इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम
इंट्राडे ट्रेडिंग यानी की एक ही दिन के अंतराल में स्टॉक को बाय और सेल करना । लेकिन मार्केट के 6 घंटे की अवधि किस अवधि में इंट्राडे ट्रेडिंग करना फायदेमंद होता है, साथ ही इक्विटी और कमोडिटी के लिए क्या इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम रखा गया है, ये सभी ज़रूरी बातो को यह विस्तार में जानेंगे।
Intraday Trading Time in Hindi
अब जैसे की आप जानते है कि शेयर बाजार के नियम है जिसका पालन कर आप ट्रेड कर सकते है । सभी नियमों में से एक नियम शेयर मार्केट के समय का है जिसमे आप ट्रेड कर सकते है। इक्विटी शेयर बाजार की बात करे तो वह सुबह 9:15 से शाम 3:15 तक खुला रहता है । यह 6 घंटे की अवधि एक ट्रेडर के लिए विभिन्न अवसर लेकर आती है जिसमे ट्रेडर मुनाफा कमा सकता है।
लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में मुनाफे के लिए ज़रूरी है एक सही समय का चुनाव करना । ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेडिंग के दौरान वोलैटिलिटी, लिक्विडिटी और अन्य कारक प्राइस में तेज़ी से उतार-चढ़ाव लाते है जिसकी वजह से एक ट्रेडर को नुकसान भी हो सकता है।
अब ये तो स्पष्ट है कि इक्विटी इंट्राडे ट्रेडिंग सुबह 9:15 से दोपहर 3:20 तक कर सकते है, अब इस दौरान आप एक या एक से अधिक पोजीशन मार्केट में ले सकते है, लेकिन यहाँ पर ये ज़रूरी है कि आप जो भी पोजीशन मार्केट में ले उसे 3:20 से पहले बंद भी करें ।
ऐसा न करने पर आपको स्टॉक ब्रोकर खुद ही आपकी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर देता है और आपके इसके लिए अतिरिक्त शुल्क अपने ब्रोकर को देने होते है ।
कमोडिटी इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम
कमोडिटी मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम रात को 11:55 तक खुली रहती है तो अगर किसी कमोडिटी (crude oil, cotton, natural gas, etc) में ट्रेड करते है तो आप अपनी पोजीशन को रात तक ओपन करके रख सकते है ।
लेकिन इक्विटी मार्केट की तरह यहाँ भी आपको स्क्वायर-ऑफ टाइम का ध्यान रखना है और मार्केट बंद होने से कम से कम 15 मिनट पहले अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना होता है ।
इंट्राडे ट्रेडिंग स्क्वायर ऑफ का समय हर ब्रोकर का अलग होता है और इसलिए आप अपने ब्रोकर से इसकी जानकारी ज़रूर प्राप्त करें ।
इंट्राडे ट्रेडिंग करने का सही समय
इंट्राडे ट्रेडिंग उन्ही स्टॉक में ज़्यादातर की जाती है जिसमे अस्थिरता ज़्यादा होती है, अब यहाँ पर अलग अलग समय में वोलैटिलिटी भी अलग होती है जिसके अनुसार इंट्राडे ट्रेडिंग समय सीमा को निम्नलिखित चरणों में बांटा गया है:
ये इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम सबसे ज़्यादा वोलेटाइल होता है। सुबह के पहले घंटे में इंट्राडे स्टॉक में सबसे ज़्यादा अस्थिरता देखी जाती है, इसका सबसे बढ़ा कारण मार्केट बंद होने के बाद आयी कोई न्यूज़ या अन्य कोई कारण हो सकता है। ये वह समय में सबसे ज़्यादा वॉल्यूम देखि जाती है यानी की इस समय सबसे ज़्यादा ट्रेडर एक्टिव रहते है।
ये समय ट्रेडर्स के लिए मुनाफा कमाने का अवसर लेकर आता है लेकिन वोलैटिलिटी अधिक होने के कारण इस समय नुक्सान भी ज़्यादा हो सकता है और इसलिए शुरूआती ट्रेडर को इस समय इंट्राडे ट्रेड करने की सलाह नहीं दी जाती।
