Costliest Currencies of World: ये है दुनिया की 5 सबसे महंगी करेंसी, डॉलर और पाउंड भी हैं इनके सामने फेल
कई लोग यह मानने की गलती कर देते हैं कि डॉलर ही दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है। दुनिया के कई देश हैं जिनकी करेंसी डॉलर से कहीं ज्यादा महंगी है।
Edited by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: May 20, 2022 16:38 IST
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Highlights
- दुनिया के कई देश हैं जिनकी करेंसी डॉलर से कहीं ज्यादा महंगी है पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है?
- इनमें से अधिकतर खाड़ी के देश हैं जहां तेल के अकूत भंडार मौजूद हैं
- कुवैती दिनार को किसी भी देश की सबसे महंगी करेंसी माना जाता है
Costliest Currencies of World: दुनिया भर में जब हम करेंसी का जिक्र करते हैं तो पहला नाम डॉलर का आता है। वास्तव में देखा जाए तो मौजूदा दौर में पूरी दुनिया अमेरिकी डॉलर के इर्दगिर्द घूम रही है। बुधवार को ही भारतीय रुपया 77.60 प्रति डॉलर के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं पाकिस्तान में डॉलर के दाम 200 रुपये के पार निकल गए हैं। डॉलर महंगा होने पर हमारे देश में आयातित चीजों की महंगाई आसमान छूने लगती है।
जब डॉलर इतना लोकप्रिय है, तो ऐसे में कई लोग यह मानने की गलती कर देते हैं कि डॉलर ही दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है। दुनिया के कई देश हैं जिनकी करेंसी डॉलर से कहीं ज्यादा महंगी है। यानि आपको इन देशों की करेंसी खरीदने के लिए जाते हैं तो आपको एक से ज्यादा डॉलर खर्च करने होंगे। ऐसे में भारतीय रुपये से इनकी तुलना करनी बेमानी होगी। खास बात यह भी है इनमें से अधिकतर खाड़ी के देश हैं जहां तेल के अकूत भंडार मौजूद हैं। आइए जानते हैं दुनिया की 5 सबसे महंगी करेंसी के बारे में और यह पता लगाते हैं कि ये इतनी महंगी क्यों है।
1. कुवैती दिनार
कुवैती दिनार को किसी भी देश के द्वारा जारी की गई सबसे महंगी करेंसी माना जाता है। डॉलर में इसका 3.30 डॉलर है। यानि कि आपको सवा तीन डॉलर खर्च करने पर 1 कुवैती दिनार मिलेगा। दरअसल इसकी मजबूती के दो कारण है, पहला यह कुवैत ने अपनी करेंसी के दाम एक करेंसी बास्केट के अनुरूप फिक्स कर रखे हैं। यहां रेट भारत या अन्य दूसरी करेंसी की तरह रोज मनी मार्केट में तय मूल्य के आधार पर बदलते नहीं हैं। दूसरा यह कि कच्चे तेल की बिक्री के चलते इसके पास डॉलर के बड़े भंडार मौजूद हैं।
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2. बहरीनी दिनार
दुनिया की दूसरी सबसे महंगी करेंसी बहरीनी दिनार है। डॉलर से मुकाबला करें तो 1 बहरीनी दिनार को खरीदने में आपको 2.66 अमरीकी डॉलर खर्च रने होंगे। दुनिया के बड़े तेल उत्पादक होने के चलते बहरीन की करेंसी काफी मजबूत है। यहां भी करेंसी की कीमत फिक्स रखी गई है। खास बात यह है कि बहरीन भी सऊदी रियाल को आधिकारिक करेंसी के रूप में स्वीकार करता है। दो मुद्राओं के बीच वर्तमान विनिमय दर 9.95 रियाल से एक दिनार है।
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3. ओमानी रियाल
एक और तेल उत्पादक देश और एक और मजबूत करेंसी। ओमानी रियाल दुनिया की तीसरी सबसे महंगी पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? करेंसी है। एक ओमानी रियाल के लिए आपको 2.6 अमरीकी डॉलर खर्च करने होंगे। नोट इतना कीमती हो गया है कि सरकार को 1/4 और 1/2 रियाल के नोट जारी करने पड़े हैं।
