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Mutual Fund Investment- India TV Hindi

Mutual Funds: इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले जान लें ये 3 बातें, नहीं तो हो सकता है नुकसान

By: ABP Live | Updated at : 02 Dec 2021 09:06 PM (IST)

Mutual Funds: आप अगर चाहें तो देश से बाहर भी निवेश कर सकते हैं. इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड के जरिए आप विदेशी कंपनियों में निवेश कर सकते हैं. अगर आप विदेशी कंपनी में निवेश करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों पर अच्छी से तरह विचार कर लेना चाहिए. निवेश से जुड़े जोखिम और रिटर्न किन चीजों से प्रभावित होता है यह जानना जरूरी है.

जोखिम

  • कोई भी निवेशक पैसा लगाते समय निवेश से जुड़े रिस्क के बारे में जरूर पता करता है.
  • अगर आप विदेश में निवेश करने जा रहे हैं तो इसमें कई जोखिम हैं. करेंसी रिस्क बहुत अहम है.
  • मान लें आपने फंड के जरिए किसी अमेरिकी कंपनी में निवेश किया और अगर डॉलर की तुलना में रुपया गिरा तो एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) बढ़ेगी. इसी तरह अगर रुपया मजबूत हुआ तो एनएवी में फिसलन होगी.

Stocks vs Mutual Funds: निवेशक को कहां करना चाहिए निवेश जिससे मिले ज्यादा रिटर्न

Stocks vs Mutual Funds: निवेशक को कहां करना चाहिए निवेश जिससे मिले ज्यादा रिटर्न

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 फीसदी के बीच है. ऐसे में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.

निवेशकों (Investors) के मन में एक सवाल बार-बार आता है कि उन्हें म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश करना चाहिए या फिर शेयर बाजार (Share market investment) में निवेश करना चाहिए. शेयर बाजार में निवेश का मुख्य रूप से दो तरीका है. पहला- खुद शेयर खरीदें और बेचें. दूसरा तरीका है कि म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश करें. निवेश का दोनों तरीका अच्छा है, अंतर बस इतना है कि डायरेक्ट शेयर खरीदने पर फायदे और नुकसान दोनों के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे. यह आपको तय करना है कि बाजार में कब एंट्री लेनी है, कौन सा शेयर खरीदना है, कितने दिन के लिए निवेश करना है. अगर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो फंड मैनेजर आपके बदले ये तमाम फैसले लेता है.

पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रखें

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि पोर्टफोलियो को हमेशा डायवर्सिफाइड रखें. इससे रिस्क कम रहता है. पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखने से रिस्क फैक्टर घटता है. बाजार में किसी तरह की हलचल का आपके इन्वेस्टमेंट पर कम असर होता है. कोई इंडिविजुअल जब किसी खास सेक्टर के खास स्टॉक में निवेश करता है तो उसका रिस्क ज्यादा होगा. वहीं, म्यूचुअल फंड में आपके पैसा अलग-अलग सेक्टर के अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश किया जाता है. इस तरह सेक्टर डायवर्सिफिकेशन के साथ-साथ स्टॉक डायवर्सिफिकेशन का भी लाभ मिलता है.

निवेशकों को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप खुद से शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो राइट स्टॉक पिक होने पर आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकता है. लेकिन, म्यूचुअल फंड आपको इतने कम समय में मल्टीबैगर रिटर्न नहीं देगा. हालांकि, इस बात को भी ध्यान किसी की भी सलाह पर निवेश करना में रखना चाहिए कि खुद से निवेश करने पर आपका इन्वेस्टमेंट कई गुना घट भी सकता है, म्यूचुअल फंड के साथ ऐसा नहीं होता है. आसान शब्दों में खुद से निवेश करने पर ज्यादा रिटर्न के साथ ज्यादा रिस्क भी जुड़ा है. म्यूचुअल फंड बैलेंस्ड रिटर्न के साथ-साथ बैलेस्ड रिस्क का भी भरोसा देता है.

Invest Money: पैसे से पैसा बनाने का यह तरीका जानेंगे तो फायदे में रहेंगे

हर कोर्इ चाहता है कि उसके पास इतना ज्यादा पैसा हो और वह जिंदगी की सारी आवश्यकताओं को आसानी से पूरा कर सके. लेकिन बड़ा किसी की भी सलाह पर निवेश करना सवाल यह है कि पैसा आयेगा कहां से?

वैसे तो पैसे कमाने के कई तरीके हैं, लेकिन निवेश को लोग सबसे बढ़िया साधन मानते हैं. यह बात अलग है कि निवेश करना कई बार जोखिमभरा भी हो सकता है. हम आपको बताएंगे कि आपको कहां, कैसे और कितना निवेश करना चाहिए ताकि आप अपने पैसे से ज्यादा पैसा बना सकें.

