SWOT Full Form In Hindi
Business में SWOT का फुल फॉर्म है, Strengths, Weaknesses, Opportunities, और Threats. इसका हिंदी में अर्थ है ताकत, कमजोरियां, अवसर SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? और खतरे. Corporate और Business में इसे SWOT Analysis के नाम से जाना जाता है.
एक व्यवसाय के अंदर अपनी ताकत, कमजोरियों को जानने के लिए, बाजार में मौजूद अवसरों का फायदा उठाने के लिए और अपने प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर करने के लिए यह तकनीक इस्तेमाल की जाती है. चलिए इस लेख में SWOT analysis के बारे में विस्तार से जानते हैं.
SWOT Analysis क्या है
SWOT analysis एक रणनीतिक योजना और SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? रणनीतिक प्रबंधन तकनीक है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति या संगठन को व्यापार प्रतियोगिता या परियोजना योजना से संबंधित ताकत, कमजोरियों, अवसरों और खतरों की पहचान करने में मदद करने के लिए किया जाता है.
यह एक ढांचा है जिसका उपयोग कंपनी की प्रतिस्पर्धी स्थिति का मूल्यांकन करने और रणनीतिक योजना विकसित करने के लिए किया जाता है. आंतरिक और बाहरी कारकों के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं का आकलन करने के लिए भी SWOT analysis किया जाता है.
SWOT analysis का उपयोग सबसे पहले व्यवसायों का विश्लेषण करने के लिए किया गया था. लेकिन अब यह सरकारों, गैर-लाभकारी संस्थाओं और निवेशकों और entrepreneurs सहित व्यक्तियों द्वारा उपयोग किया जाता है.
SWOT दो भागों से बना है: Strengths और Weaknesses एक कंपनी के आंतरिक होते हैं, जबकि Opportunities और Threats कंपनी के लिए बाहरी होते हैं.
Strengths: ताकतें बताती है संगठन की क्या उत्कृष्टता है और क्या उसे प्रतिस्पर्धा से अलग करता है.
- आपकी प्रतिस्पर्धात्मक लाभ क्या है?
- आपके पास क्या संसाधन हैं?
- कौन से उत्पाद अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं?
- आपकी सबसे मजबूत asset क्या है?
Weaknesses: संगठन को उत्कर्ष प्रदर्शन करने से क्या रोक रही है और कहाँ सुधार की आवश्यकता है.
- कहां सुधार कर सकते हैं?
- किस कारण से आप दूसरों से पिछड़ रहे हैं?
- आपके पास संसाधनों की कमी कहां है?
- सबसे कम प्रदर्शन करने वाली उत्पाद कौन सी हैं?
Opportunities: उन अवसरों की पहचान करें जिनका लाभ उठाकर आपका व्यवसाय फायदा पा सकता है.
- संचालन में सुधार के लिए किस तकनीक का उपयोग करें?
- कौन से नए segments की तलाश सकते हैं?
- बाजार में कौन से रुझान स्पष्ट हैं?
- किस demographic को लक्षित नहीं कर रहे हैं?
Threats: ऐसे कारक जो आपके व्यवसाय के लिए समस्याएँ पैदा कर सकते हैं, जैसे बाज़ार में परिवर्तन, नया अभियान, या नई सरकारी नीति.
- आपके प्रतियोगी क्या अच्छा कर रहे हैं?
- किन उपभोक्ता प्रवृत्तियों से व्यवसाय को खतरा है?
- नए सरकारी नियम जो संचालन या उत्पादों को नुकसान पहुंचा सकते हैं?
SWOT analysis व्यापार-रणनीति बैठकों का मार्गदर्शन करने का एक शानदार तरीका है. उम्मीद है आपको SWOT के मतलब के साथ-साथ इसके analysis के बारे में basic जानकारी मिल चुकी है.
