बीसीजी मैट्रिक्स विश्लेषण - BCG matrix

बीसीजी मैट्रिक्स या ग्रोथ शेयर मैट्रिक्स, एक कॉरपोरेट योजना उपकरण है, जिसका उपयोग संस्था के ब्रांड संविभागों या एसबीयू को सापेक्ष बाजार हिस्से अक्ष (क्षैतिज धुरी) और बाजार वृद्धि (लंबवत धुरी) धुरी की गति के साथ चतुर्भुज पर चित्रित करने के लिए किया जाता है। प्रोथ-शेयर मैट्रिक्स : एक व्यापार उपकरण है, जो व्यापार ब्रांड संविभागों की क्षमता का मूल्यांकनकरने और आगे की निवेश रणनीतियों का सुझाव देने के लिए सापेक्ष बाजार हिस्सेदारी और उद्योग विकास दर कारकों का उपयोग करता है।

बीसीजी मैट्रिक्स, व्यापार ब्रांड संविभाग की रणनीतिक स्थिति और इसकी क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप द्वारा बनाई गई एक ढांचा है।

यह उद्योग के आकर्षण ( उस उद्योग की वृद्धि दर) और प्रतिस्पर्धी स्थिति (सापेक्ष बाजार हिस्सेदारी) के आधार पर व्यापार श्रेणियों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत करता है। इन दो आयामों में उस इकाई का समर्थन करने के लिए आवश्यक नकद और उसके द्वारा उत्पन्न नकदी के मामले में व्यापार संविभाग की संभावित लाभप्रदता दिखाई देती है। विश्लेषण का सामान्य उद्देश्य यह समझने में मदद करना है कि संस्था को कौन-सा ब्रांड निवेश करना चाहिए और किसको विभाजित किया जाना चाहिए।

सापेक्षिक बाजार शेयर व्यापार संविभाग का मूल्यां कनकरने के लिए उपयोग किए गए आयामों में से एक सापेक्ष बाजार हिस्सेदारी है। उच्च कॉर्पोरेट बाजार हिस्सेदारी के परिणामस्वरूप, उच्च नकद कमाई वापसी का परिणाम मिलता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि एक संस्था जो अधिक उत्पादन करती है, पैमाने की उच्च अर्थव्यवस्थाओं और अनुभव वक्र से लाभ कमाती, जिसके परिणामस्वरूप अधिक लाभ होता है। फिर भी, यह ध्यान देने योग्य है कि कुछ संस्थाओं को कम उत्पादन बहिर्वाह और बाजार वृद्धि विश्लेषण कम बाजार हिस्सेदारी के साथ समान लाभ का अनुभव हो सकता है।

बाजार विकास दर उच्च बाजार वृद्धि दर का मतलब उच्च कमाई और कभी-कभी लाभ होता है। लेकिन यह भी बहुत-सी नकदी का उपभोग करता है, जो आगे बढ़ने के लिए निवेश के रूप में किया जाता है। इसलिए, तेजी से विकास उद्योगों में काम करने वाली व्यावसायिक इकाइयां, नकद उपयोगकर्ता हैं और भविष्य में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने या बनाए रखने की उम्मीद होने पर ही निवेश करने लायक हैं।

बाजार अनुसंधान

मार्केट रिसर्च एंड इंटेलिजेंस एक महत्वपूर्ण मार्केटिंग टूल है जो लक्षित बाजार के बारे में गहराई से जानकारी प्रदान कर सकता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से संभावित बाजारों में प्रवेश करने और मौजूदा बाजारों में स्थिति को मजबूत करने के लिए किया जाता है। उपभोक्ता वरीयताओं और बाजार आसूचना के पैटर्न का अध्ययन करके संभावित बाजारों का बेहतर दोहन किया जा सकता है। बाजार अनुसंधान मूल्यवान विश्लेषण प्रदान करेगा जो मूल्य निर्धारण, पैकेजिंग और यहां तक कि उत्पाद विकास जैसे निर्णय लेने में सहायता करेगा ।

