो करेंसी को सीधे तौर पर बैन न करके उनका नियमन किया जाना चाहिए। दूसरी ओर भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से क्रिप्टो करेंसी पर सीधे तौर पर बैन लगाने के प्रस्ताव है। भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांति दास के अनुसार क्रिप्टो करेंसी किसी भी देश की वित्तीय प्रणाली के लिए संकट पैदा कर सकते हैं।

चीन में क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से बैन है। चीन का सेंट्रल बैंक क्रिप्टो करेंसी से लेन देन को अवैध घोषित कर चुका है। चीन के अलावा नाइजीरिया, तुर्की, बोलीविया, क़तर, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, विएतनाम जैसे देशों में क्रिप्टो करेंसी पर सम्पूर्ण बैन है। प्रस्तावित बिल जब संसद में पेश होगा तब भारत में क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार का दृष्टिकोण साफ़ हो जाएगा। साथ ही बिल पर बहस में ढेरों ऐसे तथ्यों के सामने आने की संभावना है जिन्हें लेकर अभी तक लोगों में संशय और भ्रम की स्थिति है।

ऐसे समय में जब विश्व की अर्थव्यवस्था को कोरोना जैसी महामारी की वजह बड़ा धक्का लगा है, यह तय करना आवश्यक है कि वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था का किसी और संकट से सामना न हो। ऐसे में क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक का फैसला चाहे जो हो, उस पर कानून और नियम बनाने का प्रस्ताव उचित दिशा में सही कदम है और इसका स्वागत होना चाहिए।

BITCOIN: शुद्ध काली कमाई को TAX लेकर सफेद करेगी सरकार ? | BUSINESS NEWS

नई दिल्ली। बिटकॉइन के मामले में भारत सरकार (GOVT OF INDIA) की पॉलिसी पर सवाल उठ गए हैं। RBI ने बिटकॉइन को अवैध डिजिटल करेंसी (ILLEGAL DIGITAL CURRENCY) बताया है। स्वभाविक है इससे होने वाली INCOME को BLACK MONEY माना जाना चाहिए और उसे जब्त कर लिया जाना चाहिए परंतु आयकर विभाग ने बिटकॉइन में पैसा लगाने वाले लाखों INVESTORS को TAX वसूली के नोटिस भेज दिए हैं। यदि उन्होंने नोटिस के आधार पर टैक्स जमा करा दिया तो बिटकॉइन से हुई काली कमाई, सफदे (LEGAL) हो जाएगी। यह तो बिटकॉइन जैसे अंधे कारोबार में निवेश को प्रोत्साहन देना हुआ।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि अब विभाग इस तरह के निवेश पर कर वसूली का प्रयास कर रहा है। चंद्रा ने कहा, कर अधिकारियों के संज्ञान में आया है कि इस तरह के कई निवेशकों ने उन्हें हुए लाभ पर अग्रिम कर नहीं दिया है। वहीं कुछ दूसरों ने पिछले कर रिटर्न में इसके बारे में स्पष्ट नहीं किया है।

विभाग ने पिछले साल दिसंबर में इन एक्सचेंजों में अखिल भारतीय स्तर पर सर्वे किया था। उन्होंने कहा, हमने ऐसे कई निवेशकों को नोटिस भेजे हैं। इनमें से कई ने कर अदा करने की सहमति दी है। जहां तक बिटकॉइन में किए गए निवेश का सवाल है, हम निश्चित रूप से उनसे कर वसूलेंगे। सीबीडीटी प्रमुख ने नोटिसों की संख्या के बारे में पूछा गया, तो यह कुछ लाख हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल अपने बजट भाषण में कहा था कि बिटकॉइन सहित सभी क्रिप्टो मुद्राएं गैरकानूनी हैं और सरकार उन्हें समाप्त करने के लिए पूरा प्रयास करेगी। एक अन्य सवाल के जवाब में चंद्रा ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि विभाग चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रहण के लक्ष्य को न केवल हासिल करेगा, बल्कि इसे पार भी करेगा।

उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था काफी बेहतर स्थिति में है। अग्रिम कर भुगतान की आखिरी तिमाही तीसरी तिमाही से कहीं बेहतर रहेगी। जिस तरह से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, आखिरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर है, कोई नकारात्मक पहलू नहीं हैं, निश्चित रूप से हमें अधिक अग्रिम कर हासिल होगा। आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष में 9.8 लाख करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर संग्रहण का लक्ष्य रखा है।

सूत्रों ने कहा कि कर अधिकारियों ने आयकर कानून की धारा 133 ए के तहत बिटकॉइन एक्सचेंजों का सर्वे किया है। इसके पीछे मकसद निवेशकों और कारोबारियों की पहचान के बारे में पता करना, उनके द्वारा किए गए लेनदेन, संबंधित बैंक खातों तथा अन्य जानकारियों का पता लगाना है। पिछले साल जेटली ने संसद को सूचित किया था कि भारत में आभासी मुद्राओं की निगरानी के लिए कोई नियमन नहीं हैं। साथ ही रिजर्व बैंक ने इस तरह की मुद्राओं के परिचालऩ के लिए किसी इकाई या कंपनी को कोई लाइसेंस नहीं दिया है।

क्रिप्टोकरेंसी पर मोदी सरकार का नया बिल निवेशकों को राहत देगा या नुकसान?

