52 वीक ब्रेकआउट स्ट्रैटेजीज
दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ सालों में बोहत सारे एकैडमिक रिसर्च हुए हैं और इनमें से अधिकतर, इशारा करते हैं 52 हफ्तों के हाई तक पहुंचनेवाले स्टॉक्स के हाई मोमेंटम की ओर। यह मोमेंटम इन्वेस्टिंग के सबसे प्रसिद्ध पेपर के इस कोट से समझी जा सकती है।
“The 52-week high price explains a large portion of the profits from momentum investing.
We find that nearness to the 52-week high is a better predictor of future returns than are past returns”
---- The 52-Week High and एक औसत स्टॉप लॉस क्या है Momentum Investing - Thomas George and Chuan Hwang, Journal of Finance, 2004.
रिसर्च और डेटा के बावजूद, मैंने ऑब्जर्व किया है कि इन सालाना हाई और लो जोंस में ट्रेडिंग करनेवाले ट्रेडर्स पैसा गंवा देते हैं। कारण क्या है?
इन्टरनेट ट्रेडिंग के आने से पहले 52 वीक हाई और लो वास्तविक होते थे और मार्केट ज़्यादा मोमेंटम के साथ उनके आगे बढ़ता था। लेकिनजैसे-जैसे समय के साथ, और ज़्यादा लोग इस सरल मेथड को अपनाने लगे और इन्फर्मेशन की स्पीड बढ़ी जिसके परिणामस्वरूप अस्थिरता और झूठे ब्रेक आउट्स बढ़े और इसकी ट्रेडिंग की तेज़ी खत्म हो गई।
तो फिर, आज के ट्रेडिंग के माहौल में इन स्टॉक्स की ट्रेडिंग कैसे की जानी चाहिए?
मेथड
यहाँ एक स्टेप बाय स्टेप मेथड दिया जा रहा है जिसे फॉलो करके आप ट्रेड कर सकते हैं।
- 52 वीक के हाई और लो को नियमित स्कैन करें।
मार्केट पल्स एप में ऐसे कई प्री-डिफ़ाइंड स्क़ैन्स हैं जो आपके लिए यह कर सकते हैं। इनके नाम हैं-
2. हाइज़ और लोज़ तक पहुंचनेवाले स्टॉक्स की अलग-अलग वॉचलिस्ट बनाएँ।
3. स्टॉक के इन लेवल्स को हिट करने के बाद रेंज से पलबैक होने का इंतज़ार करें। 100, 1000 आदि जैसे राउंड फिगर्स को देखें। ये बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और ऐसी मूव्ज़ के दौरान मजबूत रेजीस्तेंस बनते हैं।
4. पिछले स्विंग के हाइज़ और लोज़ के आसपास कंसॉलिडेशन ढूंढें। इसे मॉनिटर करने के लिए आप स्टॉक के सपोर्ट और रेजिस्टेंस ज़ोन का उपयोग कर सकते हैं। एक गहरे करेक़्शन और यह देखने के लिए कि इन लेवल्स पर यह स्टॉक कैसे व्यवहार करते हैं, मैं 20-डे ईएमए या 50-डे ईएमए जैसे डायनामिक सपोर्ट/रेजिस्टेंस ज़ोन का उपयोग करना पसंद करता हूँ। इस कंसॉलिडेशन फेज में 2 से 5 हफ्ते लग सकते हैं।
5. हाल के स्विंग के नीचे एक टाइट स्टॉप लॉस साथ जब बड़े ट्रेंड्स ठहरने लगते हैं तब लॉन्ग पोज़िशन एंटर करें। इनमे से अधिकांश ब्रेक आउता ट्रेडिंग के पहले घंटे में होते हैं तो इस समय चऔकन्ने रहें।