मौजूदा बाजार को मजबूत करने के लिए, अप-टू-डेट बाजार में बदलाव या उत्पाद की मांग में बदलाव के बारे में जागरूकता का सहज महत्व है। यह स्थापित भारतीय निर्यातकों को उपभोक्ता वरीयताओं या अल्पकालिक मांगों के आधार पर उत्पाद लाइनों को बदलने पर त्वरित निर्णय लेने के लिए आवश्यक अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।

महामारी, बाजार में तेजी और गायब आर्थिक वृद्धि

पिछले लेख में मैंने कोविड-19 की मार से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच शेयर बाजार में तेजी के कारणों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया था। इस महामारी की दूसरी लहर से पूरे देश की बिगड़ी सेहत और ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे लोगों के बीच बाजार में अप्रत्याशित तेजी हैरान करने वाली रही है। सीधी सी बात यह है कि बाजार में तेजी की वजह गुणवत्ता से लैस कंपनियों की मजबूत आय है। इन कंपनियों के वित्तीय नतीजे वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही से सुधरने लगे थे। कंपनियों की आय बढ़ती है तो उनके शेयर चढ़ते हैं और इससे सूचकांक उछलने लगते हैं। हम इसे अमूमन बाजार में तेजी के रूप में परिभाषित करते हैं। बाजार में तेजी तो साफ दि ा रही है और देश-दुनिया में कोविड-19 महामारी का भीषण असर भी दिख रहा है। एक बात जो नजर नहीं आ रही है वह है आय में वृद्धि और इसका कारण।

आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि आय में मजबूत वृद्धि बाजार में तेजी का तात्कालिक कारण है। ऐसी कंपनियों की कमी नहीं है, जो लगातार मजबूत वित्तीय नतीजे लेकर आ रही हैं। ये कंपनियां सीमेंट से लेकर प्लास्टिक पाइप, रसोई उपकरण बनाने से लेकर फाइबर बोर्ड, सॉ टवेयर सेवाओं से लेकर इस्पात, सिरैमिक्स से लेकर रसायन और परिधान जैसे विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखती हैं। यह बात ध्यान में रखते हुए आय वृद्धि के पहलू का विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है। इन कंपनियों के उ मीद से कहीं बेहतर वित्तीय नतीजे चौंकाने वाले हैं और 2003-07 के दौरान दुनिया के तीन मजबूत आर्थिक क्षेत्रों-यूरोप, अमेरिका और पूर्वी एशिया- में दर्ज शानदार आर्थिक तेजी की याद ाी दिलाते हैं। उस अवधि के दौरान जिंसों (तांबा, तेल, लौह-अयस्क, इस्पात और एल्युमीनियम आदि) की कीमतों में ाी भारी तेजी आई थी। इस वजह से ऑस्ट्रेलिया, रूस और ब्राजील जैसे देश भी उस आर्थिक तेजी का हिस्सा बन गए थे। इस बार भी जिंसों की कीमतें अधिक हैं और चीन, रूस, ब्राजील और अमेरिका में आर्थिक वृद्धि दर मजबूत बाजार वृद्धि विश्लेषण बनी हुई है।

हालांकि भारत में जो कुछ हो रहा है उसका वैश्विक पटल पर हो रही आर्थिक प्रगति से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यहां जो हो रहा है उसकी वजह पूरी तरह स्थानीय है। एक अच्छी बात यह है कि देश में कंपनियों की आय में दिखी बाजार वृद्धि विश्लेषण तेजी का आधार खोखला नहीं है। दरअसल 2003-07 में आई तेजी में ढांचागत और रियल एस्टेट क्षेत्र में हुए भारी पूंजी निवेश का भी योगदान रहा था। पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के साथ पेंट्स और उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनियों जैसे यूनिटेक, जीएमआर, जीवीके, रिलायंस पावर, लैंको और जिंदल स्टील भी सबका ध्यान खींचने लगीं और प्राइवेट इक्विटी निवेशकों और बैंकों से रकम जुटाने में सफल रहीं। बाद में कुप्रबंधन और अवास्तविक अपेक्षाओं के कारण ये कंपनियां चारों खाने चित हो गईं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तेजी जब चरम पर थी तो टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और हिंडाल्को जैसी कंपनियों ने बड़े और महंगे अधिग्रहण किए थे। इनसे उन्हें कोई खास लाभ नहीं हुआ।

