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लाभ: | $0.00 |
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अपडेट है | 40 मिनटों पहले |
ट्रैकिंग | 0 |
जैसे कि, एक आंकड़ा 'का इस महीने $100.00 (-$52.00)' का मतलब है कि खाते को लाभ हुआ है $100 का, जो $52 कम है पिछले महीने से.'> | लाभ (अंतर) | लाभ (अंतर) | पीप्स (अंतर) | जीत प्रतिशत(अंतर) | ट्रेडों (अंतर) | बहुत सारे (अंतर) |
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आज | +0.00% ( - ) | $0.00 ( - ) | +0.0 ( - ) | 0% ( - ) | 0 ( - ) | 0.00 ( - ) |
इस सप्ताह | +0.00% ( - ) | $0.00 ( - ) | +0.0 ( - ) | 0% ( - ) | 0 ( - ) | 0.00 ( - ) |
इस महीने | +0.00% ( - ) | $0.00 ( - ) | +0.0 ( - ) | 0% ( - ) | 0 ( - ) | 0.00 ( - ) |
इस साल | +0.00% ( - ) | $0.00 ( - ) | +0.0 ( - ) | 0% ( - ) | 0 ( - ) | 0.00 ( - ) |
- बढ़ोतरी
- पीप्स
- लाभ
- बहुत सारे
- विजेताएं बनाम हरनेवाले
- लंबे बनाम छोटे
- लंबे लाभ बनाम छोटे लाभ
- विजेताओं के लाभ बनाम हारनेवालों के नुकसान
- MAE Vs. ट्रेड के परिणाम
- MFE Vs. ट्रेड के परिणाम
- MAE बनाम MFE - विजेताऐं बनाम हारनेवालें
- ट्रेड की क्रिया
- खुली हुई ट्रेड (0)
- खुले निर्देश (0) एक ट्रेडिंग खाते का पंजीकरण
- इतिहास (0)
- एक्सपोज़र
- बदलाव करें
- लाभ
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- पीप्स
दूसरे सिस्टमों द्वारा samansam
नाम | लाभ | गिरावट | पीप्स | ट्रैडिंग | लीवरेज | प्रकार |
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saman1 | 0.00% | 0.00% | 0.0 | - | 1:100 | प्रदर्शन |
उच्च जोखिम चेतावनी: फॉरन एक्सचेंज ट्रेडिंग में उच्च स्तर का खतरा होता है जो हर निवेशकों के लिए सही नहीं हो सकता. लीवरेज अधिकतम खातर और हानि के अनावरण को उत्पन्न करता है. इससे पहले कि आप निर्णय लें फॉरन एक्सचेंज में ट्रेड करने का, ध्यान अपने निवेश के उद्देश्यों, अनुभव स्तर, और खतरा उठाने की सहिष्णुता पर विचार करें. आप कुछ या अपनी प्रारंभिक निवेश को खो सकते हैं. बिल्कुल भी उस पैसे को निवेश ना करें जो आप खोने को बर्दाश्त नहीं कर सकते. अपने आप को शिक्षित करें उन खतरों से जो फॉरन एक्सचेंज ट्रेडिंग से संबंधित हैं, और सलाह लें किसी स्वतंत्र आर्थिक या कर सलाहकार से अगर आपके पास कोई भी प्रश्न हैं तो. कोई भी डाटा या जानकारों जो दी जाती है वे केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है, और यब ट्रेडिंग आशय या सलाह पर नियत नहीं है. पिछले निष्पादन भविष्य के परिणामों के लिए परियाचक नहीं हैं.
