Digital E-Rupee Pilot Project, डिजिटल रुपये का पयलेट प्रोजेक्ट क्या है जानें विस्तार से
Digital E-Rupee Pilot Project, भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 दिसंबर साल 2022 रिटेल डिजिटल रुपये का पायलेट प्रोजेक्ट लांच कर दिया है। रिजर्व बैंक इस डिजिटल करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सीबीडीसी का नाम दिया है। करेंसी को डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं डिजिटल बनाने एवं कैशलेस पेमेंट के गति को बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक ने यह तरीका अपनाया है। इस पायलट प्रोजेक्ट को लेकर बहुत से सवाल उठते हैं, जिनमें से डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं कुछ इस प्रकार हैं, क्या पेमेंट का यह नया तरीका यूपीआई और मोबाइल वायलेट वॉलेट जैसे पेटीएम, गूगल पे, फोन पे का डायरेक्ट कंपीटीटर होगा? आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट्स डिजिटल करेंसी को लेकर क्या कह रहे हैं। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
पेटीएम और गूगल पे से कितना अलग है डिजिटल करेंसी
बिजनेस टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट का कहना है कि डिजिटल रुपए का मुकाबला मोबाइल वॉलेट जैसे पेटीएम एवं गूगल पर से नहीं होगा। यह डिजिटल पेमेंट का एक नया तरीका है जिसके तहत आप बैंक से एक बार डिजिटल रुपया खरीदना होगा, उसके बाद डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं आप इससे वॉलेट में लेनदेन कर सकेंगे।
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इंफीबीम एवेन्यूज लिमिटेड के निदेशक एवं पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया चेयरमैन विश्वास पटेल ने यह कहा है कि यह एक ब्लॉकचेन बेस्ड डिजिटल टोकन फॉर्म करेंसी है। रिटेल डिजिटल करेंसी में आपको बिना किसी बैंक को शामिल किए बिना ही लेन - देन करने में सक्षम होंगे। जैसे कि फिजिकल करेंसी में होता है लेकिन डिजिटल करेंसी से काफी अलग है, जिसमें आपके बैंक खाते से पैसा डेबिट होता है। रिटेल डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक द्वारा लीगल टेंडर इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल होंगे।
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अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद
रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी को दो कैटेगरी में बांटा है पहला सीबीडीसी-W और सीबडीसी-R, सीबीडीसी-W का अर्थ है करेंसी, और सीबडीसी-R का अर्थ है रिटेल करेंसी, डिजिटल रुपये का लेनदेन पर्सन से पर्सन किया जा सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था को डिजिटल रूप में डेवलप करने की दिशा में आरबीआई ने इस कदम को महत्वपूर्ण मानते हुए उठाया है। इस पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए आठ बैंकों की पहचान की गई। GK Capsule Free pdf - Download here
पहले चरण में इन बैंक और शहर
इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में देश भर के 4 शहरों में एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के माध्यम से होगी। जिसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, इस प्रोजेक्ट में शामिल होंगे।
नई दिल्ली, बेंगलुरु, धीरे धीरे अहमदाबाद, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना एवं शिमला जैसे शहरों में इसका विस्तार होगा।
E-Rupee के क्या फायदे हैं
डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए डिजिटल रुपये मददगार साबित होगा, लोगों को जेब में पैसे लेकर घूमने की आवश्यकता नहीं होगी। मोबाइल वॉलेट की तरह इससे भी पेमेंट कर सकते हैं। रुपया को बैंक में आसानी से कन्वर्ट कर सकते हैं। विदेशों में पैसे भेजने की लागत में कमी आएगी। E-Rupee बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करती है। ई-रुपए की वैल्यू मौजूदा करेंसी के बराबर होगी।
