बता दें कि भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के तहत मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी ने ‘साइबर स्वच्छता केंद्र’ नाम की वेबसाइट लॉन्च की थी. इस वेबसाइट का मकसद भारतीय यूज़र के डिवाइस को बॉटनेट से बचाना और साफ करना है.

Helping Teachers to Teach and Students to Learn

Pages : 1008
Print Book ISBN : 9788120337244
Binding : Paperback
Print Book Status : Available
Print Book Price : 995.00 746.25
You Save : ( 248.75)
eBook ISBN : 9789354438257
Ebook Status : Available
Ebook Price : 995.00 746.25
You Save : ( 248.75)

Description:

प्रस्तुत पुस्तक सुसंगठित विषयवस्तु के साथ रोचक शैली में लिखी गयी है | इसकी भाषा अत्यंत सरल, बोधगम्य तथा परिमार्जित है | इसमें शिक्षा तकनीकी से संबंधित सभी आधारभूत प्रकरणों पर उचित प्रकाश डाला गया है | विषयवस्तु को सारगर्भित तथा रोचक बनाने के लिए इसमें यथासंभव तालिकाओं, चित्रों तथा उदाहरणों का समावेश किया गया है | यह पुस्तक डी. एड., बी. एड., एम. एड., एम. ए. (शिक्षा शास्त्र) तथा एम. फिल. (शिक्षाशास्त्र) के लिए अत्यंत उपयोगी है | इसके अलावा, यह अध्यापकों, अनुसंधानकर्ताओं तथा विद्यालयों एवं कालेजों के प्रशासकों के लिए भी लाभकारी होगी साथ ही शिक्षण संस्थानों द्वारा सेवारत अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर आयोजित कार्यशालाओं के लिए भी यह उपयोगी साबित होगी |

शिक्षा तकनीकी के क्षेत्र में सभी प्रकार के आधुनिकतम विचारों तथा नवीनतम प्रयोगों, जैसे - विद्यार्थी नियंत्रित अनुदेशन, व्यक्तिगत अनुदेशन प्रणाली, विनिमयात्मक विश्लेषण सहित कक्षा-कक्ष अंत:क्रिया विश्लेषण की विभिन्न तकनीकें, साइबरनेटिक्स, प्रशिक्षण मनोविज्ञान, टोली शिक्षण, सहकारी अधिगम, आडियो ट्यूटोरियल प्रणाली, भाषा प्रयोगशाला, टेलिकानफ्रेंसिंग, ई-लर्निंग, कंप्यूटर सहाय तथा प्रबन्धित अनुदेशन, सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी, अवास्तविक कक्षा-कक्ष तथा दूरवर्ती शिक्षा आदि का इसमें यथोचित वर्णन किया गया है |

सीमा पार से गोला-बारूद, ड्रग्‍स ला रहे Drones को मार गिराने में 'स्वदेशी तकनीक' का उपयोग कर रहा BSF

सीमा पार से गोला-बारूद, ड्रग्‍स ला रहे Drones को मार गिराने में

बीएसएफ के डीजी पंकज सिंह ने Drones को सुरक्षा के लिहाज से बड़ी चुनौती माना

'मेक इन इंडिया' को लेकर सीमा सुरक्षा बल (BSF) बेहद संजीदा है और हर क्षेत्र में वह इसका इस्तेमाल कर रही है. पाकिस्तान से घातक हथियार, गोला-बारूद और ड्रग्स ला रहे ड्रोन को मार गिराने के लिए भी BSF आजकल “स्वदेशी तकनीक" का उपयोग कर रही है. बीएसएफ के डीजी पंकज सिंह ने NDTV को बताया, "ड्रोन एक बड़ी चुनौती है. आसमान से आने वाला यह नया खतरा एक बड़ा मुद्दा है. हालांकि हमने सीमा पर एंटी ड्रोन टेक्निक स्थापित की है लेकिन हमारे पास ऐसा मेगा सेटअप नहीं है जो पूरे पश्चिमी क्षेत्र को कवर करता हो. इस दिशा में हम कई भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. आने वाले दिनों में हम इस नई तकनीक को कई और संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात कर सकते हैं. "

