रेशम मार्ग क्यों पसंद है?

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प्राचीन काल में रेशम का मार्ग कौन सा था?

इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक-सांस्कृतिक मार्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे। इसका सबसे जाना-माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था और जिस से निकलती एक शाखा भारत की ओर जाती थी।

रेशम मार्ग ने दुनिया को कैसे जोड़ा?

इसे सुनेंरोकेंदो सौ साल ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी के बीच हन राजवंश के शासन काल में रेशम का व्यापार बढ़ा. पहले रेशम के कारवाँ चीनी साम्राज्य के उत्तरी छोर से पश्चिम की ओर जाते थे. लेकिन फिर मध्य एशिया के क़बीलों से संपर्क हुआ और धीरे-धीरे यह मार्ग चीन, मध्य एशिया, उत्तर भारत, आज के ईरान, इराक़ और सीरिया से होता हुआ रोम तक पहुंच गया.

सिल्क रूट से विश्व आपस में कैसे जुड़ा उचित उदाहरण देकर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंये मार्ग केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को ही आपस में नहीं जोड़ते थे, बल्कि एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से भी जोड़ते थे। इन मार्गों का प्रयोग एशिया से कपड़े और मसालों को विश्व के दूसरे भागों में पहुँचाने के लिए तथा वापसी में सोना-चाँदी एशिया में लाने के लिए होता था।

रेशम मार्ग की कहानी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयही दो रास्ते प्राचीन रेशम मार्ग कहलाता था।

क्यों राजाओं सिल्क रूट जो रेशम मार्गों बना नियंत्रित करने के लिए करना चाहता था?

इसे सुनेंरोकेंराजा सिल्क रूट पर अपना नियंत्रण क्यों कायम करना चाहते थे? उत्तर: शासक कर के लाभ के लिए रेशम मार्ग पर नियंत्रण करना चाहते थे, क्योंकि इस रास्ते पर यात्रा कर रहे, व्यापारियों से उन्हें कर, शुल्क तथा तोहफों के माध्यम से लाभ मिलता था।

सिल्क रूट को नियंत्रित करने वाले प्रसिद्ध शासक कौन थे?

इसे सुनेंरोकें(अ) सिल्क रूट पर नियंत्रण रखने वाले शासकों में सबसे प्रसिद्ध कुषाण थे।

Q27 क्यों राजाओं सिल्क रूट जो रेशम मार्गों बना नियंत्रित करने के लिए करना चाहता था?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 2. राजा सिल्क रूट पर अपना नियंत्रण क्यों कायम करना चाहते थे? उत्तर: शासक कर के लाभ के लिए रेशम मार्ग पर नियंत्रण पहला व्यापार मार्ग कौन सा था करना चाहते थे, क्योंकि इस रास्ते पर यात्रा कर रहे, व्यापारियों से उन्हें कर, शुल्क तथा तोहफों के माध्यम से लाभ मिलता था।

राजा रेशम मार्ग पर अपना नियंत्रण क्यों रखना चाहते थे रेशम मार्ग किसने बनवाया था?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: शासक कर के लाभ के लिए पहला व्यापार मार्ग कौन सा था रेशम मार्ग पर नियंत्रण करना चाहते थे, क्योंकि इस रास्ते पर यात्रा कर रहे, व्यापारियों से उन्हें कर, शुल्क तथा तोहफों के माध्यम से लाभ मिलता था।

राजा रेशम मार्ग पर नियंत्रण क्यों रखना चाहते थे रेशम मार्ग किसने बनाया?

सिल्क रूट पर गाड़ियों का उपयोग क्यों कठिन होता होगा?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : सिल्क रूट पर गाड़ियों का उपयोग इसलिए कठिन होता होगा क्योंकि ये रास्ते दुर्गम पहाडी तथा रेगिस्तानी इलाके में स्थित थे।

चीन का सिल्क रूट कितना पुराना है?

इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग या सिल्क रूट यह मार्ग ईसा से लगभग 2 सौ साल पहले से ईसा की दूसरी सदी तक बहुत फला फूला। उस समय चीन के हान वंश का शासन हुआ करता था। चीन से मध्य एशिया होते हुए यूरोप से यह मार्ग अफ्रिका तक जुडा हुआ था।

रेशम मार्ग कहाँ से कहाँ तक पहला व्यापार मार्ग कौन सा था जाता है?`?

इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग प्राचीन चीन से मध्य एशिया से हो कर दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया , यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका तक जाने वाला थल व्यापार रास्ता था । बड़ी मात्रा में चीन के रेशम और रेशम वस्त्र इसी मार्ग से पश्चिम तक पहुंचाये जाने के कारण इस मार्ग का नाम रेशम मार्ग रखा गया ।

मंगोल इतिहास में सन 1206 ईस्वी क्यों महत्वपूर्ण है?

इसे सुनेंरोकेंपश्चिमी श्या के साथ लड़ाई के दौरान चंगेज खान की बीमारी की वजह से ल्यूफान पर्वत पर मृत्यु हो गई। उस के पहला व्यापार मार्ग कौन सा था बाद उस का बेटा ओकताए गद्दी पर बैठा, जिस ने सुङ से मिलकर किन पर हमला किया और 1206 के शुरू में किन के शासन को खत्म कर दिया। किन राज्य पर कब्जा करने के बाद मंगोल फौजों ने अपनी पूरी शक्ति से सुङ पर हमला किया।

प्रश्न 11 रेशम मार्ग क्यों प्रसिद्ध है?

इसे सुनेंरोकेंरेशम मार्ग (The Silk Road) व्यापार मार्गों का एक समूह था जो पूरे एशिया में भूमध्य सागर तक जाता था। इसने चीन को मध्य पूर्व और भूमध्यसागरीय दुनिया के साथ व्यापार करने दिया। इसे रेशम मार्ग कहा जाता था क्योंकि इसके साथ रेशम का व्यापार होता था।

पुर्तगाली उपनिवेश की स्थापना

पुर्तगाली पहले यूरोपीय थे जिन्होंने भारत तक सीधे समुद्री मार्ग की खोज की। 20 मई 1498 को पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा कालीकट पहुंचा, जो दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है । 1505 ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा को भारत का पहला पुर्तगाली गवर्नर बनाया गया। उसकी नीतियों को ब्लू वाटर पालिसी कहा जाता था क्योकि उनका मुख्या उद्देश्य हिन्द महासागर को नियंत्रित करना था। पुर्तगालियों ने 1556 ई.में गोवा में भारत की पहली प्रिंटिग प्रेस की स्थापना की थी।

पुर्तगाली पहले यूरोपीय थे जिन्होंने भारत तक सीधे समुद्री मार्ग की खोज की । 20 मई 1498 को पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा कालीकट पहुंचा, जो दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है। स्थानीय राजा जमोरिन ने उसका स्वागत किया और कुछ विशेषाधिकार प्रदान किये। भारत में तीन महीने रहने के बाद वास्को-डी-गामा सामान से लदे एक जहाज के साथ वापस लौट गया और उस सामान को उसने यूरोपीय बाज़ार में अपनी यात्रा की कुल लागत के साठ गुने दाम में बेचा।

(1) भारत और यूरोप के मध्य होने वाले व्यापारिक मार्गों के बारे में लिखिए |

उत्तर – भारत और यूरोप के मध्य व्यापार जल और थल द्वारा होता था | पहला व्यापार मार्ग कौन सा था प्रमुख व्यापारिक मार्ग निम्न हैं –

  1. फारस की खाड़ी से होता हुआ समुद्री मार्ग
  2. लाल सागर से अलेक्जेंड्रिया मार्ग
  3. मध्य एशिया से मिश्र होते हुए यूरोप

(2) व्यापारिक कंपनी से आप क्या समझते हो ?

