Hindi Samachar 4 दिसंबर: MCD चुनाव के लिए आज हुआ मतदान, ईरान में हिजाब विरोधियों की जीत

Hindi Samachar 4 December: बांग्‍लादेश ने पहले वनडे में भारत को एक विकेट से हरा दिया है। बांग्‍लादेश की जीत के हीरो मेहदी हसन मिराज और मुस्‍ताफिजुर रहमान रहे, जिन्‍होंने आखिरी विकेट के लिए 50 रन की साझेदारी कर अपनी टीम को जीत दिला दी। वहीं ईरान में सरकार ने हिजाब को लेकर नियम बदलने का ऐलान किया है। पढ़ें आज की अहम खबरें

Updated Dec 4, 2022 | 08:25 PM IST

नए साल के जश्न के लिए चर्चा में है देहरादून का Sky Dining, आसमान और जमीन के बीच कराया जा रहा है लंच-डिनर

भारत में एक 'कट्टर पापी परिवार' है, इनका काम है किसानों की जमीन हड़पना, बीजेपी ने गांधी परिवार पर साधा निशाना

today news

Hindi Samachar 4 December: एमसीडी चुनाव 2022 के लिए रविवार को लोगों ने अपना मत डाला। इसका रिजल्ट सात दिसंबर को आएगा। वहीं गुजरात चुनाव के दूसरे चरण के लिए तैयारियां पूरी हो गईं है, सोमवार को दूसरे चरण के लिए मतदान होगा। इस मतदान से पहले पीएम मोदी अपनी मां हीराबेन से मिलने के लिए पहुंचे, जहां उन्होंने उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिया। पढ़ें आज की अहम खबरें

एमसीडी चुनाव में वोटिंग को लेकर सुबह से मतदाताओं में कम उत्साह देखा गया,मगर दोपहर बाद बूथों पर लोग वोट डालने पहुंचे। सुबह 8 बजे से शाम 5.30 बजे तक वोटिंग चली। इस दौरान लोग बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंचे और अपने मताधिकार का उपयोग किया। चुनाव के नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे। पढ़ें पूरी खबर

Gujarat: गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग से एक दिन पहले पीएम मोदी (PM Modi) अपनी मां हीराबेन से मिलने के लिए पहुंचे। पीएम मोदी सोमवार यानि कि पांच दिसंबर 2022 को अहमदाबाद में मतदान करेंगे, जिसके लिए वो रविवार शाम यहां पहुंचे हैं। पढ़ें पूरी खबर

राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में पहुंचा विवादित 'संत', BJP ने पूछा- कन्हैया-स्वरा के बाद कंप्यूटर बाबा. ये कैसी यात्रा?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा में विवादित स्वयंभू संत ‘कंप्यूटर बाबा’ (नामदेव दास त्यागी) शामिल हुए। शनिवार (तीन दिसंबर, 2022) सुबह मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के महुदिया गांव में वह गांधी के साथ नजर आए, जिस पर भाजपा ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और पूछा कि जेएनयू के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार और अभिनेत्री स्वरा भास्कर के बाद अब कंप्यूटर बाबा. यह कैसी यात्रा है? पढ़ें पूरी खबर

ईरान में महिलाओं के विरोध के आगे अब सरकार ने घुटने टेक दिए हैं। सरकार ने ऐलान किया है कि हिजाब पहनना अब मर्जी पर निर्भर करेगा। मतलब मर्जी है तो पहनिए, नहीं मर्जी है तो मत पहनिए। पुलिस अब कार्रवाई नहीं करेगी। ईरान में महिआएं इसी को लेकर पिछले तीन महीने से प्रदर्शन कर रही थीं। पढ़ें पूरी खबर

Cooking oil price today, 03 Dec 2022: इंपोर्टेड तेल के दाम टूटने से तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट, जानिए ताजा भाव

