एसबीआई ने सबसे ज्यादा मुनाफा दिखाया, ब्रोकिंग हाउस हमारी तारीफ कर रहे हैं: चेयरमैन
कोलकाता। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष दिनेश खारा ने शनिवार को कहा कि विश्लेषक और ब्रोकिंग हाउस बैंक के वित्तीय प्रदर्शन की प्रशंसा कर रहे हैं, जिसने हाल ही में अपना उच्चतम मुनाफा दर्ज किया है। खारा ने कहा कि पहली बार एसबीआई ने किसी कॉरपोरेट घराने द्वारा रिकॉर्ड किया गया अब तक का सबसे अधिक मुनाफा दर्ज किया है। ''हालिया तिमाही नतीजों में बैंक का मुनाफा अब तक का सबसे ज्यादा है। एसबीआई ने अब तक के किसी भी कॉर्पोरेट द्वारा दर्ज किए गए उच्चतम मुनाफे को पार कर लिया है और विश्लेषक और ब्रोकिंग हाउस इसकी प्रशंसा कर रहे हैं," उन्होंने कहा।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में, ऋणदाता का शुद्ध लाभ 13,265 करोड़ रुपये रहा, जो पिछली समान अवधि की तुलना में 74 प्रतिशत अधिक था।
ब्रोकिंग हाउस का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, 'मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज ने कहा था कि एसबीआई एक क्रूर मूड में है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा कि एसबीआई सभी सिलेंडरों पर गोलीबारी कर रहा है''।
खारा ने कहा कि एसबीआई भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 'प्रॉक्सी' है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक को 47 करोड़ ग्राहकों का संरक्षण प्राप्त है और यह व्यावहारिक रूप से हर घर का बैंकर है''।
उन्होंने कहा कि भारत पहले से ही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, शायद 2027 तक देश अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश होगा।लेकिन, खारा ने यह भी कहा कि ग्राहक सेवा में सुधार की जरूरत है क्योंकि आज कई विकल्प उपलब्ध हैं।एसबीआई के चेयरमैन ने कहा कि ग्राहकों की अपेक्षाएं बदल रही हैं और बैंक को उनके दरवाजे तक जाने की जरूरत है।
''हमने ग्राहक सेवा में सुधार किया है, लेकिन अभी मीलों चलना है। बैंकिंग अब एक ज्ञान क्षेत्र बन गया है। हमें उन पेशकशों को पैकेज करने की जरूरत है जो ग्राहक ढूंढ रहे हैं,'' उन्होंने कहा।
महामारी के चरम के दौरान, एसबीआई ने ग्राहकों को निरंतर सेवा प्रदान की थी, उन्होंने कहा कि डिजिटल मोड में जाने के उनके व्यवहार में भी बदलाव आया है। उन्होंने कहा, "एसबीआई ने प्रौद्योगिकी में निवेश किया है, और बैंक के ऐप योनो ने व्यवसाय पैदा करने और सेवाओं को घर्षण रहित तरीके से पेश करने में मदद की है।"
क्रूड आॅयल आैर ट्रेड वाॅर की वजह से रुपए पूरे साल गिरती रही साख, कुछ एेसा रहा प्रदर्शन
नर्इ दिल्ली। वर्ष 2018 देश की इकोनाॅमी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाएगा। क्योंकि इसका महत्वपूर्ण कारण है कि इसी साल भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी इकोनाॅमी बनकर उभरा। लेकिन भारत के रुपए का प्रदर्शन 2018 में बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा। जिसके पीछे घरेलू कारणों से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय कारण ज्यादा रहे। सबसे बड़ा कारण क्रूड आॅयल की कीमतों का बढ़ना। जिसकी वजह से देश के रुपए को काफी नुकसान उठाना पड़ा। दूसरा सबसे बड़ा कारण अमरीका आैर चीन के बीच ट्रेड वाॅर। जिसकी वजह से एशिया की तमाम करेंसी को नुकसान पहुंचा आैर जिसमें रुपए सबसे आगे की पंक्ति में था। आइए आपको भी बताते हैं कि इस पूरे साल रुपए का प्रदर्शन किस तरह का देखने को मिला।
जनवरी से जुलार्इ तक एेसे गिरा रुपया
www.poundsterlinglive.com की वेबसाइट के अनुसार डाॅलर के मुकाबले रुपए का प्रदर्शन कुछ खास देखने को नहीं मिला। जहां जनवरी के महीने में डाॅलर के मुकाबले रुपया 63 आैर उसके आसपास ही रहा। फरवरी महीने में रुपया 64 रुपए पर आ गया। इसी तरह से जुलार्इ महीने तक रुपए डाॅलर के मुकाबले एक रुपया गिरता रहा आैर 31 जुलार्इ में रुपया 68.535 पर आकर बंद हुआ। जानकारों की मानें तो उस दौरान सिर्फ क्रूड आॅयल का ही असर देखने को मिल रहा था। जिसकी वजह से जनवरी से जुलार्इ तक रुपया एक या उससे कम की गिरावट पर चलता।
अगस्त से अक्टूबर में देखने को मिली बड़ी गिरावट