एक ट्रेडिंग खाते का पंजीकरण
उच्च जोखिम चेतावनी: फॉरन एक्सचेंज ट्रेडिंग में उच्च स्तर का खतरा होता है जो हर एक ट्रेडिंग खाते का पंजीकरण निवेशकों के लिए सही नहीं हो सकता. लीवरेज अधिकतम खातर और हानि के अनावरण को उत्पन्न करता है. इससे पहले कि आप निर्णय लें फॉरन एक्सचेंज में ट्रेड करने का, ध्यान अपने निवेश के उद्देश्यों, अनुभव स्तर, और खतरा उठाने की सहिष्णुता पर विचार करें. आप कुछ या अपनी प्रारंभिक निवेश को खो सकते हैं. बिल्कुल भी उस पैसे को निवेश ना करें जो आप खोने को बर्दाश्त नहीं कर सकते. अपने आप को शिक्षित करें उन खतरों से जो फॉरन एक्सचेंज ट्रेडिंग से संबंधित हैं, और सलाह लें किसी स्वतंत्र आर्थिक या कर सलाहकार से अगर आपके पास कोई भी प्रश्न हैं तो. कोई भी डाटा या जानकारों जो दी जाती है वे केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है, और यब ट्रेडिंग आशय या सलाह पर नियत नहीं है. पिछले निष्पादन भविष्य के परिणामों के लिए परियाचक नहीं हैं.
टेरर फंडिंग: इंदौर की 5, भोपाल की 2, ग्वालियर की 1 फर्म नकदी ट्रांसफर के कारण एटीएस के रडार पर
राज्य जीएसटी विभाग ने भोपाल में पंजीकृत दो डीलर समेत प्रदेश के आठ एक ट्रेडिंग खाते का पंजीकरण डीलर्स के खिलाफ एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) में मामला दर्ज कराया है। विभाग ने ये कदम टेरर फंडिंग की आशंका में उठाया। इनमें 5 फर्म इंदौर की और एक ग्वालियर की है। संदिग्धों ने नाम-पते के दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर जीएसटी पंजीयन हासिल किया। विभाग को आशंका है कि वे सर्कुलर ट्रेडिंग कर रहे थे।
इसके जरिए एक जगह से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेकर दूसरी जगह भेजा जा रहा था। जीएसटी में एक ही वस्तु पर बार-बार टैक्स नहीं लगता। माल बेचने वाला व्यापारी टैक्स चुकाता है। खरीदने वाला टैक्स देता जरूर है। लेकिन उसे बेचने वाले व्यापारी से टैक्स क्रेडिट मिल जाती है। वह इसके जरिए दूसरे टैक्स की देनदारी चुका देता है। लेकिन जीएसटी आने के बाद टैक्स क्रेडिट में बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं।
एक माह से पड़ताल में जुटा था विभाग
ये फर्म न माल भेजती हैं न मंगाती हैं, बोगस बिल जनरेट करती हैं
विभाग ने छापे मारे. तो मिली इनकी जानकारी
विभाग पिछले एक माह से गलत ढंग से टैक्स क्रेडिट लेने वाले व्यापारियों की पहचान कर रहा था। 25 नवंबर तक जिन व्यापारियों ने गलत ढंग से ली गई क्रेडिट रिवर्स नहीं की, उनके खिलाफ छापामार कार्रवाई प्रारंभ की। इस दौरान इन फर्मों के बारे में जानकारी हुई। आशंका जताई गई कि इन फर्मों के पास लाखों रुपए की आईटीसी थी। लेकिन फर्मों ने पंजीयन लेने के लिए दस्तावेजों से छेड़छाड़ की।
आईटीसी के बदले कैश
सूत्र कहते हैं कि ये कंपनियां न माल मंगाती हैं, न भेजती हैं। वे केवल बोगस बिल जनरेट करती हैं। इसके जरिए वे आईटीसी भी एकत्र कर लेती हैं। फिर यह आईटीसी किसी फर्म को ट्रांसफर करके उसके जरिए नकद राशि ले लेती हैं। इसकी आशंका में राज्य कर विभाग की ओर से यह मामला एटीएस को दिया गया।
सर्कुलर ट्रेडिंग की आशंका है
हमें आशंका थी कि यह फर्में आईटीसी के जरिए सर्कुलर ट्रेडिंग कर रहीं हैं। इसी के चलते हमने यह मामला एटीएस को दिया।
लोकेश जाटव, कमिश्नर, वाणिज्यिक कर विभाग, मप्र
एक साल में 2700 लोगों से 25 करोड़ की ठगी, वाहन फाइनेंस का झांसा देकर फंसाते थे जालसाज
पुलिस ने बताया कि आरोपी 60 फीसदी रकम लेकर आवेदकों के नाम से पूरी रकम फाइनेंस करा देते थे. ऐसे में बैंक का कर्जा वाहन मालिक के नाम से हो जाता था. चूंकि जालसाज किश्तें जमा नहीं करते थे, इसलिए वाहन मालिकों को बैंक की नोटिस मिलने लगे.
छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले की पुलिस ने जालसाजों के एक शातिर गिरोह का खुलासा किया है. इस गिरोह के लोगों ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में 2700 से अधिक लोगों को वाहन फाइनेंस में सब्सिडी का झांसा देकर करीब 25 करोड़ रुपये की ठगी की है. पुलिस एक ट्रेडिंग खाते का पंजीकरण ने पुख्ता इनपुट के आधार पर इस गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है. वहीं बाकी सदस्यों की तलाश में छापेमारी जारी है. इस गिरोह के जालसाज मल्लिकार्जुन ट्रेडिंग एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर लोगों के साथ ठगी कर रहे थे.
पुलिस ने बताया कि आरोपी लोगों का वाहन फाइनेंस कराते थे. उन्हें झांसा दिया जाता था कि फाइनेंस की रकम का 40 फीसदी उनकी कंपनी बतौर सब्सिडी जमा करेगी. वहीं बाकी 60 फीसदी रकम आरोपी अपनी कंपनी के खाते में एक मुश्त मंगा लेते थे. इसके बाद न्यूनतम डाउन पेमेंट कर लोगों को गाड़ी फाइनेंस तो करा देते थे, लेकिन फाइनेंस की गई रकम की किश्तें जमा नहीं करते थे. ऐसे में वाहन मालिकों को बैंक से नोटिस आने शुरू हुए तो लोगों ने पुलिस में शिकायत दी. इसके बाद मामले का खुलासा हुआ है. पुलिस ने बताया कि इन जालसाजों ने केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड में भी बड़ी संख्या में लोगों को फंसाया है.
धोखाधड़ी की धाराओं में मामला दर्ज
बलरामपुर एसपी मोहित गर्ग ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि बसकेपी के रहने वाले मनोज कुमार ने पुलिस में शिकायत दी थी. उन्होंने बताया था कि झारखंड के गुमला निवासी अर्जुन गोप ने उनके साथ ठगी की है. आरोपी ने उन्हें झांसा दिया था कि उसकी कंपनी वाहन फाइनेंस में 40 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है. इसके लिए कोई भी व्यक्ति वाहन की कुल कीमत का मूल्य का 60 प्रतिशत राशि कंपनी के खाते में जमाकर वाहन ले सकता है. आरोपी ने मनोज कुमार के जरिए ही 42 अन्य लोगों का भी जाल में फंसाकर 40 लाख रुपये अपनी कंपनी के खाते में जमा करा लिए. पुलिस की जांच में पता चला है कि आरोपियों ने बीते एक साल में करीब 2700 लोगों के साथ 25 करोड़ रुपये की ठगी की है.
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60 फीसदी रकम लेकर कराते थे फाइनेंस
पुलिस ने बताया कि आरोपी 60 फीसदी रकम लेकर आवेदकों के नाम से पूरी रकम फाइनेंस करा देते थे. ऐसे हालात में बैंक का कर्जा वाहन मालिक के नाम से हो जाता था. चूंकि जालसाज किश्तें जमा नहीं करते थे, इसलिए वाहन मालिकों को बैंक की नोटिस मिलने लगी. एसपी बलरामपुर ने बताया कि इस मामले में कंपनी की डायरेक्टर सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनकी पहचान कंपनी की डायरेक्टर संगीता गोप निवासी रांची, एजेंट रंजीत खलखो निवासी बलरामपुर, कपिलदेव कातिया निवासी बलरामपुर, धमेंद्र सिंह निवासी डाल्टेनगंज, गोविंद महली निवासी गुमला के रूप में हुई है. उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि इस गिरोह के मुख्य सूत्रधार अर्जुन गोप को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है.