- दूसरा चरण (सुबह 10:30 से दोपहर 12 बजे)
ये औसत वोलैटिलिटी का समय होता है जिसमे स्टॉक में एक एवरेज वॉल्यूम में ट्रेड किया जाता है। यह आम तौर पर वह समय होता है जब कीमतें स्थिर हो जाती हैं, बाजार की दिशा निर्धारित हो जाती है और यहां तक कि इंडेक्स भी स्थिर हो जाते हैं।
अब अवसरों का समय है और यह इस चरण में है कि आपके चार्ट, पैटर्न और न्यूज़ फ्लो इंट्राडे ट्रेड के मामले में काम करेंगे। एक शुरूआती ट्रेडर इस चरण का सर्वोत्तम लाभ उठा सकते है।
दोपहर 12 बजे से 2.30 बजे के बीच तीसरा चरण आम तौर पर बाजारों की अधिक आराम की अवधि है। यहां वैश्विक डेटा फ्लो , डॉव फ्यूचर्स के खुलने, एशियाई बाजारों में ट्रेड को बंद करने और यूरोपीय बाजारों के वास्तविक ओपनिंग जैसी किसी विशिष्ट घटना या समाचार प्रवाह पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
यह एक ऐसी अवधि है जब आप केवल तभी ट्रेड करते हैं जब आपके पास कोई कहानी हो या यदि आप अपने मूल्य लक्ष्य प्राप्त करते हैं तो अपनी स्थिति को बंद कर दें।
- आखिरी और चौथा चरण (दोपहर 2:30 बजे कमोडिटी ट्रेडिंग ब्रोकर से 3:20 तक)
अंत में, हम दोपहर 2.30 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक ट्रेडिंग के अंतिम घंटे में आते हैं। इस समय जी भी ट्रेडर्स ने अपनी इंट्राडे ट्रेडिंग पोजीशन को ओपन रखा होता है वह क्लोज करते है और इसलिए इस समय फिर से मार्केट में काफी वॉल्यूम देखी जाती है और स्टॉक का प्राइस ज़्यादातर विपरीत दिशा में ट्रेड करने लगता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम नियमित रूप से पैसे कमाने का एक बहुत अच्छा जरिया है लेकिन इसमे 99% प्रतिशत लोग केवल नुकसान ही करते है क्योँकि बिना समझ के मार्केट में प्रवेश करते है|
लेकिन असंभव कुछ भी नहीं अगर आप सही इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (intraday trading strategy in hindi) का पालन कर टेक्निकल एनालिसिस करते है तो आप जरूर इसमें पैसा बना पाएंगे। अपने ज्ञान और समझ को बढ़ाने के आप स्टॉक मार्केट कोर्स ले सकते है जो आपको मार्केट में वोलैटिलिटी, वॉल्यूम और अन्य महत्वपूर्ण पहलूओं को समझने में मदद करता है।
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शेयर मार्केट से कितना अलग है कमोडिटी मार्केट, जानिए कैसे होती है कमोडिटी ट्रेडिंग?
शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है.
कोरोना महामारी के बाद शेयर मार्केट में निवेशकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली है. इसी साल अगस्त में डीमैट खातों की संख्या पहली बार कमोडिटी ट्रेडिंग ब्रोकर 10 करोड़ के पार पहुंच गई. हालांकि, शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है. ऐसे में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी की मांग तेजी देखने को मिली है. क्या आपको पता है कि कमोडिटी मार्केट क्या है और यह इक्विटी यानी शेयर मार्केट से कितना अलग है.
कमोडिटी मार्केट क्या है?
कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) यह एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स, बेस मेटल्स, एनर्जी, कच्चे तेल जैसी कई कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं.