देश में 2013 में शुरू हुई क्रिप्टोकरंसी अपने शुरुआत से ही सुरक्षा कारणों के चलते सवालों के घेरे में रही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में क्रिप्टोकरंसी धारकों की संख्या डेढ़ से दस करोड़ के बीच हो सकती है, जिसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी गई है। भारत सरकार के इस आदेश ने क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? इन लोगों के निवेश को खतरे में डाल दिया है।

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‘‘ये महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में ना जाए, जो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है।’’

क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते गुरुवार, 18 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया की ओर से आयोजित ‘‘सिडनी संवाद’’ में ये बातें कहीं थी। पीएम मोदी ने सभी लोकतांत्रिक देशों से साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया था कि वे क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में ना जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। उन्होंने डिजिटल क्रांति से उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए समान सोच वाले देशों के एकजुट होने की आवश्यकता पर भी बल दिया था। पीएम मोदी के इस भाषण के बाद देश में क्रिप्टोकरंसी के भविष्य को लेकर बहस एक बार फिर तेज़ हो गई थी।

दरअसल, देश में बीते कुछ समय से क्रिप्टोकरंसी को लेकर संशय का माहौल बना हुआ है। कई लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या भारत सरकार निजी क्रिप्टोकरंसी को बैन कर देगी। अब इसी कश्मक्श के बीच मंगलवार को लोकसभा ने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के लिए तैयार की गई अपनी विधायी कार्य योजना की जानकारी सार्वजनिक की। जिसमें क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल मुद्रा पर क़ानून बनाने का बिल भी दर्ज है। इस बिल को क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021 नाम दिया गया है।

देश में सभी डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी पर लग सकता है प्रतिबंध?

लोकसभा की कार्य योजना के मुताबिक इस बिल को लाने का उद्देश्य भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक व्यवस्था तैयार करना और देश में सभी डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना है।

बता दें कि 2018 में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकार को 'कोई निर्णय लेते हुए इस मामले पर क़ानून बनाना चाहिए।' जिसके बाद पिछले एक साल में देश के भीतर क्रिप्टोकरंसी का बाजार बहुत ज्यादा बढ़ा है। भारत क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध का ऐलान करने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। इससे पहले सितंबर में चीन ने क्रिप्टोकरंसी में हर तरह के लेनदेन को अवैध करार दे दिया था।

क्या है पूरा मामला?

क्रिप्टोकरेंसी को अगर आसान भाषा में समझेें तो ये किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन मुद्रा है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके ज़रिए व्यापार होता है। इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती है। यही कारण है कि इसकी सुरक्षा हमेशा सवालों के घेरे में रही है। केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने इस साल फिर से डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया है।

आरबीआई जारी करेगा अपनी डिजिटल करेंसी!

मीडिया में आई खबरों की मानें तो आरबीआई काफ़ी समय से अपनी डिजिटल करेंसी जारी करने की दिशा में सोच रहा है, लेकिन यह अभी तक तय नहीं है कि इसका पायलट प्रॉजेक्ट कब तक शुरू होगा। अभी तक इस बिल की सटीक रूपरेखा सार्वजनिक नहीं की गई है और न ही इस पर कोई सार्वजनिक तौर पर विचार-विमर्श हुआ है।

वित्त मंत्रालय काफ़ी समय से इस बिल पर कुछ नहीं बोल रहा है और ऐसा माना जा रहा है कि यह बिल अगस्त क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? से ही मंत्रिमंडल की अनुमति के लिए तैयार है। इस बिल को लेकर काफ़ी सवाल जुड़े हुए हैं क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी में काफ़ी लोगों का निवेश है। अगर सरकार सभी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित कर देती क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? है, तो उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने निवेश किया हुआ है।

'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक़ बीती 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी पर नियम बनाने को लेकर एक बैठक की थी, जिसमें केंद्रीय बैंक, गृह और वित्त मंत्रालय के आला अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक के दौरान यह सहमति बनी है कि 'बड़े-बड़े वादों और ग़ैर-पारदर्शी विज्ञापनों से युवाओं को गुमराह करने क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? की कोशिशों' को रोका जाए। इसी दौरान यह भी पाया गया कि अनियंत्रित क्रिप्टो मार्केट मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फ़ंडिंग के लिए इस्तेमाल हो सकती है। इसी कारण सरकार इस क्षेत्र के लिए तेज़ी से क़दम उठाने को दृढ़ संकल्प है।

मालूम हो कि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टोकरेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है। चेनालिसिस नामक संस्था के मुताबिक पिछले एक साल में देश के भीतर क्रिप्टोकरंसी में निवेश करीब 600 प्रतिशत बढ़ा है।

करोड़ों निवेशकों के भविष्य खतरे में?

एक अनुमान के मुताबिक एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में क्रिप्टोकरंसी धारकों की संख्या डेढ़ से दस करोड़ के बीच हो सकती है। इसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी गई है। भारत सरकार के इस आदेश ने इन लोगों के निवेश को खतरे में डाल दिया है। ससंदीय बुलेटिन के मुताबिक नए लोकसभा सत्र में लाए जाने वाले बिल में अपवाद के तौर पर कुछ विकल्प भी होंगे ताकि क्रिप्टो तकनीक को बढ़ावा दिया जाए। लेकिन इस बिल के बारे में कोई और जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है।

गौरतलब है कि भारत में 2013 में क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत हुई थी, लेकिन तब भी से इसे लेकर संदेह जाहिर किए जाते रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा विवादास्पद नोटबंदी करने के बाद क्रिप्टोकरंसी के जरिए लेनदेन में धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। बीते कुछ महीनों में भारत में क्रिप्टोकरंसी के विज्ञापनों की बाढ़ आ गई थी। कॉइनस्विचकूबर, कॉइनडीसीएक् और अन्य घरेलू क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज टीवी चैनलों, वेबसाइटों और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर जमकर विज्ञापन दे रहे थे। माना जा रहा है कि सरकार ने इन सभी को ध्यान में रखते हुए इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखने का फैसला लिया है। ऐसे में अब ये बिल निवेशकों को कितनी राहत देगा या उन्हें कितना नुकसान देगा ये देखना होगा।

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