उत्तर – व्यापारिक कम्पनी का अर्थ है – व्यापार में कई लोगों की हिस्सेदारी ( शेयर ) का होना | अर्थात कई लोगों द्वारा अपनी-अपनी पूँजी लगाना और पूँजी के अनुपात में प्राप्त मुनाफे को आपस में बाँट लेना |

उत्तर – पुराने यूरोपीय व्यापारिक मार्गों में प्रथम मार्ग फारस की खाड़ी से होते हुए ईराक , तुर्की , वेनिस और जिनेवा को था | दूसरा मार्ग लाल सागर से अलेक्जेंड्रिया को था जहाँ से समुद्र द्वारा वेनिस और जिनेवा को जाया जाता था | तीसरा मार्ग मध्य एशिया से मिस्र और फिर यूरोप के लिए था |

नए व्यापारिक मार्गों की खोज के निम्न कारण थे –

  1. राज्य की आमदनी के लिए धन इकट्ठा करना |
  2. ईसाई धर्म का दूर-दराज इलाकों में प्रचार करना |
  3. यूरोप के राष्ट्रों के झंडे को दूर-दूर के उपनिवेशों में फहराना जिससे उनका साम्राज्य बढ़ सके |

प्रोजेक्ट वर्क – छात्र स्वयं करें |

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पुर्तगाली व्यापारियों का भारत में आगमन

पुर्तगाली व्यापारियों का भारत में आगमन | भारत में युरोपियों का आगमन | Purtagaaliyon Ka Bharat Aagman

यद्धपि आने वाले समय में गोवा , दमन एवं दियू को छोड़कर अधिकतर बस्तियाँ उनके अधिकार में नहीं रहीं ये तीनों क्षेत्र 1961 तक पुर्तगालियों के ही नियंत्रण में रहीं इस प्रकार पुर्तगालियों ने भारत में भीतरी क्षेत्रों पर अधिकार करने की कोशिश नहीं की और तटवर्तीय क्षेत्रों तक ही अपनी पहला व्यापार मार्ग कौन सा था गतिविधियों को सीमित रखा ।

एक गुजराती ने बताया था वास्को डि गामा को भारत का रास्ता

अहमदाबाद। जब यह पूछा जाता है कि भारत को समुद्री रास्ते से खोजने वाला पहला यूरोपियन कौन था, तो जवाब यही मिलता है कि वास्को डि गामा। पर पहला व्यापार मार्ग कौन सा था यह गलत है। समुद्री सफर पर निकले इस पुर्तगीज नाविक को भारत का रास्ता बताने वाला एक गुजराती था। जुलाई 1497 को निकला था वास्को समुद्री सफर पर…

8 जुलाई 1497 पहला व्यापार मार्ग कौन सा था को वास्को डि गामा 4 जहाजों और 170 नाविकों को लेकर पुर्तगाल के लिस्बन शहर से समुद्री सफर पर निकला था। रास्ते में अरब और अफ्रीकन व्यापारियों का सामना करते हुए वह 22 अप्रैल 1498 को ईस्ट अफ्रीका के मलिंदी बंदरगाह पहुंचा था। यहां पर उसकी मुलाकात कच्छी व्यापारी कानजी मालम से हुई। कानजी भाई नियमित रूप से समुद्री मार्ग से अफ्रीका की यात्रा करते थे। वे ही गामा को 20 मई 1498 को कालीकट बंदरगाह लाए।

पूरे विश्व में गुजराती प्रजा की छवि एक व्यापारी की तरह है। इस छवि के अनुसार गुजराती व्यापारी बरसों से अफ्रिका और विश्व के दूसरे देशों के साथ समुद्री रास्ते से व्यापार करते थे। अफ्रीका के झांझीबार और मोजाम्बिक जैसे प्रदेशों गुजरात जैसे ही थे। लौंग और काली मिर्च का व्यापार होता था। कानजी भाई मालम भी कच्छ के एक ऐसे ही व्यापारी थे, जो नियमित रूप से लौंग और काली मिर्च पहला व्यापार मार्ग कौन सा था का व्यापार करते थे। इसके अलावा वे सोना, हाथीदांत और कपड़े का भी व्यापार करते थे।

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