6. अगले 2-3 ट्रेडिंग सेशन्स में यदि स्टॉक 52 वीक हाई के ऊपर ब्रेक आउट करता है तो मोमेंटम आपकी ओर होगा और लाभ तेज़ी से आएगा।यदि नहीं, तो अपने स्टॉप लॉस को ट्रेल करें और अगर आपके स्टॉक्स हिट करें तो एग्जिट कर जाएँ।अनुभवी ट्रेडर्स ब्रेक आउट पर अपनी मौजूदा पोज़िशन्स में जोड़ने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन यदि आप अभी शुरुआत कर रहे हैं तो मैं आपको यह करने की सलाह नहीं दूँगा।
7. अधिकांश ट्रेडर्स केवल 52 वीक हाई पर फोकस करते हैं। मेरा सुझाव है कि आप जितना अप साइड ट्रेड करते हैं आपको उतना ही डाउन ट्रेड (52 वीक लो) करना चाहिए। सामान्यतः डाउन साइड में मोमेंटम अपसाइड से ज़्यादा तेज़ होता है।
8. उन स्टॉक्स को चुनिए जिनमें पर्याप्त मात्रा में अच्छे वॉल्यूम्स और अच्छी परिवर्तनशीलता रहती है। अद्रव स्टॉक्स को ट्रेड करना हमेशा जोखिम भरा होता है। मैं खुद को निफ्टी 200 और लिक्विड फ्यूचर्स काउंटर तक सीमित करना पसंद करता हूँ।
Download Now - https://bit.ly/3z7TCMZ
केस स्टडीज़
फिगर अबोट इंडिया का चार्ट दिखाता है
जैसा कि आप चार्ट में देख सकते हैं स्टॉक ने 26 जून 2019 को अपने पिछले 52 हफ्ते के 8820 के हाई को तोड़ा। 9000 के हाई को हिट करने के बाद स्टॉक जल्दी से वापस लौटना शुरू कर देता है। इसे 20ईएमए पर पहला सपोर्ट मिलता है और एक नए हाई तक पहुँचने के अपने कुछ हफ्तों के असफल अटेम्प्ट के बाद, कुछ हफ्तों के लिए कंसॉलिडेट हो जाता है। यह 50 ईएमए के पास बढ़ी हुई वॉल्यूम के साथ एक नए हाई के लिए प्रयास करता है। 6 अगस्त 2019 की हाई वॉल्यूम कैन्डल एक 52 वीक ट्रेडर के लिए8439 पर 8278 के स्टॉप लॉस के साथ लॉन्ग एंट्री के लिए एक परफेक्ट एंट्री पॉइंट होता।
नीचे दिया गया फिगर हीरो मोटों को दिखाता है।
यह केस 52 वीक लो के टूटने को दिखाता है। 23 जुलाई 2018 को लो टूटा इसके बाद पहले 20 ईएमए पर पुल बैक करता है और फिर 50ईएमए(2) पर जहां से बड़ी वॉल्यूम के साथ बड़ा ट्रेंड मान लिया जाता है। 11 सितंबर एक औसत स्टॉप लॉस क्या है 2018 को 3184 पर 3345 के स्टॉप लॉस के साथ एक शॉर्ट शुरू किया जा सकता था।
कंक्लूजन
आपको यह ज़रूर जान लेना चाहिए कि यह मेथड बहुत फायदेमंद हो सकता है लेकिन इससे सबसे अच्छे परिणाम पाने के लिए कभी कई डीनो तक तो कभी कई हफ्तों तक उच्च स्तर के सुधार की आवश्यकता होगी। आपको अपनी मौजूदा वॉचलिस्टको रोज़ रिव्यू और अपडेट करना होगा। ऐसे एक औसत स्टॉप लॉस क्या है स्टॉक होंगे जो आपके क्राइटेरिया में नहीं आएंगे और आपको बिना पछतावे के उन ट्रेडोन को पास करने के लिए तैयार होना चाहिए।
Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.
