भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार फिर बड़ा
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार 18वें सप्ताह बढ़ता हुआ 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में पहली बार 466 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। केन्द्रीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.54 अरब डॉलर बढ़कर 466.69 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यह लगातार 18वां सप्ताह है जब देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है। इससे पहले 17 जनवरी को समाप्त सप्ताह में यह 94.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 462.16 अरब डॉलर पर रहा था।
30 लाख डॉलर की गिरावट
केंद्रीय बैंक के अनुसार 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में 4.47 अरब डॉलर की वृद्धि हुई और यह 432.92 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सप्ताह के दौरान आर.बी.आई. ने सोने की खरीद की जिससे स्वर्ण भंडार भी 15.30 करोड़ डॉलर बढ़कर 28.72 अरब डॉलर का हो गया। आलोच्य सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 8.5 करोड़ डॉलर घटकर 3.62 अरब डॉलर और विशेष आहरण अधिकार 30 लाख डॉलर की गिरावट के साथ 1.44 अरब डॉलर रह गया।
डालर के मुकाबले रुपया 25 पैसे मजबूत
वर्ष 2019-20 की आॢथक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष की वृद्धि दर 6 से 6.50 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान व्यक्त किए जाने के बाद आज अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 25 पैसे के सुधार के साथ 71.33 रुपए प्रति डॉलर पर पहुंच गया। बाजार सूत्रों ने कहा कि कारोबारियों को अब केन्द्रीय बजट का इंतजार है और वे कोरोना वायरस प्रसार से होने वाले आॢथक प्रभावों का भी आकलन कर रहे हैं। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में घरेलू मुद्रा गिरावट के साथ 71.46 रुपए प्रति डॉलर पर खुली। कारोबार के दौरान यह 71.28 रुपए के उच्च स्तर और 71.52 रुपए के निम्न स्तर के बीच झूलने के बाद अंत में पिछले बंद भाव के मुकाबले 25 पैसे की तेजी दर्शाती 71.33 रुपए विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी प्रति डॉलर पर बंद हुई।
विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार करने की सम्भावना: भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के आयात के मूल्य के बराबर है। वर्ष 1991 में भारत के पास केवल तीन सप्ताह के आयात के मूल्य के बराबर का विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध था। अच्छी तरह से निष्पादित की गयी नीतियां ही इस वृद्धि का कारण है।
एक हालिया रिपोर्ट में, अग्रणी वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने अनुमान लगाया था कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। 16 अगस्त 2017 में जारी इस रिपोर्ट के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल मजबूत पूंजी प्रवाह और कमजोर कर्जों के उठाव से प्रेरित है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की समीक्षा
वर्ष 1991 के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार काफी बढ़ गया है। मार्च 1991 के अंत में रहे 5.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का मुद्रा भंडार दिसंबर 2003 में 100 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है। भारत अप्रैल 2007 में 200 अरब अमरीकी डॉलर के क्लब में शामिल हो गया और उसी गति को जारी रखते हुए वर्ष 2013 में 300 बिलियन अमरीकी डालर का विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी आंकड़ा पार कर गया। तब से, सिर्फ चार वर्षों के अवधि में ही आरबीआई ने लगभग 100 अरब डॉलर जमा कर लिया। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 4 अगस्त 2017 को जारी आंकड़ों के अनुसार, 28 जुलाई 2017 को समाप्त हुए सप्ताह तक विदेशी मुद्रा भंडार 1.536 अमरीकी अरब डॉलर से बढ़कर 392.867 अमरीकी अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड को पार कर गया था ।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी के कारण -
अनुकूल भुगतान संतुलन: आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 (खंड II) के अनुसार, भारत में भुगतान संतुलन की स्थिति वर्ष 2013-14 से लेकर वर्ष 2015-16 तक की विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी अवधि के दौरान अच्छी एवं संतोषजनक रही थी। भुगतान संतुलन 2016-17 वर्ष में और अधिक बेहतर हो गई। व्यापार एवं चालू खातों के घाटे में विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी निरंतर कमी और देश में पूंजी के प्रवाह में लगातार वृद्धि से ही यह संभव हो पाया था ।
व्यापार घाटे में कमी: वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे हो रहे सुधार के कारण भारत का निर्यात दो साल के अंतराल के बाद वर्ष 2016-17 में सकारात्मक (12.3 प्रतिशत) हो गया। इस कारण से भारत के व्यापार घाटे में 1.2 प्रतिशत की कमी आई ।यह प्रवृत्ति वित्त वर्ष 2017-18 में भी जारी है। वित्त वर्ष 2017-18 के पहले चतुर्थेश (अप्रैल-जून माह में) निर्यात में दहाई अंकों (10.6 प्रतिशत) की वृद्धि दर्ज की गई।
चालू खाता घाटे में कमी: चालू खाता घाटा (सीएडी) में निरंतर कमी होकर वर्ष 2016-17 में जीडीपी के 0.7 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी। यह घटोतरी महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2015-16 में सीएडी, जीडीपी की 1.1 प्रतिशत थी। व्यापार घाटे में तेजी से हुई कमी के कारण यह संभव हो पाया है।