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कैरियर किस दिशा में बनाएं ? SWOT Analysis से खुद को जाने।
कौन कहता है, बचपन बच्चों का खेल है? कभी इम्तेहान तो कभी प्रोजेक्ट, कभी होमवर्क तो कभी क्लासवर्क तो कभी सोशल मीडिया। और इस सबके बीच एक भारी सवाल…तुम क्या बनना चाहते हो ? कौन सी स्ट्रीम, कौन सा प्रोफेशन ? जितने सवाल उससे कहीं ज्यादा जवाब। कोई कहता है साइंस लेना चाहिये, डॉक्टर, इंजीनियर्स की देश को जरूरत है। कोई कहता है, कॉमर्स लेना चाहिये। एमबीए करके विदेश में नौकरी लगेगी। कौई कहता है आर्ट्स लेकर आर्टिस्ट,टीचर, प्रोफेसर बन जाओ। कोई बॉयोटेक्नोलॉजी की तारीफ़ करता है तो कोई साइंस की, कोई एडवोकेट बनने की कहता है तो कोई सीए।
सवाल ये नहीं कि कौन सी पढ़ाई अच्छी है, और कौन सी कम अच्छी। कौन सी आसान है, कौन सी मुश्किल। किसमें एडमिशन मिलेगा, किसमें नहीं।
असली सवाल ये है कि तुम करना क्या चाहते हो ? तुम्हारा सपना क्या है. तुम्हें खुशी किस काम को करके मिलती है ? दुनियाँ में हर काम का अपना महत्व होता है। लेकिन हर इंसान हर काम को करने के लिये नहीं बना, इसलिये यह जानना बहुत जरूरी है कि तुम्हारा रूझान किस ओर है ? तुम्हारे हुनर क्या हैं ?
16 साल की उम्र में यह तय करना कि 60 साल तक क्या करना है, बहुत मुश्किल है। इसीलिये ये बहुत जरूरी है कि आप जो भी स्ट्रीम चुनें, वो ज्यादा से ज्यादा दिशाओं की ओर आपको लेकर जाए, क्योंकि यह बहुत अहम फ़ैसला है। इसलिये बहुत जरूरी है कि इसे बहुत सूझ-बूझ और चिंतन के बाद लिया जाए।
बड़े-बड़े विद्वान, काउंसलर, एडवाइजर “डिसिजन मेकिंग” को “प्रोसेस”(निर्णय लेने की प्रक्रिया) समझते हैं, और तभी एक व्यवस्थित प्रक्रिया का प्रयोग करने की सलाह भी देते हैं। अपनी स्ट्रीम या कैरियर चुनने से पहले कुछ समय सोचने और समझने में व्यतीत करना जरूरी है। ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करना भी बहुत अहम होता है।
बाहरी जानकारी प्राप्त करने से पहले खुद को समझना जरूरी है। आत्म अध्ययन करना सीखना चाहिये। इससे अपने बारे में बेहतर जानने का मौका मिलता है। स्वोट-SWOT(Strengths, Weaknesses, Opportunities and Threats) एनालिसिस-Analysis एक माध्यम है, जिससे खुदको बेहतर समझने में सहायता मिलती है। इसके बाद अपने रूचि के विषयों की सूचि बनाने से सोच को एक दिशा मिलती है। इस सोच को माध्यम बनाकर कोर्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने से कोर्सेज का चयन करना आसान हो जाता है।
जैसे हर जगह पहुँचने का रास्ता अलग होता है, वैसे ही जीवन में हर लक्ष्य को पाने का जरिया भी अलग होता है। आज भारत में एजुकेशन इंडस्ट्री इतनी तरक्की कर चुकी है कि कोर्सेज, प्रोफेशन्स की गिनती करना संभव नहीं है। ऐसे-ऐसे कोर्सेज हैं जिनके बारे में कभी सुना नहीं गया था, जैसे- स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, हॉस्पीटल मैनेजमेंट, इंटीग्रेटेड प्रोग्राम्स जिनके साथ 2 स्ट्रीम पढ़ी जा सकती है। ये सब सुविधाएँ बच्चों को अपने सपने को सच करने में मदद करती हैं।
कहते हैं, काम वो करो जिसमें खुशी मिले, और खुशी की परिभाषा हर मनुष्य की अलग होती है। इसलिये जीवन में सवालों के जवाब बाहर नहीं अपने अंदर ढ़ूँढ़ने चाहिये, क्योंकि केवल आप जानते हैं कि आपकी असली खुशी किसमें है।