Arshad Fahoum
Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.
what is stop loss in share market ? शेयर बाजार में स्टॉप लॉस एक औसत स्टॉप लॉस क्या है क्या है
अपने मूवी में सुना होगा रिस्क है तो इश्क है लेकिन रिस्क लेने की कैपेसिटी हर आदमी की अपनी अपनी होती है ।आपकी रिस्क लेने की कैपेसिटी कितनी है लेकिन रिस्क कितना लिया जाए शेयर मार्केट में इसकी कोई लिमिट नहीं है आप कभी हीरो कभी जीरो होते हैं ।और अधिकतर देखा गया है जब ट्रेडिंग में लोग अपने पैसे को जीरो जरूर कर लेते हैं यहां पर आपकी रिस्क को कम करने के लिए स्टॉप लॉस का यूज किया जाता है।
जब आप का खरीदा हुआ स्टॉक प्राइस गिरता है तो उसको कब तक गिरने देना है कहां पर स्टॉप करना है यह स्टॉप लॉस के जरिए किया जा सकता है ।चलिए हम जानते हैं कि स्टॉपलॉस क्या होता है।
What is stop loss ?| स्टॉप लॉस क्या होता है ?
शेयर मार्केट में आपके रिस्क को कम करने की एक डिजिटल विधि है stop loss एक आर्डर की तरह काम करता है जिसे आप अपनी ब्रोकर के ऐप में या ऑनलाइन डिजिटल के रूप में लगाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने रिलायंस का कोई शेयर ₹2600 के भाव पर खरीदा है लेकिन आपको लग रहा है कि यह नीचे भी आ सकता है आप अपने इस डर को कम करने के लिए स्टॉपलॉस का यूज कर सकते हैं।
मान लीजिए आप इस शेयर पर ₹200 तक का नुकसान सहन कर सकते हैं उससे ज्यादा नुकसान आप नहीं उठाना चाहते एक औसत स्टॉप लॉस क्या है इस स्थिति में आप दो काम कर सकते हैं या तो आप रेगुलर ली स्टॉक को देखते रहिए जैसे ही वह गिरता है तो आप सेल कर सकते हैं या फिर आप पहले से ही एक स्टॉपलॉस लगा सकते हैं जो ₹2400 के भाव पर लगेगा जिसमें आपको रेगुलर देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी जैसे ही भाव ₹200 गिरता है आपका stock सेल हो जाएगा
Types of stop loss | स्टॉप लॉस के प्रकार
सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग लॉन्ग पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए किया जाता है आपने किसी शेयर में लॉन्ग पोजीशन बना रखी है वहां पर आप सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग करते हैं उदाहरण के लिए आपने किसी कंपनी का शेयर ₹100 में खरीदा है आपके प्रोडक्शन के हिसाब से यह शेयर ₹150 जाएगा इस पोजीशन को हम लोग पोजीशन कहते हैं इस पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए आप सेल स्टॉपलॉस आर्डर लगा सकते हैं
2. Buy-Stop Orders
Buy-Stop Orders वैचारिक रूप से सेल-स्टॉप ऑर्डर के समान हैं। हालांकि, उनका उपयोग शॉर्ट पोजीशन की सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक खरीद-स्टॉप ऑर्डर की कीमत मौजूदा बाजार मूल्य से ऊपर होगी और अगर कीमत उस स्तर से ऊपर उठती है तो ट्रिगर होगी
On which position to put stop loss? |स्टॉप लॉस किस पोजीशन पर लगाये ?
Technical analysis उन स्तरों को निर्धारित करने के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है जिन पर stop loss सेट किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक long term के लिए, स्टॉक के लिए प्रमुख समर्थन स्तरों का पता लगाना नकारात्मक जोखिम का अनुमान लगाने के लिए उपयोगी हो सकता है। यहां आधार यह है कि एक बार एक प्रमुख समर्थन स्तर के टूटने के बाद, यह स्टॉक के लिए अतिरिक्त नुकसान का संकेत दे सकता है। हालाँकि, झूठे ब्रेकआउट से सावधान रहें। सुनिश्चित करें कि आप अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में प्रवेश करने से पहले तकनीकी विश्लेषण और अन्य उपकरणों का उपयोग करते हुए, स्टॉप-लॉस स्तरों पर लगन से शोध करते हैं।
how can put a stop loss on existing shares ? | मौजूदा शेयरों पर स्टॉप लॉस कैसे लगाया जा सकता है?
