मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.
Taliban Currency Ban: तालिबान ने अफगानिस्तान में बैन की विदेशी मुद्रा, इस्तेमाल करने वालों पर होगी कार्रवाई
Taliban Currency Ban: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है. इस बीच तालिबान ने विदेशी मुद्रा पर बैन लगा दिया है.
By: abp news | Updated at : 03 Nov 2021 11:09 AM (IST)
तालिबानी लीडर (फाइल फोटो)
Taliban Ban Foreign Currency: अफगानिस्तान में तालिबान ने मंगलवार को विदेशी मुद्राओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, जिससे पहले से ही संघर्ष कर रही अर्थव्यवस्था में बड़े समस्या की आशंका है. आपको बताते चलें कि आतंकवादी संगठन तालिबान ने अगस्त के मध्य में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से ही अफगानिस्तान की राष्ट्रीय मुद्रा का अवमूल्यन होना शुरू हो गया था और देश के भंडार विदेशों में जमा हो गए थे.
अर्थव्यवस्था के चरमराने से परेशान बैंकों के पास नगदी की कमी हो रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अब तक तालिबान प्रशासन को सरकार के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया है. इस बीच, देश के अंदर कई लेन-देन अमेरिकी डॉलर में किए जाते हैं और दक्षिणी सीमा व्यापार मार्गों के करीब के क्षेत्रों में पाकिस्तानी रुपये का उपयोग किया जाता है. लेकिन, अब एक प्रेस बयान में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने घोषणा की कि अब से घरेलू व्यापार के लिए विदेशी मुद्रा का उपयोग करने वाले पर मुकदमा चलाया जाएगा.
उन्होंने कहा "देश में आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय हितों की आवश्यकता है कि सभी अफगान हर लेन-देन में अफगानी मुद्रा का उपयोग करें." प्रवक्ता ने तालिबान के मंसूबे को लोगों को बताते हुए यह भी कहा कि "इस्लामिक अमीरात सभी नागरिकों, दुकानदारों, व्यापारियों, व्यापारियों और आम जनता को निर्देश देता है कि अब से अफगानी में सभी लेन-देन करें और विदेशी मुद्रा का उपयोग करने से सख्ती से परहेज करें."
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Published at : 03 Nov 2021 11:09 AM (IST) Tags: Afghanistan Taliban currency ban dollar हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा
विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. The post भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा appeared first on The Wire - Hindi.
विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है.
मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.
इससे पहले के सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.76 अरब डॉलर घटकर 406.06 अरब डॉलर रह गया था.
इससे पूर्व विदेशी मुद्रा भंडार यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है 13 अप्रैल 2018 को 426.028 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया था. आठ सितंबर 2017 को मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर के स्तर को लांघ गया था लेकिन उसके बाद से उसमें उतार-चढ़ाव बना रहा.
रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, विदेशी मुद्रा आस्तियां 7.39 करोड़ डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 380.792 अरब डॉलर की हो गईंं.
डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले मुद्राभंडार में रखे गये विदेशी मुद्रा आस्तियां, यूरो, पॉंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि अथवा उनके अवमूल्यन के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करता है.
समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार 32.99 करोड़ डॉलर घटकर 21.039 अरब डॉलर रह गया.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार 29 लाख डॉलर बढ़कर 1.489 अरब डॉलर हो गया.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का मुद्राभंडार भी 49 लाख डॉलर बढ़कर 2.489 अरब डॉलर का हो गया.
व्यापार घाटा 43 माह के उच्चस्तर पर
वहीं, देश का निर्यात कारोबार जून में 17.57 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पेट्रोलियम और रसायन जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. हालांकि, कच्चे तेल का आयात महंगा होने से व्यापार घाटा 43 महीने के उच्च स्तर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
वाणिज्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन महीने में आयात भी 21.31 प्रतिशत बढ़कर 44.3 अरब डॉलर रहा.
