Q1. डिविडेंड क्या होता है in Hindi? Ans. किसी भी कंपनी को 1 साल में जो भी मुनाफा होता है कंपनी उसे अपने शेयरधारकों में बांट देती है । यह कंपनी के ऊपर निर्भर करता है कि वह साल में कितनी बार अपने निवेशकों को डिविडेंड देती है।

Dividend होता क्या है | Dividend meaning in hindi

जब भी हम शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते है तो मुख्य रूप से दो तरीके से मुनाफा कमाई कर सकते हैं। पहला तरीका है स्टॉक प्राइस बढ़ने के बजह से और दूसरा जो हमें नियमित रूप से मुनाफा कमाई कर सके वो है Dividend। आज हम जानेंगे Dividend क्या है (dividend meaning in hindi), कैसे कंपनी डिविडेंड देती है इससे जुड़ी और भी बाते।

Dividend होता क्या है Dividend meaning in hindi:-

जब भी कोई कंपनी मुनाफा कमाती है तो उस प्रॉफिट का कुछ हिस्सा कंपनी के Board of Director शेयरहोल्डर के बीज वितरण करते है। उसी को Dividend कहते हैं। कंपनी डिविडेंड खर्चों को निकालकर बचे हुए पैसों पर Dividend घोषित करता हैं। आम तौर पर वह कंपनी डिविडेंड सबसे ज्यादा देती हे जो बहुत बड़ा मुनाफा कमाते है और पहले से ही स्थिर कंपनी हैं। क्युकी घाटे में चल रही कंपनी वैसे भी Dividend नहीं दे पाएगी। और जो बढ़ती हुई कंपनी होती है वो ज्यादातर अपना प्रॉफिट को अपनी बिज़नस पे ही पुनर्निवेश करता हैं। ताकि वो जल्दी से जल्दी अपना बिज़नस को बिस्तार कर सके।

Dividend का प्रकार (Types of Dividend):- कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है

मुख्य रूप से कंपनी 2 तरह का डिविडेंड घोषणा करता हैं समय के हिसाब से। एक तो है Interim dividend और दूसरा है Final Dividend. दोनों में फर्क बहुत कम हैं।

ये डिविडेंड कंपनी शेयर होल्डर को कभी भी दे सकती हैं. अगर कभी किसी Quarter में कंपनी अच्छी मुनाफा कमाई कर रहा है। तो हो सकता है कंपनी मुनाफा का कुछ हिस्सा शेयरहोल्डर के साथ Interim Dividend के रूप में घोषणा करे। आम कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है तौर पर अर्ध तिमाही या तिमाही रिजल्ट के बाद ही डिविडेंड घोषित होता हैं। इसे देने के लिए AGM (Annual General Meeting) की भी जरुरत नहीं पड़ती।

जैसा की आपको नाम से ही पता लग गया है अंतिम बार मिलने वाला डिविडेंड। Final Dividend किसी भी शेयर होल्डर को तब मिलता है। जब Financial year ख़तम होने के बाद AGM (Annual General Meeting) में ये घोषित किया जाता है सारे ही इक्विटी शेयरहोल्डर को Dividend मिलने वाला हैं। मतलब जब कंपनी को उस साल में कितना मुनाफा हुआ ये पता चल जाता है तब कंपनी Final Dividend की घोषणा करता हैं। इस डिविडेंड को कंपनी साल में एक बार ही दे सकती हैं।

Dividend से जुड़ी 4 महत्वपूर्ण दिन:-

हर स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले लोगो डिविडेंड से जुड़ी इस ४ महत्वपूर्ण दिन को जरुर पता होना चाहिए। ताकि अगर आपको किसी शेयर में डिविडेंड मिलना है तो सरलता समझ सके क्या आप Dividend के लिए योग्य हो या नहीं।

