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रूस की करेंसी रूबल से आगे निकला बिटकॉइन, जानिए यह कैसे हुआ

मई के बाद से बिटकॉइन में रूबल में होने वाली ट्रेडिंग सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है। रूस और यूक्रेन में लड़ाई के चलते एक तरफ जहां रूबल में कमजोरी आई है वहीं बिटकॉइन में मजबूती आई है

पिछले साल नवंबर में बिटकॉइन 69,000 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था। उधर, यूक्रेन पर रूस के हमले शुरू होने के बाद से रूबल करीब 30 फीसदी गिर चुका है।

बिटकॉइन (Bitcoin) रूस की करेंसी रूबल (Rubble) से आगे निकल गया है। इसकी वजह भी यूक्रेन क्राइसिस (Ukraine crisis) है। क्राइसिस शुरू होने के बाद से बिटकॉइन में उछाल देखने को मिला है। दरअसल, बिटकॉइन का मार्केट कैपिटलाइजेशन रूस की करेंसी रूबल से ज्यादा हो गया है।

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से अमेरिका, यूरोपीय देश और जापान ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसका असर रूबल पर पड़ा है। डॉलर के मुकाबले रूबल में तेज गिरावट देखने को मिली है। रूसी केंद्रीय बैंक ने इसे गिरने से बचाने के लिए कोशिश की है। लेकिन, रूस के केंद्रीय बैंक पर भी प्रतिबंध लगा है। इसलिए रूबल को गिरने से बचाने की उसकी क्षमता भी कम हो गई है।

20 हजार डॉलर के पार पहुंत सकता है BitCoin, ईथर सहित इन क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आई तेजी

पिछले महीने सितंबर की शुरुआत से ही उतार-चढ़ाव के साथ कारोबार कर रहे हैं क्रिप्टो मार्केट में मंगलवार को तेजी दिखाई दी।

20 हजार डॉलर के पार पहुंत सकता है BitCoin, ईथर सहित इन क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आई तेजी

पिछले महीने सितंबर की शुरुआत से ही उतार-चढ़ाव के साथ कारोबार कर रहे हैं क्रिप्टो मार्केट में मंगलवार को तेजी दिखाई दी। दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) के मार्केट प्राइस में मंगलवार को 2 पर्सेंट का इजाफा हुआ। बिटकॉइन की मार्केट प्राइस मंगलवार को 19,548 डॉलर रही। वहीं दूसरी ओर बिटकॉइन के बाद सबसे चर्चित और बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एथेरियम ब्लॉकचेन की ईथर में भी मंगलवार को तेजी दिखाई दी। ईथर की मार्केट प्राइस मंगलवार को 2 पर्सेंट की तेजी के साथ 1,321 डॉलर रहा। जबकि पिछले 24 घंटों में ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर से नीचे है। हालांकि CoinGecko के अनुसार मंगलवार को ग्लोबल क्रिप्टो कैप 1 पर्सेंट की तेजी के साथ 979 बिलियन डॉलर पर ट्रेड कर रहा है।

20,000 पर पहुंच सकता है Bitcoin
Bitcoin में इस तेजी को देखते हुए ग्लोबल क्रिप्टो इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म Mudrex के सीईओ और को-फाउंडर इदुल पटेल कहते हैं कि इस सप्ताह की शुरुआत पॉजिटिव ट्रेंड के साथ हुई है। जबकि बिटकॉइन के मार्केट प्राइस में बहुत ही कम पर्सेंट का इजाफा हुआ है और अभी भी यह अपने ऑल टाइम हाईएस्ट लेवल से काफी नीचे है। अगर बिटकॉइन की मार्केट प्राइस में कुछ दिनों तक लगातार इजाफा होता है तो हम बहुत जल्द इसे 20,000 डॉलर के पास देखेंगे। हाल के सप्ताह में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में कमजोड़ी का सबसे बड़ा कारण US डॉलर में उतार–चढ़ाव और महंगाई की आशंका के कारण मार्केट पार्टिसिपेंट का इससे दूरी बना कर रखना है।

Dogecoin और Shiba Inu में भी आई तेजी
डॉगकॉइन और शीबा इनु के मार्केट प्राइस में भी मंगलवार को सामान्य बढ़त दिखाई दी। एक और जहां डॉगकॉइन की मार्केट प्राइस मामूली इजाफे के बाद 0.06 डॉलर रहा वहीं शीबा इनु की मार्केट प्राइस 0.000011 डॉलर देखा गया। दूसरी कई और क्रिप्टोकरंसी के मार्केट प्राइस में पिछले 24 घंटों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। जहां एक और पोल्काडॉट, कार्डोनो, चेनलिंक, टीथर, एपीकॉइन, सोलोना, लिटकॉइन, एक्सआरपी और पॉलीगॉन में बढ़त दिखाई दी वहीं टेरा लूना और स्टेलर में मामूली गिरावट आई है।