Financial Fraud : सब्सिडी का झांसा देकर 2700 लोगों से ठगे 30 करोड़, महिला सहित 5 गिरफ्तार
बलरामपुर/नवप्रदेश। Financial Fraud : छत्तीसगढ़ की बलरामपुर पुलिस ने शातिर ठगों के एक गिरोह का भंडाफोड़ कर महिला सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई महिला ही इस फ्रॉड कंपनी की निदेशक थी। आरोपियों ने वाहन फाइनेंस कराने पर सब्सिडी का झांसा देकर छत्तीसगढ़ और झारखंड सहित अन्य प्रदेशों में 2700 लोगों से करोड़ों रुपये ठगी की है। आरोपियों के पास से कार, मोबाइल और 40 हजार रुपये पुलिस ने बरामद किए हैं।
वाहन खरीदी में 40 फीसदी छूट का देते थे झांसा
मल्लिकार्जुन ट्रेडिंग एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड (Financial Fraud) का मुख्य सूत्रधार अर्जुन गोप को सरगुजा पुलिस ने करीब दो माह पहले गिरफ्तार किया था। दो नवंबर को दरिमा थाने में कंपनी ने वाहन फाइनेंस के नाम पर 30 लाख रुपये की ठगी की शिकायत दर्ज कराई गई थी। अर्जुन गोप अंबिकापुर जेल में बंद है।
जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए आरोपी मल्लिकार्जुन ट्रेडिंग एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फाइनेंस कंपनी का संचालन करते थे। आरोपी झांसा देते कि उनकी कंपनी से वाहन फाइनेंस कराने पर 40 प्रतिशत की छूट मिलेगी। यानी कि ग्राहक को सिर्फ 60 फीसदी रकम देनी होगी, बाकी पैसा कंपनी की ओर से बैंक को भरा जाएगा। यह 60 प्रतिशत रकम भी उन्हें कंपनी में जमा करानी होगी।
बैंक का नोटिस पहुंचा तो फर्जीवाड़े का पता चला
आरोपियों के झांसे में आकर कई लोगों ने रुपये कंपनी के खाते में जमा करा दिए। इसके बाद लोगों को वाहन तो मिला, लेकिन डाउन पेमेंट के अलावा बैंक को कोई रकम नहीं दी गई। किश्त को लेकर जब खरीदारों को नोटिस मिलने लगा तो फर्जीवाड़े का पता चला। इस धोखाधड़ी का शिकार बसकेपी निवासी मनोज कुमार भी हुआ। उसके माध्यम से 42 अन्य लोगों ने कंपनी के खाते में 40 लाख रुपये जमा किए थे।
छत्तीसगढ़ में ही 700 लोगों को बनाया शिकार
मनोज ने इसकी शिकायत सिटी कोतवाली में दर्ज कराई तो पुलिस ने जांच शुरू की। इसमें यह भी पता चला कि कंपनी ने अकेले छत्तीसगढ़ में ही कपंनी ने 700 लोगों से ठगी की है। इसके बाद पुलिस ने रांची निवासी कंपनी की डायरेक्टर संगीता गोप, बलरामपुर निवासी एजेंट रंजीत खलखो, कपिलदेव कातिया, डाल्टनगंज निवासी उसके सहयोगी धमेंद्र सिंह और गुमला निवासी गोविंद महली को गिरफ्तार कर लिया।
बलरामपुर एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि मल्लिकार्जुन ट्रेडिंग एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने अब तक करीब 2700 लोगों को वाहन फाइनेंस करने के नाम पर ठगी का शिकार बनाया गया है। इनमें से करीब दो हजार लोग झारखंड के हैं। सरगुजा संभाग में सौ से अधिक लोगों को ठगी का शिकार (Financial Fraud) बनाए जाने की जानकारी मिली है। ठगी करोड़ों रुपये की है। पुलिस इसकी जानकारी एकत्र कर रही है।
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