Trade deficit: देश का अब तक का सबसे बड़ा व्यापार घाटा, जुलाई में 31 अरब डॉलर रहा आंकड़ा, एक्सपोर्ट जून के मुकाबले 12% घटा
Import-Export Data: जुलाई 2022 में वस्तुओं का इंपोर्ट (Merchandise Imports) बढ़कर 66.26 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी महीने में 46.15 अरब डॉलर था
भारत का व्यापार घाटा (Trade Deficit) जुलाई में सालाना आधार पर करीब तीन गुना बढ़कर 31.02 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह किसी एक महीने में भारत का सबसे बड़ा व्यापार घाटा है। इससे पहले जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा था, जो पिछला रिकॉर्ड था। पिछले साल जुलाई में भारत का व्यापार घाटा 10.63 अरब डॉलर था। देश के कॉमर्स सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम ने मंगलवार 2 अगस्त को जुलाई महीने के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट से जुड़े आंकड़े जारी किए।
कॉमर्स मिनिस्ट्री की तरफ से जारी प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2022 में वस्तुओं का इंपोर्ट (Merchandise Imports) बढ़कर 66.26 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी महीने में 46.15 अरब डॉलर था। वहीं देश का निर्यात या एक्सपोर्ट (Export) जुलाई में पिछले साल के मुकाबले मामूली 0.76% घटकर 35.24 अरब डॉलर रहा। जून के मुकाबले एक्सपोर्ट करीब 12 फीसदी घटा है।
वित्त वर्ष 2022 में भारत का कुल एक्सपोर्ट 429.2 अरब डॉलर रहा था। वित्त वर्ष 2023 के पहले 4 महीनों में अभी तक भारत 156.41 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट कर चुका है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले माह सोने का आयात लगभग आधा घटकर 2.37 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले इसी महीने में 4.2 अरब डॉलर था।
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जुलाई महीने में एक्सपोर्ट के आंकड़ों में कमी के बावजूद कॉमर्स सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम ने भरोसा जताया कि भारत मौजूदा वित्त वर्ष में 470 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा, "वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 156.41 अरब डॉलर का निर्यात हुआ है। इससे पता चलता है कि हम चालू वित्त वर्ष में 470 अरब डॉलर के निर्यात का आंकड़ा आसानी से हासिल करने की राह पर हैं।"
बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा, "बाहरी दुनिया अब पहले इतनी दयालु नहीं है।" बता दें कि ग्लोबल लेवल पर कमोडिटी की ऊंची कीमतों के कारण हाल के महीनों में भारत का व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा है। इसने भारतीय रुपये पर भी दबाव डाला है, जिसने पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने कई सर्वकालिक निम्न स्तरों को छुआ है। 19 जुलाई को पहली बार एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की वैल्यू घटकर 80 रुपये के निशान को पार कर गई थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये के एक्सचेंज रेट के स्तर को लेकर कोई टारगेट नहीं रखता है। हालांकि यह अपने विदेशी मुद्रा भंडार को खरीद या बेचकर रुपये की कीमत में अस्थिरता को रोकने की कोशिश जरूर करता है। रुपये को अधिक गिरने से रोकने के लिए RBI ने हाल ही में अपने रिजर्व से काफी अमेरिकी डॉलर बेचा है, जिससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 अरब डॉलर के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से 70 अरब डॉलर नीचे आ गया है।
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भास्कर एक्सप्लेनर: जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के उच्चतम स्तर पर, क्या है इसकी वजह और यह देश के लिए कितना फायदेमंद?
देश का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के आखिरी हफ्ते में 541.43 बिलियन डॉलर (39.77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है। एक सप्ताह में इसमें 3.88 बिलियन डॉलर (28.49 हजार करोड़ रुपए) की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 21 अगस्त को समाप्त हुए विदेशी मुद्रा व्यापार टिप विदेशी मुद्रा व्यापार टिप सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 537.548 बिलियन डॉलर (39.49 लाख करोड़ रुपए) था। जून में पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 501.7 बिलियन डॉलर (36.85 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंचा था। 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इस समय पड़ोसी देश चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर के करीब है।
इसलिए बढ़ रहा है विदेशी मुद्रा भंडार
- आर्थिक मंदी के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का सबसे बड़ा कारण भारतीय शेयर बाजारों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ना है।
- बीते कुछ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कई भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई है।
- मार्च में भारत के डेट और इक्विटी सेगमेंट से एफपीआई ने करीब 1.20 लाख करोड़ रुपए की निकासी की थी, लेकिन इस साल के अंत तक अर्थव्यवस्था के वापस पुरानी स्थिति में लौटने की उम्मीद के कारण एफपीआई भारतीय बाजारों में वापस आ गए हैं।
- इसके अलावा क्रूड की कीमतों में गिरावट के कारण देश का आयात बिल कम हुआ है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार का बोझ घटा है। इसी तरह से विदेशों से रुपया भेजने और विदेश यात्राओं में कमी आई है। इससे भी विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ कम हुआ है।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 सितंबर 2019 को कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती की घोषणा की थी। इसके बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना अच्छा संकेत
कोरोनावायरस महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में उदासी का माहौल है। इस कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून तिमाही) में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है। मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों और व्यापार में स्थिरता के कारण यह गिरावट आई है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है।
आज 1991 के विपरीत स्थिति
विदेशी मुद्रा भंडार की आज की यह स्थिति 1991 के बिलकुल विपरीत है। तब भारत ने प्रमुख वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए गोल्ड रिजर्व को गिरवी रख दिया था। मार्च 1991 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 5.8 बिलियन डॉलर (42.59 हजार करोड़ रुपए) था। लेकिन आज विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर देश किसी भी आर्थिक संकट का सामना कर सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार के प्रमुख असेट्स
- फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए)।