अगस्त से लेकर अक्टूबर के एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर बीच में चीन आैर अमरीका के बीच ट्रेड वाॅर तेज होने के कारण रुपए में गिरावट आैर तेजी से देखने को मिली। क्रूड आॅयल में बढ़ती तेजी आैर ट्रेड वाॅर के कारण एक अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच रुपए में 5.58 रुपए यानी हर महीने दो रुपए की गिरावट देखने को मिली। एंजेल ब्रोकिंग के वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता की मानें तो इस दौरान चीन आैर अमरीका के बीच ट्रेड वाॅर तेज होने के कारण भारत समेत एशिया की तमाम करेंसी में गिरावट देखने को मिली थी। वहीं क्रूड भी रुपए को झटका देने में जुटा हुआ था। जिसकी वजह से रुपए में गिरावट में तेजी देखने को मिली। आपको बता दें कि इस साल 31 अक्टूबर को रुपया डाॅलर के मुकाबले अपने सबसे बड़े गिरावट 73.96 रुपए के स्तर पर था।
दो महीने में तीन रुपए मजबूत हुआ रुपया
नवंबर से अब तक रुपए में डाॅलर के मुकाबले में थोड़ा सुधार देखने को मिला है। आंकड़ों के अनुसार करीब दो महीने में रुपए में करीब रुपए तक का सुधार देखने को मिल चुका है। एक नवंबर को डाॅलर के मुकाबले में रुपया 73.455 रुपए था। जो 21 दिसंबर को 70.14 रुपए पर आ चुका है। पिछले दो महीने में क्रूड आॅयल की कीमतों में लगातार कटौती देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से रुपए की आैकात में इजाफा हुआ है। जानकारों की मानें आने वाले दिनों में रुपए में आैर भी मजबूती देखने को मिल सकती है।
Bombay Stock Exchange in Hindi
Bombay Stock Exchange in Hindi बंबई स्टॉक एक्सचेंज के बारे में विस्तार से हिंदी में। बंबई स्टॉक एक्सचेंज कब बना और इसके क्या काम हैं। दुनिया के दूसरे शेयर बाजारों के मुकाबले और NSE के मुकाबले इसका क्या स्थान है। बंबई स्टॉक एक्सचेँज की सरंचना, उद्देश्य और मुख्य कार्य। साथ ही समझेंगे इसका इतिहास और वर्तमान में यह देश की अर्थव्यवस्था में यह किस प्रकार अपना योगदान दे रहा है।
Bombay Stock Exchange in Hindi बंबई स्टॉक एक्सचेंज
Bombay Stock Exchange History in Hindi
Bombay Stock Exchange यानी बंबई स्टॉक एक्सचेंज भारत का पहला और सबसे बड़ा प्रतिभूति बाजार है और 1875 में नेटिव शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के रूप में स्थापित किया गया था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 19 वीं शताब्दी के यहां के एक प्रभावशाली व्यवसायी प्रेमचंद रॉयचंद ने की थी। उन्होंने स्टॉक ब्रोकिंग व्यवसाय में भाग्य बनाया और कॉटन किंग, बुलियन किंग और बिग बुल के रूप में जाने जाने लगे। वह नेटिव शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के संस्थापक भी थे जो कि अब बीएसई के रूप में जाना जाता है।
Bombay Stock Exchange in Hindi
मुंबई में स्थित बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 6,000 के करीब कंपनियां सूचीबद्ध है और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई), नासडैक, लंदन स्टॉक एक्सचेंज समूह, जापान एक्सचेंज समूह और शंघाई स्टॉक एक्सचेंज के साथ दुनिया के सबसे बड़े एक्सचेंजों में से एक है। बीएसई ने खुदरा ऋण बाजार समेत देश के पूंजी बाजारों को विकसित करने में मदद की है और भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र को बढ़ाने में भी इसका बहुत बड़ा योगदान है।
Bombay Stock Exchange पर है Electronic Trading
1995 में Bombay Stock Exchange एक खुली फ्लोर पर ट्रेडिंग करने वाली एक्सचेंज से इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्रणाली में बदल गया। अकेले यू.एस. में एक दर्जन से अधिक इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज हैं। आज इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम कुल मिलाकर वित्तीय उद्योग पर छा गया है। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पारंपरिक खुली ट्रेडिंग प्रणालियों की तुलना में कम त्रुटियां, तेजी से निष्पादन और बेहतर दक्षता प्रदान करता है। बीएसई ऑन-लाइन ट्रेडिंग (बीओएलटी) नामक इस स्वचालित, स्क्रीन-आधारित ट्रेडिंग प्लेटफार्म में प्रतिदिन 8 मिलियन ऑर्डर कर सकने की क्षमता है।
Bombay Stock Exchange पर सिक्योरिटीज
Bombay Stock Exchange पर लिस्टेड सिक्योरिटीज में सिक्योरिटीज स्टॉक, स्टॉक फ्यूचर, स्टॉक ऑप्शन, इंडेक्स फ्यूचर्स, इंडेक्स ऑप्शन और साप्ताहिक ऑप्शन शामिल हैं। बीएसई का समग्र प्रदर्शन इसके इंडेक्स सेंसेक्स द्वारा मापा जाता है। बीएसई के सबसे बड़े शेयरों में से 30 शेयर इसके सूचकांक में शामिल हैं और 12 उद्योग क्षेत्रों को कवर करते हैं।