भारत में दो तरह की कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है…
- एग्री या सॉफ्ट कमोडिटीज में मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च हैं. इसके अलावा सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना भी इसी का हिस्सा हैं.
- नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं.
इक्विटी मार्केट और कमोडिटी मार्केट में क्या अंतर है?
- इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं. वहीं कमोडिटी मार्केट में कच्चे माल को बेचा और खरीदा जाता है.
- इक्विटी के होल्डर को शेयरहोल्डर कहा जाता है, जबकि कमोडिटी के होल्डर को ऑप्शन कहा जाता है.
- शेयरहोल्डर को पार्शियल कंपनी का मालिक माना जाता है, लेकिन कमोडिटी मालिकों को नहीं.
- इक्विटी शेयरों की समाप्ति तिथि नहीं होती है. जबकि कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है.
- इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य माना जाता है. वहीं कमोडिटी मार्केट में डिविडेंड का प्रावधान नहीं होता.
भारत में प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए प्रमुख एक्सचेंज हैं. इसमें मल्टी कमोडिटी ट्रेडिंग ब्रोकर कमोडिटी एक्सचेंज (MCX), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) के साथ-साथ यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX), नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE), इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX), ACE डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड शामिल हैं.
कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग कैसे होती है?
कमोडिटी में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होगी. डीमैट अकाउंट आपके सभी ट्रेड और होल्डिंग के सिक्योर करेगा, लेकिन एक्सचेंज पर ऑर्डर देने के लिए आपको ब्रोकर के माध्यम से जाना होगा.
कमोडिटी मार्केट में करनी है ट्रेडिंग तो इन बातों का ना करें नजरअंदाज
ब्रोकर का चुनाव करने से लेकर सौदा लेने तक की पूरी डिटेल्स पर बात होगी।
अगर आप कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं या फिर ट्रेडिंग शुरु करने का मन बना रहे हैं तो आज के खास एपिसोड में हम आपको कमोडिटी कमोडिटी ट्रेडिंग ब्रोकर में कारोबार से जुड़ी हर बारीकियां बताने वाले हैं। ब्रोकर का चुनाव करने से लेकर सौदा लेने तक की पूरी डिटेल्स पर बात होगी। साथ ही कमोडिटी एक्सचेंज किस तरह से काम करता है और BUY/SELL की स्थिति में भुगतान और डिलिवरी को लेकर क्या नियम हैं, इसपर भी चर्चा करेंगे।
कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए गाइडलाइंस
कमोडिटी में सिर्फ एक्सचेंज में रजिस्टर्ड ब्रोकर के जरिए ही ट्रेडिंग करें। ट्रेडिंग शुरू करने से पहले KYC करना जरूरी होता है। सभी ट्रेड Unique Client Code के जरिए करना चाहिए। अपना मोबाइल नंबर और E-Mail जरूर रडिस्टर्ड करें। SMS, E-Mail के जरिए एक्सचेंज ट्रेड की जानकारी देता है। एक्सचेंज की वेबसाइट पर ट्रेड वेरिफिकेशन की सुविधा भी मिलती है।
इन बातों का रखें ध्यान
मार्जिन भुगतान समय पर करें, ब्रोकर से रसीद जरूर लें। BUY/SELL पर कमोडिटी/रकम का भुगतान समय पर करें। ब्रोकर से कमोडिटी/पैसे के भुगतान का दस्तावेज जरूर लें। दस्तावेज में तारीख, Commodity Quantity लिखी होती है। बैंक/रीमैट में जमा फंड और वेयरहाउस रसीद भी चेक करें।
एक्सचेंज कैसे करता है काम