  • Declaration Date:- ये वो दिन है जब Board of Director डिविडेंड को मंजूर और घोषणा करते है की इस साल वो कंपनी Dividend पेमेंट करने वाले हैं। इस दिन ही कितने रुपये का डिविडेंड देंगे, कब देगा बताया जाता हैं।
  • Ex- Dividend Date:- रिकॉर्ड दिन के 2 दिन पहले को Ex Dividend Date कहते हैं। जो शेयरहोल्डर इस दिन के बाद शेयर खरीद लेते है उसको डिविडेंड नहीं मिलता हैं। इसका मतलब आपको Dividend चाहिए तो Ex Dividend Date के पहले ही खरीदना चाहिए।
  • Record Date:- इस दिन कंपनी घोषणा करता है की कौन सा शेयरहोल्डर योग्य है और कौन नहीं। जिस भी Shareholder का नाम रिकॉर्ड दिन तक होता है उसे कंपनी Dividend पेमेंट करता ही हैं। अगर कोई निवेशक रिकॉर्ड दिन ही शेयर खरीदता है तो वो डिविडेंड के लिए योग्य नहीं हैं।
  • Payment Date:- इस दिन कंपनी सारे योग्य इन्वेस्टर को Dividend वितरित करता हैं। ज्यादातर पेमेंट दिन AGM(Annual General Meeting) के 30 दिन बाद आता हैं।

जानिए क्या है डिविडेंड और कैसे कमा सकते है लाखों रुपए सिर्फ डिविडेंड से | Best Dividend Paying Stocks [2022]

dividend paying stocks

क्या आपने कभी पैसिव इनकम के बारे में सुना है। मतलब बिना कुछ किए घर पर बैठे-बैठे ही आपकी इनकम होना (make money at your home) । उदाहरण से समझे तो जैसे अगर आपके पास आपके घर में कोई एक रूम खाली पड़ा है। उसे आप रेंट पर दे देते हैं तो वह आपकी Passive इनकम का जरिया बन जाता है।

जी हां वैसे तो Passive इनकम के बहुत से विकल्प हैं, लेकिन आज हम आपको पैसिव इनकम का जो विकल्प बताने जा रहे रहे हैं वह है डिविडेंड।

Best Dividend Paying Stocks in India[2022]

अगर आप शेयर बाजार में पैसा गवांना नहीं चाहते तो जानिए वारेन बुफेट के निवेश के मूल मंत्र

डिविडेंड देने वाली कंपनियों की लिस्ट :

  1. ITC :
  • शेयर प्राइस: 270 रुपए
  • डिविडेंड : 11.50रुपए
  • ITC FMCG की टॉप मोस्ट कंपनी में से एक है जो कि सिगरेट भी बनाती है।
  • कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है
  • कंपनी पिछले 5 सालों से लगातार डिविडेंड दे रही है
  • ITC साल में 2 बार डिविडेंड देती है ।

2. Polyplex :

  • शेयर प्राइस कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है 2340.5 रुपए
  • डिविडेंड : 104 रुपए
  • कंपनी पिछले 5 सालों से लगातार डिविडेंड दे रही है कंपनी का current शेयर प्राइस 2340.5 रुपए है।
  • 2021 में कंपनी ने 4 बार डिविडेंड दिया है।
  • (100 रुपए, 33 रुपए, 17 रुपए, 15 रुपए)

3. Coal India

  • माइनिंग सेक्टर में स्थित एक लार्ज कैप कंपनी है।
  • मार्केट कैप : 1 लाख 5 हजार करोड़
  • शेयर प्राइस : 171 रुपए
  • डिविडेंड : 9.36 %
  • 1 साल में दो बार डिविडेंड देती है
  • सालाना रिटर्न : 41%

इस हफ्ते ये 2 कंपनियां हर स्टॉक पर देंगी 5 बोनस शेयर, Nykaa का लॉक-इन पीरियड भी होगा खत्म

इस हफ्ते ये 2 कंपनियां हर स्टॉक पर देंगी 5 बोनस शेयर, Nykaa का लॉक-इन पीरियड भी होगा खत्म

ये हफ्ता शेयर बाजार में पैसे लगाने वालों के लिए कुछ अहम रहने वाला है. इसी हफ्ते में नायका का लॉक-इन पीरियड खत्म होगा. साथ ही इसी हफ्ते कंपनी बोनस शेयर भी जारी करेगी.