डिजिटल ई-रुपया के नुकसान क्या हैं?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई की डिजिटल करेंसी रुपए के नुकसान डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं के बारे में बताएं तो इससे पैसे के लेनदेन से संबंधित प्राइवेसी लगभग खत्म हो जाएगी। आमतौर पर केस में लेनदेन करने पर पहचान गुप्त होता है, लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन होने पर लोग सरकार की निगरानी और नजर होगी। इसके अलावा ई रुपया पर किसी प्रकार का ब्याज भी नहीं मिलेगा। आरबीआई डिजिटल रुपया पर ब्याज देगा तो करेंसी मार्केट में स्थिरता ला सकती है। जिसके कारण लोग अपने सेविंग अकाउंट से पैसे निकालकर डिजिटल करेंसी में पैसे को कन्वर्ट करना शुरू कर देंगे।
E-Rupee लाने का क्या उद्देश्य है
सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए मुद्रा नोटों के एक डिजिटल रूप है, साल 2022 के बजट के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ब्लॉकचेन पर आधारित यह डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं डिजिटल रुपया पेश किया जाएगा। बीते कुछ दिनों में केंद्रीय बैंक की ओर से कहा गया था कि आरबीआई डिजिटल रुपया का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूप को बदलने के बजाय डिजिटल करेंसी को उनका पूरक बनाना है और उपयोगकर्ताओं को पेमेंट के लिए एक्स्ट्रा ऑप्शन देना है ।
क्या है ई-रुपया, आम आदमी कैसे कर पाएगा डिजिटल करेंसी में लेनदेन, क्या होंगे फायदे; जानिए सबकुछ
भारतीय रिजर्व बैंक 1 दिसंबर को डिजिटल रुपी (ई-रुपया) के पायलट प्रोजेक्ट को लॉन्च करने जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत अब डिजिटल रुपी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग रिटेल में इस्तेमाल के लिए किया जाएगा। आखिर क्या है डिजिटल रुपया और ये किस तरह करेगा काम? आइए जानते हैं।
Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक 1 दिसंबर को डिजिटल रुपी (ई-रुपया) के पायलट प्रोजेक्ट को लॉन्च करने जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत अब डिजिटल रुपी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग रिटेल में इस्तेमाल के लिए किया जाएगा। इसके लिए रिजर्व बैंक ने देश की कुछ चुनिंदा लोकेशंस पर इसे रोलआउट करने का प्लान बनाया है। बता दें कि इससे पहले 1 नवंबर को केवल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया था। बता दें कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत रिटेल सेगमेंट में शुरू किए गए ई-रुपया में रिजर्व बैंक आने वाली चुनौतियों को परखेगा और इसके बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। आखिर क्या है डिजिटल रुपया और ये किस तरह करेगा काम? आइए जानते हैं।
क्या है डिजिटल रुपया?
डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है, जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के नाम से भी जाना जाता है। यह कागजी मुद्रा (नोट) के समान ही है और इसे नोट के साथ एक्सचेंज किया जा सकेगा। फर्क सिर्फ इतना है कि ये डिजिटल फॉर्म में रहेगी। डिजिटल रुपया या ई-करेंसी एक तरह से डिजिटल फॉर्म में जारी वो नोट हैं, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में मौजूद रुपए को कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन के लिए इस्मेमाल में किया जाएगा।
कैसे काम करेगा डिजिटल रूपी?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, पायलट प्रोजेक्ट में ग्राहकों और व्यापारियों का एक क्लोज्ड ग्रुप बनाया गया है, जो चुनिंदा जगहों को कवर करेगा। ई-रुपी का डिस्ट्रीब्यूशन बैंकों के जरिए ग्राहकों को किया जाएगा। यूजर इसे मोबाइल फोन और डिवाइसेज के डिजिटल वॉलेट में रख सकेंगे। इसे आसानी से मोबाइल से एक दूसरे को भेज पाएंगे और हर तरह के सामान खरीद पाएंगे। उदाहरण के लिए आप अभी किसी दुकान पर घर का राशन लेने जाते हैं, तो कैश (नगद) देते हैं। लेकिन 1 दिसंबर से आप डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं ई-रुपए का इस्तेमाल कर दुकान से सामान खरीद सकेंगे। बता दें कि डिजिटल रुपए को RBI ही रेगुलेट करेगा।
कितने तरह का होगा डिजिटल रुपया?