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4. जॉर्डेनियन दिनार
जॉर्डन भले ही तेल उत्पादक देश नहीं है, फिर भी इसकी करेंसी दुनिया की 4थी सबसे मजबूत करेंसी है। जॉर्डन के पास अपने अच्छे पड़ोसियों के तेल संसाधन नहीं हैं, लेकिन इसकी सरकार विनिमय दरों को कंट्रोल में रखती है, जो इसके दिनार के मूल्य को ऊंचा रखती है। एक जॉर्डेनियन दिनार में आपको करीब 1.41 डॉलर मिलेंगे।
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5. केमन आइलैंड डॉलर
केमन आइलैंड का नाम भले ही आपने न सुना हो लेकिन कालाधन छिपाने की तरकीब लगाने वालों के बीच यह बहुत लोकप्रिय है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा टैक्स हैवन देश कहा जाता है। यह आईलैंड कैरेबियन सागर में स्थित है। एक केमन आईलैंड डॉलर को खरीदने के लिए आपको 1.22 डॉलर खर्च करना पड़ेगा। हालांकि ब्रिटिश पाउंड इससे मौजूदा समय में महंगा है, लेकिन फ्लोटिंग आधार पर तय होने के कारण पाउंड की कीमत बदलती रहती है।
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किन देशों में भारतीय करेंसी मान्य है और क्यों?
क्या आप जानते हैं कि दुनिया का लगभग 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है? दुनिया भर के लगभग 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमेरिका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. यही कारण है कि डॉलर को 'अंतरराष्ट्रीय व्यापार करेंसी' भी कहा जाता है.
डॉलर को पूरी दुनिया में इंटरनेशनल करेंसी कहा जाता है. कोई भी देश डॉलर में भुगतान लेने को तैयार हो जाता है. लेकिन क्या इस तरह का सम्मान भारत की मुद्रा रुपया को मिलता है. जी हाँ, भले ही ‘रुपये’ को डॉलर जितनी आसानी से इंटरनेशनल ट्रेड में स्वीकार ना किया जाता हो लेकिन फिर भी कुछ ऐसे देश हैं जो कि भारत की करेंसी में आसानी से पेमेंट स्वीकार करते हैं. आइये इस लेख में इन सभी देशों के नाम जानते हैं.
भारतीय रुपया नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और मालदीव के कुछ हिस्सों में अनौपचारिक रूप से स्वीकार किया जाता है. हालाँकि भारतीय रुपये को लीगल करेंसी के रूप में जिम्बाब्वे में स्वीकार किया जाता है.
भारत की करेंसी को इन देशों में करेंसी के रूप में इसलिए स्वीकार किया जाता है क्योंकि भारत इन देशों को बड़ी मात्रा में वस्तुएं निर्यात करता है. यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि जब कोई करेंसी "अंतरराष्ट्रीय व्यापार करेंसी" बनती है तो उसके पीछे सबसे बड़ा मूल कारण उस देश का 'निर्यात' होता है 'आयात' नहीं.
इस लेख में यह बताना जरूरी है कि नीचे दिए गए देशों में जिम्बाब्वे को छोड़कर किसी अन्य देश ने भारत की मुद्रा को ‘लीगल टेंडर’ अर्थात वैधानिक मुद्रा का दर्जा नहीं दिया है लेकिन भारत के पड़ोसी देश केवल आपसी समझ (mutual understanding) के कारण एक दूसरे की मुद्रा को स्वीकार करते हैं. इन देशों में मुद्रा का लेन देन मुख्यतः इन देशों की सीमाओं से लगने वाले प्रदेशों और उनके जिलों में ही होता है.
आइये अब विस्तार से जानते हैं कि किन-किन देशों में भारतीय रुपया मान्य/स्वीकार किया जाता है और क्यों?