विदेशी बाजारों में तेल-तिलहनों के दाम टूटना जारी रहने के कारण में देशी तेल तिलहनों के भाव प्रभावित हुए, जिससे दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली। देशी तेल तिलहनों की पेराई महंगा बैठने और सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले इन तेलों के भाव बेपड़ता होने के बीच सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन तथा सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। पढ़ें पूरी खबर

Bollywood: बॉलीवुड के लिए यह साल बेहद खराब रहा है। शायद बीते कई दशकों में भी बॉलीवुड ने इतना बुरा समय नहीं देखा है। जहां एक के एक कई फिल्में लगातार फेल हो रही हैं। आयुष्मान खुराना जैसे टैलेंटेड एक्टर की फिल्में हों, स्टार किड्स की फिल्में हों या सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की, बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही हैं। प्रोड्यूसर को घाटा हो रहा है तो कई एक्टर अपनी फीस कम कर रहे हैं। अब कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? पढ़ें पूरी खबर

बांग्लादेश के एक खिलाड़ी ने रविवार को मीरपुर में खेले गए तीन मैच की सीरीज के पहले मुकाबले में टीम इंडिया की जबड़े से जीत छीन ली। 187 रन के लक्ष्य का बचाव करते हुए टीम इंडिया ने 136 रन पर 9 विकेट गंवा दिए थे। जीत के लिए उसे 51 रन की दरकार थी। ऐसे में अनुभवी मेहदी हसन मिराज ने मस्तफिजुर रहमान के साथ दसवें विकेट के लिए 42 गेंद में 51 रन की नाबाद साझेदारी करके अपनी टीम को 24 गेंद और 1 विकेट रहते जीत दिला दी। पढ़ें पूरी खबर

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

Protein Deficiency: कैसे पता करें कि आप पर्याप्त प्रोटीन खा रहे हैं या नहीं?

क्या आप अपने भोजन में पर्याप्त प्रोटीन ले रहे हैं? कम प्रोटीन का सेवन करने के बारे में विशेषज्ञों का क्या कहना है.

Protein Deficiency: कैसे पता करें कि आप पर्याप्त प्रोटीन खा रहे हैं या नहीं?

पर्याप्त प्रोटीन खाने के महत्व के बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा गया है.

यह एक मैक्रोन्यूट्रिएंट है, जो हर जगह मौजूद होता है - यह आपके शरीर के हर अंग और प्रणाली की हर कोशिका में होता है - और यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हर रोज इसका पर्याप्त मात्रा में सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है.

हमें इसकी हर रोज जरूरत होती है क्योंकि फैट और कार्बोहाइड्रेट की तरह यह शरीर में जमा नहीं होता है.

प्रोटीन हर किसी के लिए जरूरी है, सिर्फ उनके लिए नहीं जो अक्सर जिम में वेट ट्रेनिंग करते हैं. फिर भी हम में से अधिकांश लोगों में यह पर्याप्त मात्रा में नहीं पाया जाता है.

तो जानते हैं कि इसकी कमी से क्या हो सकता है.

आहार में प्रोटीन की कमी से कई तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं. नीचे प्रोटीन की कमी के साइड इफेक्ट्स की एक चेक लिस्ट है.

प्रोटीन के लिए रिकमेंडेड डायटरी अलाउंस (RDA)

आपको कितनी प्रोटीन की आवश्यकता है? इसका उत्तर इतना आसान नहीं है, क्योंकि यह अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग है.

उम्र, लिंग, स्वास्थ्य इतिहास और आप कितना व्यायाम करते हैं, इसके अनुसार प्रोटीन की जरूरत अलग-अलग होती है.

लेकिन औसतन, न्यूनतम शारीरिक गतिविधि वाले स्वस्थ वयस्क के लिए प्रोटीन की प्रतिदिन RDA बॉडी वेट के प्रति किलो के लिए 0.8 से 1 ग्राम है. यह कुछ खास परिस्थितियों में बढ़ सकता है.