भारत में डिजिटल करंसी यानी ई-रुपया दो तरह का है। पहला, होलसेल डिजिटल करंसी (CBDC-W) और दूसरा रिटेल डिजिटल करेंसी (CBDC-R). शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में इसकी शुरुआत की गई थी। अब 1 दिसंबर से इसे रिटेल सेगमेंट में भी शुरू किया जा रहा है।
चार शहरों में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट :
रिटेल सेगमेंट में डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट सिर्फ चार शहरों मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया जा रहा है। आने वाले समय में यह हैदराबाद, इंदौर, अहमदाबाद, गुवाहाटी, कोच्चि, लखनऊ, पटना, गंगटोक और शिमला में भी शुरू किया जाएगा। धीरे-धीरे इसे देश के और भी शहरों में शुरू किया जाएगा।
भविष्य में UPI से जुड़ेगा ई-रुपया :
CBDC (Central Bank Digital Currency) यानी ई-रुपया इलेक्ट्रॉनिक रूप में आपके अकाउंट में दिखाई देगा। इस डिजिटल करेंसी ई-रूपी को आप अपने मोबाइल वॉलेट में भी रख सकेंगे। इसके साथ ही इसे बैंक मनी या कैश में कन्वर्ट किया जा सकेगा। इसे ऑनलाइन चेक करने का तरीका अकाउंट बैलेंस या फिर मोबाइल वॉलेट के बैलेंस को चेक करने की ही तरह है। भविष्य में डिजिटल करेंसी को UPI से जोड़ने की भी तैयारी चल रही है।
डिजिटल करंसी के फायदे :
1- डिजिटल करेंसी पूरी तरह लागू होने के बाद कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये बिल्कुल मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी।
2- इसे रखने पर आपको ब्याज मिलेगा। डिजिटल करेंसी को आप अपने मोबाइल वॉलेट या फिर अपने अकाउंट में रख सकते हैं।
3- इससे नकद (कैश) पर निर्भरता कम होने के साथ ही ज्यादा भरोसेमंद और वैध भुगतान के लिए लोगों को एक और ऑप्शन मिल जाएगा।
1 नवंबर से डिजिटल रुपये की शुरुआत, जानिए क्या हैं अंतर और फायदे
आरबीआई डिजिटल करेंसी: आरबीआई की डिजिटल करेंसी को लेकर पिछले कई महीनों से चर्चा चल रही है। आखिरकार 1 नवंबर से भारतीय रिजर्व बैंक बड़ी डील में डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इसके लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया गया है। डिजिटल मुद्रा का उपयोग सबसे पहले बड़े भुगतान और निपटान के लिए किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन और जोखिमों को देखते हुए सरकार ने बजट में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी। उसके बाद आरबीआई ने डिजिटल रुपया लॉन्च करने का खाका तैयार किया। रिजर्व बैंक के मुताबिक सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री पर डिजिटल रुपये का इस्तेमाल सेटलमेंट राशि के तौर पर किया जाएगा। इसके बाद एक महीने के भीतर खुदरा लेनदेन के लिए एक डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा।
क्रिप्टोकरेंसी की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। लेकिन आरबीआई का डिजिटल रुपया मान्य होगा। क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है। लेकिन डिजिटल रुपये में ऐसा कुछ नहीं होगा। क्रिप्टोकरेंसी के पीछे कोई ठोस आधार नहीं है। वहीं, डिजिटल रुपया एक अलग मुद्रा के रूप में भौतिक नोटों को छापने का विकल्प होगा। डिजिटल रुपये की सुरक्षा के लिए रिजर्व बैंक अलग से राशि भी रखेगा। क्योंकि यह डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक की देनदारी होगी। फिजिकल नोट के सभी फीचर्स डिजिटल रुपये में भी उपलब्ध होंगे। लोगों को डिजिटल करेंसी को करेंसी नोट में बदलने की सुविधा मिलेगी। डिजिटल करेंसी के लिए अलग से बैंक अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं है।