1. जिम्बाब्वे: पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? वर्तमान में जिम्बाब्वे की अब अपनी मुद्रा नहीं है. वर्ष 2009 में दक्षिणी अफ्रीकी देश ने अपनी स्थानीय मुद्रा, जिम्बाब्वे डॉलर को त्याग दिया था क्योंकि इस देश में हाइपर-इन्फ्लेशन के कारण देश की मुद्रा के मूल्य में बहुत कमी आ गयी थी. इसके बाद इसने अन्य देशों की मुद्राओं को अपने देश की करेंसी के रूप में स्वीकार किया है. वर्तमान में इस देश में अमेरिकी डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, चीनी युआन, भारतीय रुपया, जापानी येन, दक्षिण अफ़्रीकी रैंड और ब्रिटिश पाउंड का इस्तेमाल किया जाता है. इस देश में भारत की मुद्रा रुपया को लीगल करेंसी के रूप में वर्ष 2014 से इस्तेमाल किया जा रहा है.
2. नेपाल: भारत के एक रुपये की मदद से नेपाल के 1.60 रुपये खरीदे जा सकते है. भारत के नोट नेपाल में कितनी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किये जाते हैं इसका अंदाजा सिर्फ इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि जब 2016 में भारत ने नोट्बंदी की थी तब वहां पर लगभग 9.48 अरब रुपये मूल्य के भारतीय नोट चलन में थे. भारत के व्यापारी को एक भारतीय रुपये के बदले ज्यादा नेपाली मुद्रा मिलती है इसलिए भारत के व्यापारी नेपाल से व्यापार करने को उत्सुक रहते हैं.
यदि दोनों देशों के बीच व्यापार की बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों के दौरान नेपाल से भारत में भेजा गया कुल निर्यात लगभग 42.34 अरब रुपये का था जबकि भारत द्वारा नेपाल को इसी अवधि में लगभग 731 अरब रुपये का निर्यात भेजा गया था.
नेपाल ने दिसम्बर 2018 से 100 रुपये से बड़े मूल्य के भारतीय नोटों को बंद कर दिया है लेकिन 200 रुपये से कम के नोट बेधड़क स्वीकार किये जा रहे हैं.
3. भूटान: इस देश की मुद्रा का नाम ‘नोंग्त्रुम’ (Ngultrum ) है. यहाँ पर भारत की मुद्रा को भी लेन-देन के लिए स्वीकार किया जाता है. भूटान के कुल निर्यात का लगभग 78% भारत को निर्यात किया जाता है. सितम्बर 2018 तक भूटान की ओर से भारत को तकरीबन 14,917 मिलियन नोंग्त्रुम का आयात भेजा गया था जबकि इस देश द्वारा भारत से लिया गया निर्यात लगभग 12,489 मिलियन नोंग्त्रुम था. भारत का पड़ोसी देश होने के कारण इस देश के निवासी भारत की मुद्रा में जमकर खरीदारी करते हैं क्योंकि इन दोनों देशों की मुद्राओं की वैल्यू लगभग बराबर है और इसी कारण दोनों मुद्राओं के बीच विनिमय दर में उतार चढ़ाव से होने वाली हानि का कोई डर नहीं होता है.
4. बांग्लादेश: इस देश की मुद्रा का नाम टका है. वर्तमान में भारत के एक रुपये के बदले बांग्लादेश के 1.14 टका खरीदे जा सकते हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन 9 अरब डॉलर के पार चला गया था. बांग्लादेश के द्वारा भारत को किया जाने वाला व्यापार भी लगभग 900 मिलियन डॉलर के करीब पहुँच गया था. इस प्रकार स्पष्ट है कि बांग्लादेश में भारत का रुपया बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है.
5. मालदीव: ज्ञातव्य है कि 1 भारतीय रुपया 0.21 मालदीवियन रूफिया के बराबर है. मालदीव के कुछ हिस्सों में भारत की करेंसी रुपया को आसानी स्वीकार किया जाता है. भारत ने 1981 में मालदीव के साथ सबसे पहली व्यापार संधि पर हस्ताक्षर किए थे. विदेश व्यापार निदेशालय (डीजीएफटी) की हालिया अधिसूचना के अनुसार, मालदीव को भारत का 2017-18 में कुल निर्यात लगभग 217 मिलियन डॉलर था, जो पिछले वर्ष में लगभग $197 मिलियन था.