यदि आपने पहले कोई शेयर खरीद रखा है .आप उस शेयर पर स्टॉप लॉस लगा सकते है .इसके लिए आपको अपने एप्प के शेयर सेल्ल ऑप्शन पर जाकर सेल स्टॉप लोस्स आर्डर लगाना पड़ेगा
नीचे आपको ज़ेरोढा एप्प का उद्धरण दिया है
what-is-stop-loss-in-share-market
क्या है Stop Loss और Target Price?
शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें
इसका मतलब यह है कि एक औसत स्टॉप लॉस क्या है आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल एक औसत स्टॉप लॉस क्या है कर सकते हैं.
इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.
मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने की सलाह दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.
किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.
क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.
आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.
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average true range in hindi-average true range kya hai
एवरेज ट्रू रेंज एक वोलैटिलिटी इंडिकेटर के तरह भी काम करता है क्योंकि मार्किट में जितने भी एसेट्स फोल्लोव्स होते है इसको ये हर टाइम फ्रेम में एक एवरेज निकाल कर देता है इसलिए इसको AVERAGE TRUE RANGE कहते है .
AVERAGE TRUE RANGE को अब हम पुरे विस्तार से समझेंगे और क्या यह STOP LOSS की तरह भी काम करता है की नहीं। जितने भी नए INVESTER है उनकी हमेशा यही परेशानी है की जब भी वो कोई SHARE MARKET से STOCK BUY करते हैं लेकिन STOP LOSS कहाँ रखें इसका जानकारी नहीं होने के कारण उनका STOP LOSS बार -बार हिट ही जाता हैं और वो कभी स्टॉक को SELL ही नहीं कर पाते।
इसको अब TECHNICAL CHART में कैसे लगाए जिससे हम अपने STOP LOSS के लिए ज्यादा मेहनत न करना पड़े और हमे एक ऐसा प्राइस भी मिल जाए AVERAGE TRUE RANGE की मदद से जिसे हम अपने STOP LOSS की तरह इस्तेमाल करे तथा बार बार हिट भी ना हो।
इसे समझने एक औसत स्टॉप लॉस क्या है के लिए हमे एक और इंडिकेटर चाहिए जिसका नाम MACD है इसकी मदद से हम कोई स्टॉक को खरीदेंगे। स्टॉक का चयन हमे NSE के WEBSITE पे LISTED NIFTY 50 या NIFTY BANK में से चुनेंगे
क्योंकि इसमें लिस्टेड सारे स्टॉक बढ़िया QUALITY और FUNDAMENTALLY STRONG होते है जो बढ़िया PERFORM करते है उन्ही को यहाँ रखा जाता है नहीं तो निकाल दिया जाता है।
indicator average true range
> MACD :- ऊपर INDICATOR SECTION में JAKAR हम MACD को SELECTKARENGE ISME कोई बदलाव नहीं होगा
> AVERAGE TRUE RANGE:- ऊपर INDICATOR SECTION में JAKAR हम ATR TYPE करेंगे तो ये BHI दिख जायेगा और इसे भी सेलेक्ट कर लेंगे।