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BUY/SELL पर एक कामकाजी दिन में भुगतान/डिलीवरी होता है। 24 घंटे के अंदर एक्सचेंज हर ट्रेड की डिटेल्स भेजता है। एक्सचेंज ये डिटेल्स SMS, E-Mail के जरिए ट्रेड डिटेल्स भेजता है। एक्सचेंज हर 7 कामकाजी दिन में वीकली स्टेटमेंट देता है। वीकली स्टेटमेंट में फंड बैलेंस/डिलीवरी डिटेल्स होती है। ट्रेड डिटेल्स गलत होने पर 15 दिन में शिकायत की सुविधा मिलती है। ब्रोकर समाधान नहीं निकाले तो एक्सचेंज में शिकायत करें। अगर किसी कारणवंश एक्सचेंज के समाधान से संतुष्ट ना होने पर SEBI में जाएं।
इन बातों का भी ख्याल रखें
कमोडिटी ट्रेडिंग के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी होता है जैसे समय-समय पर एक्सचेंज वेबसाइट चेक करते रहना चाहिए। ट्रेडिंग शुरू करने से पहले ब्रोकर की पूरी डिटेल्स पता करें। ब्रोकर की डिटेल्स एक्सचेंज वेबसाइट पर है या नहीं चेक करें। ट्रेडिंग वाली कमोडिटी के फंडामेंटल की जानकारी रखेंअफवाहों और मार्केट टिप्स पर भरोसा नहीं करें।
कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India
कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India
कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें, Commodity Trading Kaise Kare: कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू करने के लिए किसी भी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होता है। ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करवाने के लिये बैंक अकाउंट, पैन कार्ड और एड्रेस प्रूफ चाहिये होता है उसके बाद अपने ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे ऐड करके Commodity Market में ट्रेडिंग शुरू कर सकते है।
इससे पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी जिसमें मैंने बताया था कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है – What Is Commodity Trading In Hindi अगर अब आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो उसे जरूर पढ़िये। इस पोस्ट में कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India उसके बारे में जानेंगे।
कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू करने के लिए कितने पैसों की जरुरत होती है
MCX में ट्रेडिंग 5000 रुपये से भी शुरू की जा सकती है लेकिन NCDEX में ट्रेडिंग शुरू करने के लिये 30000 रुपये तक की जरुरत होती है।
Margin: किसी भी कमोडिटी को खरीदने को लिये पुरे पैसे नहीं देने होते है, बस कुछ मार्जिन जमा करवाना होता है। जैसे: 1 किलो चांदी खरीदने के लिये सिर्फ 5000 रुपये का मार्जिन देना होता है। आम तौर पर ब्रोकर दवारा लिवरेज मिलती है लिवरेज एक उधार होता है जिससे ट्रेडर किसी भी कमोडिटी को खरीद सकता है और ट्रेड कम्पलीट होने के बाद उस उधार को ब्रोकर वापिस ले लेता है।
Lot Size: किसी भी कमोडिटी को अपने मन मुताबिक मात्रा में नहीं खरीद सकते है बल्कि पहले से ही निर्धारित Lot Size में खरीदना और बेचा जाता है जैसे: चांदी मिनी के 1 लोट में 1 किलो चांदी होती है अगर आपको 2 किलो चांदी खरीदनी है तो कमोडिटी एक्सचेंज पर चांदी के 2 लोट खरीदने होंगे।(How To Do Commodity Trading In India In Hindi)
ट्रेडिंग के लिये 5 सबसे बढ़िया कमोडिटी (Top Commodity To Trade In India)
- Crude Oil: क्रूड ऑइल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली कमोडिटी में से एक है। क्रूडऑयल के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 55000 रुपयों की जरुरत होती है।