आपका बैलेंस गड़बड़ है

प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण के लिए आवश्यक है, एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है इसलिए इसकी कमी से मांसपेशियों में कमी हो सकती है, जिसके कारण कम ताकत, संतुलन बनाए रखने में कठिनाई और मांसपेशियों में दर्द जैसी बड़ी परेशानियां हो सकती हैं.

आप हमेशा थका महसूस करते हैं

मांसपेशियों में कमी से थकान हो सकती है. जब कमी अधिक हो जाती है, तो शरीर पर्याप्त प्रोटीन की आपूर्ति के लिए मांसपेशियों को तोड़ देता है, जिससे ऊर्जा और ताकत में कमी आती है.

साथ ही प्रोटीन की कमी से एनीमिया भी हो सकता है (क्योंकि हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए भी प्रोटीन की आवश्यकता होती है), जिसके कारण पर्याप्त ऑक्सीजन कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाती है और थकान और भी बढ़ जाती है.

वास्तव में, थकान प्रोटीन की कमी के शुरुआती लक्षणों में से एक है.

आपका वजन बढ़ रहा है

कम मांसपेशी से मेटाबॉलिज्म भी कम हो जाता है, और इससे वजन बढ़ सकता है क्योंकि जिस दर से शरीर के कैलोरी बर्न करने की क्षमता घट जाती है.

प्रोटीन न केवल हमें ईंधन देता है, यह हमें तृप्ति भी देता है (हमें लंबे समय तक भूख नहीं लगती है). यह ग्रेलिन नामक भूख हार्मोन के स्तर को कम करता है, जिससे हमें कम भूख लगती है और इस प्रकार यह हमारे वजन को नियंत्रित रखने में बड़ी मदद करता है.

प्रोटीन को पचाने में भी अधिक समय लगता है. इसलिए अगर आपके भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम होगी तो खाना जल्दी पच जाएगा और आपका ब्लड शुगर बढ़ जाएगा.

इस वृद्धि के बाद जल्द ही ब्लड शुगर में गिरावट आएगी और ब्लड शुगर के इस तरह निरंतर बढ़ने और घटने से भोजन के लिए, खासकर चीनी के लिए, क्रेविंग बढ़ जाएगी.

जवाब तो मिलना चाहिए कि यह 'एक्ट ऑफ गॉड है या एक्ट ऑफ फ्रॉड' और भगवान ने चुनाव के वक्त क्या संकेत दिया है

इस दुर्घटना को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब गुजरात सरकार और प्रधानमंत्री को देने चाहिए। जवाब यह भी देने चाहिए कि यह एक्ट ऑफ गॉड है या एक्ट फ्रॉड, और भगवान ने चुनाव के मौसम में क्या संकेत दिया है?

फोटो : सोशल मीडिया

नवजीवन डेस्क

“यह ब्रिज टूटा. यह एक्ट ऑफ गॉड नहीं. एक्ट ऑफ फ्रॉड है. फ्रॉड. यह एक्ट ऑफ फ्रॉड का परिणाम है. एक्ट ऑफ गॉड उस मात्रा में जरूर है, क्योंकि चुनाव के दिनों में गिरा. ताकि पता चले कि आपने कैसी सरकार चलाई है. इसलिए भगवान ने लोगों को संदेश दिया है. कि आज यह ब्रिज टूटा. कल यह पूरा देश खत्म कर देगी..इसे बचाव. यह भगवान ने संदेश भेजा है. ”

यह शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैं, और इन्हीं शब्दों को लेकर एनएसयूआई के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने सवाल उठाया है।

लेकिन बिल्कुल भ्रम में मत आइए. इन शब्दों का गुजरात एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है के मोरबी में केबिल ब्रिज टूटने से कुछ लेना देना नहीं है, यह तो पश्चिम बंगाल के पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के भाषण का हिस्सा है। मोरबी पर तो उन्होंने इतना भर कहा कि मेरा मन इस दुर्घटना एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है के पीड़ितों के साथ है, वह भी भव्य एकता नगर कार्यक्रम में एक पार्क के उद्घाटन के मौके पर।

