अमेरिका के केंद्रीय बैंक अर्थात यूएस फेड ने हाल ही में ब्याज दरों में बहुत बढ़ौतरी की है इससे अमेरिका में निवेश करने के लिए अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता एवं मांग पूरे विश्व में बढ़ रही है। मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव इसकी वजह से अन्य समस्त देशों की मुद्राओं यथा यूरो, पाउंड, येन, रूबल, यूआन, रुपए आदि का, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले, अवमूल्यन हो रहा है। जिस प्रकार की महंगाई की दर कई देशों में चल रही है, जो कई यूरोपीयन देशों में तो यह पिछले 50 साल के एतिहासिक स्तर पर है, इसे नियंत्रित करने के लिए मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव अमेरिका सहित ये सभी देश ब्याज दरों को बढ़ाते चले जा रहे हैं जिससे अन्य देशों की मुद्राओं पर तो दबाव आ रहा है परंतु अमेरिकी डॉलर मजबूत होता जा रहा है।

PAN not linked with Aadhaar by end of March 2023 (Jagran File Photo)

अधिमूल्यन क्यों किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंसाधारणतया अवमूल्यन इन दशाओं में किया जाता है। जब किसी देश की मुद्रा के आंतरिक मूल्य व बाह्य मूल्य मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव में अंतर होता है अथवा देश की बाह्य मुद्रा का मूल्य अधिक होता है। तो व्यापार संतुलन देश के विपरीत होने लगता है। मुद्रा का अवमूल्यन करके इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।

इसे सुनेंरोकेंअवमूल्यन से आंतरिक दाम प्राय गिरते है l अवमूल्यन आर्थिक शब्दावली का एक हिस्सा है; जब किसी देश द्वारा मुद्रा की विनिमय दर अन्य देशों की मुद्राओं से कम कर दिया जाये मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव ताकि निवेश को बढ़ावा मिल सके तो उसे अवमूल्यन कहते हैं।

मुद्रा ह्रास क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा के मूल्य में ह्रास का पहला प्रभाव है कि आयात महँगा हो जाता है, जबकि निर्यात सस्ता। इसका कारण स्पष्ट है कि समान मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव मात्रा में किसी वस्तु के आयात के लिये खरीदार को अधिक रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जबकि उतनी ही मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव मात्रा में निर्यात करने पर दूसरे देश को कम डॉलर खर्च करने पड़ते हैं।

रुपए का अंतिम बार अवमूल्यन कब किया गया?

इसे सुनेंरोकेंरुपए का अंतिम बार अवमूल्यन 1991 के आर्थिक संकट के दौरान किया गया था।

भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन कितनी बार हुआ है?

अवमूल्यन क्या है इसके प्रभाव क्या होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले जवाब दिया गया: अवमूल्यन (Devaluation) क्या होता हैं? अवमूल्यन का का शाब्दिक अर्थ तो यही है । अवमूल्यन में देश की मुद्रा के आंतरिक मूल्य(क्रय शक्ति) में कोई प्रभाव नहीं पड़ता किंतु विदेशी मुद्रा की तुलना में वह सस्ती हो जाती है जिससे कि हमारे देश का माल उस देश को सस्ता पड़ता है और हमारे निर्यात बढ़ जाते हैं ।

मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव

विश्व के कई देशों में मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वहां के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में लगातार वृद्धि की जा रही है। विशेष रूप से अमेरिका में ब्याज दरों में की जा रही वृद्धि का असर अन्य देशों मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ रहा है क्योंकि अमेरिकी डॉलर वैश्विक स्तर पर किए जाने वाले आर्थिक व्यवहारों के निपटान का एक सशक्त माध्यम है। इस कारण के चलते सामान्यतः कई देशों में विदेशी निवेश भी अमेरिकी डॉलर में ही किए जाते हैं। अभी हाल ही में अमेरिकी केंद्रीय बैंक (यूएस फेड) ने अमेरिका में ब्याज दरों में लगातार तेज वृद्धि की है क्योंकि अमेरिका में मुद्रा मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव स्फीति की दर पिछले 40 वर्षों के एतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है। ब्याज दरों में की गई तेज वृद्धि के कारण अन्य देशों में विशेष रूप से वहां के पूंजी बाजार (शेयर मार्केट) में अमेरिकी डॉलर में किए गए निवेश को निवेशक वापिस खींच रहे हैं एवं यह राशि अमेरिकी बांड्ज में निवेश कर रहे हैं क्योंकि इस निवेश पर बिना किसी जोखिम के तुलनात्मक रूप से अच्छी आय प्राप्त हो रही है। इस सबके चलते पूरे विश्व में अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ गई है एवं स्वाभाविक रूप से अमेरिकी डॉलर की कीमत भी अन्य देशों की मुद्राओं की तुलना में बहुत महंगी हो गई। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि अमेरिकी डॉलर की कीमत बढ़ रही है और अन्य देशों की मुद्राओं का अवमूल्यन हो रहा है। भारत में भी अब यह कहा जाने लगा है कि रुपए का तेजी से अवमूल्यन हो रहा है अर्थात अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की कीमत तेजी से गिर रही है, परंतु भारत के संदर्भ में ऐसा कहा जाना तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।

आयात और निर्यात का सेटलमेंट रुपये में ही करने की इजाजत

आरबीआइ की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि वैश्विक कारोबार में हिस्सेदारी बढ़ाने और वैश्विक समुदाय में भारतीय रुपये में कारोबार करने मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए आयात और निर्यात का सेटलमेंट भारतीय रुपये में ही करने की इजाजत दी जा रही है। इसके तहत भुगतान का सेटलमेंट करने से पहले अधिकृत डीलरों (एडी) को आरबीआइ की केंद्रीय शाखा स्थित विदेशी मुद्रा विभाग से अनुमति लेनी होगी।

Over 10 lakh e-Shram registrants have registered on NCS portal (Jagran File Photo)

रुपये में इनवायस की होगी सहूलियत

यह व्यवस्था तीन तथ्यों पर आधारित होगी। पहला, विदेशी मुद्रा अधिनियम कानून, 1999 के तहत जो नियम तय किए गए हैं उनके मुताबिक सभी तरह के आयातक व निर्यातकों को भारतीय रुपये में इनवायस की व्यवस्था होगी। दूसरा, जिस देश के साथ कारोबार हो रहा है उसकी मुद्रा व भारतीय रुपये की कीमत बाजार आधारित होगी। तीसरा, इन कारोबारों का सेटलमेंट भारतीय रुपये में किया जाएगा।

IRCTC Cancelled Train List Today (Jagran File Photo)

दूसरी मुद्राओं जैसे ही होंगे सेटलमेंट के नियम

आरबीआइ ने अपने दिशानिर्देश में यह स्पष्ट किया है कि भारतीय रुपये में सेटलमेंट के नियम वैसे ही होंगे जैसे अभी दूसरी मुद्राओं के संदर्भ में है। भारतीय निर्यातकों को रुपये की कीमत में प्राप्त इनवायस के बदले कर्ज लेने जैसी सुविधा भी सामान्य तौर पर मिलेगी।

निर्यातकों को विदेशी खरीदारों से अग्रिम भुगतान लेने का अधिकार होगा। कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी फेमा के तहत कवर होंगे। आरबीआइ ने कहा है कि यह अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू होगी और अधिकृत डीलरों से कहा गया है कि इस बारे में वो मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव सभी ग्राहकों को जानकारी उपलब्ध कराएं।

महत्व वास्तविक अर्थव्यवस्था का है, न कि तात्कालिक प्रभाव वाली बातों का : जेटली

alt

5

alt

5

alt

5

alt

रेटिंग: 4.68
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 236