पूंजी प्रवाह में वृद्धि: शुद्ध पूंजी का प्रवाह वर्ष 2016-17 में कम होकर 36.8 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.6 प्रतिशत) के स्तर पर आ गया । वर्ष 2015-16 में शुद्ध पूंजी का प्रवाह 40.1 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.9 प्रतिशत) था। सरकार द्वारा किए गए ईज ऑफ डूइंग उपायों के कारण यह संभव हो पाया है।
कमजोर कर्जों का उठाव: 9 नवंबर 2016 को पुराने बड़े नोटों का चलन बंद करने के निर्णय से बैंकिंग प्रणाली में मुद्रा प्रचलन काफी हद तक घट गया। 31 मार्च 2017 तक मुद्रा प्रचलन में 19.7 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, जबकि आरक्षित मुद्रा में 12.9 प्रतिशत की कमी आंकी गईं।
बैंकों से कर्जों का उठाव बाद में और भी घटता चला गया। वर्ष 2016-17 के दौरान सकल बकाए बैंक ऋण में लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2016-17 में और इसी समय उद्योग जगत को मिले ऋण में 0.2 प्रतिशत की कमी आंकी गई।
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का प्रभाव
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होगा।
• भारतीय अर्थव्यवस्था में, वैश्विक अर्थव्यवस्था से उत्पन्न होने वाली अस्थिरता के कारण उपस्थित स्थितियों को सहन करने की क्षमता में वृद्धि होगी। वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के आयात के मूल्य के बराबर है। वर्ष 1991 में भारत के पास केवल तीन सप्ताह के आयात के मूल्य के बराबर का विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध था। अच्छी तरह से निष्पादित की गयी नीतियां ही विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी इस वृद्धि का कारण है।
• समग्र विदेशी ऋण में अल्पावधि ऋण के घटक में कमी आई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि अल्पकालिक ऋण की तुलना में दीर्घकालिक ऋण कम ब्याज दर के साथ उपलब्ध होता है।
• मुद्रा आदान-प्रदान करने और क्रेडिट की लाइनें बढ़ाने के लिए 'अतिरिक्त भंडार' का उपयोग किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे बहुपक्षीय निकायों में योगदान करने के लिए भी इनका उपयोग किया जाएगा । यह उपाय वैश्विक नीति बनाने में भारत की भूमिका को मजबूत करने में सहायक होगा।
• विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से रुपए के मूल्य विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी में वृद्धि होगी । मजबूत रुपया आयात बिल को कम करने में मदद करेगा क्योंकि भारत लगभग 70% कच्चे तेल का आयात करता है ।
उपरोक्त लाभों के बावजूद, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
• रुपए के मूल्य में वृद्धि से भारत के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है । विशेष रूप से ‘सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवा’ क्षेत्र पर भारी असर पड़ सकता है ।
• विदेशी मुद्रा संचय में ‘अवसर लागत’ उपस्थित है क्योंकि एक तरफ आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को कम उपज वाले अल्पकालिक अमेरिकी राजकोष (और अन्य) प्रतिभूतियों के रूप में रखता है, दूसरी तरफ उद्योग क्षेत्र उच्च ब्याज दर पर पैसा उधार लेता है ।
निष्कर्ष
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने ज़रूरत से ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडारों को जमा किया है । इसलिए, आरबीआई को अतिरिक्त भंडार के बुनियादी ढांचों और बैंकों के पुनःपूंजीकरण जैसे वैकल्पिक उपयोगों विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी में निवेश करना चाहिए।
जून 2017 तक, भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपए के मूल्य को विनियमित करने के लिए करीबन 20 अरब अमरीकी डॉलर को मुद्रा विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी बाज़ार में निवेश किया है । विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने के तरीकों की खोज के अतिरिक्त, आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के इष्टतम स्तर की गणना करने के तरीकों को विकसित करना चाहिए ।
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2013 के टैपर-टैंट्रम की तरह विदेशी मुद्रा भंडार खाली कर रहा भारत, रिजर्व बैंक धड़ल्ले से बेच रहा डॉलर
रुपये की जोरदार गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने 2013 के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री की थी. आरबीआई ने जून से सितंबर 2013 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी से 13 अरब डॉलर की बिक्री कर दी थी. मई 2013 में फेडरल रिजर्व ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने बॉन्ड विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी खरीद कार्यक्रम को बंद करेगा.
नई दिल्ली : घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपये में आई कमजोरी को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) विदेशी मुद्रा भंडार को तेजी से खाली कर रहा है. वह लगातार डॉलर को बेचने में जुटा है. मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि आरबीआई रुपये की गिरावट को थामने के लिए जिस प्रकार से डॉलर की बिक्री कर रहा है, उसने 2013 के टैपर-टैंट्रम की याद दिला दी है. वर्ष 2013 में भी रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करते हुए डॉलर की धड़ल्ले से बिक्री की थी.