उस गुजरात में जो प्रधानमंत्री की जन्मभूमि और राजनीतिक कर्मभूमि है, वहां ताजा रिपोर्ट मिलने तक 141 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और तमाम लोग अस्पतालों में हैं, उस ब्रिज के टूटने की घटना को क्या कहा जाए, एक्ट ऑफ गॉड या एक्ट ऑफ फ्रॉड.

और इतना ही नहीं इस पुल पर जाने के लिए तो बाकायदा फीस वसूली जा रही थी, टिकट लग रहा था। एक ऐसी कंपनी यह टिकट बेच रही थी जिसके पास इस पुल के रखरखाव और ऑपरेट करने का ठेका है। यह बात अलग है कि इस कंपनी को इस काम का कोई अनुभव नहीं है।

दुखद घटना है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, मोरबी ही नहीं, किसी भी दुर्घटना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, हां सवाल जरूर उठने चाहिए, जांच तेजी से होनी चाहिए, जिम्मेदारी तय होनी चाहिए, उस ब्रिज के रखरखाव और इसे आम लोगों के लिए खोलने की इजाजत देने वाले अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करना चाहिए, लेकिन इस सब पर तो प्रधानमंत्री घटना के लगभग 24 घंटे गुजरने के बाद भी चुप ही हैं।

इतना ही काफी नहीं, प्रधानमंत्री तो गुजरात में ही हैं, तमाम कार्यक्रमों में शामिल भी हो रहे हैं, औपचारिकतावश इस दुर्घटना पर दुख भी जता रहे हैं, लेकिन वे इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं कि आखिर इस पुल को अचानक क्यों खोला गया, वह भी बिना सरकारी महकमे की इजाजत के? इस पर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं कि आखिर जिस पुल पर एक बार में 50-60 लोगों को ही जाने की इजाजत थी, उस पर एक साथ 400-500 लोग कैसे पहुंच गए? यह भी नहीं बता रहे हैं कि इस पुल की देखरेख और इसे ऑपरेट करने का ठेका एक ऐसी कंपनी को क्यों दे दिया गया जिसे पुल के रखरखाव और ऑपरेट करने का कोई अनुभव ही नहीं था? इस पुल की मरम्मत तो इसीलिए कराई गई थी कि यह जर्जर हो गया था, तो फिर इसे पूरी तरह खोल क्यों दिया गया?

यह वे सवाल हैं जिनके जवाब गुजरात सरकार और प्रधानमंत्री को देने चाहिए। जवाब यह भी देने चाहिए कि यह एक्ट ऑफ गॉड है या एक्ट फ्रॉड, और भगवान ने चुनाव के मौसम में क्या संकेत दिया है?

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

भाजपा के दस साल के कामकाज से नाखुश होने के बाद भी जनता ने उसे क्यों चुना?

दिल्ली ​नगर निगम चुनाव से पहले लगभग सभी ओपीनियन पोल में जनता भाजपा शासित एमसीडी के कामकाज से नाखुशी जताते हुए भी वोट भाजपा को ही देने की बात कर रही थी. The post भाजपा के दस साल के कामकाज से नाखुश होने के बाद भी जनता ने उसे क्यों चुना? appeared first on The Wire - Hindi.

दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले लगभग सभी ओपीनियन पोल में जनता भाजपा शासित एमसीडी के कामकाज से नाखुशी जताते हुए भी वोट भाजपा को ही देने की बात कर रही थी.

BJP-mcd reuters

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में भाजपा को मिली जीत बिल्कुल अप्रत्याशित एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है है. अप्रत्याशित इस संदर्भ में कि बीजेपी पिछले दस साल से एमसीडी पर काबिज है. इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद जनता के मन में शिकायतें पैदा होती हैं.