- Silver: सिल्वर एक Precious Metal है 5 Kg. सिल्वर के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 25000 रुपयों की जरुरत होती है और 1 Kg Silver Mic के 1 Lot डिलीवरी पर को खरीदने के लिये लगभग 5000 रूपये मार्जिन देना होता है।
- Gold: Gold इस दुनिया की सबसे पुरानी करेंसी कमोडिटी में से एक है। 100 ग्राम सोने के 1 लोट को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 35000 रुपये निवेश करने होते है। 4. Natural Gas: नेचुरल गैस एक Environment फ्रेंडली फ्यूल है समय के साथ इसकी डिमांड भी बढ़ रही है। नेचुरल गैस के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 23500 रुपयों की जरुरत होती है।
- Aluminium: एल्युमीनियम एक लाइट वेट मेटल है इंडस्ट्री में इसका उपयोग बहुत ज्यादा होता है। एल्युमीनियम के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये 7500 रुपयों की जरुरत होती है।(How To Start Commodity Trading In India)
कमोडिटी ट्रेडिंग से पैसा कैसे कमाये (Commodity Trading Se Paise Kaise Kamaye)
ट्रेडिंग के लिये कमोडिटी का चयन करें। ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाये और अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी पर बने रहें, रोज़ – रोज़ अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को बदले नहीं। चार्ट पैटर्न, इंडिकेटर, और टेक्निकल एनालिसिस सीखें।
क्रूड ऑइल रोजाना 50 से 70 पॉइंट का मूव देता है अगर आप 1 लोट क्रूडऑयल का खरीदकर उस पर 10 पॉइंट का भी मुनाफा कमाते है तो आप 1000 रुपये एक लोट पर कमा सकते है। क्रूड के 1 लोट को खरीदने के लिये सिर्फ 55000 रुपये की जरुरत होती है। सिर्फ 55000 रुपये लगा कर दिन का 1000 रुपये कमा सकते है।
क्रूड में सिर्फ 10 पॉइंट का प्रॉफिट निकालना कोई बड़ी बात नहीं है इसके लिये आप BTC 155 strategy का इस्तेमाल कर सकते है। अगर आपको BTC 155 strategy के बारे में पता नहीं है तो गूगल पर सर्च कर सकते है।
कमोडिटी ट्रेडिंग में प्रॉफिट कैसे कैलकुलेट करते है
मान लीजिये आपने Crude Oil Future का 1 Lot को 3410 रुपये पर ख़रीदा, जिसकी एक्सपायरी 1 महीने बाद है और एक्सपायरी के समय उसकी प्राइस 3510 रुपये हो जाती है तो आपका प्रॉफिट होगा (3510-3410) = 100 Rupee Per Unit
Actual Profit = 100*100 = 10000 Rupee Profit
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Commodity Market में किसी कमोडिटी की प्राइस डिमांड और सप्लाई पर तय होती है। यदि किसी कमोडिटी की Market Demand बढ़ जाये लेकिन उसकी सप्लाई न बढे तो उस कमोडिटी की प्राइस भी बढ़ जाती है। और अगर कमोडिटी की सप्लाई डिमांड से ज्यादा हो तो उस कमोडिटी की प्राइस घट जाती है। डिमांड और सप्लाई के अलावा Volume, Commodity Usage, Liquidity से भी कमोडिटी की प्राइस घटती – बढ़ती है।
कमोडिटी ट्रेडिंग में अनुशासन का होना जरूरी है इसलिये एक अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाये जिसमे मनी मैनेजमेंट, स्टॉप लोस्स, टारगेट, रिस्क मैनेजमेंट, एंट्री – एग्जिट पॉइंट इन सभी बातों का ध्यान रखा गया हो। डर या लालच में आकर ख़रीदे या बेचें नहीं।कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India
कैसे कमाए मुनाफा कमोडिटी मार्किट से, क्या हैं कमोडिटी में ट्रेडिंग का मन्त्र