10 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज
भारत में बंबई स्टॉक एक्सचेँज के अलावा नेशनल स्टॉक एक्सचेँज भी है। एशिया में दूसरे बड़े स्टॉक एक्सचेँज हैं टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज और शंघाई स्टॉक एक्सचेंज। बीएसई अप्रैल 2018 के आंकड़ों के अनुसार $ 2.3 ट्रिलियन से अधिक की कुल बाजार पूंजीकरण के साथ दुनिया का 10 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। आज बीएसई इक्विटी, मुद्राओं, ऋण उपकरणों, डेरिवेटिव्स, म्यूचुअल फंड में व्यापार के लिए एक कुशल और पारदर्शी बाजार प्रदान करता है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर है सबसे तेज गति
6 माइक्रो सेकंड की गति से सौदे निपाटाने के कारण बंबई स्टॉक एक्सचेँज एशिया का पहला और सबसे तेज़ गति से काम करने वाला स्टॉक एक्सचेंज है। पिछले 143 वर्षों में, बीएसई ने भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र के विकास में सहयोग दिया है और उसे एक पूंजी जुटाने के मंच के रूप में कुशल सुविधा प्रदान की है।
BSE का Index है सेंसेक्स
बीएसई का लोकप्रिय इक्विटी इंडेक्स – एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स – भारत का सबसे व्यापक रूप से ट्रैक किया जाने वाला स्टॉक मार्केट बेंचमार्क इंडेक्स है।
बीएसई को आप चाहे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहिये, बंबई स्टॉक एक्सचेँज या मुबई स्टॉक एक्सचेँज इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जिस सड़क पर बीएसई की बिल्डिंग हे उसके नाम पर इसे दलाल स्ट्रीट भी कहा जाता है। भारत को अपने इस आधुनिक ऑटोमेटिड इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्रणाली वाले व्यापारिक संस्थान पर गर्व है।
कोरोना के डर से शेयर बाजार में “भूचाल”, सेंसेक्स में करीब 1000 अंकों की गिरावट, निवेशकों के डूबे 5 लाख करोड़ रुपये
Photo:FILE Stock Market Crash
चीन में कोरोना से मचे हाहाकार के बाद पूरी दुनिया इस महामारी का डर से सहमी हुई है। भारतीय शेयर बाजार में भी इसका डर साफ दिखाई दे रहा है। संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने से शुक्रवार को एशियाई बाजारों में गिरावट का रुख रहा। वहीं स्थानीय बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे। देश के दोनों प्रमुख सूचकांकों में गिरावट का यह लगातार चौथा दिन रहा।
निवेशकों की भारी बिकवाली से बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 980.93 अंक यानी 1.61 प्रतिशत लुढ़कते हुए 59,845.29 अंक पर खिसक आया। कारोबार के दौरान एक समय सेंसेक्स 1,060.66 अंक यानी 1.74 प्रतिशत तक धराशायी हो गया था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में भी 320.55 अंक यानी 1.77 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 17,800 के मनोवैज्ञानिक स्तर से भी नीचे आ गया था लेकिन अंत में यह थोड़ा सुधरते हुए 17,806.80 अंक पर बंद हुआ।
इन शेयरों में रहा नफा नुकसान
शुक्रवार को ही निवेशकों का नुकसान 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है। पिछले 7 कारोबारी सेशन्स में निवेशकों ने 16 लाख रुपये का नुकसान उठाया है। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से टाटा स्टील को सर्वाधिक पांच प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा। इसके अलाव टाटा मोटर्स, भारतीय स्टेट बैंक, बजाज फिनसर्व, रिलायंस इंडस्ट्रीज, विप्रो, इंडसइंड बैंक, लार्सन एंड टुब्रो और मारुति सुजुकी के शेयर भी खासे नुकसान में रहे।
एशिया से अमेरिका तक गिरावट
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया के कॉस्पी, जापान के निक्की, चीन के शंघाई कम्पोजिट तथा हांगकांग के हैंगसेंग में गिरावट का रुख रहा। हालांकि, यूरोप के बाजार दोपहर के सत्र में बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार बृहस्पतिवार को गिरावट के साथ बंद हुए थे।
FII ने की भारी बिकवाली
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार निचले स्तर पर ही रहे और कमोबेश दो प्रतिशत तक टूट गए। यह बाजार में जारी गिरावट के मौजूदा रुख के अनुरूप ही है।’’ अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.89 प्रतिशत चढ़कर 82.