अगर आप भी शेयर बाजार (Share Market) में पैसे लगाते हैं तो ये हफ्ता आपके लिए कुछ खास खबरें लाया है. इसमें एक बड़ी खबर तो ये है कि इस हफ्ते दो कंपनियां बोनस शेयर (कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है Bonus Share) जारी करेंगी. इसमें पहली कंपनी है  Nykaa  और दूसरी कंपनी है Punit Commercials. दोनों ही कंपनियां हर शेयर के बदले 5 बोनस शेयर दे रही हैं. दिलचस्प है कि इसी हफ्ते 10 नवंबर को Nykaa के आईपीओ का लॉक इन पीरियड भी खत्म हो रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि लॉक-इन पीरियड खत्म होते ही बहुत सारे निवेशक अपने शेयर बेच सकते हैं, जिससे इसमें गिरावट आ सकती है.

बोनस शेयर का मतलब भी समझ लीजिए

अगर कोई कंपनी बोनस शेयर देने की घोषणा करती है तो बहुत से निवेशक सोचते हैं उन्हें अतिरिक्त शेयर मुफ्त में मिल रहे हैं. बात सही भी है, अतिरिक्त शेयर मुफ्त में मिलते ही हैं, लेकिन इसमें एक ट्विस्ट है. बोनस शेयर मिलने बाद सिर्फ शेयरों की संख्या बढ़ती है, उनकी वैल्यू नहीं. उदाहरण के लिए अगर आपके पास 500 रुपये का कोई शेयर कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है है और कंपनी आपको प्रति शेयर एक बोनस शेयर दे, तो आपके पास दो शेयर हो जाएंगे. हालांकि, ऐसी स्थिति में आपके शेयर का भाव कम होकर 250 रुपये रह जाएगा. आपको बोनस शेयर का फायदा डिविडेंट मिलने के वक्त होगा, क्योंकि तब प्रति शेयर के हिसाब से डिविडेंड दिया जाता है.

अमूमन कंपनियां बोनस शेयर इसलिए देती हैं, क्योंकि वह शेयर की लिक्विडिटी को बढ़ाना चाहती हैं. मान लीजिए कि कोई शेयर 500 रुपये का है, ऐसे में प्रति शेयर एक बोनस शेयर दिए जाएं तो एक शेयर की कीमत 250 रुपये हो जाएगी. इससे शेयर सस्ता दिखने लगेगा और कम पैसे लगाने वाले निवेशक भी इसमें पैसा लगा सकेंगे. मौजूदा वक्त में नायका का शेयर करीब 1300 रुपये का है, ऐसे में बहुत से लोगों को यह महंगा लगता होगा. बोनस शेयर जारी करने की ये एक बड़ी वजह हो सकती है कि कंपनी अपने शेयरों को सस्ता बनाना चाहती है. इतना ही नहीं, बोनस शेयर की खबर से अक्सर कंपनियों के शेयर चढ़ जाते हैं. ऐसे में बोनस शेयर को कई कंपनियां शेयरों की कीमत पंप करने की एक रणनीति की तरह भी इस्तेमाल करती हैं.

समझिए एक्स-बोनस और रेकॉर्ड डेट का मतलब

शेयर बोनस तमाम कंपनियों में इस्तेमाल होने वाली आम प्रैक्टिस है, लेकिन निवेशक अक्सर इससे कनफ्यूज हो जाते हैं. इन मामलों में दो तारीखें बहुत ही अहम होती हैं, रेकॉर्ड डेट और एक्स-डेट. रेकॉर्ड डेट वह तारीख होती है, जिस पर या उससे पहले आपके पास शेयर होना जरूरी है, तभी फायदा मिलेगा. वहीं एक्स-डेट रेकॉर्ड डेट से एक-दो दिन पहले की तारीख होती है, ताकि उस तारीख पर अगर आप शेयर खरीदें तो रेकॉर्ड डेट तक वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएं.

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डिविडेंड देने के मामले में ये दो कंपनियां हैं अव्वल, क्या आपके पास है इनमें से कोई स्टॉक?

डिविडेंड देने के मामले में ये दो कंपनियां हैं अव्वल, क्या आपके पास है इनमें से कोई स्टॉक?

शेयर मार्केट में इस साल काफी उतार और चढ़ाव देखने को मिला है। पहले रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से फिर मंदी की आशांकाओं ने बाजार की कमर तोड़ कर रख दी है। साल 2022 में निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में किसी कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है स्टॉक पर दांव लगाया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो सके? आज हम दो डिविडेंड देने वाले स्टॉक हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो की चर्चा करेंगे।

कैसा है हीरो मोटोकॉर्प का प्रदर्शन?