अनिश्चितताओं से भरे कमोडिटी बाजार में मुनाफा कमाना आसान नहीं होता है। मोटे फायदे की संभावनाओं की तलाश अक्सर लोग इस वायदा आधारित जिंस (कमोडिटी) बाजार की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन कमोडिटी में ट्रेडिंग शुरू करने से पहले यह जानना काफी जरूरी है कि यह क्षेत्र काफी जोखिम भरा होता है। ऐसे में आवश्यक है कि आप इस ट्रेडिंग में प्रवेश करने से पहले अपना होमवर्क पूरा कर लें। जिंस बाजार के जानकारों का मानना है कि अगर ये तीन सूत्र अपनाए जाएं, तो निवेशक जोखिम से बचा पाएंगे और मुनाफा भी कमा सकेंगे। दरअसल किसी कमोडिटी में कई बार कोई खबर आने से उसमें काफी तेज उछाल या काफी तीखी गिरावट आती है। अगर आपकी उस पर नजर बनी हुई है तो आप अच्छा फायदा उठा सकते हैं। इसके अलावा बढ़ती महंगाई के दौर में भी कमोडिटी बाजार आपको शानदार कमाई का मौका मुहैया कराता है। आम तौर पर यह देखा गया है कि महंगाई में कई कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी का रुझान आ जाता है। यही नहीं, आप कमोडिटी का इस्तेमाल हेजिंग के लिए भी कर सकते हैं।
पहला: स्टॉप लॉस लगाना जरूरी(Keep Stop Loss): जितना अधिक जोखिम, उतना अधिक लाभ, यह बात कमोडिटी कारोबार के ऊपर सटीक तरीके से लागू होती है। ऐसे में यदि आपने सही निर्णय लिया तो आप काफी तेजी से पैसे बना सकते हैं। इस क्षेत्र में जोखिम को कम करने के लिए सबसे पहले आपको स्टॉप लॉस निर्णयों को सटीक तरीके से लागू करना चाहिए। ध्यान रखें कि स्टॉप लॉस न लगाने पर आप पूरी पूंजी से हाथ धो सकते हैं।
दूसरा: घाटे की रणनीति गलत(Loss Planning): निवेशकों को अपने सौदे की लगातार समीक्षा करते रहना और गलतियों को सुधारते रहना चाहिए। अगर एक सौदे में हानि हो रही है तो कई कारोबारी उस हानि को खत्म करने के लिए नए-नए सौदे खड़े करने लगते हैं। कई बार यह रणनीति सफल नहीं हो पाती, क्योंकि इससे हानि लगातार एकत्र होती जाती है, जिसकी वजह से उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। एक सफल कारोबारी बनने और जोखिम से खुद को सुरक्षित करने के लिए जरूरी है कि इस रणनीति से बचा जाए।
तीसरा: पूरी पूंजी नहीं लगाएं (Don’t Utilize All Capital in Commodity): निवेशक अपनी वित्तीय सीमा को कभी न भूले और हमेशा उस सीमा को ध्यान में रखते हुए ही कारोबार करे। कमोडिटी क्षेत्र में सफल कारोबारी बनने के लिए जरूरी है कि आप कभी भी अपनी पूरी पूंजी कारोबार में न लगाएं। आप अपनी पूंजी का एक तय हिस्सा (मान लें 30 फीसदी) ही कमोडिटी ट्रेडिंग में लगाएं। ध्यान रखें, कमोडिटी के कारोबार में अक्सर वही लोग नुकसान उठाते देखे जाते हैं जो अपनी पूरी पूंजी का इस्तेमाल करते हुए कारोबार करते हैं। लेकिन जो लोग सफलता हासिल करते नजर आते हैं जो अपनी पूंजी का एक निश्चित अनुपात हमेशा सुरक्षित रखते हैं। इसकी वजह यह है कि सुरक्षित पूंजी ही मुसीबत के वक्त आपकी सबसे बड़ी मददगार होती है।
सावधानी: अच्छे से जानकर समझकर ही शुरूआत (Fully Understanding after than opening): कमोडिटी ट्रेडिंग आरंभ करने के लिए अकाउंट होना चाहिए। ध्यान रहे अकाउंट उसी ब्रोकर के साथ खोलना होता है, जिसने प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंजों जैसे एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स आदि की सदस्यता ले रखी हो। इन एक्सचेंजों की वेबसाइट पर इनसे जुड़े ब्रोकरों की सूची आपको मिल जाएगी। यह खाता खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना चाहिए। इस खाते के लिए ब्रोकर आपसे एक शुल्क लेते हैं। इसके अलावा आपके पास कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधा होनी चाहिए।
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