पहले तय करें कि निवेश किसलिए करना है
पैसा कहीं भी निवेश करने से पहले यह तय कर लें कि इसके पीछे आपकाउद्देश्य क्या है. इससे आप किस तरह के खर्चों की पूर्तिकरनाचाहते हैं? अगर आप निवेश को लेकर स्पष्ट होंगे, तो आपका टारगेट सेट रहता है. ऐसे में फिर आप अपने निवेश का रिटर्न, उसमें लगाया समय और जोखिम जैसी बातें समझ और तय कर सकते हैं.

शेयर बाजार में निवेश की कर रहे हैं प्‍लानिंग, तो कभी न भूलें ये जरूरी बातें

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स्‍टॉक मार्केट में निवेश से पहले जरूर जाननी चाहिए यह खास बातें (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

शेयर बाजार में निवेश करना जोखिम भरा माना जाता है। एक्‍सपर्ट के अनुसार, अगर कोई बिना पढ़े ही शेयर बाजार में पैसा लगाता है तो उसके फंड के डूबने का खतरा ज्‍यादा होता है। किसी भी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले उसके वैल्‍यू, मार्केट कैप और अन्‍य चीजों के बारे में जरूर जानना चाहिए। साथ ही उस कंपनी के शेयर का एनलाइज और रिसर्च भी कर लेना चाहिए।

अगर आप स्‍टॉक मार्केट में नए हैं और निवेश की प्‍लानिंग कर रहे हैं तो किसी की भी सलाह पर निवेश करना न सिर्फ आपको स्‍टॉक ही खरीदने चाहिए, बल्कि की कंपनी में हिस्‍सेदारी भी लेनी चाहिए। यहां पांच ऐसी चीजें बताई गई हैं, जो किसी भी शेयरधारक को निवेश करने से पहले जानना चाहिए और हमेशा याद रखना चाहिए।

कैसे खुलवाएं खाता

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना इतना आसान और सरल हो गया है कि कोई व्यक्ति निवेश करने के बारे में सोच सकता है। म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को अपना केवाईसी पूरा करना होगा जो एक बार की प्रक्रिया है। केवाईसी का मतलब है कि आपको अपनी जानकारी देनी होगी, आपका आधार और पैनकार्ड इसमें मदद करते हैं। केवाईसी सत्यापन पूरा करने में आपकी मदद करने के लिए आप किसी डिस्ट्रिब्यूटर या निवेश सलाहकार के पास जा सकते हैं या आप ऑनलाइन ई.केवाईसी कर सकते हैं।

केवाईसी सत्यापन के बाद निवेश करने के लिए तैयार होने पर, आप किसी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार, स्टॉक मार्केट ब्रोकर या बैंक जाकर भी म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं। ऑनलाइन के जमाने में आप सीधे कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फंड चुन सकते हैं।

सलाहकार के साथ शुरुआत करना बेहतर

सीधे निवेश करने या किसी डिस्ट्रिब्यूटर के माध्यम से निवेश करने के बीच चुनाव आपका फैसला है। अगर आपको खुद अपने निवेश करना पसंद है, तो आप बेशक फंड की वेबसाइट या किसी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर आप सलाह लेना चाहते हैं या आपको निवेश करने में मदद की ज़रूरत है, तो आप किसी प्रतिनिधि के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, जैसे डिस्ट्रिब्यूटर, निवेश सलाहकार या बैंक आदि।

म्यूचुअल फंड तीन प्रकार होते हैं- इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड म्यूचुअल फंड।इक्विटी फंड सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। वहीं डेट फंड आपका पैसा कंपनियों द्वारा जारी ऋणपत्रों में पैसा लगाते हैं। यह इक्विटी के मुकाबले कम जोखिम भरा होता है। वहीं तीसरे हाइब्रिड फंड में इक्विटी और डेट दोनों का समावेश होता है। इसके अलावा ओपन एंडेड फंड, क्लोज एंडेड फंड, सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड, पैसिवली मैनेज्ड फंड।

म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?

इसमें निवेशक एकमुश्त रकम फंड में लगाते हैं। इसके बाद एक तय समय अंतराल पर उस स्कीम से थोड़ा-थोड़ा निवेश इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर करते रहते हैं। डेट फंड में एकमुश्त पैसा लगाने से सुरक्षित रिटर्न मिलता रहता है, वहीं एक तय अवधि में आपका पैसा धीरे धीरे ज्‍यादा रिटर्न देने वाली इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर हो जाता है।

छोटी अवधि में केवल ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें निवेश करने पर आप नुकसान उठा सकते हैं। इनके साथ बहुत ज्‍यादा जोखिम होता है। नए निवेशकों को इन स्‍कीमों में पैसा लगाने की सलाह नहीं दी जाती है। मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों का सुझाव अक्सर उन निवेशकों को दिया जाता रहा है जो निवेश के साथ थोड़ा जोखिम ले सकते हैं।

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