यह भी पढ़ें

दिलचस्प बात यह है कि BSF ने ऐसे ड्रोन भी विकसित किए हैं जो सटीकता के साथ आंसू गैस के गोले छोड़ सकते हैं. डीजी पंकज सिंह ने बताया, “टेकनपुर में हमारी टीयर गैस यूनिट (Tear gas unit) ने इस प्रकार के ड्रोन विकसित किए हैं जो न केवल एक बार में 5 से 6 आंसू गैस के गोले ले जा सकते हैं बल्कि इन गोलों को सटीकता से टारगेट पर भी गिरा सकते हैं. वैसे, अभी यह तकनीक केवल विकसित की गई है और इसे अमल में नहीं लाया गया है.

43d7jqo

पिछले साल के 12 महीनों की तुलना में इस साल पहले 11 महीनों में ही 16 ड्रोन मार गिराए गए हैं. बीएसएफ के विश्लेषण के अनुसार, इनमें से ज्‍यादात ड्रोन चीन के हैं और खुले बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. पंकज सिंह बताते हैं, "उनमें से ज्यादातर 'फैब्रिकेटेड' हैं.चूंकि ड्रोन में इनबिल्ट चिप्स हैं, इसलिए हम कुछ मामलों में डेटा को पुनः प्राप्त करने में सक्षम हैं." उनके अनुसार, बीएसएफ अब अधिक से अधिक स्वदेशी आधारित तकनीकों का विकल्प चुन रहा है क्योंकि निगरानी के लिए इस्तेमाल की जा रही विदेशी तकनीक बहुत महंगी थी. उन्‍होंने बताया, “BSF ने अपनी प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया है. हमने अपनी टीम की मदद से कम लागत वाले प्रौद्योगिकी समाधान विकसित किए हैं. " वास्तव में घने कोहरे में एंटी-टनल डिटेक्शन, आईईडी डिटेक्शन और सीमा चौकसी के लिए भी स्वदेशी तकनीक है. सीमा पर पश्चिमी क्षेत्र में क्या हो रहा है, इसे ध्यान में रखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है. व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) पर काम तेजी से चल रहा है. डीजी ने कहा, "गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे के लिए 30 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. हम अपनी सीमाओं पर 5500 कैमरे लगाने जा रहे हैं."

JEE Advanced 2022: एग्जाम में थी टेक्निकल गड़बड़ी, अब छात्र कर रहे निष्पक्ष मूल्यांकन और कट-ऑफ कम करने की मांग!

JEE Advanced 2022: एग्जाम में थी टेक्निकल गड़बड़ी, अब छात्र कर रहे निष्पक्ष मूल्यांकन और कट-ऑफ कम करने की मांग!

JEE Advanced 2022: परीक्षा में तकनीकी और ऑर्डर फ्लो विश्लेषण बैठने वाले कई छात्रों ने तकनीकी गड़बड़ियों (technical glitch) का सामना करने की शिकायत दर्ज की है.

JEE Advanced 2022: ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन एडवांस (जेईई एडवांस 2022) परीक्षा 28 अगस्त को ली गई थी, आईआईटी-प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले कई छात्रों ने तकनीकी गड़बड़ियों (technical glitch) का सामना करने की शिकायत दर्ज की है. अपने अनुभव साझा करते हुए परीक्षा देने वाले छात्रों ने कहा कि विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न बड़े फोंट के थे, और सर्वर की समस्या के कारण परीक्षा देने में परेशानी हुई थी. छात्रों के अनुसार पेपर भी काफी लेंदी और कठिन स्तर का था.

यह भी पढ़ें

छात्र अब निष्पक्ष मूल्यांकन प्रक्रिया और पिछले वर्षों की तुलना में कम कट-ऑफ की मांग कर रहे हैं. विशेषज्ञों ने भी उम्मीदवारों की मांगों से सहमति व्यक्त की, फिटजी नोएडा के प्रमुख रमेश बटलिश ने कहा, "पिछले वर्षों की तुलना में इस साल क्वालीफाइंग कट-ऑफ थोड़ा कम होने की उम्मीद है."