- गोल्ड रिजर्व।
- स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (एसडीआर)।
- इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) के साथ देश की रिजर्व स्थिति।
विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा व्यापार टिप भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और आरबीआई को आर्थिक ग्रोथ में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में मदद करती है।
- यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
- मौजूदा विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक साल तक संभालने के लिए काफी है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति मजबूत करने में मदद मिलती है।
- मौजूदा समय में विदेशी मुद्रा भंडार जीडीपी अनुपात करीब 15 फीसदी है।
- विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
आरबीआई करता विदेशी मुद्रा व्यापार टिप है विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन
- आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
- आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
- जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया जारी करता है। इस अतिरिक्त लिक्विडिटी को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के जरिए मैनेज करता है।
कहां रखा होता है विदेशी मुद्रा भंडार
- आरबीआई एक्ट 1934 विदेशी मुद्रा भंडार को रखने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
- देश का 64 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में ट्रेजरी बिल आदि के रूप में होता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका में रखा होता है।
- आरबीआई के डाटा के मुताबिक, मौजूदा समय में 28 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक और 7.4 फीसदी कमर्शियल बैंक में रखा है।
- मार्च 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार में 653.01 टन सोना था। इसमें विदेशी मुद्रा व्यापार टिप से 360.71 टन सोना विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की सुरक्षित निगरानी में रखा है। बचा हुआ सोना देश में ही रखा है।
- डॉलर की वैल्यू में विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2019 के 6.14 फीसदी से बढ़कर मार्च 2020 में 6.40 फीसदी पर पहुंच गई है।
2014 में 300 बिलियन डॉलर के करीब था विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई के डाटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इसी साल नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे। तब से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही थी। 2018 में यह बढ़कर 424.5 बिलियन डॉलर (31.13 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया था। हालांकि, इसके अगले साल यानी 2019 में यह थोड़ा घटकर 412.87 बिलियन डॉलर (30.26 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया था। 28 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में यह बढ़कर 541.4 बिलियन डॉलर (39.77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है।
चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत से 484% ज्यादा
पड़ोसी देश चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा है। अगस्त 2020 में चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर था। वहीं, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 541.4 बिलियन डॉलर है। इस प्रकार चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के मुकाबले 484 फीसदी ज्यादा है। 2014 में चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया था। हालांकि, तब से अब तक इसमें गिरावट आ रही है।
इस साल 19.33 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा क्रूड
इस साल 1 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय विदेशी मुद्रा व्यापार टिप बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 66 डॉलर प्रति बैरल थी। इसी सप्ताह 6 जनवरी को कीमतें बढ़कर 68.91 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। इसके बाद से क्रूड की कीमतें लगातार कम हो रही है। इस बीच मार्च के अंत में कोरोनावायरस महामारी पूरी दुनिया फैल गई। इससे क्रूड की मांग घट गई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि क्रूड की कीमत घटकर 19.33 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। इस प्रकार क्रूड की कीमतों में इस साल अपने उच्चतम स्तर से 71 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार 7 सितंबर को यह 42.05 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।
भारत के बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार से अमेरिका चिंतित, रखेगा नजर
अगर रुपया में डॉलर के मुकाबले मजबूती जारी रहती है तो अमेरिकी कंपनियों और वहां के कर्मचारियों पर खराब असर पड़ेगा
यूएस ट्रेजरी के इस फैसले का भारत पर सिर्फ इतना असर पड़ेगा कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार से संबधित होने वाली बातचीत में अमेरिका इस मसले पर चर्चा कर सकता है. यूएस ट्रेजरी ने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर जारी रिपोर्ट में कहा है कि वह भारत के फॉरेन एक्सचेंज और अर्थव्यवस्था से जुड़ी नीतियों पर करीबी नजर बनाए रखेगा.
2017 के पहले छह महीने में भारत के विदेशी मुद्रा खरीदने की रफ्तार में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह जून तिमाही में बढ़कर करीब 42 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 1.8 फीसदी है. यूएस ट्रेजरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के साथ व्यापार में भारत का पलड़ा भारी है.
यूएस ट्रेजरी उन देशों के विदेशी मुद्रा भंडार पर नजर रखता है, जिनके साथ उसका मजबूत व्यापारिक संबंध होता है. ऐसे देशों के विदेशी मुद्रा भंडार निगरानी के लिए उसने तीन शर्तें तय की हैं. इनमें अमेरिका के साथ व्यापार में जिन देशों का ट्रेड सरप्लस 20 अरब डॉलर से ज्यादा होने की शर्त भी शामिल है.
अमेरिका उन देशों के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी नजर रखता है, जिनका अमेरिकी के साथ चालू खाते का घाटा जीडीपी के कम से कम 3 फीसदी तक पहुंच गया हो. यूएस ट्रेजरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में खत्म 12 महीने की अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने उन शर्तों को पूरा किया है, जिनके आधार पर अमेरिका किसी देश की विदेशी मुद्रा भंडार पर नजर रखना शुरू कर देता है.
आरबीआई डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती पर अंकुश लगाने के लिए पिछले कुछ समय से लगातार हस्तक्षेप कर रहा है. इस साल सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 400 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया था. 6 अक्टूबर को यह थोड़ा गिरकर 398 अरब डॉलर पर था.
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