इस प्रकार ऊपर लिखे गए लेख से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत की मुद्रा को उसके पडोसी देशों में आसानी से स्वीकार किया जाता है. इसके पीछे मुख्य कारण इन देशों की एक दूसरे पर व्यापार निर्भरता है. हालाँकि रुपये को लीगल टेंडर का दर्जा सिर्फ जिम्बाब्वे ने दिया है.
Indian Currency: भारत की करेंसी से ही कर सकते हैं इन देशों में शॉपिंग, जानिए किन देशों में मान्य है रूपया
Indian Currency: दुनिया के कई देश अमेरिकी डॉलर में बिजनेस करते हैं. लेकिन कई देश ऐसे भी हैं जहां भारतीय करेंसी को भी स्वीकार किया जाता है. आइए जानते हैं इन देशों के बारे में.
Indian Currency: अमेरिकी डॉलर पूरी दुनिया में सबसे ताकतवर करेंसी है. दुनिया के काफी सारे देश अमेरिकी डॉलर में अपना बिजनेस करते हैं. इसलिए इसे इंटरनेशनल करेंसी भी का जाता है. वहीं अगर एशियाई देशों की बात करें तो जापान की करेंसी येन सबसे ज्यादा एक्टिव करेंसी है. कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या भारत की करेंसी भी, भारत के सिवाय कहीं और एक्सेप्ट की जाती है या नहीं. आइए जानते हैं.
इन देशों में चलती है इंडियन करेंसी
दुनिया में कई जगह भारतीय पैसा ऑफिशियल और अनऑफिशियल पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? तरीके से दुनिया में कई जगह एक्सेप्ट किया जाता है. भारतीय रुपया भूटान (Bhutan), नेपाल (Nepal) , बांग्लादेश (Bangladesh), मालदीव (Maldives) के कई इलाकों में अनऑफिशियली एक्सेप्ट किया जाता है. इन सभी देशों में लीगली करेंसी एक्सेप्ट नहीं की गई है, लेकिन भारत इन देशों को बड़ी मात्रा में सामान निर्यात करता है इसलिए यहां भारत की करेंसी एक्सेप्ट की जाती है.
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जिम्बाब्वे में रूपया है लीगल
इसके अलावा जिम्बाब्वे (zimbabwe) में भारतीय करेंसी को लीगल रूप में स्वीकार किया जाता है. जिम्बाब्वे ने साल 2009 में अपनी स्थानीय मुद्रा,जिंबाब्वे डॉलर को त्याग दिया था. देश की करेंसी की कीमत में कमी आने के कारण ऐसा किया गया था.
साल 2014 में हुई शुरुआत
साल 2009 के बाद से जिम्बाब्वे (zimbabwe) दूसरे देशों की करेंसी को स्वीकार करने लग गया था. इनमें अमेरिकी डॉलर (American dollar), ऑस्ट्रलियाई डॉलर (australian dollar), चीनी युआन (china yuan), भारतीय रूपया (Indian Rupee), जापानी येन (japanese yen), दक्षिण अफ्रीकी रैंड (Rand) और ब्रिटिश पाउंड (Pound sterling) शामिल हैं. साल 2014 में भारत की करेंसी को जिंबाब्वे में लीगल रूप से यूज किया जाने लगा था.
दुनिया की सबसे महंगी Currency कौन सी है, क्या आपको पता है?
डीएनए हिंदी: वर्तमान समय में मुद्राएं हमारे लिए कितनी जरूरी ये तो हम सभी जानते हैं. किसी भी प्रकार की चीज या सुख सुविधा को खरीदने के लिए हमें करेंसी की जरुरत होती है. यानी हम यह समझ सकते हैं कि वर्तमान समय में मुद्राओं के बिना जिंदगी जीना असंभव है. पहले के समय में यह संभव था लेकिन तब वस्तु विनिमय प्रणाली यानी आपस में सामान का अदला-बदली नियम लागू था. वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत हम एक वस्तु को दूसरे वस्तु से बदल सकते थे. मतलब हम चावल देने के बदले किसी व्यक्ति से कोई और अनाज या कोई और वस्तु ले सकते थे.
