ऐसी ऑनलाइन कंपनियां फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट करके अपनी लॉसेज दिखाकर पैसा इंडिया से सेल आउट करवा रही है. बड़े डिस्काउंट देकर व्यापार करने वालों में टॉप 90 फीसदी ट्रेड 18 कंपनियां ऑनलाइन के माध्यम से देश में कर रही है. बाकी शेष 5 फीसदी बाजार आंदोलन का प्रभाव रिटेल के माध्यम से व्यापार कर रहे हैं. जिसके विरोध में AIMRA, CAIT और TRCA के संयुक्त बैनर तले आंदोलन किया जा रहा है.

शासन : चुनौतियाँ और मुद्दे/शासन तंत्र और विकास: पारस्परिक प्रभाव


विकास की प्रक्रिया के साथ जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण विमर्श शासनतंत्र के प्रकारों से भी जुड़ा हुआ है। यह स्मरण रहे कि नवोदित तृतीय विश्व के लिए विकास की प्रक्रिया का चयन केवल एक आर्थिक प्रश्न नहीं था, बल्कि यह एक राजनीतिक पसंद का भी सवाल था और पूंजीवादी या समाजवादी विकास प्राथमिकता अपने साथ विचारों के एक ऐसे मॉडल को अपनाती थी जिसका विस्तार आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं तक था। भारत द्वारा एक स्वतंत्र विकल्प के रूप में मिश्रित आर्थिक मॉडल का चयन उन द्वंद्र और संदेहों को उजागर करता है, जो उपरोक्त मॉडलों के साथ जुड़े हुए थे, जिनका पारस्परिक प्रभाव आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं में अभिव्यक्त होना बाजार आंदोलन का प्रभाव था। आर्थिक विकास के लोकतांत्रिक -खुले राज्यतंत्रों की बजाय सत्तावादी तंत्रों में अधिक सकारात्मक परिणामों की वकालत ने इस संबंध में भारत में बाजार आंदोलन का प्रभाव भी अध्ययन को बढ़ावा दिया। रुडोल्फ और रुडोल्फ (1987 ), ने इसे "डिमांड पॉलिटी और बाजार आंदोलन का प्रभाव कमांड पॉलिटी" के रूप में विश्लेषित किया है। डिमांड पॉलिटी में नीतियों का निष्कर्षण और निर्धारण मतदाताओं द्वारा शासन में हस्तक्षेपित होता है जो कि चुनावां, दवाव बाजार आंदोलन का प्रभाव बाजार आंदोलन का प्रभाव समूहों, सामाजिक आंदोलनों और उत्तेजक राजनीति द्वारा अभिव्यक्त होता है। आदर्श रूप में यह माना जाता है कि मतदाता प्रतियोगी बाजार व्यवस्था में एक संप्रभु उपभोक्ता के रूप में होता है, जिसकी पसंद या निर्णय बाजार या चुनाव में धन, शक्ति, सूचना आदि के असम्मित वितरण से विकृत नहीं होते। इसके विपरीत कमांड पॉलिटी में नीतियों का निष्कर्षण और निर्धारण सप्रभु राज्य द्वारा हस्तक्षेपित और अभिव्यक्त होता है, जिसमें राज्य विभिन्न वर्गों आर हितों में बड़ी चालाकी से हेर-फेर करता है। रुडोल्फ का मानना है कि भारत में डिमांड और कमांड पॉलिटी लोकतांत्रिक और सत्तावादी शासन कालों के साथ एक अंतर्क्रिया को अभिव्यक्त करती है जहां लोकतांत्रिक सरकारों के दौरान भी कमांड पॉलिटी के लक्षण दिखते हैं बाजार आंदोलन का प्रभाव और सत्तावादी सरकार डिमांड पॉलिटी के प्रभावों को झेलते हुए दिखाई पड़ती है। इसके परिणामस्वरूप लोकतांत्रिक सरकारों के दौर में आर्थिक विकास की तीव्र दर प्राप्त की जा सकी । यह इस मिथक को तोड़ता है कि सत्तावादी सरकारे उच्च विकास दर को प्राप्त करने में ज्यादा सक्षम हैं। रुडोल्फ ने उपरोक्त विश्लेषण को भारत में 1950 से 80 के दौरान सरकारों के कामकाज पर लागू कर उन्हें चार तरह की शासन व्यवस्था बाजार आंदोलन का प्रभाव और राजनीति में वर्गीकृत किया है।

रेटिंग: 4.64
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 300