51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। बाजार में जारी गिरावट के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को खरीदारी की। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, एफआईआई ने 928.63 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध लिवाली की।
एशिया में कौन से पहाड़ हैं
एशिया में कौन से पहाड़ हैं
वीडियो: एशिया में कौन से पहाड़ हैं
एशिया दुनिया का सबसे बड़ा हिस्सा है जिसमें पृथ्वी पर सबसे ऊंचे पहाड़ हैं। एशिया की लगभग पूरी राहत पर्वत श्रृंखलाओं, पठारों और पहाड़ियों से बनी है।
पंखे के पहाड़
निर्देश
चरण 1
महाद्वीपीय एशिया की राहत लगभग पूरी तरह से पहाड़ों और पठारों के कब्जे में है। यह यहाँ है कि ग्रह की सबसे ऊँची पर्वत प्रणालियाँ स्थित हैं। हिमालय के विश्व प्रसिद्ध पहाड़ों में, जो हर साल दुनिया भर से पर्यटकों और चरम प्रेमियों को आकर्षित करते हैं, पृथ्वी ग्रह का सबसे ऊंचा बिंदु है - माउंट चोमोलुंगमा (एवरेस्ट)। इसकी ऊंचाई 8882 मीटर है।
चरण 2
हिमालय दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया की सीमा पर स्थित है, जो तिब्बती हाइलैंड्स और सिंधु और गंगा तराई को अलग करता है। उत्तर-पश्चिम में, हिमालय एशिया में एक और रिकॉर्ड-उच्च पर्वत प्रणाली - हिंदू कुश से सटा हुआ है। हिंदू कुश की सबसे प्रमुख चोटियों - तिरिचमीर और नोशक - की ऊंचाई क्रमशः 7699 मीटर और 7492 मीटर है।
चरण 3
उत्तर पूर्व में, हिंदू कुश की सीमा अमु दरिया और पंजज नदियों द्वारा बनाई गई है, और उनके पीछे दुनिया की एक और सबसे ऊंची पर्वत प्रणाली - पामीर शुरू होती है। पामीर अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, चीन और भारत के क्षेत्रों पर कब्जा करते हैं। चीन में, पामीर का उच्चतम बिंदु है - कोंगुर पीक (7719 मीटर)।
चरण 4
एक अन्य शक्तिशाली प्रणाली काराकोरम है। यहां आठ हजार हैं। दपसांग चोटी 8611 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती है, जो चोमोलुंगमा के बाद दूसरे स्थान पर है। एशिया के सबसे बड़े हिमनद काराकोरम में स्थित हैं।
चरण 5
टीएन शान और कुन-लून जैसी उत्कृष्ट पर्वत प्रणालियों की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। पहले में ६००० मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले ३० से अधिक पहाड़ शामिल हैं। तेल, चांदी, जस्ता, सुरमा, सीसा के भंडार हैं। कुनलुन के लिए, यह सात हजार मीटर की चोटियों सहित एक और शक्तिशाली पर्वत प्रणाली है। उच्चतम बिंदु माउंट अक्साई-चिन की ऊंचाई 7167 मीटर है।
चरण 6
कुनलुन के दक्षिण में रहस्यमय तिब्बत है, एक ऐसा क्षेत्र जो तिब्बती पठार पर स्थित है, जो ग्रह पर सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा है। इसका क्षेत्रफल 2 मिलियन वर्ग मीटर है। तिब्बती पठार को "विश्व की छत" कहा जाता है।
चरण 7
साइबेरिया की सबसे ऊँची पर्वतमाला अल्ताई पर्वत हैं। वे रूस, चीन, कजाकिस्तान और मंगोलिया की सीमाओं के चौराहे पर स्थित हैं। अल्ताई की एक विशेषता बड़ी संख्या में इंट्रामोंटेन बेसिन हैं।
चरण 8
यूराल पर्वत को यूरोप और एशिया के बीच एक प्रकार की सीमा माना जाता है। काकेशस पर्वत को यूरोपीय या एशियाई प्रणालियों में एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर संदर्भित करने के लिए अभी भी कोई समझौता नहीं है। विश्वकोश में एशिया के पहाड़ों और पर्वत प्रणालियों की एक पूरी सूची है, जिसमें कई दर्जन नाम शामिल हैं।
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