जून, 2018 में व्यापार घाटा नवंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. उस समय व्यापार घाटा 16.86 अरब डॉलर रहा था. जून, 2017 में व्यापार घाटा 12.96 अरब डॉलर था.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में निर्यात 14.21 प्रतिशत बढ़कर 82.47 अरब डॉलर रहा है. पहली तिमाही में आयात 13.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 127.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 44.94 अरब डॉलर रहा.
जून में पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, फार्मास्युटिकल्स, रत्न एवं आभूषण तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.
हालांकि, इस दौरान कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, पॉल्ट्री, काजू, चावल और कॉफी के निर्यात में गिरावट आई.
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित होगा, जिससे राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी.
जून माह के दौरान कच्चे तेल का आयात 56.61 प्रतिशत बढ़कर 12.73 अरब डॉलर रहा.
वहीं, सोने का आयात तीन प्रतिशत घटकर 2.38 अरब डॉलर रह गया.
इसके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मई में सेवाओं का निर्यात 7.91 प्रतिशत घटकर 16.17 अरब डॉलर रह गया. माह के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन 5.97 अरब डॉलर रहने का अनुमान है. मई में सेवाओं का आयात 10.21 अरब डॉलर रहा.
एफसीएनआर
संयुक्त खाते दो या अधिक एनआरआई और / या पीआईओ द्वारा या किसी निवासी रिश्तेदार (एस) के साथ एनआरआई / पीआईओ द्वारा खोले जा सकते हैं 'पूर्व या उत्तरजीवी' आधार हालांकि, एनआरआई / पीआईओ खाता धारक यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है के जीवन काल के दौरान, निवासी रिश्तेदार खाता संचालित कर सकता है केवल पावर ऑफ अटॉर्नी धारक के रूप में।
कर लाभ
इन जमाराशियों पर अर्जित ब्याज के रूप में आय को आयकर से छूट प्राप्त है। इन खातों में रखा शेष संपत्ति कर से मुक्त है।
नामांकन सुविधा
एफसीएनआर (बी) जमाराशि के लिए नामांकन सुविधा उपलब्ध है।
खाते का निधियन
- विदेश से धन-प्रेषण,
- विदेशी मुद्रा के नोट के आगम,
- यात्री चेक/ वैयक्तिक चेक/ ड्राफ्ट के आगम,
- आपके मौजूदा एनआरई/ एफसीएनआर खाते से अंतरण
घर आने वाले भारतीयों के लिए सुविधाएँ
- अनिवासी भारतीय जो विदेश में निरंतर कम से कम एक वर्ष रह चुका है, उसे अपना निवेश विदेश में बैंक जमा, शेयर्स, प्रतिभूतियाँ, व्यवसाय तथा अचल संपत्तियों में रखने की अनुमति उसके भारत में स्थायी रूप से वापस आने के बाद भी 9 वर्ष की अवधि के लिए दी जाती है।
- निवासी विदेशी मुद्रा खाता (आर.एफ.सी.) खोलने की पात्रता।
- स्थायी रूप से वापस आने वाले यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है अनिवासी भारतीय विदेश में न्यूनतम एक वर्ष निरंतर रहने के बाद भारत में बैंकों के साथ निवासी विदेशी मुद्रा खाता (आर.एफ.सी.) खोल सकते हैं। यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है एक वर्ष से कम अवधि के बाद लौटने वाले अनिवासी भारतीय को ऐसा खाता खोलने के लिए भा.रि.बैंक की अनुमति प्राप्त करनी चाहिए।
खाते और सेवा संबंधी मुद्दों के लिए कृपया [email protected] पर मेल करें|
प्रवर्तन निदेशालय
प्रवर्तन निदेशालय एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो धन शोधन के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है। निदेशालय के वैधानिक कार्यों में निम्नलिखित अधिनियमों का प्रवर्तन शामिल है:
1. धन शोधन निवारण अधिनियम, यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है 2002(पीएमएलए): यह एक आपराधिक कानून है जिसे धन शोधन को रोकने के लिए और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिए तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए अधिनियमित किया गया है। प्रवर्तन-निदेशालय को अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु अन्वेषण करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए पीएमएलए के प्रावधानों के प्रवर्तन की जिम्मेदारी दी गई है।
2. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम,1999 (फेमा): यह एक नागरिक कानून है जो विदेशी व्यापार और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया है। प्रवर्तननिदेशालय को विदेशी मुद्रा कानूनों और विनियमों के संदिग्ध उल्लंघनों के अन्वेषण करने,कानून का उल्लंघन करने वालों को न्यायनिर्णित करने और उन पर जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।
3. भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम,2018 (एफ.ई.ओ.ए): यह कानून आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर भागकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए बनाया गया था। यह एक ऐसा कानून है जिसके तहत निदेशालय को ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधी,जो गिरफ्तारी से बचते हुए भारत से बाहर भाग गए हैं,उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के लिए तथा उनकी संपत्तियों को केंद्र सरकार से संलग्न करने का प्रावधान करने हेतु अधिदेशित किया गया है।
4. विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम,1973 (फेरा):यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है निरसित एफइआरए के तहत मुख्य कार्य उक्त अधिनियम के कथित उल्लंघनों के लिए उक्त अधिनियम के तहत 31.05.2002 तक जारी कारण बताओ नोटिस का न्यायनिर्णयन करना है, जिसके आधार पर संबंधित अदालतों में जुर्माना लगाया जा सकता है और एफइआरए के तहत शुरू किए गए मुकदमों को आगे यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है बढ़ाया जा सकता है।
5. सीओएफइपीओएसए के तहत प्रायोजक एजेंसी: विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम,1974 (सीओएफइपीओएसए) के तहत,इस निदेशालय को एफइएमए के उल्लंघनों के संबंध में निवारक निरोध के मामलों को प्रायोजित करने का अधिकार है।
करेंसी वॉर में अमेरिका दे रहा चीन को शिकस्त, सरकारी कंपनियां हो सकती हैं डिफॉल्टर
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की आड़ में अब करेंसी वॉर भी छिड़ गया है. डॉलर के मुकाबले जहां चीन के युआन और भारत के रुपए समेत दुनिया भर की करेंसी कमजोरी के दौर से गुजर रही हैं, वहीं ट्रेड वॉर के असर से चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेज गिरावट हो रही है.
श्याम सुंदर गोयल/राहुल मिश्र
- नई दिल्ली,
- 09 अक्टूबर 2018,
- (अपडेटेड 09 अक्टूबर 2018, 1:46 PM IST)
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की आड़ में अब करेंसी वॉर भी छिड़ गया है. डॉलर के मुकाबले जहां चीन के युआन और भारत के रुपए समेत दुनिया भर की करेंसी कमजोरी के दौर से गुजर रही हैं, वहीं ट्रेड वॉर के असर से चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेज गिरावट हो रही है.
चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो द्वारा 7 अक्तूबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर के अंत तक चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 30 खरब 87 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जो अगस्त के अंत से 22.7 अरब अमेरिकी डॉलर कम हुआ. इस तरह चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में एक महीने के दौरान 0.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
आंकड़ों के मुताबिक चीन का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर में 23 अरब डॉलर कम होकर 3.087 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. अगस्त में चीन का रिजर्व 3.105 ट्रिलियन डॉलर था. वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत पर चीन का यह भंडार 4 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर था.यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है
चीन के पास है दुनिया का सबसे बड़ा डॉलर रिजर्व
दरअसल चीन, अमेरिका का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और अमेरिका-चीन व्यापार बीते एक दशक से भी अधिक समय से चीन के पक्ष में रहा है. यानी अमेरिका को चीन से कारोबार में बड़ा व्यापार घाटा उठाना पड़ता है. सामान्य शब्दों में कहें तो अमेरिका के मुकाबले चीन अपना ज्यादा उत्पाद अमेरिका को बेच रहा है और इसके चलते उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा डॉलर रिजर्व एकत्र हो रहा है.
गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर हो जाएगा खड़ा
आर्थिक जानकारों का दावा है कि चीन के पास अभी भी 3 ट्रिलियन डॉलर का डॉलर रिजर्व है और मौजूदा ट्रेड वॉर में यही रिजर्व उसे ट्रेड वॉर के असर से बचाने का काम करेगा. हालांकि इस बात की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा रहा है कि यदि ट्रेड वॉर यूं ही चलता रहा तो बहुत जल्द अंतरराष्ट्रीय व्यापार में चीन को मिली डॉलर रिजर्व की यह संजीवनी बेअसर हो जाएगी और वह एक गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा हो जाएगा.
चीन की अर्थव्यवस्था बाहरी जोखिमों का मुकाबला करने में सक्षम
हालांकि चीन के मुद्रा भंडार पर मंडरा रहे खतरे को राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो की प्रवक्ता वांग छुनइंग ने नकार दिया यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है है और दावा किया है कि सितंबर में चीन का विदेशी मुद्रा बाजार लगातार स्थिर है. बाजार की मुख्य व्यापारिक गतिविधि तर्कसंगत व सुव्यवस्थित है. अंतर्राष्ट्रीय वित्त बाजार में डॉलर की सूचकांक अगस्त के अंत के बराबर है. प्रमुख देशों की बांड कीमत थोड़ा गिरी, और विदेशी मुद्रा भंडार थोड़ा कम हुआ. इस प्रवक्ता के अनुसार भविष्य में हालांकि बाहरी वातावरण में बड़ी अनिश्चितता मौजूद होगी, लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था बाहरी जोखिमों का मुकाबला करने में सक्षम है और चीन का विदेशी मुद्रा भंडार स्थिर बना रहेगा.
हो सकती हैं चीन की सरकारी कंपनियां डिफॉल्टर
गौरतलब है कि ट्रेड वॉर के साथ-साथ चीन में विकास दर में भी गिरावट दर्ज हो रही है. वहीं चीन के बैंकों के सामने कड़ी चुनौती है. एक अनुमान के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा चीन के बैंकों के कर्ज के तौर पर है. वहीं चीन के सरकारी बैंकों के कर्ज केन्द्रीय बैंक की तय सीमा से अधिक है और ये कर्ज सरकारी कंपनियों को दिए जाने के कारण केन्द्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर हैं. आर्थिक जानकारों का मानना है कि यदि चीन यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है में आर्थिक विकास दर लगातार कमजोर बनी रही या अमेरिका में ब्याज दरों में हो रहे इजाफे से चीन में वैश्विक निवेशकों को रोकने के लिए भी ब्याज दरों में तेज वृद्धि की जाए तो बड़ी संख्या में चीन की सरकारी कंपनियां डिफॉल्टर हो सकती हैं.
इसलिए डर रहा है चीन
वॉल यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेड वॉर की मौजूदा स्थिति में चीन का अमीर तबका डरा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक यह वर्ग अमेरिकी डॉलर और यूएस ट्रेजरी में निवेश को तरजीह दे रहा है. गौरतलब है कि चीन में 21 लाख परिवार इस वर्ग में हैं इनके पास स्टॉक, बॉन्ड और रियल एस्टेट में 2 ट्रिलियन डॉलर से 4 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति है. लिहाजा, चीन के केन्द्रीय बैंक को इस बात का भी डर है कि यदि डॉलर के मुकाबले वह युआन को सपोर्ट देने का काम करता है तो यह वर्ग अपना निवेश चीन से निकालकर अन्य अर्थव्यवस्थाओं का भी रुख कर सकता है. लिहाजा, ट्रेड वॉर की मौजूदा स्थिति भले विदेशी मुद्रा भंडार के चलते चीन को राहत दे रही है लेकिन स्थिति यूं ही कायम रही तो चीन के विदेशी मुद्रा भंडार को खाली कर डोनाल्ड ट्रंप, चीन को ट्रेड वॉर में शिकस्त देने की ताक में रहेंगे.
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