लखनऊ सुपरजॉयंट्स ने मनीष पांडेय, जेसन होल्डर, दुश्मांता चमीरा और एविन लेविस सहित सात खिलाड़ियों को विदेशी मुद्रा संकेतों के लेखक कौन हैं? रिलीज किया है. उनके पास 23.35 करोड़ रूपये बचे हुए हैं.
IPL Auction 2023: ऑक्शन से पहले सभी 10 टीमें पर एक नजर, किसके पास हैं कितने पैसे, यहां जानें पूरी डिटेल
मुंबई: इंडियन प्रीमियर लीग 2023 (IPL 2023) के आगामी सीजन का ऑक्शन शुक्रवार यानी 23 दिसंबर को कोच्चि में होने वाली है. ऑक्शन से पहले सभी टीमें रिटेन और रिलीज किए गए प्लेयर्स की लिस्ट जारी कर चुकी हैं. कुछ टीमों ने अपने कोर को बनाए रखा है तो वहीं कुछ ने एकदम नई शुरुआत करने का निर्णय लिया है. चलिए देखते हैं फिलहाल सभी टीमों के पास कौन से खिलाड़ी हैं और उनके पास नीलामी के लिए कितने पैसे हैं.
इस बार ऑक्शन में हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर के 991 खिलाड़ियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. लेकिन फाइनल लिस्ट में 405 खिलाड़ी शामिल हैं. इन 405 खिलाड़ियों में 273 भारतीय और 132 बाहर के हैं. अगले आईपीएल के लिए 87 स्लॉट खाली हैं जिन्हें भरने के लिए 405 खिलाड़ियों पर बोली लगेगी. इस मिनी ऑक्शन में खिलाड़ियों पर जमकर पैसा बरसेगा. लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जो इस बार ऑक्शन के सभी रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं. IPL Auction 2023: ऑक्शन के लिए शॉर्टलिस्ट हुए अनकैप्ड प्लेयर्स की पूरी लिस्ट, जानें इस सूची में कितने भारतीय और विदेशी मुद्रा संकेतों के लेखक कौन हैं? कितने विदेशी खिलाड़ी
जरुरी जानकारी | विेदेशी बाजारों में गिरावट से तेल-तिलहनों के भाव टूटे, बिनौला में सुधार
नयी दिल्ली, 22 दिसंबर विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के विदेशी मुद्रा संकेतों के लेखक कौन हैं? भाव कमजोर हो गये। दूसरी ओर मंडियों में बिनौला की आवक कम होने और नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग की वजह से बिनौला तेल कीमतें सुधार दर्शाती बंद हुईं।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में विदेशी मुद्रा संकेतों के लेखक कौन हैं? 1.5 प्रतिशत की गिरावट रही। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल एक प्रतिशत नीचे है।
सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार में बिनौला तेल खली के जनवरी, 2023 विदेशी मुद्रा संकेतों के लेखक कौन हैं? माह में डिलिवरी वाले अनुबंध का भाव 3.5 प्रतिशत बढ़ा है जिससे देश में करोडों की संख्या में मौजूद मवेशियों के आहार महंगे होंगे। यह स्थिति देश के मवेशी पालन और दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए अच्छा संकेत नहीं है जो सालाना लगभग 13.3 करोड़ टन दूध का उत्पादन करते हैं। देश में बड़ी संख्या में किसान, निजी उपयोग और अतिरिक्त लाभ पाने के लिए, खेती के साथ साथ मवेशी पालन करते हैं। इससे दूध और दुग्ध उत्पादन प्रभावित हो सकता है क्योंकि मवेशियों के आहार में प्रयोग होने वाले खल में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान बिनौला खल का ही होता है।
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