आम जनता के लिए डिजिटल रुपये और डिजिटल भुगतान में थोड़ा अंतर होगा। लेकिन बैंकों और आरबीआई के खातों तक पहुंचने में अंतर होगा। क्योंकि डिजिटल रुपया बैंकों की जिम्मेदारी नहीं बल्कि आरबीआई की जिम्मेदारी होगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने बैंक में पैसा जमा किया है, तो यह बैंक की देनदारी है। क्योंकि बैंक को यह पैसा ग्राहक को मांग के अनुसार वापस करना होता है। लेकिन डिजिटल रुपया बैंक की नहीं बल्कि सीधे आरबीआई की जिम्मेदारी होगी। एक और अंतर यह है कि डिजिटल रुपये पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। बैंक में पैसा जमा करने पर उस पर ब्याज मिलता है। लेकिन डिजिटल रुपये पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।
डिजिटल रुपये को यूपीआई से भी जोड़ा जाएगा, जो डिजिटल भुगतान प्रणाली की एक प्रमुख कड़ी है। ताकि लोग पेटीएम, फोनपे जैसे अन्य महत्वपूर्ण वॉलेट से लेनदेन कर सकें। जैसे 10, 20, 50, 100, 500 के नोट। एक व्यक्ति के पास कितना डिजिटल पैसा हो सकता है, इसकी भी सीमा तय की जा सकती डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं है। डिजिटल मुद्रा से भुगतान करते समय गोपनीयता बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा। चुनिंदा सरकारी एजेंसियों के अलावा किसी और को डिजिटल रुपये से किए गए लेन-देन की पूरी और सटीक जानकारी नहीं दी जा सकती है.
डिजिटल करेंसी होने से नोटों की छपाई, बैंक शाखाओं, एटीएम तक पहुंचाने का खर्च बचेगा। साथ ही नोटों के जलने, काटने और गीले होने की समस्या से भी निजात मिलेगी। पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई को सिर्फ नोट छापने के लिए करीब 5 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। शेष डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं वर्ष के लिए, मुद्रित मुद्रा की मात्रा के साथ यह लागत घटती और बढ़ती है। इससे निपटान का जोखिम भी कम होगा। नए जमाने के उद्यमी भी इसके आधार पर नई तकनीक के उत्पाद ला सकेंगे।
अब कैश रखने की जरूरत नहीं! RBI आज लॉन्च करेगा Digital Rupee,जानिए इसके बारे में सबकुछ
रिजर्व बैंक ने कुछ समय पहले घोषणा की थी कि वो एक खास उपयोग के लिए डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है. अब इसकी शुरुआत 1 नवंबर से होने जा रही है. अभी इस प्रोजेक्ट को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया है.
डिजिटल करेंसी के फायदे
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 01 नवंबर 2022,
- (Updated 01 नवंबर 2022, 10:35 AM IST)
अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया गया शुरू
डिजिटल मुद्रा को नहीं कर सकते नष्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)ने 31 अक्टूबर को घोषणा की कि वह आज से विशेष उपयोग के मामलों के लिए डिजिटल रुपया (ई-रुपया) के पायलट लॉन्च की शुरुआत करेगी. RBI के एक बयान के अनुसार, केंद्रीय बैंक आज थोक उद्योग के लिए डिजिटल रुपये में एक पायलट का संचालन करेगा.
केंद्रीय बैंक की ओर से 7 अक्टूबर को जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आरबीआई जल्द ही विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए डिजिटल रुपये (डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं ई-रुपये) का परीक्षण शुरू करेगा. आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, इस पायलट का उपयोग मामला माध्यमिक वित्तीय गतिविधि को निपटाने और सरकारी सिक्योरिटी को इसमें शामिल करने के लिए था.
अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया गया शुरू
इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा.आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है. थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में कई सारे बैंक शामिल हैं. इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं.
इसने आगे कहा गया कि खुदरा क्षेत्र के डिजिटल रुपये (e-rupee-R)के लिए पहला परीक्षण कुछ प्रमुख क्षेत्रों में ग्राहकों और व्यापारियों से बने चुनिंदा सीमित यूजर ग्रुप के साथ एक महीने से भी कम समय में लाइव होने वाला है. नियत समय में, ई-रुपये-आर पायलट के संचालन के बारे में जानकारी जारी की जाएगी.