माता-पिता फैसले लेने के लिये बच्चे को प्रोत्साहित करें
माता-पिता को बच्चों को खुद फैसला लेने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये। उन्हें बच्चों का आत्मबल बढ़ाना चाहिये, ताकि जीवन के छोटे-बड़े फ़ैसले लेने में वो कभी असमर्थ महसूस न करें। इस आधार पर यह बहुत जरूरी है कि बच्चों को SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? अलग-अलग विषयों की उचित जानकारी प्राप्त कराई जाए। उनके बाद नौकरियों में आने वाली कठिनाईयो के बारे में बताया जाए, ताकि वो दूरदर्शिता से फ़ैसला लेना सीखें। उनपर अपने फ़ैसले थोप देने से हम उन्हें अपना भला-बुरा सोचने के लिये कमजोर और असमर्थ बना देते हैं। जिससे उनके आने वाले जीवन में उन्हें निराशा, अफ़सोस और निर्बलता का अहसास होता है। इस कार्णवश आज बच्चों में बढ़ते हुए ब्लड प्रेशर, व्याकुलता, डिप्रेशन(अवसाद), और आत्महत्या जैसी प्रवृति देखी जा रही है।
जब परिजन बच्चों को जीवन के सही मूल्य सिखाकर अपने आप की जिम्मेदारी उठाना सिखाने की जगह उनके जीवन के हर छोटे-बड़े फैसले खुद करने की कोशिश करने लग जाते हैं, तो बच्चों को जीवन से लड़ने की सीख और शक्ति नहीं मिलती। इसी कारणवश वो आत्महत्या, अवसाद एवं बैचैनी जैसी स्थिति में आ जाते हैं। इसके विपरीत जो माता-पिता छोटी उम्र से अपने बच्चों को अपना काम खुद करने का प्रोत्साहन देते हैं, परिस्थितियों से लड़ने की हिम्मत देते हैं, उनके बच्चे आगे चलकर बेहतर जीवन व्यतीत करते हैं। वो किसी पर अपने काम और फैसलों के SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? लिये निर्भर नहीं होते हैं। जिससे निराशा का सामना नहीं करना पड़ता है।
माता-पिता और शिक्षकों को चाहिये कि बच्चों को बजाय डॉक्टर, इंजीनियर बनाने के एक सक्षम इंसान बनाने की कोशिश करें। बेहतर इंसानों से बेहतर समाज बनता है। आजकल बच्चों में जितने भी आत्महत्या की घटनाएँ हो रही हैं, अगर गौर किया जाए तो कहीं न कहीं उनके पीछे समाज का बच्चों पर फैसले थोपने का चलन जिम्मेदार पाया जाता है। यदि हर बच्चे को सही मार्ग दिखाते हुए अपनी दिशा स्वयं चुनने का मौका दिया जाए, उसकी बैशाखी नहीं उसकी शक्ति बना जाए तो बच्चों का बेहतर विकास होगा।
बच्चों से दोस्त बनकर जाने उनके मन की बात
सोशल मीडिया के समय में बच्चों को सही गलत का परिचय कराना बहुत कठिन होता जा रहा है। बच्चों की सोच को प्रभावित करने के इतने ज्यादा माध्यम खुल चुके हैं, कि उनके मन की बात जान पाना एक चुनौती से कम नहीं है। तभी माता-पिता और शिक्षकों को कभी दोस्त बनकर प्यार से तो कभी बड़ा बनकर सख्ती से, तो कभी काउंसलर बनकर खुले दिमाग से सुनना और SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? समझना चाहिये।
बच्चे अक्सर अपने मन की बात बताने से संकोच करते हैं। जिस कारणवश उनके व्यवहार के प्रति सचेत रहना आवश्यक है। अक्सर बुरे और अजीब व्यवहार के पीछे बच्चों की कुछ गहन समस्या पाई SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? जाती है। यदि माता-पिता या शिक्षक केवल ऊपरी सतह से देखकर भ्रमित हो जाएँ तो बच्चों की असली परेशानी का हल नहीं निकल पाता और बाहरी प्रभाव से वह गलत रास्ते की तरफ मुड़ सकते हैं, जो कि उनके लिये कहीं ज्यादा हानिकारक हो सकती है।