कंपनी का मार्केट कैप टू-व्हीलर्स में करीब 36 प्रतिशत का है। लगातार 19 सालों से कंपनी किसी कैलेंडर ईयर में सबसे ज्यादा बाइक बेचने के रिकॉर्ड को अपने पास बरकरार रखने में सफल रही है। बता दें, हीरो मोटोकॉर्प दुनिया की सबसे ज्यादा टू व्हीलर्स का प्रोडक्शन करने वाली कंपनी है। Ace Equity के अनुसार कंपनी ने 29 बार अपने योग्य शेयरधारकों को डिविडेंड दिया है।

म्यूचुअल फंड डिविडेंड स्कीम से दूर क्यों रहना चाहिए

Mutual Fund Dividends

वर्षों पहले जब मैंने पहला म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट किया था, तो वो मैंने अपने पैसे बढ़ाने के लिए किया था। तब, म्यूचुअल फंड एजेंट, जो ख़ुद को “सलाहकार” बताता था और बैंक में RM था, उसने मुझे “डिविडेंड” प्लान के बदले “ग्रोथ” प्लान चुनने की सलाह दी- क्योंकि “ग्रोथ” प्लान लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर के लिए अनुकूल था, जबकि “डिविडेंड” प्लान उन लोगों के लिए कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है ज़्यादा अनुकूल था जो नियमित डिविडेंड इंकम चाहते थे।

मैं ऐसा मानता था कि, म्यूचुअल फ़ंड्स के डिविड़ेंड प्लान में लगाया गया पैसा, डिविड़ेंड देने वाली कंपनियो में इन्वेस्ट किया जाता होगा और उन कंपनियो से मिला डिविड़ेंड हमें दिया जाता होगा। और फिर मुझे आश्चर्य होता था कि ज़्यादातर म्यूचुअल फंड कंपनीयाँ कैसे डिविड़ेंड दे पाती हैं! ज्यादातर भारतीय कंपनियाँ वार्षिक डिविड़ेंड देती है, तो म्यूचुअल फंड कम्पनियाँ हर तीन महीने में डिविड़ेंड कहाँ से देती है?

म्यूचुअल फंड डिविडेंड की ज़रूरी बातें

  • भारतीय इन्वेस्टर को दी जाने वाली प्रत्येक इक्विटी ओरियंटेड म्यूचुअल फंड योजना में या तो ग्रोथ-प्लान या तो डिवीडेंड-प्लान का विकल्प होता है
    • डिविडेंड प्लान: इन्वेस्टर को निश्चित समय के बाद डिविड़ेंड मिलता है
    • ग्रोथ प्लान: कोई कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है डिविडेंड नहीं दिया जाता है
    • फंड मैनेजर के पास डिविड़ेंड देना,न देना और कितना देना यह निर्णय लेने की अंतिम सत्ता होती है
      • फंड मैनेजर यह भी तय करता है कि आपको डिविड़ेंड देने के लिए ज़रूरत पड़ने पर किन शेर को बेचना है।
      • इस अमाउंट को म्यूचुअल फंड के रिझर्व से भी लिया जा सकता है, खासकर उन वर्षों में जब म्यूचुअल फंड ने उतनी अच्छी कमाई नहीं की कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है हो।
      • म्यूचुअल फंड को डिविड़ेंड जारी करना ज़रूरी है, भले ही उसने नुकसान किया हो। क्योंकि ऐसा न करने पर कई इन्वेस्टर नाराज हो सकते है।