यह बात भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी बखूबी समझ रहा था. इसीलिए उसने इस बार अपने किसी भी पार्षद को टिकट नहीं दिया. यही नहीं पार्षदों के रिश्तेदारों को भी टिकट नहीं मिला. इतनी लंबी एंटी इनकंबेंसी के बावजूद भाजपा ने यह जीत हासिल की है तो इसके मायने क्या हैं?

सबसे पहले चर्चा दिल्ली के नीर-क्षीर विवेकी मतदाता की. अगर पिछले तीन चुनावों को देखें तो दिल्ली के मतदाताओं का मूड तेजी से स्विंग हो रहा है. लोकसभा चुनाव में भाजपा, विधानसभा चुनाव में आप और फिर एमसीडी चुनाव में भाजपा को जनता ने बहुमत दिया है.

इस बार जितने ओपीनियन पोल हो रहे थे उसमें गजब के विरोधाभासी तथ्य सामने आ रहे थे. एमसीडी के कामकाज से जनता नाखुश थी लेकिन वोट भाजपा को देने की बात कर रही थी. आखिर दिल्ली के विवेकशील मतदाता इतने भ्रम में क्यों थे?

अगर एमसीडी में भाजपा का कामकाज पसंद नहीं था तो कांग्रेस, आप, जदयू, बसपा, स्वराज अभियान समेत अन्य दलों पर वो भरोसा क्यों नहीं एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है जता रहे थे?

इसका कारण समझने के लिए चुनाव के लिए बनाई गई सभी दलों की रणनीति पर नजर डालना होगा. अगर हम देखें तो यह चुनाव कोई भी राजनीतिक दल स्थानीय मुद्दों पर नहीं लड़ रहा था.

साफ-सफाई, डेंगू-चिकनगुनिया, सड़क-अस्पताल और जलभराव से ज्यादा इस चुनाव को कांग्रेस, भाजपा और आप ने अपने वर्चस्व की लड़ाई बना दिया था. यह सभी राजनीतिक दलों की चालाकी और नाकामी दोनों थी लेकिन फायदा भाजपा को मिला.

‘उन्मादी राष्ट्रवाद’ की जो लहर भाजपा ने इस चुनाव में फैलाई उसने जीत की राह को आसान बनाया. जरूरी मुद्दों पर बात न करके भावनाओं पर वोट लेने की कला में भाजपा अभी बाकी दलों से कोसों आगे हैं. एमसीडी चुनाव में बढ़त के तुरंत बाद भाजपा ने अपनी जीत को छत्तीसगढ़ में मारे गए जवानों को समर्पित कर दिया.

यह बाकी दलों की नाकामी थी कि वो जनता का ध्यान भाजपा के दस साल के शासनकाल के भ्रष्टाचार पर नहीं दिला पाए. कांग्रेस जहां नेताओं की गुटबाजी से नहीं उबर पाई तो वहीं दूसरी ओर आप का पूरा ध्यान ईवीएम पर रहा.

अगर एमसीडी के चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा था तो कश्मीर में हिंसा, किसानों की आत्महत्या, नोटबंदी के एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है बाद बढ़ी बेरोजगारी, नक्सली हिंसा जैसे तमाम राष्ट्रीय मुद्दों को सही संदर्भ में पेश कर पाने में विरोधी दल असफल रहे.

इसके अलावा भाजपा मतदाताओं के दिमाग में यह बात डालने में सफल रही कि यदि एमसीडी में उनका बहुमत रहेगा तो केंद्र में उनकी सरकार होने के वजह से कामकाज बेहतर ढंग से होगा. विधानसभा चुनाव में आप की जीत के बाद से लगातार टकराव के हालात बने हुए हैं.