RBI ने क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग पर की स्थिति साफ, बैंकों को दिये यह निर्देश

राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कल स्पष्ट किया कि बैंक और अन्य संस्थाएं आभासी मुद्राओं पर अपने 2018 के आदेश का हवाला नहीं दे सकती हैं क्योंकि इसे 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अलग रखा गया है।

स्पष्टीकरण से राहत -

केंद्रीय बैंक का स्पष्टीकरण भारत में उन सभी निवेशकों और क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए राहत का संकेत है, जिन्होंने आभासी मुद्राओं (virtual currencies) में निवेश किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला -

RBI ने एक अधिसूचना में बताया, ""

सेंट्रल बैंक के मुताबिक, ““

नए निर्देश के मायने -

नवीनतम निर्देश उन कुछ बैंकों और विनियमित संस्थाओं की पृष्ठभूमि के खिलाफ है जो परिपत्र का हवाला देकर ग्राहकों को वर्चुअल करेंसी के लेनदेन के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं।

इस दिन, इनके नाम -

सोमवार को जारी किया गया यह सर्कुलर सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों, भुगतान बैंकों, छोटे वित्त बैंकों, एनबीएफसी और भुगतान प्रणाली प्रदाताओं को संबोधित है।

एक तरह से इनको नसीहत -

लेंडर्स बिटकॉइन ट्रेडिंग बनाम विदेशी मुद्रा के ईमेल के अनुसार इससे पहले एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई/SBI) ने अपने ग्राहकों को बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्राओं में लेनदेन के प्रति आगाह किया था।

नियामकों को संशय -

निजी डिजिटल मुद्राएं (digital currencies)/आभासी मुद्राएं (virtual currencies)/क्रिप्टो करेंसी (crypto currencies) ने हाल के वर्षों में काफी लोकप्रियता हासिल की है।

जारी रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में, नियामकों और सरकारों को इन मुद्राओं के बारे में संदेह है। साथ ही इससे जुड़े जोखिमों के बारे में भी वे आशंकित हैं। आरबीआई (RBI) ने जनवरी 2021 में जारी भुगतान प्रणाली (Payment Systems) पर अपनी पुस्तिका में उल्लेखित किया था।

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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? क्या तैयार है इंडिया

कागज के नोट छापने पर आरबीआई का बड़ा पैसा खर्च होता है. (फोटो- मनीकंट्रोल)

2023 की शुरुआत तक संभावना है कि भारत के पास अपना खुद का "डिजी रुपी" (Digi Rupee) होगा. पूरे भारत में इसे प्रभावी ढंग से . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 27, 2022, 12:23 IST

हाइलाइट्स

बैंकनोट की परिभाषा और दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता.
वीडीए (VDAs) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा.
कोई भी VDA भारतीय या विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हैं.

नई दिल्ली. अक्टूबर 2021 की बात है. तब भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार को एक खास प्रपोजल दिया था. इसके अनुसार, भारत सीबीडीसी (बिटकॉइन ट्रेडिंग बनाम विदेशी मुद्रा सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) के इस्तेमाल से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं में से एक बनने के पथ पर आगे बढ़ेगा. सेंट्रल बैंक ने आरबीआई एक्ट, 1934, के “बैंकनोट” की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने और पैसे को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में उतारने की सिफारिश की थी.

अब राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा है कि आरबीआई यूज केसेस को परख रहा है और चरणबद्ध तरीके से सीबीडीसी को लाने की योजना पर काम कर रहा है ताकि कोई दिक्कत न हो. देखा जाए तो CBDC (Central Bank Digital Currency) एक अच्छा ऑप्शन है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा. परंतु यहां सवाल यह है कि क्या भारत को सच में कैश की जगह किसी अन्य विकल्प की जरूरत है?

क्यों है कैश की जगह डिजिटल करेंसी की जरूरत

2023 की शुरुआत तक संभावना है कि भारत के पास अपना खुद का “डिजी रुपी” (Digi Rupee) होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022 के लिए बजट पेश करते हुए इसका हिंट दिया था. इसके साथ ही एक नया सेक्शन 115BBH भी लागू किया था. इसके अनुसार, वीडीए (VDAs) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा. वीडीए की फुल फॉर्म है वर्चुअल डिजिटल एसेट्स.