इस साल के जेईई एडवांस 2022 (JEE Advanced 2022) के पेपर का विश्लेषण करते हुए, श्री बटलिश ने तकनीकी और ऑर्डर फ्लो विश्लेषण कहा, "पेपर थोड़ा कठिन होने के अलावा लंबा भी था. कुछ छात्रों ने जूम स्क्रीन के साथ तकनीकी गड़बड़ियों की सूचना दी, कुछ छात्रों ने अपने परीक्षा केंद्रों पर कई पावर कट होने की भी सूचना दी, जिससे उनका मनोबल प्रभावित हुआ. उम्मीद है कि आयोजन करने वाली संस्था IIT बॉम्बे इन गड़बड़ियों पर विचार करेगी और परीक्षा में बैठने वाले सभी छात्रों के हित में निर्णय लेगी.”

छात्रों, शिक्षकों ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- ट्विटर पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है. ट्वीट्स नीचे देख सकते हैं.

बॉटनेट और मैलवेयर से डिवाइस को सिक्योर करने के लिए इस्तेमाल करें ये फ्री टूल, सरकार ने दी सलाह

प्रतीकात्मक तस्वीर.

  • News18Hindi
  • Last Updated : December 13, 2022, 13:09 IST

हाइलाइट्स

बॉटनेट आपके कंप्यूटर या डिवाइस को नुकसान पहुंचाने के लिए कई तरह की एक्टिविटी कर सकता है.
इस वेबसाइट का मकसद भारतीय यूज़र के डिवाइस को बॉटनेट से बचाना और साफ करना है.
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी ने 'साइबर स्वच्छता केंद्र' नाम की वेबसाइट लॉन्च की थी

नई दिल्ली. टेक्नोलॉजी ने हमारा काम आसान कर दिया है, लेकिन इससे मैलवेयर का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार भी लोगों में लगातार जागरुकता फैलाने का प्रयास कर रही है. दूरसंचार विभाग की ओर से लोगों को SMS भेजा जा रहा है, जिसमें लिखा है, ‘रहें साइबर सुरक्षित! अपने डिवाइस को बॉटनेट संक्रमण और मालवेयर से सुरक्षित करने के लिए, सीईआरटी-इन, भारत सरकार www. csk.gov.in पर ‘फ्री बॉट रिमूवल टूल’ डाउनलोड करने की सलाह देता है’.

सबसे पहले बता दें कि बॉटनेट बॉट्स/कॉम्प्रोमाइज्ड मशीनों का एक नेटवर्क है जो दुर्भावनापूर्ण गतिविधि करने के लिए सिंक में काम करता है. बॉटनेट आपके कंप्यूटर या डिवाइस को नुकसान पहुंचाने के लिए कई तरह की एक्टिविटी कर सकता है, जिसमें आपके कंप्यूटर / डिवाइस से जानकारी लेना, नेटवर्क में दूसरे कंप्यूटरों/डिवाइस में खुद को फैलाना, जिससे संकट का दायरा बढ़ जाता है. अन्य मालवेयर डाउनलोड करना, स्पैमिंग, सेवा की मनाही (डीओएस), आदि जैसे साइबर हमले शुरू करने के लिए आपके कंप्यूटर/डिवाइस का इस्तेमाल करना शामिल है.

EU के प्राइस कैप के बाद भी भारत को सस्ते दाम में कच्चा तेल क्यों बेच रहा है रूस?

आज तक लोगो

आज तक 5 घंटे पहले aajtak.in

© आज तक द्वारा प्रदत्त EU के प्राइस कैप के बाद भी भारत को सस्ते दाम में कच्चा तेल क्यों बेच रहा है रूस?

तेल पर यूरोप के बैन के बाद इस महीने रूस ने भारी छूट पर अपना कच्चा तेल बेचा है. पश्चिमी देशों के रूस के तेल पर तकनीकी और ऑर्डर फ्लो विश्लेषण लगाए गए 60 डॉलर के प्राइस कैप के बाद बेहद कम कीमत पर यूराल क्रूड (Ural Crude) तेल भारत को बेचा गया है.

यूरोपीय यूनियन ने पांच दिसंबर को रूस के क्रूड के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद G-7 देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने रूस के तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस कैप लगा दी थी. रूस के तेल पर यह प्राइस कैप लगाने के पीछे मंशा रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी चोट करने की थी.

रेटिंग: 4.61
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 681