दिल्ली में प्रशासन की तिकड़मी व्यवस्था ने इस एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है बात में उनकी मदद की. साथ ही अरविंद केजरीवाल और एलजी के बीच टकराव की खबरों सोने पर सुहागा साबित हुई.

सबसे बड़ी बात यह चुनाव भाजपा ने मोदी के नाम पर लड़ा. हाल में पांच राज्यों में मिली जीत ने इसमें मनोवैज्ञानिक भूमिका निभाई. जहां मतदाताओं को लग रहा था कि भाजपा को हराना मुश्किल है तो वहीं बाकी दल मोदी के तीन साल के कामकाज की नाकामी बताने मेें असफल रहे.

वहीं दूसरी ओर इस छोटे चुनाव में बसपा, जेडीयू, स्वराज अभियान जैसी पार्टियां परिदृश्य से लगभग गायब हो गईं. पिछले चुनाव में बसपा को करीब 18 सीटें एमसीडी चुनाव में मिली थी.

स्वराज अभियान से इस बार बड़ी उम्मीदें थी. जदयू ने भी बिहारी वोटरों पर नजर गड़ाई हुई थी. मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए ओवैसी की पार्टी भी मैदान में थी. लेकिन इन पार्टियों को सफलता नहीं मिली.

हालांकि इस चुनाव परिणाम से अभी तीन बातें साफ निकलकर सामने आ रही हैं. पहली आम आदमी पार्टी की दो साल पहले शुरू की गई कथित शुचितावादी राजनीति का दौर खत्म हो रहा है. उन्हें अपनी चुनावी रणनीति में तुरंत बड़े बदलाव की जरूरत है.

दूसरी बात कांग्रेस के लिए है. उनके नेता यह दावा कर रहे है कि एमसीडी चुनाव में उनको मिली सीटें बताती हैं कि अब भी जनता में उनके लिए विश्वास बना हुआ है. विधानसभा चुनावों में जहां उनका सूपड़ा साफ हो गया था. पर यह उनके लिए सबक देने वाला परिणाम हैं. जहां चार साल पहले आई पार्टी मुख्य विपक्षी की भूमिका निभा रही हैं, वही इतनी पुरानी पार्टी और लंबे समय दिल्ली पर शासन करने के बाद उनकी हालत यह हो गई है.

तीसरी बात भाजपा के लिए हैं. अभी दिल्ली ही नहीं देश केे बड़े हिस्से में उसका नशा चढ़ा हुआ है. उसे मिल रही भारी सफलता यह बता रही है कि वोटर उससे ‘बड़ी उम्मीद’ लगाए बैठे हैं.

अगर उन्हें अपेक्षित परिणाम दे पाने में वो नाकाम रहे तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आप को मिली पराजय उनके लिए उदाहरण का काम करेगी. फिलहाल अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने एक बार फिर साबित किया है कि अभी उनके मुकाबले में कोई नहीं है. उनकी रणनीति का कोई तोड़ विपक्षियों के पास नहीं है.

गांधी के लिए क्या थे आजादी के मायने

पंद्रह अगस्त 1947 को जब देश आजादी हो रहा था तो दिल्ली में हो रहे उसके आयोजनों में महात्मा गांधी कहीं नहीं थे। जवाहर लाल नेहरू जब कौंसिल हॉल में नियति से साक्षात्कार की बात कर रहे थे और बाहर सड़कों पर.

