इस केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को नियंत्रित करने वाले विनियमन को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। सीबीडीटी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है, लेकिन इसकी तुलना निजी आभासी मुद्राओं या क्रिप्टो करेंसी से नहीं की जा सकती है, जिनका चलन पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है। निजी डिजिटल मुद्राएं किसी भी व्यक्ति की देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं, क्योंकि उनका कोई जारीकर्ता नहीं है। वे निश्चित रूप से मुद्रा नहीं हैं।

क्रिप्टोकरेंसी पर कब आएगा कायदा-कानून, जानें क्या कहना है वित्त मंत्री का
आरबीआई निजी क्रिप्टो करेंसी का कड़ा विरोध कर रहा है, क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव डाल सकते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सीबीडीसी की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

Budget 2022 Digital currency: डिजिटल करेंसी का आप लोगों को क्या फायदा? जानें क्रिप्टो करेंसी से यह कैसे अलग

Union Budget 2022: बजट पेश होने के बाद डिजिटल करेंसी (digital currency) पर काफी चर्चा हो रही है. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-2023 की शुरुआत में ही RBI की डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ये डिजिटल इकोनॉमी को बड़ा बूस्ट देगा.

सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2022,
  • (अपडेटेड 02 फरवरी 2022, 10:16 AM IST)
  • डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है
  • डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है- रिटेल और होलसेल

Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बजट के दौरान कई बड़े ऐलान किए. इसमें एक बड़ा ऐलान है डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का. बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल करेंसी यानी 'डिजिटल रुपी' की बात कही. वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 की शुरुआत में ही RBI की डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया जाएगा. इस पर RBI की तरफ से काम जारी है. सरकार का मानना है कि डिजिटल इकनॉमी के क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा. लेकिन ये डिजिटल करेंसी क्या है. इसका इस्तेमाल कैसे होगा. इसे लेकर आमजन के मन में कई सवाल हैं. 8 प्वॉइंट में समझते हैं डिजिटल करेंसी और इसके फायदे.

ये होती है डिजिटल करेंसी , ऐसे होता है इस्तेमाल

1- डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है
2- इसे रिजर्व बैंक जारी करता है, इसे सरकार की मान्यता मिलती है
3 - ये केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है
4 - इसकी खासियत ये है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है
5 - भारत के मामले में आप इसे डिजिटल रुपया कह सकते हैं
6 - डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल और होलसेल
7 - रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं
8- होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं के ज़रिए किया जाता है

नए वित्त वर्ष की शुरुआत में लॉन्च होगी डिजिटल करेंसी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डिजिटल करेंसी को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और दूसरी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के जरिए पेश किया जाएगा. ये डिजिटल इकोनॉमी को बिग बूस्ट देगा. साथ ही करेंसी मैनेजमेंट को ज्यादा इफीशिएंट और कम लागत वाला बनाएगा. उन्होंने कहा कि डिजिटल करेंसी 'डिजिटल रुपी' को नए वित्त वर्ष की शुरुआत में ही लॉन्च कर दिया जाएगा.

डिजिटल करेंसी के क्या हैं फायदे


- ये कम खर्चीली है. ट्रांजैक्शन भी तेजी से हो सकते हैं.
- डिजिटल करेंसी के मुकाबले करंसी नोट्स का प्रिटिंग खर्च और लेन-देन की लागत अधिक है
- डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाते की जरूरत नहीं है, ये ऑफलाइन भी हो सकता है
- डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी. डिजिटल रुपी की ट्रैकिंग हो सकेगी, जो कैश के साथ संभव नहीं है
- रिजर्व बैंक के हाथ में होगा कि डिजिटल रुपया कितना और कब जारी करना है.
- मार्केट में रुपए की अधिकता या कमी को मैनेज किया जा सकेगा.

डिजिटल और क्रिप्टो करेंसी में क्या अंतर है

1- डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है
2 - क्रिप्टो करेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है, ये किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है
3 - बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है

RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया

रिजर्व बैंक का प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को भी बैंक नोट की परिभाषा में रखा जाए. यानी डिजिटल करेंसी को भी 'बैंक नोट' की तरह देखा जाए. इसके लिए RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है. सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को ट्रांसफर करने के लिए इंटर मीडियरीज की जरूरत होगी.

डिजिटल रुपी से सभी पेमेंट संभव

मार्च से शुरू होने जा रहे नए वित्त वर्ष में शॉपिंग करने के लिए पर्स में कागज के नोट रखकर बाजार जाने की जरूरत नहीं होगी. क्योंकि आप डिजिटल रुपी के ज़रिए सभी तरह के पेमेंट कर सकते हैं. (आजतक ब्यूरो)

Budget 2022: क्या क्रिप्टोकरेंसी जैसा ही होगा भारत का Digital Rupee, यहां पढ़िए डिजिटल रुपये से जुड़ी जरूरी बातें

डिजिटल रुपी को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2022-23 से जारी किया जाएगा. इसे मौजूदा भौतिक करेंसी के साथ बदला जा सकेगा. इस केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (CBDC) को नियंत्रित करने वाले विनियमन को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.

