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संसद टीवी संवाद
क्रिप्टोकरेंसी वर्तमान वित्तीय दुनिया में क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? हो रहे बहुत सारे तकनीकी परिवर्तनों में से एक का उदाहरण है और अब नई चुनौतियों को स्वीकार करने के साथ-साथ प्रतिभूति बाज़ार सहित मुद्रा बाज़ारों के लिये एक नए एकीकृत विनियमन की अनुमति देने का मौका है।
यह डिजिटल तकनीक में एक नई क्रांति पैदा कर सकती है जिसे भारत खोना नहीं चाहेगा, लेकिन साथ ही वह आंतरिक सुरक्षा और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर भी जोखिम नहीं उठा सकता है।
Crypto Currency: क्रिप्टो करेंसी क्या है, इसे कहां से खरीदें?
Crypto Currency पर ज्यादा रिटर्न मिलने के कारण स्कैम भी बढ़ गए है, ऐसे में निवेशकों को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है
- क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क पर आधारित डिजिटल मुद्रा है, जिसका डिस्ट्रीब्यूशन कंप्यूटरों के एक विशाल नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है.
- कंप्यूटर नेटवर्क और ब्लॉकचेन पर आधारित यह विकेंद्रीकृत संरचना क्रिप्टो करेंसी को सरकारों और किसी भी वित्तीय नियंत्रण से बाहर रखती है.
- क्रिप्टो करेंसी के बारे वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लॉकचेन पर आधारित इस तकनीक के कारण दुनिया भर में फाइनेंशियल और कानूनी पेचीदगियां पैदा होंगी.
- क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह अन्य परंपरागत मुद्राओं के मुकाबले में बेहद सस्ता और तेज मनी ट्रांसफर है.
- क्रिप्टो करेंसी का सिस्टम डिसेंट्रलाइज होने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसी एक जगह से इस मुद्रा पर नेगेटिव असर नहीं होगा.
- क्रिप्टो करेंसी की कुछ मुश्किलें भी हैं, जिनमें कीमत में होने वाला उतार-चढ़ाव, माइनिंग के लिए ऊर्जा की ज्यादा खपत और इसका आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल है.
Digital Rupee क्या देसी Cryptocurrency है या फिर कुछ और? बिटकॉइन से कितना अलग है
अभिषेक मिश्रा
- नई दिल्ली,
- 01 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 01 दिसंबर 2022, 7:37 PM IST)
RBI का डिजिटल रुपया यानी देश में करेंसी का एक नया दौर शुरू हो चुका है. आज से दिल्ली समेत देश के चार शहरों में आम लोग इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. हालांकि, इस डिजिटल करेंसी को लेकर लोग काफी ज्यादा कन्फ्यूज हैं. लोग इसे क्रिप्टोकरेंसी समझ रहे हैं. हालांकि, आप इसे कमोबेश वैसा ही समझ सकते हैं, लेकिन मूल रूप से दोनों में काफी ज्यादा अंतर है.
डिजिटल रुपया का ऐलान इस साल के बजट में किया गया था. गुरुवार यानी 1 दिसंबर को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), जिसे डिजिटल रुपया कहा जा रहा है, को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया है. पहले फेज में इस प्रोजेक्ट को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया गया है.
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क्या है डिजिटल रुपया?
इसे आप कैश का डिजिटल वर्जन समझ सकते हैं और इसे शुरुआत में रिटेल ट्रांजेक्शन के लिए पेश किया गया है. इसे क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? खर्च करना ठीक वैसा ही होगा, जैसे आप अपने पर्स से पैसे खर्च करते हैं. हालांकि, ये डिजिटल वॉलेट या UPI से भी काफी अलग है. भविष्य में इसका इस्तेमाल सभी प्राइवेट सेक्टर, नॉन- फाइनेंशियल कस्टमर्स और बिजनसेस द्वारा किया जा सकेगा.
इस सीधा कंट्रोल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास होगा. आसान भाषा में कहें तो जिस तरह से आप आज के वक्त में कैश इस्तेमाल करते हैं, ये ठीक वैसा ही रहेगा, लेकिन इसका रूप डिजिटल होगा. e₹-R डिजिटल टोकन के रूप में होगा और इनको आप सिक्कों व नोट की तरह ही कर काम में ले सकेंगे.
यूजर्स डिजिटल रुपया का यूज पार्टिसिपेटिंग बैंक के जरिए कर सकेंगे. इन्हें मोबाइल फोन्स और डिवाइसेस में स्टोर भी किया जा सकेगा. इसका इस्तेमाल पर्सन-टू-पर्सन और पर्सन-टू-मर्चेंट दोनों तरह के ट्रांजेक्शन में किया जा सकता है.
Cryptocurrency और Digital Rupee में क्या है फर्क, अगर शुरु हो गया क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? इसका इस्तेमाल तो आपको क्या होगा फायदा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी को टक्कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्वस्त क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? होने के बाद इसके इस्तेमाल को शुरू किया जाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई बैंक या अन्य संस्था नहीं है और न ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है.
डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्कत आने पर वित्तीय संस्थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.
तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?
बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.
वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?
आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? इसमें निवेश कर सकेंगे.
सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.
गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स क्रिप्टो करेंसी क्या होता है? की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.
एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.
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