संयुक्त राष्ट्र संघ के राजदूतों का यह कहना सही है कि अंतरराष्ट्रीय कृषि व्यापार महत्पूर्ण है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि कृषि व्यापार के नियम पवित्र हैं । इन्हें सुधारने की जरूरत है क्योंकि तभी दुनिया के किसान और ग्रामीण अबादी का भला हो सकता है। मगर क्या यह जरूरी बदलाव लाना मुमकिन है जबकि पहले से ही सब कुछ सेट है ? हाल ही में यूएन के राइट टू फूड के विशेष दूत व्यापार प्रणालियों की विविधता माइकल फाखरी के कथन से यही ध्वनित होता है उन्होंने कहा कि “अगर पहले से ही टेबल सेट हो और सीटिंग प्लान पर कोई चर्चा नहीं हो सकती है, मैन्यू भी सीमित हो, ऊपर से असली बातचीत वास्तव में एक दूसरी टेबल पर हो रही है तो हम क्या कर सकते हैं?”

खाद्य प्रणाली में संतुलन

भारत की सुनीता और नाइजीरिया की अबीके मक्का और गेहूं उगाने वाले छोटे किसान हैं । दुनिया में बढ़ती खाद्यान्न की मांग और बढ़ती उपभोक्ता कीमतों के बावजूद, दोनों ने शायद ही कभी अधिक आय अर्जित की है। यह हकीकत केवल इन देशों की नही है बल्कि इंडोनेशिया, पाकिस्तान, नाइजीरिया ,बंग्लादेश, मेक्सिको जैसे 10 देशों में जहां अधिकतर परिवारों की व्यापार प्रणालियों की विविधता आजीविका कृषि पर निर्भर है, वहां उत्पादन लागत बढ़ने के कारण किसानों के मुनाफे का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। इस चरमराती हुई खाद्य व्यवस्था के कारण इन परिवारों के खर्च ज्यादा बढ़ गये जिसके कारण यह परिवार अधिक गरीबी में जीने के लिए मजबूर हैं । इसका सबसे बडा प्रभाव यह है कि आज बडी संख्या मे लोग अपने खेत- खलिहानों को छोडकर गांव से शहरों और विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ के 16 राजदूतों ने संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन को लिखा, ” वैश्विक खाद्य सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कृषि व्यापार एक महत्वपूर्ण कड़ी है । लेकिन दुख की बात है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के कारण सुनीता और अबीके जैसे किसानों को उनके देश में सस्ते खाद्य आयात के कारण होने वाले दुष्प्रभाव झेलने पड़ रहे हैं । इन नियमों का प्रारूप ही इस प्रकार है कि खाद्य पदार्थ आयात करने वाले देशो में किसान के उत्पादों की कीमत कम होती जाती है वहीं यह नियम निर्यात करने वाले देशों के खाद्य उद्योग और बड़े पैमाने पर कृषि उत्पादन को प्रोत्साहन देते हैं। इसके कारण तेजी से जलवायु परिवर्तन भी हो रहा है।

विविधता में एकता हमारे देश की सुन्दरता

विविधता में एकता हमारे देश की सुन्दरता

बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागर ने प्रवचन में कहा कि भारत विविध संस्कृतियों और परंपराओं वाला देश है। हमारे देश में विभिन्न धर्मों, जातियों और पंथों से संबंधित लोग रहते हैं। हमारे देश की सुंदरता यह है कि विविधता में एकता है। विभिन्न मूल के लोग हमारे देश में शांति और सद्भाव में रहते हैं। हमारा देश समृद्ध परंपरा और संस्कृति वाला देश है। साथ रहना और एक दूसरे की मदद करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। हमारी संयुक्त परिवार प्रणाली, हमारे द्वारा एकजुट रहने के लिए दिए जाने वाले महत्व का सबसे बड़ा उदाहरण है। संयुक्त परिवार प्रणाली हमारे देश में सदियों से चली आ रही थी। आज, हम देशों को एक दूसरे के साथ कई मुद्दों पर लड़ते हुए देखते हैं। मामूली कारणों से लोग एक-दूसरे को मार रहे हैं। चारों तरफ नफरत है। हर कोई अपनी दुनिया में व्यस्त है और केवल अपने बारे में सोचता है। पहले के समय में लोग संयुक्त परिवारों में रहते थे और अपने रिश्तेदारों और अपने पड़ोस के बाकी सभी लोगों के साथ अच्छी तरह से जुड़े हुए थे। जब भी जरूरत होती वे उनके लिए वहां होते। आज के समय में लोग शायद ही जानते हो कि उनका अगला पड़ोसी कौन है। यह दुखद है कि भले ही हमारे पास लोगों से जुडऩे के कई साधन हैं, लेकिन हम अपने प्रियजनों से संपर्क करने की जहमत नहीं उठाते हैं। यह समय है कि लोगों को सही मायने में एकजुट रहने और दूसरों के साथ सौहार्दपूर्वक रहने के महत्व को समझना चाहिए। आचार्य ने आगे कहा की एकता हमारे जीवन में हर स्तर पर और हर कदम पर महत्वपूर्ण है। जो लोग एकजुट रहने के महत्व को सीखते हैं और इसका पालन करते व्यापार प्रणालियों की विविधता हैं वे खुश और संतुष्ट जीवन जीते हैं। जो लोग इसके महत्व को नहीं समझते हैं, वे अक्सर जीवन में विभिन्न चरणों में विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते हैं। जब हम समाज के एक हिस्से के रूप में एकजुट रहते हैं और आसपास के सभी लोगों के साथ अच्छे संबंध में होते हैं, तो हम उनसे व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों मामलों के लिए मार्गदर्शन ले सकते हैं। बुजुर्ग लोग या वे जो अधिक सीखे हुए और अनुभवी हैं, विभिन्न मामलों पर अच्छा मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और हम उन्हें अच्छी तरह से संभाल सकते हैं।