वर्तमान समय 2000 के दशक के मध्य से अलग है। पहली बात तो पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी के कहर के बीच आर्थिक तेजी (जैसा कि कंपनियों के नतीजे से दि ा रहा है) पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। वास्तव में निवेशकों की नजरें भी केवल तेजी से चढ़ती कीमतों पर हैं और तेजी का कारण जानने में समय गंवाए बिना वे इसका हिस्सा बनना चाहते हैं। जो लोग शेयर कीमतों में तेजी या गिरावट को अधिक तवज्जो नहीं देते हैं उन्हें तो यह भी नहीं लग रहा है कि मजबूत और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि संभव हो पाएगी। भारत इस समय जिस त्रासदी से गुजर रहा है उसमें ऐसे लोगों को अर्थव्यवस्था से बहुत उ मीदें नहीं हैं। अब तक तेजी वास्तविक दिख रही है और केवल एक या दो उद्योग समूहों के शेयर की कीमतें उनकी बुनियाद से मेल नहीं खा रही हैं। हमेशा स्थिति भांप कर बातें करने वाले कारोबारी दिग्गज (एशियन पेंट्स, सेरा सैनिटरीवेयर, एस्ट्रल पॉलिटेक्रिक आदि कंपनियों के प्रमुख) भी काफी उत्साहित दिख रहे हैं। एक अच्छी बात यह है कि 2000 के दशक में आई तेजी की तुलना में इस बार पूंजी की बरबादी भी नहीं हो रही है। ऐसा खासकर इसलिए भी क्योंकि बैंक इस समय आंख मूंदकर रकम देने की स्थिति में नहीं हैं।

क्या जारी रहेगी आय वृद्धि?

हम सभी जानते हैं कि दिसंबर 2019 के अंत या 2020 के शुरू तक मजबूत आर्थिक तेजी का कोई संकेत नहीं था। 'विकास पुरुष' के नेतृत्व में पांच वर्षों से अधिक समय गुजरने के बावजूद आर्थिक विकास दर 7.5 प्रतिशत से कम होकर 4.5 प्रतिशत रह गई है। इस बात का कोई आधिकारिक आर्थिक तर्क नहीं दिया गया कि भारत क्यों आर्थिक मोर्चे पर फिसलता चला गया। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख विवेक देवरॉय ने 2019 के अंत में एक आलेख में लिखा था कि कमजोर आर्थिक वृद्धि से निपटने के लिए कुछ खास नहीं किया जा सकता। मोदी सरकार कमजोर आर्थिक वृद्धि दर को लेकर कुछ खास नहीं कर सकती है। देवरॉय ने इसके पीछे कई तर्क दिए। सबसे पहले उन्होंने कहा कि हमें खुश रहना चाहिए कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में महंगाई दर कम है जो एक अच्छी बात है। एक तीसरी बात उन्होंने यह कही कि सरकार को दोष देने के बजाय कमजोर वैश्विक व्यापार आर्थिक वृद्धि में सुस्ती के लिए उत्तरदायी है। देवरॉय ने यह भी कहा कि संरचनात्मक सुधार नहीं हो सकते क्योंकि भूमि एवं श्रम राज्य सूची में आते हैं। कुल मिलाकर, विवेक देवरॉय के अनुसार आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहती है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है और यह 6 प्रतिशत तक हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि मौजूदा सुधारों से अधिक सक्षम एवं औपचारिक अर्थव्यवस्था उभरेगी लेकिन यह इसमें थोड़ा वक्त लगेगा।