> TIME :- जैसा की AVERAGE TRUE RANGE हर TIME FRAME में काम करने सक्षम है इसके लिए कोई सा भी TIME PERIOD ले सकते हैं। मैं EXAMPLE के लिए ONE DAY का TIME FRAME को चुना हूँ।
BUY POSITION :-
TECHNICAL CHART पर ये दोनों इंडिकेटर लगाने के बाद हम NSE के WEBSITE से सारे स्टॉक को इस CHART पर लगाकर बारी -बारी से चेक करेंगे जिस STOCK में भी हमे MACD से निचे से ऊपर के तरफ क्रासिंग दिखेगा हम उस स्टॉक का चुनाव BUY करने के लिए करेंगे।
अब हम सबसे IMPORTANT TOPIC पर बात करेंगे इसके बाद AVERAGE TRUE RANGE इंडिकेटर के पास जायेंगे और उसका VALUE का पता करेंगे। जैसा की निचे फोटो पर दिखाया गया है।
MACD CROSS करने के बाद स्टॉक का PRICE था 1313 RUPAY इसी प्राइस पर मैंने को BUY कर लिया और जिस CANDLE पर मैंने BUY किया उसका LOW 1295 है AVERAGE TRUE RANGE का VALUE (43 ) तो हम LOW PRICE(1295 ) को 43 से घटा देंगे मेरा FINAL PRICE 1253 आएगा
यही मेरा STOP LOSS होगा। अब आप सोच रहे होंगे की जिस कैंडल पर BUY किया उसके बाद वाला CANDLE तो RED है STOP LOSS हिट हो गया पर ऐसा नहीं है क्योंकि उस RED CANDLE का VALUE 1277 है जो की मेरे स्टॉप लोस्स 22 RUPAY ऊपर है।
SELL POSITION
हर दिन जैसे ही नया CANDLE बनेगा वैसे ही मेरा भी STOP LOSS CHANGE होता चला जायेगा जैसा मैंने बताया है SAME वही प्रक्रिया हम बार -बार दोहरायेंगे। आपको एक जानकारी के लिए बता दू की आप में हैं की एक बड़ा RED CANDLE बना वही पर मेरा STOP LOSS हिट हो गया
और मेरा SELL PRICE 1350 RUPAY था मुझे इस TRADE में जो फायदा हुआ 37 रूपए का था। इस प्रकार हम बड़े आसानी से AVERAGE TRUE RANGE को लगाकर अच्छा PROFIT कमा सकते हैं।
स्टॉक की सीमा किसी भी दिन उच्च और निम्न कीमतों के बीच का अंतर है। यह इस बात की जानकारी बताता है कि स्टॉक कितना अस्थिर है। बड़ी श्रेणियां उच्च अस्थिरता का संकेत देती हैं और छोटी पर्वतमाला कम अस्थिरता का संकेत देती हैं। एक औसत स्टॉप लॉस क्या है सीमा को विकल्पों और वस्तुओं (उच्च माइनस कम) के लिए उसी तरह मापा जाता है जैसे वे स्टॉक के लिए होते हैं।
स्टॉक और कमोडिटी मार्केट के बीच एक अंतर यह है कि प्रमुख वायदा एक्सचेंज उस राशि पर सीलिंग लगाकर बेहद अनियमित मूल्य चाल को रोकने का प्रयास करते हैं, जो एक ही दिन में बाजार में आ सकता है। यह एक लॉक लिमिट के रूप में जाना जाता है
और एक दिन के लिए कमोडिटी की कीमत में अधिकतम बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 1970 के दशक के दौरान, मुद्रास्फीति अभूतपूर्व स्तर, अनाज, सूअर का मांस और अन्य वस्तुओं तक पहुंच गई, जो अक्सर अनुभवी सीमाएं होती हैं।
यहां बताया गया है कि 'वोलैटिलिटी फ़िल्टर' के साथ स्टॉप लॉस लेवल कैसे सुधारें!