मुद्रा का इस्तेमाल
पुराने समय में विश्व के सभी देशों में व्यापार और चीजों को खरीदने बेचने के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली का ही इस्तेमाल होता था. आज के समय में हर एक देश की उसकी एक अपनी मुद्रा (currency) होती है जिसके जरिए उस देश के लोग अपने देश में कोई भी चीज या सुविधा खरीदते और बेचते हैं. हर देश की मुद्राओं की कीमत अलग अलग होती है. मतलब जब हम किसी दूसरे देश की मुद्रा का इस्तेमाल भारत में करते हैं तो भारतीय मुद्रा में उसको परिवर्तित करने पर उसकी कीमत अलग हो जाती है.
क्यों बढ़ती-घटती है मुद्रा की कीमत?
उदाहरण के लिए अगर हम 1 यूएस डॉलर को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करें तो उसकी कीमत 72.89 ₹ होगी. यह कीमत समय के मुताबिक बढ़ती घटती रहती है. किसी भी देश की मुद्रा के मजबूत या कमजोर होने का कारण उस मुद्रा का उपयोग होता है. प्रत्येक देश के पास दूसरे देशों के मुद्राओं का भंडार होता है जिसका उपयोग लेन- देन के लिए होता है. इन्हीं मुद्रा भंडारों के घटने बढ़ने से मुद्रा की कीमत भी बढ़ती-घटती रहती है.
अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया के अधिकतर देशों द्वारा यूएस डॉलर का प्रयोग किए जाने और ज्यादातर देशों में स्वीकार किए जाने के कारण यूएस डॉलर को वैश्विक मुद्रा का स्थान प्राप्त है और इसी मुद्रा भंडार के कम या अधिक होने पर भारतीय रुपए के मजबूत और कमजोर होने का अनुमान लगाया जाता है.
दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा
कुवैत देश की मुद्रा दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा है और इसका कारण यहां भारी मात्रा में पाए जानेवाले तेल का भंडार है जो कुवैत पूरी दुनिया में निर्यात करता है. इसका करेंसी कोड KWD है. 1 दीनार की कीमत भारत के 240.58 रुपए के बराबर है. ये कीमत समय के मुताबिक घटती-बढ़ती रहती है.
देखा जाये तो आज के समय में कुवैती दीनार दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है. क्या आपको पता है कि आज से 70-80 साल पहले कुवैत में जो करेंसी जारी होता था उसे भारतीय सरकार करती थी. यानि RBI एक समय में कुवैत की करेंसी बनाया करता था और उस करेंसी का नाम था गल्फ रुपि (Gulf Rupee). यह बहुत हद तक भारतीय रूपया जैसा दिखने में था. इस गल्फ रूपी की खासियत यह थी की इसे भारत के अंदर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था. हालांकि 1961 में कुवैत को ब्रिटिश सरकार से आजादी मिली थी जिसके बाद 1963 में कुवैत पहली अरब कंट्री बन गई थी जहां पर सरकार का चुनाव हुआ था.
आपको बता दें की 1960 में कुवैती सरकार ने पहली बार अपनी पहली कुवैती करेंसी को इंट्रोड्यूस किया था. उस समय इसकी कीमत भारतीय रुपये के अनुसार 13 रुपये पर 1 कुवैती दीनार था. 1970 में कुवैती दीनार का इंटरनेशनल मार्केट में एक्सचेंज रेट फिक्स कर दिया गया to a basket of currency.हालांकि कुवैती दीनार आज भी फिक्स्ड रेट पर है. अब सोचिये की इतने सारे फायदे और नुकसान के बिच भी कुवैत का दीनार दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कैसे बनी हुई है. इसके पीछे वजह है तेल. कुवैत के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेलों का खदान है और इसी तेल के दम पर कुवैती दीनार की सबसे ज्यादा कीमत है.
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