यह हैरान करने वाली बात है कि ऐसे निराशावादी स्पष्टीकरण के महज छह महीने बाद कि हमें क्यों ऊंची वृद्धि दर की उ मीद नहीं करनी चाहिए, ाारतीय कंपनियों के नतीजे हरेक तिमाही में मजबूत हो रहे हैं। यह तब हो रहा है जब दुनिया वैश्विक महामारी की चपेट में हैं और लॉकडाउन के बीच कारोबार प्रभावित हुए हैं और अनगिनत सं या में लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। सितंबर तिमाही में ऐसा लगा था कि लॉकडाउन की वजह से कंपनियों की लागत कम हो गई जिसका सकारात्मक असर उनके वित्तीय नतीजों पर हुआ। दिसंबर तिमाही तक यह लगा कि लॉकडाउन के कारण थमी मांग अचानक बढऩे से कंपनियों का कारोबार अचानक बढ़ गया है। सच्चाई यह है कि पिछले नौ महीनों के दौरान कंपनियों की बिक्री बढ़ी है और इस समय उनकी क्षमताएं मांग पूरा करने में असमर्थ साबित हो रही हैं। मजबूत मांग से निपटने के लिए उन्हें अपनी क्षमता बढ़ाने की योजना तैयार करनी होगी। इस बड़ी बाजार वृद्धि विश्लेषण प्रगति पर अब तक मैंने कोई स्पष्टीकरण नहीं देखा है। हो सकता है कि जीएसटी के कारण कर व्यवस्था का एकीकरण इसकी वजह हो या विभिन्न योजनाओं के मद में सरकार द्वारा खर्च किए जाने से मांग को ताकत मिल रही है। यह भी संभव है कि अब ज्यादातर भारतीय कंपनियों के निर्यात पर केंद्रित होने से विदेश में उनके उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई है। इस तेजी के कारण भले ही नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन फिलहाल कम से कम आर्थिक तेजी की बात से इनकार तो नहीं किया जा सकता है।

(लेखक डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट मनीलाइफ डॉट इन के संपादक हैं। )

बाजार वृद्धि विश्लेषण

भारत कृषि मशीनरी बाजार रिपोर्ट 2022: आकार, शेयर, उभरते रुझान, वर्तमान विश्लेषण, विकास, मांग, अवसर और पूर्वानुमान 2018-2028

भारत कृषि मशीनरी बाजार रिपोर्ट 2022: आकार, शेयर, उभरते रुझान, वर्तमान विश्लेषण, विकास, मांग, अवसर और पूर्वानुमान 2018-2028

  • Post author: KhetiGaadi News
  • Post published: July 19, 2022
  • Post category: Agri Business News / Agriculture Machinery News
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भारतीय कृषि मशीनरी बाजार 2022 में 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2028 तक 21.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है; इसके 2022 से 2028 तक 9.5% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।

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ऐतिहासिक और वर्तमान विकास मापदंडों पर गहन शोध करने के बाद, भारतीय कृषि मशीनरी बाजार की विकास संभावनाओं को अधिकतम सटीकता के साथ प्राप्त किया जाता है।

2022 की यह नई बाजार रिपोर्ट संपूर्ण भारतीय कृषि मशीनरी बाजार का समग्र विश्लेषण प्रदान करती है। रिपोर्ट भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के लिए वास्तविक बाजार की स्थिति और भविष्य पर सबसे अद्यतित उद्योग डेटा प्रदान करती है। रिपोर्ट 2018 – 2021 की अवधि के लिए अप-टू-डेट ऐतिहासिक बाजार आकार डेटा और भारत में कृषि मशीनरी के लिए बाजार मूल्य जैसे प्रमुख बाजार पहलुओं को कवर करते हुए 2028 के लिए एक उदाहरण पूर्वानुमान भी प्रदान करती है।

रिपोर्ट 2018 से 2021 तक प्रमुख 5 खंडों का गहन विश्लेषण, सूचना और बाजार का आकार प्रदान करती है, और 2028 के लिए पूर्वानुमान प्रदान करती है। प्रमुख खंडों के प्रतिशत के साथ बाजार हिस्सेदारी पर एक व्यापक विश्लेषण किया गया है।