स्टॉप लॉस एक ऐसा उपकरण है जिसके बिना व्यापारी लंबे समय तक खेल में बने रहने के लिए व्यापार नहीं कर सकते। यह न केवल हमारे नुकसान को कम करने में मदद करता है बल्कि जब हम अपनी स्थिति से बाहर निकलते हैं और बाजार हमारे खिलाफ चलता रहता है तो भावनात्मक राहत भी देता है। हालाँकि, हमेशा ऐसा नहीं होता है और कई बार बाजार हमारे स्टॉप लॉस को हिट कर देता है, हमें बाहर निकाल देता है और वापस पलट देता है (जिसे व्हिपसॉ कहा जाता है) जिसे पचाना थोड़ा मुश्किल होता है।
हर ट्रेडर को एक बात अपने दिमाग में लिखनी चाहिए कि व्हिपसॉ से बचा नहीं जा सकता। ऐसा समय आएगा और व्हिपसॉ से बचने का एकमात्र तरीका ट्रेडिंग बंद करना है! हालांकि, हमारे प्रवेश/निकास स्तरों पर कुछ फ़िल्टर लागू करके इन व्हिपसॉ को कुछ हद तक कम करने के कुछ तरीके हैं।
कई बार बाजार हमारे स्टॉप लॉस को ट्रिगर करता है, केवल तुरंत वापस लौटने के लिए, जो प्रमुख रूप से बढ़ी हुई अस्थिरता के कारण होता है, जो कि अनियमित चालों को बढ़ावा देता है जो सामान्य नहीं हैं। इस बढ़ी हुई अस्थिरता के परिणामस्वरूप तेज स्पाइक्स (ऊपर/नीचे) होते हैं जो आपके स्टॉप लॉस को हिट करते हैं जो एक अच्छी दूरी पर भी रखा जाता है।
अत्यधिक अस्थिरता के कारण अपने स्टॉप लॉस को मारने की संभावना को कम करने का एक तरीका अस्थिरता फ़िल्टर का उपयोग कर रहा है और मेरा व्यक्तिगत पसंदीदा एटीआर (औसत ट्रू रेंज) है। एटीआर एक संकेतक है जिसे एक निश्चित समय अवधि में स्टॉक की औसत गति को दर्शाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उदाहरण के लिए, यदि ITC (NS: ITC ) का वर्तमान 14-दिवसीय ATR 6.6 है, तो इसका मतलब है कि ITC ने पिछले 14 सत्रों में INR 6.6 (दिशा के बावजूद) की औसत चाल दी है।
यह जानकारी का एक उपयोगी टुकड़ा है क्योंकि यह आपको यह मापने का एक बहुत ही उचित तरीका देता है कि आपका स्टॉप लॉस सीएमपी से बहुत करीब/बहुत दूर या आदर्श दूरी पर है या नहीं। उपरोक्त उदाहरण को जारी रखते हुए, अगर मुझे पता है कि आईटीसी आसानी से एक दिन में 6.6 रुपये स्थानांतरित कर सकता है तो सीएमपी से 6.6 रुपये की दूरी के भीतर एक औसत स्टॉप लॉस क्या है किसी भी स्टॉप लॉस को आसानी से केवल एक स्पाइक के साथ हटाया जा सकता है।
तो आप अस्थिरता में अचानक वृद्धि के कारण व्हिपसॉ की संभावना को कैसे कम कर सकते हैं? यह एक औसत स्टॉप लॉस क्या है आसान है। बस मूल SL से INR 6.6 घटाएं जो आपको आपके बाहर निकलने के लिए एक नया निचला स्तर देगा (लंबी स्थिति के मामले में)। इस तरह आपका स्टॉप लॉस स्टॉक के औसत उतार-चढ़ाव से कम हो जाएगा। चूंकि आपका एसएल कम हो जाएगा, यदि यह ट्रिगर हो जाता है, तो आपको मूल की तुलना में अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा, जाहिर है और इसलिए प्रवेश करने से पहले ऐसे फिल्टर पर भी विचार किया जाना चाहिए ताकि आप अपनी बेट को उचित आकार दे सकें।
व्हिपसॉ को कम करने के लिए ऐसे कई फिल्टर हैं। एक अन्य उदा. एक समय-आधारित फ़िल्टर है जिसमें आप स्थिति से बाहर निकलने से पहले कीमत को अपने SL के नीचे बनाए रखने के लिए 1 या दो दिन (या जो कुछ भी) प्रतीक्षा करते हैं।
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