VDAs जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी, नॉन-फंजीबल या गवर्नेंस टोकन, गेमिंग कॉइन आदि- अभी भी भारतीय या विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हैं. और, मार्च 2021-2022 (Comscore.com, 2022) में क्रिप्टो बाजार में 17 से 90 मिलियन यूजर्स को देखते हुए, भारत सरकार को इसके संबंध में एक अहम कदम उठाना पड़ा. बेशक, 115बीबीएच, क्रिप्टो लेनदेन को वैध नहीं बनाता है, परंतु यह भविष्य में सरकार के वीडीए एक्सचेंज के संभावित वैधीकरण की तरफ इशारा जरूर करता है. और यह निश्चित रूप से क्रिप्टो ट्रेडर्स को कुछ राहत देता है.

MSMEs द्वारा डिजिटल पेमेंट स्वीकारना

उपरोक्त केस के अलावा, एमएसएमई द्वारा डिजिटल भुगतान की बढ़ती स्वीकृति एक और ऐसी चीज है, जो बाजार में एक कानूनी डिजिटल विकल्प पेश करने के लिए प्रेरित करती है. महामारी फैलने से पहले से ही डिजिटल पेमेंट मोड का उपयोग हो रहा था. महामारी के बाद तो इसके उपयोग में बेहद तेजी आई, क्योंकि लाखों भारतीयों के पास खरीदारी करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का एक ही विकल्प बचा था.

तीसरी बात- प्राइवेट वर्चुअल एसेट्स की बढ़ती स्वीकृति को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल बैंक को डिजिटल पेमेंट सिस्टम लाना होगा. तेजी से बढ़ती तकनीक के युग में फिलहाल वीडीए का कोई विश्वसनीय जारीकर्ता नहीं है. इन्हें जनता द्वारा ही बनाया और उपयोग किया जा रहा है. इसमें क्रेडिट जोखिम शामिल है, जिसमें आर्थिक अस्थिरता पैदा करने की क्षमता भी है.

क्या अर्थव्यवस्था को गिरा सकता है CBDC?

जीएलजी इनसाइट्स, जनवरी 2022, के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था का लगभग 53% अनौपचारिक या अवैध क्षेत्र को मिलाकर बनता है. पेपर-बेस्ड करेंसी कल्चर को संहिताबद्ध करने से अधिक पारदर्शिता और दक्षता लाकर भारत में शैडो अर्थव्यवस्था को कम करने में मदद मिलेगी.

दूसरे, कागजी पैसे से जुड़े खर्च आरबीआई की खाता-बही के एक महत्वपूर्ण हिस्से का इस्तेमाल कर लेते हैं. क्षतिग्रस्त धन आरबीआई के लिए नई मुद्राओं के मैनेजमेंट और प्रोसेसिंग के खर्च को और बढ़ा देता है. नियंत्रित डिजिटल मुद्रा के उपयोग से इन्हें कम किया जा सकता है.

क्या CBDC के लिए पूरा भारत तैयार है?

डिजिटल करेंसीज़ के साथ डील करते समय ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को समझना होगा. यह अब भी पुराने तरीकों का उपयोग कर रही है, लेकिन आवश्यक बैंकिंग सेवाओं के बिना समस्याओं से घिर सकती है. इसके अलावा, सीबीडीसी का व्यापक उपयोग निश्चित रूप से साइबर खतरों को बढ़ा देगा. सीबीडीसी की स्वीकृति के लिए तकनीकी जानकारी, ऑपरेशनल खर्च, बेहतर साइबर सुरक्षा, सीबीडीसी ऑपरेटरों की ट्रेनिंग और आम जनता को सीबीडीसी से परिचित कराना आवश्यक चीजें हैं. इस प्रकार, पूरे भारत में इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए RBI को बड़ी लागत वहन करनी पड़ सकती है.

ऐसे में, आरबीआई को भारतीय जनसंख्या के अलग-अलग हिस्सों, जिसमें डिजिटली ज्ञान न रखने वाले लोग भी शामिल हैं, पर गहन रिसर्च करनी चाहिए. इसे वर्तमान मौद्रिक नीतियों और मुद्रा संरचना के साथ-साथ वित्त वर्ष 2013 तक डिजिटल मुद्रा के लॉन्च के लिए समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए. भारत में साइबर सुरक्षा से जुड़े अपराध काफी होते हैं, तो विभिन्न स्तरों पर सख्त नियम और निर्विवाद साइबर सुरक्षा अति आवश्यक होगी. भारत की सीबीडीसी रणनीति में शून्य व्यवधान और न्यूनतम आर्थिक झटके की गारंटी होनी चाहिए.

लेखक: एस रवि, बीएसई के पूर्व चेयरमैन, और रवि राजन एंड कंपनी के फाउंडर और बिटकॉइन ट्रेडिंग बनाम विदेशी मुद्रा मैनेजिंग पार्टनर.

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