      NAV पर डिविडेंड का प्रभाव

      • डिविडेंड देने के विभिन्न विकल्प पहले से तय होते हैं और इन्वेस्टर उनमें से चुन सकते हैं
      • क्वार्टरली(तीन महीने) और वार्षिक सबसे आम विकल्प हैं, हालांकि कई म्यूचुअल फंड में मासिक या अर्ध-वार्षिक(छह महीने) विकल्प भी उपलब्ध है
      • डिविडेंड देने के अलग-अलग प्लान में अलग-अलग NAV होती हैं, अर्थात यदि किसी में 4 डिविडेंड प्लान हैं, तो उन 4 प्लान में हर एक की अपनी अलग NAV होगी
      • इन्वेस्टर के खाते में जितना डिविडेंड जमा होता है, उतनी ही रक़म उस दिन उसकी NAV में से कम हो जाती है।
      • उदाहरण के लिए,यदि स्कीम में NAV Rs100 है और डिविडेंड Rs5 / यूनिट है, तो जिस दिन डिविडेंड दिया जाएगा, उसी दिन कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है NAV Rs95 हो जाएगी
      • जब कम्पनी स्टॉक पर डिविडेंड देती हैं, तो मार्केट इसे एक मजबूत संकेत मानता है कि कंपनी इतना अच्छा प्रोफ़िट कर रही है की जिससे कम्पनी खुद का विकास करने के बाद भी कुछ रक़म इन्वेस्टर को वापस भी दे रही है।
      • इससे होता यह है की जब कंपनियां डिविडेंड देती है तो आमतौर पर इस पोज़िटिव सिग्नल के कारण स्टॉक की क़ीमत डिविडेंड की रक़म जितनी कम नहीं होती है। स्टॉक डिविडेंड के सिग्नलिंग इफ़ेक्ट के बारे में ज़्यादा जानने के लिए , यह ब्लॉगपोस्ट देखें।
      • म्यूचुअल फंड के ऊपर, सिग्नलिंग इफ़ेक्ट लागू ही नहीं होता है।
        • डिविडेंड देने पर भी NAV नहीं बढ़ती है।
        • असल में, चूंकि डिविडेंड नहीं देने से अक्सर इन्वेस्टर नाराज़ हो जाते हैं, इसलिए कई म्यूचुअल फंड को मार्केट से मजबूरन केपीटल निकालनी पड़ती है, जबकी नहीं निकालने से और फ़ायदा हो सकता था।

        डबल टैक्सेशन

        • म्यूचुअल फंड में डिवीडेंड पर पहले से ही टैक्स (DDT) लग जाता है, बाद में नहीं लगता है।
        • यदि आप इन्वेस्टमेंट से निश्चित समय पर कुछ इंकम चाहते है, तो डिविडेंड प्लान के बजाय, ग्रोथ प्लान में इन्वेस्ट करके निश्चित समय पर पैसे निकालने की सिस्टम बना सकते हैं।
          • डिविडेंड के रूप में मिली हुई पूरी रक़म पर टैक्स (DDT) देने के बजाय, इस मामले में इन्वेस्टर को केवल प्रोफ़िट पर ही टैक्स देना पड़ता है।
          • म्यूचुअल फंड डिविडेंड पर टैक्स (DDT) लग जाएगा।
          • यदि इन्वेस्टर ख़ुद उसी स्टॉक में उतना ही इन्वेस्ट करता है तो डिवीडेंड पर 10 लाख से पहले कोई टैक्स नहीं लगेगा।
          • म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान में आमतौर पर डिविडेंड से इंकम पाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है। म्यूचुअल फंड ने पहले से लिखके दिया हो, तो ही उस पर ध्यान देते है।
          • इसके बजाय, म्यूचुअल फंड का ध्यान इन्वेस्टर को निश्चित समय पर निश्चित रक़म देने में ही होता है, न कि इंकम पर।
          • यदि इन्वेस्टमेंट का उद्देश्य निश्चित समय पर कुछ निश्चित पैसे निकालने का है तो यह डिविडेंड प्लान की तुलना में अधिक कर-कुशल तरीके से प्राप्त किया जा सकता है, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है।
          • दूसरी तरफ, यदि इंवेस्टमेंट से निश्चित इंकम पाने का उद्देश्य है तो फिर इन्वेस्टर को सीधे स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना चाहिए।
          • कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है
          • उसके लिए ऐसी कंपनियो को खोजना चाहिए जो पहले से ही डिविडेंड देती हो/बढ़ाती आई हो।
          • यदि आपको यह मुश्किल लगता है या लगातार मार्केट रिसर्च करने और अपडेट रहने का समय नहीं है, तो हमने 4 अलग-अलग स्मॉलकेस बनाए हैं जो आपके लिए यह काम करके देते है ।
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