_______ की प्रणाली जैसे राजनीतिक स्थिति, वर्ग, जातीयता, शारीरिक व्यापार प्रणालियों की विविधता और मानसिक अक्षमता, आयु और अन्य, लिंग भूमिकाओं को संशोधित करती है।

Key Points

  • लिंग एक सामाजिक निर्माण है जबकि व्यक्ति का लिंग एक जैविक स्थिति है। लैंगिक विविधता का अर्थ अपने आस-पास के लोगों के लिए उनके लिंग की तुलना में सामाजिक दृष्टिकोण में अंतर हैं। प्राचीन काल से ही स्त्री को दोनों में से सबसे कमजोर माना जाता रहा है। पुरुषों व्यापार प्रणालियों की विविधता और महिलाओं की इस सामाजिक भेदभावपूर्ण स्थिति से, एक लड़की और लड़के के जीवन के अनुभव उनके लिंग के कारण बहुत अलग रहे हैं। यह अंतर व्यापार प्रणालियों की विविधता हमारे समाज में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग डिग्री में विविधता में योगदान देता है।
  • अक्षमता भेदभाव, जो गैर-विकलांग व्यक्तियों को 'सामान्य जीवन' के मानक के रूप में मानता है, का परिणाम सार्वजनिक और निजी स्थानों और सेवाओं, शैक्षिक व्यवस्था और सामाजिक सेवाओं में होता है जो मानक लोगों की सेवा के व्यापार प्रणालियों की विविधता लिए बनाए जाते हैं, जिससे विभिन्न अक्षम लोगों को बाहर रखा जाता है।
  • उम्र का भेदभाव किसी की उम्र के आधार पर भेदभाव और रूढ़िबद्धता है।
  • नस्लीय भेदभाव किसी भी व्यक्ति के साथ उनकी त्वचा के रंग या नस्लीय या जातीय मूल के आधार पर कोई भी भेदभाव है। व्यक्ति एक निश्चित समूह के लोगों के साथ व्यापार करने, उनके साथ मेलजोल करने या संसाधनों को साझा करने से इनकार करके भेदभाव कर सकते हैं।

कीटनाशकों में कमी का वैश्विक लक्ष्य गैर-जरूरी : भारत

 कीटनाशकों में कमी का वैश्विक लक्ष्य गैर-जरूरी : भारत

भारत ने कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन में कहा है कि कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों के इस्तेमाल को कम करने के लिए कोई संख्यात्मक वैश्विक लक्ष्य निर्धारित करना अनावश्यक है और इस संबंध में निर्णय देशों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। क्षेत्र आधारित लक्ष्य तय करना किसी एक कदम को सभी के लिए उपयुक्त मान लेने की तरह है, जो स्वीकार्य नहीं है।

भारत ने कहा कि कृषि जैसे कमजोर क्षेत्रों के लिए आवश्यक सहायता को सब्सिडी नहीं कहा जा सकता और इसे समाप्त करने का लक्ष्य नहीं रखा जा सकता। भारत सहित 196 देशों के प्रतिनिधि सात दिसंबर से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता शिखर सम्मेलन (सीओपी15) में नयी वैश्विक जैवविविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर वार्ता को अंतिम रूप व्यापार प्रणालियों की विविधता देने की उम्मीद से एकत्रित हुए हैं। जीबीएफ उन नए लक्ष्यों को निर्धारित व्यापार प्रणालियों की विविधता करेगी, जो 2030 तक प्रकृति के संरक्षण के लिए वैश्विक कार्यों का मार्गदर्शन करेंगे।

मोदी ने किया उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास : व्यापार प्रणालियों की विविधता अमित शाह

राज एक्सप्रेस

बीएचयू के एम्फी थियेटर ग्राउंड में काशी तमिल संगमम के समापन समारोह को संबोधित करते हुये श्री शाह ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान देश की सांस्कृतिक एकता, विरासत की विविधता और अलग अलग संस्कृतियों के अंदर भारतीय आत्मा को कुछ हद तक मलिन किया था। उसके पुनर्जागरण की जरूरत थी, आजादी के तुरंत बाद ये प्रयास होना चाहिए था, मगर कई साल तक ये नहीं हुआ। काशी तमिल संगमम भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत व्यापार प्रणालियों की विविधता है। इस कार्य को आजादी के बाद ही शुरू कर देना चाहिए था, मगर नहीं किया गया। आदि शंकराचार्य के बाद भारत में उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये पहला सफल प्रयास है।

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