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क्रिप्टो या डिजिटल मुद्राओं को लेकर दुनियाभर में दीवानगी है और भारत में भी एक अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में इसका देशी संस्करण पेश किया जाएगा, जो भौतिक रूप से प्रचलित करेंसी के डिजिटल रूप को रिफ्लेक्ट करेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलावर को संसद में बजट 2022-23 (Budget 2022-23) पेश करते हुए ब्‍लॉक चेन और अन्‍य टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए डिजिटल रुपी (Digital Rupee)बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत लाने की घोषणा की, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2022-23 से जारी किया जाएगा. इसे भौतिक मुद्रा के साथ बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत बदला जा सकेगा. इस केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (CBDC) को नियंत्रित करने वाले विनियमन को अंतिम बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत रूप दिया जाना बाकी है.

CBDC की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को मिलेगा बड़ा बढ़ावा

सीबीडीसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, लेकिन इसकी तुलना प्राइवेट वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टो करेंसी से नहीं की जा सकती है, जिनका चलन पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है. प्राइवेट डिजिटल करेंसी किसी भी व्यक्ति की देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं क्योंकि उनका कोई जारीकर्ता नहीं है. वे निश्चित रूप से करेंसी नहीं हैं. आरबीआई निजी क्रिप्टो करेंसी का कड़ा विरोध कर रहा है क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव डाल सकते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सीबीडीसी की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल करेंसी से एक अधिक दक्ष तथा सस्ती करेंसी प्रबंधन व्यवस्था वजूद में आएगी. डिजिटल करेंसी ब्लॉक चेन और अन्य टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगी.’’

वर्चुअल डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर विचार-विमर्श जारी है और उसके बाद हम इस पर कायदे-कानून बनाने पर विचार करेंगे. बजट के बाद मीडिया से बातचीत में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘क्रिप्टोकरेंसी पर हाल में विचार-विमर्श शुरू किया गया है. इसमें जो निष्कर्ष आता है, उसके आधार पर हम कानून लाने या अन्य किसी प्रस्ताव पर गौर करेंगे.’’ उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी और अन्य प्राइवेट डिजिटल Assets पर टैक्सेशन को स्पष्ट किया. उन्होंने प्राइवेट डिजिटल करेंसी के लेनदेन से होने बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाने की घोषणा की.

Digital Rupee Explainer: आने ही वाला है 'डिजिटल रुपी', जानें क्या है यह और क्रिप्टोकरेंसी से कैसे होगा अलग

आरबीआई (RBI) की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) यानी डिजिटल रुपी (Digital Rupee) डिजिटल इकनॉमी को बिग बूस्ट देगा। यह एक एक लीगल टेंडर होगा।

what is rbi digital rupee, how will it be different from cryptocurrency

Digital Rupee Explainer: आने ही वाला है 'डिजिटल रुपी', जानें क्या है यह और क्रिप्टोकरेंसी से कैसे होगा अलग

​क्या होती है डिजिटल करेंसी?

किसी केन्द्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) कहा जाता है। जिस देश का केंद्रीय बैंक (Central Bank) इसे जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है। डिजिटल करेंसी उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (Balance Sheet) में भी शामिल होती है और इसे देश की सॉवरेन करेंसी (Sovereign Currency) में बदला जा सकता है। डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल (Retail) और होलसेल (Wholesale)। रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है।

​लीगर टेंडर होगा डिजिटल रुपी

भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक लीगल टेंडर होगा। सीबीडीसी के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा। जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBCD से भी आप लेनदेन कर सकेंगे। सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत होंगे।

​बैंक नोट की परिभाषा में ही रखने का है प्रस्ताव

रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) का प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को भी बैंक नोट (Bank Note) की परिभाषा में रखा जाए यानी डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को भी 'बैंक नोट' की तरह देखा जाए। इसके लिए RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को ट्रांसफर करने के लिए इंटरमीडियरीज की जरूरत होगी।

​क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग

डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है। सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है। इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है। इससे जारी करने वाले देश में खरीदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है। यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है।

​सीबीडीसी के लिए कानूनी बदलाव की जरूरत

सीबीडीसी को लाने के लिए इसके लिए कानूनी बदलाव की जरूरत होगी, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम (Indian Reserve Bank Act) के तहत मौजूदा प्रावधान मुद्रा को भौतिक रूप से ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में भी संशोधन की आवश्यकता होगी। ऐसे में हो सकता है कि सरकार बजट में इन कानूनी बदलावों को लेकर कोई अहम संकेत दे दे या फिर कुछ घोषणा कर दे।

Digital Rupee: जानें कब से आ रहा डिजिटल रुपया, क्रिप्टो करेंसी से कैसे होगा अलग

Union Budget 2022: वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक 2022-23 में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल रुपया पेश करेगा। उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी और अन्य निजी डिजिटल संपत्तियों पर कराधान को स्पष्ट किया।

Digital currency will come in India

इस केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को नियंत्रित करने वाले विनियमन को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। सीबीडीटी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है, लेकिन इसकी तुलना निजी आभासी मुद्राओं या क्रिप्टो करेंसी से नहीं की जा सकती है, जिनका चलन पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है। निजी डिजिटल मुद्राएं किसी भी व्यक्ति की देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं, क्योंकि उनका कोई जारीकर्ता नहीं है। वे निश्चित रूप से मुद्रा नहीं हैं।

क्रिप्टोकरेंसी पर कब आएगा कायदा-कानून, जानें क्या कहना है वित्त मंत्री का
आरबीआई निजी क्रिप्टो करेंसी का कड़ा विरोध कर रहा है, क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव डाल सकते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सीबीडीसी की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

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