गांधी के लिए क्या थे आजादी के मायने

पंद्रह अगस्त 1947 को जब देश आजादी हो रहा था तो दिल्ली में हो रहे उसके आयोजनों में महात्मा गांधी कहीं नहीं थे। जवाहर लाल नेहरू जब कौंसिल हॉल में नियति से साक्षात्कार की बात कर रहे थे और बाहर सड़कों पर लोग नाच रहे थे, गांधी उस समय कलकत्ता में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति कायम कराने में जुटे थे। दिल्ली के आयोजनों में शामिल होने के उनके इनकार से कई लोग मानते हैं कि वे दुखी थी। यह सोच सही नहीं है। यह ठीक है कि आजादी और विभाजन के साथ ही जिस तरह से सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए थे गांधी उससे काफी निराश हुए थे, लेकिन हमने जो राजनैतिक आजादी हासिल की थी गांधी उसकी अहमियत जानते थे। उन्हें चिंता थी कि हमने बड़ी मेहनत से जो स्वराज हासिल किया है वह कहीं गलत दिशा में न चला जाए।

संपूर्ण गांधी वांग्मय में 15 अगस्त 1947 की सात सामग्रियां हैं। पहली वह चिट्ठी है, जो उन्होंने अपनी दोस्त अगाथा हैरिसन को लंदन में लिखी थी। इसमें गांधी ने लिखा है कि, ‘आज जैसे दिन की खुशी मनाने का मेरा तरीका है भगवान को धन्यवाद देना इसलिए मैं प्रार्थना करूंगा।’ अगाथा ने पूछा था कि भारत की आजादी को लेकर ब्रिटिश संसद में जो बहस चली थी, क्या उन्होंने उसको पढ़ा है। गांधी का जवाब था कि उन्हें अखबार पढ़ने का समय नहीं मिल सका, और ‘अगर मैं अपनी जगह सही हूं तो क्या फर्क पड़ता है कि कौन मेरे पक्ष में बोल रहा है और कौन मेरे खिलाफ।’
दूसरी सामग्री भी एक चिट्ठी है जो उन्होंने एक ऐसे भारतीय को लिखी है जिसके पिता दंगों में मारे गए थे। गांधी ने लिखा, ‘सबसे अच्छी सलाह तो मैं यह दे सकता हूं कि आज जो आजादी हासिल हुई है उसे मजबूत बनाने की कोशिश करो। पहला काम तुम यह कर सकते हो कि अपने पिता की तरह वीर बनो।’
इसके बाद जिक्र आता है, उस घटना का जब पश्चिम बंगाल के नए गवर्नर सी. राजगोपालाचारी गांधी से मिलने उनके अस्थायी घर बलियाघाट में जाते हैं। वे गांधी को उनके चमत्कार (शहर में हिंसा खत्म कर देने) के लिए धन्यवाद देते हैं। गांधी का उन्हें जवाब था, ‘मैं तब तक संतुष्ट नहीं होउंगा, जब तक हिंदू और मुसलमान एक दूसरे के साथ रहते हुए खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते। जब तक दिल नहीं बदलता हालात भविष्य में बिगड़ सकते हैं।’ इसके बाद जिक्र आता है कुछ कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं की उनसे मुलाकात का। गांधी उनसे कहते हैं, ‘राजनैतिक कार्यकर्ता चाहे वे साम्यवादी हों या समाजवादी आज के दिन उन्हें मतभेद भुलाकर हमने जो आजादी हासिल की है उसे मजबूत बनाने का काम करना चाहिए। इसे हम टूटने नहीं दे सकते।’
इसके बाद बलियाघाट के हैदरी मिशन के छात्र उनके पास सलाह लेने के लिए आते हैं। गाधी उन्हें कहते हैं, ‘छात्रों को सोचना चाहिए और खूब सोचना चाहिए। उन्हें कुछ भी गलत नहीं करना चाहिए। किसी भी भारतीय पर इसलिए हमला बोलना गलत है, क्योंकि वह अलग धर्म का है। छात्रों को ऐसा नया देश बनाने की कोशिश करनी चाहिए जिस पर हम सभी को गर्व हो’।