रिपोर्ट में कई बाजार विकास प्रवर्तकों, प्रतिबंधों और प्रवृत्तियों का विस्तृत अवलोकन भी शामिल है। रिपोर्ट बाजार की मांग और आपूर्ति दोनों पहलुओं की पेशकश करती है। यह प्रमुख कंपनियों और बाजार में सक्रिय अन्य प्रमुख कंपनियों की प्रोफाइल और जांच करता है।

रिपोर्ट विभिन्न मॉडलों को पूरी तरह से एकीकृत करते हुए, 360-डिग्री विश्लेषण के लिए एक स्रोत के रूप में काम करेगी।

इस रिपोर्ट में उत्तर दिए गए प्रमुख प्रश्न:

  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार का वर्तमान परिदृश्य क्या है?
  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के लिए कुल बाजार का आकार और पूर्वानुमान (2028 तक) क्या है?
  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार कितना बड़ा है?
  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के प्रमुख क्षेत्रों में बाजार हिस्सेदारी क्या है?
  • समग्र भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के भीतर मुख्य खंड क्या हैं? 2018 से 2028 की अवधि के लिए इनमें से प्रत्येक खंड का मूल्य कितना होगा?
  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के प्रमुख चालक क्या हैं?
  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के प्रमुख अवरोधक क्या हैं?
  • शीर्ष बाजार के खिलाड़ी कौन हैं? उनकी घटनाएं, वर्तमान घटनाक्रम और परिदृश्य क्या हैं?
  • भविष्य में बाजार के विकास की भविष्यवाणी कैसे की जाती है?

पूर्वानुमान अवधि के दौरान भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के विकास में योगदान देने वाले प्रमुख कारक:

  • संस्थागत ऋण नीतियों का सकारात्मक दृष्टिकोण
  • सरकारी प्रोत्साहन
  • बढ़ती कृषि उत्पादकता
  • अनुबंध खेती का उदय
  • ग्रामीण आय में वृद्धि

यह नवीनतम और व्यापक भारतीय कृषि मशीनरी बाजार अनुसंधान रिपोर्ट 2022 प्रदान करती है:

  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार की व्यापक अनुसंधान पद्धति
  • भारतीय कृषि मशीनरी बाजार को प्रोत्साहित करने वाले बाजार निर्धारकों के बारे में अंतर्दृष्टि
  • 2018 से 2021 तक भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के बाजार आकार में ऐतिहासिक वृद्धि का विश्लेषण करने के लिए
  • 2022 से 2028 तक भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के बाजार आकार और 2028 तक विकास दर का अनुमान लगाने और पूर्वानुमान लगाने के लिए
  • छह साल के पूर्वानुमान के साथ भारतीय ट्रैक्टर का बाजार आकार
  • छह साल के पूर्वानुमान के साथ भारत रोटावेटर का बाजार आकार
  • छह साल के पूर्वानुमान के साथ इंडिया थ्रेशर का बाजार आकार
  • छह साल के पूर्वानुमान के साथ इंडिया पावर टिलर्स का बाजार आकार
  • भारत का बाजार आकार अन्य कृषि मशीनरी छह साल के पूर्वानुमान के साथ
  • 9 मार्केट प्लेयर्स के व्यापक प्रोफाइल और हालिया विकास

भारतीय कृषि मशीनरी बाजार के प्रमुख ब्रांड्स नीचे सूचीबद्ध हैं:

  • फोर्स मोटर्स
  • एस्कॉर्ट्स लिमिटेड
  • महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड
  • जॉन डीरे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
  • टैफे मोटर्स एंड ट्रैक्टर्स लिमिटेड
  • इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड (सोनालिका)
  • सीएनएच इंडस्ट्रियल (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड
  • ग्रीव्स कॉटन लिमिटेड
  • वीएसटी टिलर्स ट्रैक्टर्स लिमिटेड

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