- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), जो प्रतिभूतियों और वस्तुओं के बाजार को नियंत्रित करता है, सेबी ने कथित तौर पर जयंत सिन्हा के नेतृत्व वाले वित्त को लेकर संसदीय स्थायी समिति से कहा है कि प्रौद्योगिकी की प्रकृति को देखते हुए क्रिप्टो परिसंपत्तियों का विनियमन मुश्किल होगा जो उन्हें बनाए रखता है।
भेड़चाल
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की राह आसान हो रही है, नाइजीरिया का ‘e नायरा’ और डी सुब्बाराव का बयान
क्रिप्टोकरेंसी के आलोचकों का सबसे बड़ा तर्क होता है कि इस करेंसी के आने से स्थापित मुद्रा,बैंकिंग और वित्त व्यवस्था में बड़ी समस्या आ जायेगी.क्रिप्टोकरेंसी जब प्रचलित फिएट करेंसी का स्थान ले लेगी तो यह समस्या आएगी.लेकिन नाइजीरिया सहित 17 देशों ने ‘नन इंटरेस्ट इल्डिंग सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ जारी किया है. इस तरह के पायलट प्रोजेक्ट से दुनिया के देशों को क्रिप्टोकरेंसी के लाभ हानि समझने में मदद मिल रही है.दुनिया के देश इन प्रोजेक्ट्स का अध्ययन कर रही है और क्रिप्टोकरेंससी के स्वरूप को उन्ही इनपुट के आधार पर तैयार करने की योजना बना रही है.
नन इंटरेस्ट ईल्डिंग सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी क्या है?
आम तौर पर डिजिटल करेंसी को कौन जारी करता है यह किसी को पता नही होता है.क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलरेशन इसी कारण से कठिन होता है.लेकिन नाइजीरिया फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई सहित 17 अन्य देश के केंद्रीय बैंक जिस तरह से क्रिप्टोकरेंसी जारी कर रही है उससे इस करेंसी की समस्या हल हो गई.नाइजीरिया की केंद्रीय फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई बैंक ने e नायरा नाम से क्रिप्टोकरेंसी जारी की है.यह एक ऐसा डिजिटल करेंसी है जो नन इंटरेस्ट ईल्डिंग है.इसका अर्थ हुआ कि इस करेंसी से व्याज नही कमाया जा सकता है.यह बस एक टोकन के रूप में काम करेगा.यदि किसी क्रिप्टोकरेंसी से ब्याज कमाया जाने लगे तो वह प्रचलित फिएट करेंसी का स्थान ले लेगा साथ ही मौद्रिक नीति बनाने में भी दिक्कत आएगी.इसलिए इसे नन इंटरेस्ट ईल्डिंग रखा जा रहा है.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर का क्रिप्टोकरेंसी का बयान
डी सुब्बाराव ने कहा कि यदि क्रिप्टोकरेंसी को इंटरेस्ट बियरिंग इंस्टूमेंट के रूप में मान्यता दी गई तो वर्तमान बैंकिंन व्यवस्था में गंभीर दिक्कतें आ जायेगी.इंटरेस्ट बियरिंग इंस्ट्रूमेंट होने से क्रिप्टोकरेंसी से ब्याज कमाया जाने लगेगा.इससे बैंक में डिपॉजिट रखने और फिर ऋण के रूप में उसके वितरण की परंपरा बाधित हो जाएगी.इसके परिणाम स्वरूप बैंकिंग व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी.
सेंट्रल बैंक द्वारा जारी नन इंटरेस्ट ईल्डिंग क्रिप्टोकरेंसी के लाभ
इस क्रिप्टोकरेंसी को एक टोकन के रूप में उपयोग किया जाता है.भारत में e RUPI इसी का उदाहरण है.इससे पीडीएस स्कीम और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में भ्रष्टाचार और लिकेजेज को दूर किया जा सकता है.साथ ही वित्तीय समावेशन के दिशा में भी अच्छे परिणाम मिलेंगे.क्रिप्टोकरेंसी से विदेशी रिमिटेंस प्राप्त करना और विदेशी निवेश लाने में सुविधा हो जाएगी.दरअसल फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई इस करेंसी से करेंसी एक्सचेंज की प्रक्रिया की जरूरत नही रह जायेगी.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर विकास.
सरकार और आरबीआई निजी क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नही है.आरबीआई स्वयं क्रिप्टोकरेंसी जारी करेगी.अभी आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी के सभी पक्षों का अध्ययन कर रही है.जयंत सिन्हा के नेतृत्व वाली संसदीय समिति में भी क्रिप्टोकरेंसी पर चर्चा चल रही है.उसमें बहुत से सदस्य क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के बजाय इसके नियमन करने के पक्ष में हैं.आरबीआई संकेत देती रहती है कि जल्द ही वो एक क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च करेगी.लेकिन उसका स्वरूप क्या होगा इसपर फिलहाल पूरी स्पष्टता से कुछ नही कहा गया है.
फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई
क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सेबी की चिंता
विषय- अर्थव्यवस्था
स्रोत- द हिंदू
संदर्भ
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), जो प्रतिभूतियों और वस्तुओं के बाजार को नियंत्रित करता है, सेबी ने कथित तौर पर जयंत सिन्हा के नेतृत्व वाले वित्त को लेकर संसदीय स्थायी समिति से कहा है कि प्रौद्योगिकी की प्रकृति को देखते हुए क्रिप्टो परिसंपत्तियों का विनियमन मुश्किल होगा जो उन्हें बनाए रखता है।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
- यह एक डिजिटल मुद्रा है जिसका उपयोग पारंपरिक धन के स्थान पर किया जा सकता है।
- क्रिप्टोकरेंसी में, क्रिप्टोग्राफी का उपयोग लेनदेन को सुरक्षित और सत्यापित करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है।
- यह एक विकेंद्रीकृत पीयर-टू-पीयर नेटवर्क द्वारा समर्थित है जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है।
- पहली क्रिप्टोकरेंसी: बिटकॉइन, 2009 में सतोशी नाकामोटो द्वारा लॉन्च किया गया था।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सेबी की चिंताएं
- डिजिटल उपकरणों की विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर किसी भी नियामक व्यवस्था का उपभोक्ता संरक्षण और प्रवर्तन चुनौतीपूर्ण होगा।
- अनधिकृत ट्रेडों के निष्पादन की एक बड़ी संभावना है जो किसी भी नियामक ढांचे के अनुरूप नहीं है।
- क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी रूप से प्रतिभूतियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है या नहीं, इस पर स्पष्टता लाने की जरूरत है।
क्रिप्टोकरेंसी की विशेषताएं
- क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल करेंसी (मुद्रा) होती है, जिसमें लेन-देन संबंधी सभी जानकारियों को कूटबद्ध (Encrypt) तरीके से विकेंद्रित डेटाबेस (Decentrelised Database) में सुरक्षित रखा जाता है।
- इसे (आसानी से) चोरी या जब्त नहीं किया जा सकता है और इसे दुनिया में कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कुछ सिक्कों का उपयोग क्रेडिट या पारंपरिक साधनों का उपयोग करने की तुलना में मूल्य (डॉलर जैसी मुद्रा में मापा जाता है) को सस्ता और तेज़ स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।
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