तुम क्या बनना चाहते हो, इस प्रश्न की जगह “बेटा अच्छा इंसान बनो” यह प्रोत्साहन बचपन से बच्चों को दिया जाए तो वो बेहतर और ज़िम्मेदार इंसान बनने की ओर बढ़ेंगे, जिसका परिणाम एक बेहतर सुलझा हुआ जीवन होगा, जो हर इसान की असली जरूरत है एक पूर्ण जीवन के अनुभव के लिये।
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अपना निबंध या एकैडमिक पेपर मिल जाने पर – कुछ काम की टिप्स
- आदर्श स्थिति में आपको अपने पेपर को स्क्रीन पर पढ़ने के बजाये उसका प्रिंटआउट करवा लेना चाहिए।
- पेपर को पढ़ते-पढ़ते उसके मुख्य बिन्दुओं को हाईलाइट करें और नोट्स बनाते रहें। फिर उसे दुबारा पढ़ कर यह सुनिश्चित कर लें कि आपसे कुछ छूट तो नहीं गया।
- ध्यान रहे कि अपने निबंध अथवा शोध-निबंध को ध्यान से पढ़ कर आप यह समझ पाते हैं कि किसी एकैडमिक पेपर का फ्लो कैसा होना चाहिए व इससे आपको अपनी खुद की लेखन शैली बनाने में मदद मिलेगी।
- पेपर की बनावट और संरचना पर ख़ास ध्यान दें।
- किसी पेपर में दिखाई देने वाले सबटाइटल्स का आपको ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि वे उन विषयों को रेखान्खित करते हैं, जिन्हें उसमें शामिल किया जाना चाहिए।
- उसे पूरा पढ़ लेने के बाद स्वयं को सभी स्रोतों से परिचित करवा लेने के लिए संदर्भ और ग्रन्थ सूची को भी पढ़ लें। ज़्यादातर संदर्भों को एक स्टैण्डर्ड Athens अकाउंट से आसानी से ढूँढा जा सकता है।
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शोध-निबंधों के लिए
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- क्या आप अकेले बेहतर ढंग से सीखते हैं या फिर किसी ग्रुप में? अगर ग्रुप स्टडी आपको भाती है तो आप अपने दोस्तों के साथ एक स्टडी ग्रुप भी बना सकते हैं। आईडियाज़ साझा करने का वे एक कमाल का तरीका जो होते हैं।
- क्या बैकग्राउंड में होते शोर से आपका ध्यान भंग होता है? अगर हाँ तो पढ़ाई करने के लिए लाइब्रेरी सबसे बेहतरीन जगह हो सकती है। काम करने के लिए आपको कोई ऐसी जगह ढूंढ लेनी चाहिए, जहाँ आप सहज होकर पूर्ण एकाग्रता से काम कर सकें।
- आपको शब्द ज़्यादा आसानी से समझ आते हैं या डायग्राम्स? कुछ लोगों के लिए डायग्राम्स और माइंड मैप्स का उपयोग करना पारंपरिक नोट्स बनाने का एक उपयोगी विकल्प या पूरक होता है।
- ब्रेक लिए बगैर ज़्यादा देर तक काम न करें। एक अच्छे संतुलन की खातिर 20 मिनट काम करने के बाद अपनी एकाग्रता को रिचार्ज करने के लिए पांच मिनट का ब्रेक ले लें।
अंत में, हम इस बात पर फिर से ज़ोर देना चाहेंगे कि अनुशंसित ढंग से Ivory Research की लेखन सेवाओं का इस्तेमाल करके अपने ज्ञान में सुधार लाना, बेहतर ग्रेड्स हासिल करना और रिसर्च पर खर्च होने वाले वक़्त को कम कर पाना बिल्कुल संभव है। लेकिन कृपया इस बात का भी ध्यान रखें कि हमारी सेवाओं का दुरूपयोग करने से आपका एकैडमिक करियर जोखिम में पड़ सकता है। कृपया हमारी प्रोडक्ट्स का ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल करें।
SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें?