आरबीआई की ओर से बीते शुक्रवार 17 सितंबर को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने जनवरी 2022 से जुलाई 2022 के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से करीब 38.8 अरब डॉलर की बिक्री की है. इसमें केवल जुलाई महीने में ही आरबीआई ने करीब 19 अरब डॉलर की बिक्री की. हालांकि, अगस्त महीने में भी रुपया जब डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर के नीचे पहुंच गया. आंकड़ों के अनुसार, आरबीआई का फॉरवर्ड डॉलर होल्डिंग अप्रैल के 64 अरब डॉलर के मुकाबले घटकर 22 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया.
2013 में भी आरबीआई ने धड़ल्ले से बेची थी डॉलर
बता दें कि रुपये की जोरदार गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने वर्ष 2013 के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री की थी. मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई ने जून से सितंबर 2013 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार से करीब 13 अरब डॉलर की बिक्री कर दी थी. उस समय मई 2013 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करेगा, जो वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण वैश्विक स्टॉक और बॉन्ड्स में अचानक बिकवाली का दौर शुरू हो गया था. इसका मतलब यह था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व धन की आपूर्ति बंद कर देगा. जब फेडरल रिजर्व बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करने वाला बयान दिया था, तब यह माना गया था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा. इसका नतीजा यह निकला कि निवेशकों ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं से दूरी बना ली. उन्होंने शेयर बाजारों से रातोंरात अपना पैसा निकल लिया. अर्थशास्त्रियों ने निवेशकों की इस गतिविधि को टैपर-टैंट्रम नाम दिया था.
विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट
दरअसल, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 642 अरब डॉलर के शिखर से गिरकर 550 अरब डॉलर के दो साल के निचले स्तर पर आ गया. वास्तविक डॉलर की बिक्री के अलावा, भंडार यूरो और येन जैसी प्रमुख मुद्राओं में ग्रीनबैक और ए के मुकाबले गिरावट से भी प्रभावित होता है. वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और आयात में तेजी का मतलब है कि यह पूल अब लगभग नौ महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है, जबकि 16 महीने चरम पर है. टेंपर टैंट्रम के समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार से आयात करने की क्षमता सात महीने से कम हो गया था. इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बीच आयात उतार-चढ़ाव के कारण आयात क्षमता अगस्त 2018 के बाद से सबसे निचले स्तर पर आ गया है.
बड़ी खबर:विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रही है वृद्धि, 589.465 अरब डॉलर हुआ
नई दिल्ली। देश का विदेशी मुद्रा भंडार गत 7 मई को समाप्त सप्ताह में 1.444 अरब डॉलर बढ़कर 589.465 अरब डॉलर पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़े बताते हैं कि इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 30 अप्रैल को 3.913 अरब डॉलर बढ़कर 588.02 अरब पर पहुंच गया था। देश का विदेशी मुद्रा भंडार इससे पहले 29 जनवरी 2021 को 590.185 अरब डॉलर की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया था
आरबीआई ने कहा कि 7 मई 2021 को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में होने वाली वृद्धि मुख्य तौर पर विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां बढ़ने से हुई है। यह विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख हिस्सा है। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां सप्ताह के दौरान 43.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 546.493 अरब डॉलर पर पहुंच गई। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां डॉलर में व्यक्त की जाती हैं। इसमें डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन में होने वाली घटबढ़ भी शामिल है। यह सकल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी देश का सोने का आरक्षित भंडार 1.016 अरब डॉलर बढ़कर 36.48 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार (एसडीआर) 40 लाख डॉलर बढ़कर 1.503 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं, आईएमएफ के पास देश के आरक्षित भंडार की स्थिति 10 लाख डॉलर बढ़कर 4.989 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
विदेशी मुद्रा भंडार छह महीनों में 32.29 अरब डॉलर बढ़ा
देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह महीने में 31 मार्च, 2021 तक बढ़कर 576.98 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल सितंबर के अंत में 544.69 अरब डॉलर था। कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (एफसीए), मार्च 2021 के अंत में बढ़कर 536.693 अरब डॉलर हो गयी, जो इससे पहले सितंबर, 2020 में 502.162 अरब डॉलर थी। भुगतान संतुलन के आधार पर (मूल्यांकन परिवर्तन को छोड़कर), विदेशी मुद्रा भंडार में, अप्रैल-दिसंबर 2020 के दौरान 83.9 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह वृद्धि 40.7 अरब डॉलर थी।
मूल्य विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी के संदर्भ में, कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2020 के लगभग 6.69 प्रतिशत से घटकर 31 मार्च, 2021 में 5.87 प्रतिशत रह गई। सोने का भंडार मार्च 2021 के अंत में 33.88 अरब डॉलर था जो सितंबर 2020 में 36.429 अरब डॉलर था।
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