इसके अलावा बलियाघाट के रश बगान मैदान की जनसभा में दिए गए उनके भाषण का जिक्र भी वांग्मय में है। ‘हरिजन’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार गांधी ने एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है इस जनसभा की शुरुआत हिंदुओं और मुसलमानों को दोस्ती के भाव से मिलने जुलने पर बधाई दी। सांप्रदायिक सद्भाव के साथ ही उन्होंने सामान्य नागरिक के कर्तव्यों की भी बात की। उसी दिन जब भारतीय गर्वनर पूर्व ब्रिटिश गवर्नर से कार्यभार ले रहे थे तो भीड़ वहां पहुंच गई थी और उसने तोड़-फोड़ भी की। इसका जिक्र करते हुए गांधी ने कहा, ‘अगर यह जनता की ताकत का नमूना है तो मुझे एतराज नहीं, लेकिन अगर लोग सोचते हैं कि वे सरकारी संपत्ति को जैसे चाहे नष्ट कर सकते हैं तो मुझे अफसोस है। यह अपराधिक अराजकता है।’
इन बातों में मैने वांग्मय की एक सामग्री का जिक्र नहीं किया जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह जिक्र है पश्चिम बंगाल की नई सरकार के एक मंत्री की महात्मा गांधी से मुलाकात का। वांग्मय में इसका जिक्र सक्षिप्त रूप से ही किया गया है लेकिन मनु गांधी की किताब ‘द मिरेकल आफ गांधी’ में इसका विस्तार से वर्णन है। जब मंत्री ने गांधी से आशीर्वाद मांगा तो गांधी ने कहा-
‘आज आपके सर पर कांटों का ताज है। सत्ता की कुर्सी एक खतरनाक चीज होती है। इस कुर्सी पर आपको हमेशा ही जागते रहना होगा। इस पर आपको ज्यादा सच्चा, ज्यादा अहिंसक और ज्यादा विनम्र बनना होगा। ब्रिटिश शासन में तो आपकी परख हो गई। लेकिन अब उसका कोई अर्थ नहीं। अब आपकी परख लगातार होगी। संपत्ति के लालच में न पड़ें। भगवान आपकी मदद करे। आप वहां गांवों और गरीबों की सेवा के लिए हैं।’
उनकी बातों का उस समय जो महत्व था उससे ज्यादा महत्व अब है। इस समय जब राज्यों और केंद्र के ज्यादातर मंत्री आत्ममुग्ध हैं, उन्हें यह याद कराने की जरूरत है कि उन्हें सच, सेवा और विनम्रता से प्रेरित होना चाहिए। मतभेद के इस दौर में पार्टियों को समझना चाहिए कि मतभेद भुलाकर सामाजिक सद्भाव के लिए उनका एकजुट होना कितना जरूरी है। राजनीति का लोकलुभावन रूप हमेशा ही अधिकारों की बात करता है, लेकिन जब सार्वजनिक संपत्ति के प्रति गैरजिम्मेदारी का प्रदर्शन हो रहा हो तो लोगों को यह बताए जाने की जरूरत भी है कि नागरिक के कुछ कर्तव्य भी होते हैं। और 1947 की तरह ही 2009 में छात्रों पर एक विशेष जिम्मेदारी है- देश के निर्माण का काम वे बूढ़ों से कहीं ज्यादा अच्छी तरह कर सकते हैं।
गांधी के शब्द और उनकी चेतावनियां आज भी प्रासांगिक हैं। गांधी ने ये शब्द कोलकाता में बोले थे इसलिए जो लोग इस शहर में रहते हैं अगर वे इन शब्दों को पढ़ें तो उनके लिए इसका एक विशेष अर्थ भी निकलेगा। हाल के समय में पश्चिम बंगाल में राजनैतिक झगड़े, राज्य की उदासीनता और हिंसा सभी बहुत ज्यादा हुए हैं। हालांकि दूसरे राज्यों में भी ये चीजें कम या ज्यादा मौजूद हैं हीं। इस 15 अगस्त को हमें यह याद करना चाहिए कि आज से 62 साल पहले एक बहुत ही समझदार इंसान ने क्या कहा था और क्या किया था।

रेटिंग: 4.98
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 159