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है। यह सर्व विदित है की सिविल सेवा की तैयारी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और इसके लिए एक विशद रणनीति और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। हालांकि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी एक लम्बी प्रक्रिया है और इसमें एक वर्ष से भी ज़्यादा समय लगता है लेकिन एक सही रणनीति और कार्ययोजना के माध्यम से एक महीने में प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की जा सकती है।
जहां तक UPSC CSE प्रारंभिक परीक्षा का संबंध है, प्रारंभिक परीक्षा को पास करने के लिए व्यापक रणनीति और परिश्रम आवश्यक है । एकीकृत तैयारी और पूरे पाठ्यक्रम का बार बार रिविज़न इस परीक्षा को पास करने की कुंजी है। पाठ्यक्रम, पैटर्न और योजना पर निरंतर मंथन के माध्यम से वांछित परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। अधिकांश समय प्रारंभिक परीक्षा को हल्के में लिया जाता है और इसकी तैयारी के लिए छात्र एक लचर रवैया अपनाते है।
परीक्षा के वृहत पाठ्यक्रम को देखते हुए प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी एक महीने में करना लगभग असंभव है हालांकि निम्न बिंदुओं पर ध्यान देकर इसे संभव बनाया जा सकता है :
- अपनी शक्ति को पहचाने: हर किसी में एक छिपी हुई प्रतिभा होगी जैसे कि कम समय में तथ्यों को याद रखना और प्रश्नों के प्रति उनका दृष्टिकोण। SWOT विश्लेषण के साथ उनकी पहचान करने का प्रयास करें। इससे आपको बेहतर परिणाम मिलेगा। इस SWOT विश्लेषण का उपयोग यह जानने के लिए किया जा सकता है कि वे सिविल सेवा की तैयारी में कहां खड़े हैं। उन्हें इतिहास, भूगोल और राजनीति जैसे सामान्य जागरूकता विषयों के लिए व्यक्तिगत रूप से इस विश्लेषण का उपयोग करना चाहिए।
- हर चीज का ज्ञान: केवल तथ्यों और सैद्धांतिक अवधारणाओं के साथ मजबूत होने से सिविल सेवा में सफलता नहीं मिलेगी। उम्मीदवारों को स्थिति और प्रश्न के आधार पर अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। ऐसा करने के लिए, उन्हें परीक्षा प्रारूप और पाठ्यक्रम सहित परीक्षा के प्रत्येक पहलू को जानना चाहिए। समय की कमी या अन्य कारणों से, इन मूल बातों को कभी भी नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि इससे आपको परीक्षा में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हमारा सुझाव है कि आप सिविल सेवा पाठ्यक्रम, परीक्षा पैटर्न, सीएसएटी के प्रति दृष्टिकोण और सामान्य जागरूकता के प्रश्नों से खुद को परिचित करें।
- अपनी पढ़ाई व्यवस्थित करें:सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा एक महीने में, पहला काम अपनी पढ़ाई को व्यवस्थित करना है। पेपर- II सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT) के साथ तैयारी शुरू करना एक अच्छा विचार है क्योंकि सैद्धांतिक अवधारणाओं को कवर करने में मुश्किल से तीन दिन लगते हैं जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएंगे। सिविल सेवा का पाठ्यक्रम एक सागर है और इसकी तैयारियों का कोई अंत नहीं होगा। इसलिए, उम्मीदवारों को केवल विषयों को कवर करने के बजाय पूर्णता पर काम करना चाहिए। सामान्य जागरूकता के प्रश्नपत्र में प्रत्येक विषय के लिए कम से कम दो से तीन दिन का समय दें।
- प्रीलिम्स पर व्यापक रूप से ध्यान दें: मुख्य परीक्षा की अवधारणाओं को प्रीलिम्स के समानांतर पढ़ने को प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन इस स्तर पर समय की कमी को देखते हुए ये ठीक नहीं है। कई छात्र शिकायत करते हैं कि अस्पष्टता के कारण वे प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। हमारा सुझाव है कि आप इस अंतिम महीने केवल प्रारंभिक परीक्षा पर ध्यान दें।
- सामान्य अध्ययन पेपर- I को महत्व दें: आप सभी को इस तथ्य से अवगत होना चाहिए कि सामान्य जागरूकता पेपर केवल चयन प्रक्रिया के अगले चरण, यानी मुख्य परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए माना जाता है। इससे स्वयं सिद्ध होता है कि प्राथमिक ध्यान सामान्य अध्ययन पर होना चाहिए। SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? CSAT पेपर एक क्वालिफाइंग पेपर है और नियमित अभ्यास के अलावा चार से पांच दिनों की तैयारी पर्याप्त है।
प्रारंभिक परीक्षा में क्रमिक और निरंतर प्रयास ही आपको इस परीक्षा में सफल होने में मदद कर सकता है। अभ्यास और रिविज़न आपको परीक्षा से पहले पढ़ा हुआ याद रखने में मदद करते हैं। जितना अधिक आप रिवीजन करेंगे, आपकी अवधारणाओं और मूल बातों पर आपकी पकड़ मजबूत होगी। स्मार्ट और क्रिस्प नोट्स आपको अब तक सीखी गई सामग्री पर सरसरी निगाह डालने में मदद करते हैं। उपरोक्त बिंदुओं पर चल कर आप आसानी से एक महीने के समय में प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी कर उसे उत्तीर्ण कर सकते हैं।
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