क्या है CBDC?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, केंद्रीय बैंक द्वारा जारी कानूनी धन का एक डिजिटल रूप है. सीधे शब्दों में कहें तो, यह भारतीय रुपये का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है, जो एक तरह का फिएट मनी है. इसे फिएट मनी के लिए वन फॉर वन का कारोबार किया जा सकता है.
RBI के अनुसार, “CBDC एक डिजिटल रूप में एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी कानूनी टेंडर है. यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं एक्सचेंज किया जा सकता है.केवल उसका रूप भिन्न है."
क्या होती है Fiat Money?
किसी भी देश की अर्थव्यस्था में सरकार द्वारा जारी कि गई मुद्रा Fiat Money कहलाती है. इसका सोने चांदी की तरह खुद को कोई विशेष मूल्य नही होता लेकिन किसी भी देश की सरकार उसे अपने नियमों अनुसार इसे एक विशेष मूल्य का दर्जा देती है. यह मूल्य स्थाई नहीं होता है, क्योंकि मांग तथा आपूर्ति के हिसाब से Fiat Money का मूल्य कम ज्यादा होता रहता है.
डिजिटल रुपये के क्या फायदे हैं?
क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल भुगतान विधियों के लाभ सीबीडीसी में मौजूद होंगे. एक डिजिटल मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है. इस तरह ये नकदी का एक डिजिटल रूप है जिसे नोट की जगह लाइफलाइन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा.
क्या है डिजिटल करेंसी ? कैसे है वर्तमान मुद्रा से अलग ? और क्या है इसके लाभ?
राज एक्सप्रेस। देश में हर तरफ डिजिटल करेंसी को लेकर बातों का रुझान तेज हो डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं गया है। आज देखा जा रहा है कि लोग बहुतायत में क्रिप्टोकरेंसी में इंवेस्ट कर रहे हैं। इस बीच भारतीय रिज़र्व बैंक यानि आरबीआई के द्वारा भी खुद की डिजिटल करेंसी लॉन्च किए जाने की बातें की जा रही हैं। कुछ समय पहले ही देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट 2022 की पेशकश करते हुए यह कहा था कि, अगले वित्त वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है। उनके इस बयान के साथ ही यह बात भी साफ हो जाती है कि अब हमारा देश भी डिजिटल करेंसी मार्केट में कदम रख रहा है। ऐसे में आज हम आपको डिजिटल करेंसी से जुड़ी हर बात बताने वाले हैं।
क्या होती है डिजिटल करेंसी?
सीधे शब्दों में समझे तो डिजिटल करेंसी भी मुद्रा का ही एक रूप है।इसमें फर्क केवल इतना है कि यह करेंसी डिजिटल या फिर इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही हमारे पास रहेगी। डिजिटल करेंसी को दूसरे शब्दों में डिजिटल मनी, इलेक्ट्रॉनिक मनी, इलेक्ट्रॉनिक करेंसी और साइबर कैश भी कहा जा रहा है।
कितने तरह की होती हैं डिजिटल करेंसी?
डिजिटल करेंसी के 3 प्रकार हैं। इनमें पहला है क्रिप्टोकरेंसी, जिसका इस्तेमाल नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी के रूप में किया जाता है। हालांकि इस करेंसी पर सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। वहीँ दूसरी है वर्चुअल करेंसी। यह करेंसी एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी के रूप में मानी जाती है। अब तीसरे नंबर पर आती है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी। इसे देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी किया जाता है। आरबीआई भी इस करेंसी को जारी करने के बारे में बात कर रहा है।
डिजिटल करेंसी का काम और लाभ :
आप इस करेंसी से जुड़े सभी ट्रांजेक्शन केवल इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट के जरिए ही कर सकते हैं।
डिजिटल करेंसी में लेनदेन काफी तेजी से होता है। क्योंकि यह खुद एक नेटवर्क पर मौजूद है और इसमें किसी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती।
डिजिटल करेंसी, हमारी फिजिकल करेंसी के मुकाबले काफी सस्ती भी साबित होती है। जिसके चलते इससे लेनदेन की लागत भी कम आती है।
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